गठिया रोग की पहचान

गठिया रोग की पहचान

गठिया रोग क्या है?

गठिया (जिसे आर्थराइटिस या संधि शोथ भी कहते हैं) एक ऐसी स्थिति है जिसमें जोड़ों में दर्द, सूजन और अकड़न आ जाती है। यह एक या एक से ज़्यादा जोड़ों को प्रभावित कर सकता है। यह हड्डियों के सिरे पर मौजूद उपास्थि (कार्टिलेज) के क्षतिग्रस्त या खराब होने के कारण होता है, जो हड्डियों को एक-दूसरे के खिलाफ आसानी से फिसलने में मदद करता है।

गठिया के मुख्य लक्षण:

  • जोड़ों में दर्द: यह हल्का या गंभीर हो सकता है और समय के साथ बढ़ सकता है।
  • सूजन: प्रभावित जोड़ में सूजन आ सकती है, जिससे वह गर्म और लाल महसूस हो सकता है।
  • अकड़न: जोड़ों में अकड़न महसूस हो सकती है, खासकर सुबह या लंबे समय तक बैठने के बाद।
  • गतिशीलता में कमी: जोड़ों में दर्द और अकड़न के कारण जोड़ों को हिलाना मुश्किल हो सकता है।
  • जोड़ों में गांठें: कुछ प्रकार के गठिया में जोड़ों में गांठें बन सकती हैं।

गठिया के प्रकार:

गठिया कई प्रकार के होते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:

  • ऑस्टियोआर्थराइटिस (Osteoarthritis): यह सबसे आम प्रकार है, जिसमें जोड़ों की उपास्थि समय के साथ घिस जाती है। यह आमतौर पर उम्र के साथ होता है।
  • रूमेटोइड आर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis): यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से अपने ही जोड़ों के ऊतकों पर हमला करती है। यह शरीर के कई जोड़ों को प्रभावित कर सकता है और इसमें थकान और बुखार जैसे लक्षण भी हो सकते हैं।
  • गाउट (Gout): यह तब होता है जब शरीर में यूरिक एसिड का स्तर बहुत बढ़ जाता है, जिससे जोड़ों में यूरिक एसिड के क्रिस्टल जमा हो जाते हैं और दर्दनाक सूजन पैदा करते हैं। यह अक्सर पैर के अंगूठे को प्रभावित करता है।
  • एंकाइलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस (Ankylosing Spondylitis): यह मुख्य रूप से रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करता है, जिससे रीढ़ में अकड़न और दर्द होता है।
  • सोरियाटिक आर्थराइटिस (Psoriatic Arthritis): यह सोरायसिस नामक त्वचा रोग से पीड़ित कुछ लोगों में होता है, जिससे जोड़ों में दर्द और सूजन होती है।

गठिया के कारण:

गठिया के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • उम्र: उम्र बढ़ने के साथ जोड़ों में घिसाव होने की संभावना बढ़ जाती है।
  • आनुवंशिकी: कुछ प्रकार के गठिया आनुवंशिक कारकों से जुड़े होते हैं।
  • चोट: जोड़ों में लगी कोई पुरानी चोट गठिया का कारण बन सकती है।
  • संक्रमण: कुछ बैक्टीरिया या वायरस का संक्रमण जोड़ों में सूजन और दर्द का कारण बन सकता है।
  • मोटापा: अधिक वजन होने से जोड़ों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, खासकर घुटनों और कूल्हों पर, जिससे गठिया का खतरा बढ़ जाता है।
  • ऑटोइम्यून विकार: प्रतिरक्षा प्रणाली की खराबी के कारण भी गठिया हो सकता है।
  • यूरिक एसिड का उच्च स्तर: गाउट का मुख्य कारण यूरिक एसिड का असामान्य रूप से उच्च स्तर होता है।

गठिया का इलाज:

गठिया का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन इसके लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है और जोड़ों के कार्य को बनाए रखने में मदद मिल सकती है। उपचार के विकल्पों में शामिल हैं:

  • दवाएं: दर्द निवारक (NSAIDs), सूजन-रोधी दवाएं, और कुछ विशिष्ट प्रकार के गठिया के लिए इम्यूनोसप्रेसेंट दवाएं दी जा सकती हैं।
  • जीवनशैली में बदलाव: स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम (खासकर जलीय व्यायाम), वजन कम करना और धूम्रपान छोड़ना फायदेमंद हो सकता है।
  • भौतिक चिकित्सा (Physical Therapy): फिजियोथेरेपी जोड़ों की गतिशीलता और ताकत में सुधार करने में मदद कर सकती है।
  • घरेलू उपचार: हल्दी और अदरक जैसे प्राकृतिक तत्व सूजन और दर्द को कम करने में मदद कर सकते हैं।
  • सर्जरी: गंभीर मामलों में, जोड़ों को बदलने के लिए सर्जरी (जैसे घुटना या कूल्हा बदलना) की आवश्यकता हो सकती है।

यदि आपको गठिया के लक्षण महसूस होते हैं, तो डॉक्टर से सलाह लेना महत्वपूर्ण है ताकि सही निदान और उपचार मिल सके।

गठिया रोग की पहचान (Diagnosis Test)

गठिया (आर्थराइटिस) की पहचान करने के लिए डॉक्टर कई तरह के परीक्षणों का उपयोग करते हैं। चूंकि गठिया कई प्रकार का होता है, इसलिए निदान में रोगी के लक्षणों, चिकित्सा इतिहास और विभिन्न प्रयोगशाला व इमेजिंग परीक्षणों का संयोजन शामिल होता है।

गठिया के निदान के लिए किए जाने वाले मुख्य परीक्षण:

  1. शारीरिक परीक्षण (Physical Examination):
    • डॉक्टर आपके जोड़ों की जांच करेंगे कि उनमें सूजन, लालिमा, गर्मी या छूने पर दर्द तो नहीं है।
    • जोड़ों की गतिशीलता (रेंज ऑफ मोशन) का आकलन किया जाएगा कि आप उन्हें कितना मोड़ या सीधा कर सकते हैं।
    • डॉक्टर आपके लक्षणों की शुरुआत, अवधि और पैटर्न के बारे में विस्तार से पूछेंगे।
  2. चिकित्सा इतिहास (Medical History):
    • आपके परिवार में किसी को गठिया या कोई ऑटोइम्यून बीमारी है या नहीं, इस बारे में जानकारी ली जाएगी।
    • आपकी पिछली चोटों, संक्रमणों और किसी अन्य स्वास्थ्य स्थिति के बारे में पूछा जाएगा।
  3. रक्त परीक्षण (Blood Tests):
    • पूर्ण रक्त गणना (Complete Blood Count – CBC): यह एनीमिया या श्वेत रक्त कोशिकाओं की बढ़ी हुई संख्या की जांच कर सकता है, जो सूजन या संक्रमण का संकेत हो सकता है।
    • एरिथ्रोसाइट अवसादन दर (Erythrocyte Sedimentation Rate – ESR): यह शरीर में सूजन के स्तर को मापता है। उच्च ESR सूजन का संकेत हो सकता है, लेकिन यह विशिष्ट नहीं होता।
    • सी-रिएक्टिव प्रोटीन (C-Reactive Protein – CRP): यह भी शरीर में सूजन का एक मार्कर है। ESR की तरह, CRP भी सूजन का एक सामान्य संकेतक है।
    • रूमेटोइड फैक्टर (Rheumatoid Factor – RF): यह एंटीबॉडी रूमेटोइड आर्थराइटिस (RA) से पीड़ित कई लोगों के रक्त में पाया जाता है। हालांकि, यह RA के लिए विशिष्ट नहीं है और अन्य स्थितियों में या स्वस्थ व्यक्तियों में भी मौजूद हो सकता है।
    • एंटी-साइक्लिक सिट्रुलिनेटेड पेप्टाइड (Anti-Cyclic Citrullinated Peptide – Anti-CCP) एंटीबॉडी: यह एंटीबॉडी रूमेटोइड आर्थराइटिस के लिए RF की तुलना में अधिक विशिष्ट माना जाता है और RA के शुरुआती निदान में सहायक हो सकता है।
    • यूरिक एसिड का स्तर (Uric Acid Levels): गाउट का निदान करने के लिए रक्त में यूरिक एसिड के उच्च स्तर की जांच की जाती है।
    • HLA-B27 टेस्ट: यह परीक्षण एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस जैसे कुछ प्रकार के गठिया से जुड़े आनुवंशिक मार्कर की पहचान करने में मदद करता है।
    • एंटी-न्यूक्लियर एंटीबॉडी (Anti-Nuclear Antibody – ANA): यह ऑटोइम्यून बीमारियों, जैसे ल्यूपस, की जांच के लिए किया जाता है, जो जोड़ों के दर्द का कारण बन सकती हैं।
  4. इमेजिंग परीक्षण (Imaging Tests):
    • एक्स-रे (X-rays): यह जोड़ों की क्षति, हड्डियों के क्षरण, उपास्थि की हानि और हड्डी के फ्रैक्चर को देखने में मदद करता है। यह ऑस्टियोआर्थराइटिस के मामलों में हड्डियों के घिसाव और क्षति की प्रगति को ट्रैक करने के लिए उपयोगी है।
    • अल्ट्रासाउंड (Ultrasound): यह जोड़ों के नरम ऊतकों, जैसे टेंडन, लिगामेंट्स और उपास्थि में सूजन या क्षति का पता लगाने में मदद कर सकता है। यह जोड़ों में तरल पदार्थ (सिनोवियल फ्लूइड) की जांच के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
    • चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग (Magnetic Resonance Imaging – MRI): MRI हड्डियों, उपास्थि, टेंडन, लिगामेंट्स और मांसपेशियों सहित जोड़ों की विस्तृत 3D छवियां प्रदान करता है। यह शुरुआती क्षति या सूजन का पता लगा सकता है जो एक्स-रे पर दिखाई नहीं देती है।
    • सीटी स्कैन (CT Scan): यह हड्डियों और जोड़ों की विस्तृत क्रॉस-सेक्शनल छवियां बनाने के लिए विभिन्न कोणों से एक्स-रे को जोड़ता है। यह छोटे फ्रैक्चर और हड्डियों की समस्याओं का निदान करने में सहायक हो सकता है।
  5. जोड़ों के तरल पदार्थ का विश्लेषण (Joint Fluid Analysis – Arthrocentesis):
    • इस प्रक्रिया में, डॉक्टर एक सुई का उपयोग करके प्रभावित जोड़ से थोड़ी मात्रा में सिनोवियल फ्लूइड (जोड़ों का तरल पदार्थ) निकालते हैं।
    • इस तरल पदार्थ का माइक्रोस्कोप के नीचे विश्लेषण किया जाता है ताकि उसमें क्रिस्टल (जैसे यूरिक एसिड क्रिस्टल जो गाउट में पाए जाते हैं), बैक्टीरिया (संक्रमण का संकेत) या सफेद रक्त कोशिकाएं (सूजन का संकेत) मौजूद हों।

गठिया के प्रकार और लक्षणों के आधार पर, डॉक्टर इन परीक्षणों में से कुछ या सभी की सलाह दे सकते हैं। शुरुआती और सटीक निदान उचित उपचार योजना शुरू करने के लिए महत्वपूर्ण है।

गठिया रोग क्यों होता है?

गठिया (आर्थराइटिस) एक जटिल बीमारी है और इसके कई कारण हो सकते हैं, जो इसके प्रकार पर निर्भर करते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख कारण और जोखिम कारक दिए गए हैं:

1. ऑस्टियोआर्थराइटिस (Osteoarthritis – OA) के कारण: यह गठिया का सबसे आम प्रकार है, और इसे “घिसाव और टूट-फूट” (wear-and-tear) वाला गठिया भी कहा जाता है।

  • उम्र बढ़ना (Aging): उम्र के साथ, जोड़ों में मौजूद उपास्थि (कार्टिलेज) स्वाभाविक रूप से घिसने लगती है। कार्टिलेज एक चिकना ऊतक होता है जो हड्डियों के सिरों को ढकता है और उन्हें एक-दूसरे पर आसानी से फिसलने में मदद करता है। जब यह कार्टिलेज खराब हो जाता है, तो हड्डियां एक-दूसरे से रगड़ने लगती हैं, जिससे दर्द, सूजन और अकड़न होती है।
  • पिछली चोटें (Previous Joint Injuries): जोड़ों में लगी कोई भी पुरानी चोट, जैसे फ्रैक्चर, मोच, या खेल के दौरान लगी चोट, भविष्य में ऑस्टियोआर्थराइटिस के जोखिम को बढ़ा सकती है।
  • मोटापा (Obesity): अधिक वजन होने से घुटनों, कूल्हों और रीढ़ जैसे भार वहन करने वाले जोड़ों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जिससे कार्टिलेज का क्षरण तेजी से होता है।
  • जोड़ों पर अत्यधिक तनाव (Repetitive Stress on Joints): कुछ व्यवसायों या गतिविधियों में लगातार जोड़ों का अत्यधिक उपयोग या दोहराव वाले कार्य ऑस्टियोआर्थराइटिस का कारण बन सकते हैं।
  • आनुवंशिकी (Genetics): कुछ लोगों में ऑस्टियोआर्थराइटिस विकसित होने की आनुवंशिक प्रवृत्ति हो सकती है।
  • जन्मजात जोड़ असामान्यताएं (Congenital Joint Abnormalities): कुछ लोग असामान्य रूप से विकसित जोड़ों या कार्टिलेज के साथ पैदा होते हैं, जिससे उन्हें गठिया होने का खतरा बढ़ जाता है।

2. रूमेटोइड आर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis – RA) के कारण: यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसका अर्थ है कि शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (जो आमतौर पर संक्रमण से लड़ती है) गलती से अपने ही जोड़ों के ऊतकों पर हमला करना शुरू कर देती है।

  • ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया (Autoimmune Response): प्रतिरक्षा प्रणाली जोड़ों की परत (सिनोवियल मेम्ब्रेन) को लक्षित करती है, जिससे सूजन, दर्द और अंततः जोड़ों और हड्डियों को नुकसान होता है।
  • आनुवंशिकी (Genetics): कुछ जीन, जैसे HLA-DRB1, रूमेटोइड आर्थराइटिस के विकास के बढ़ते जोखिम से जुड़े हैं।
  • पर्यावरणीय कारक (Environmental Factors): कुछ पर्यावरणीय कारक, जैसे धूम्रपान (Smoking), रूमेटोइड आर्थराइटिस के जोखिम को बढ़ा सकते हैं, खासकर आनुवंशिक रूप से प्रवृत्त व्यक्तियों में।
  • संक्रमण (Infections): कुछ सिद्धांत बताते हैं कि कुछ बैक्टीरिया या वायरस (जैसे पेरिओडोंटल बीमारी से जुड़े बैक्टीरिया) एक ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया को ट्रिगर कर सकते हैं।
  • लिंग (Gender): महिलाओं में पुरुषों की तुलना में रूमेटोइड आर्थराइटिस विकसित होने की संभावना अधिक होती है।

3. गाउट (Gout) के कारण: यह एक प्रकार का गठिया है जो शरीर में यूरिक एसिड के उच्च स्तर के कारण होता है।

  • उच्च यूरिक एसिड स्तर (High Uric Acid Levels – Hyperuricemia): जब शरीर में बहुत अधिक यूरिक एसिड होता है (या तो शरीर अधिक उत्पादन करता है या गुर्दे इसे पर्याप्त रूप से बाहर नहीं निकाल पाते), तो यह जोड़ों में क्रिस्टल के रूप में जमा हो सकता है, जिससे तीव्र दर्द और सूजन होती है।
  • आहार (Diet): प्यूरीन (Purines) से भरपूर खाद्य पदार्थ और पेय (जैसे लाल मांस, समुद्री भोजन, शराब, विशेष रूप से बीयर और चीनी-युक्त पेय) शरीर में यूरिक एसिड के स्तर को बढ़ा सकते हैं।
  • कुछ दवाएं (Certain Medications): कुछ दवाएं, जैसे मूत्रवर्धक (diuretics) और एस्पिरिन की कम खुराक, यूरिक एसिड के स्तर को बढ़ा सकती हैं।
  • मोटापा (Obesity) और कुछ स्वास्थ्य स्थितियां: मोटापा, उच्च रक्तचाप, मधुमेह और गुर्दे की बीमारी गाउट के जोखिम को बढ़ाती है।

4. सोरियाटिक आर्थराइटिस (Psoriatic Arthritis) के कारण: यह एक प्रकार का गठिया है जो सोरायसिस नामक त्वचा रोग से पीड़ित लोगों में होता है।

  • ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया: यह भी एक ऑटोइम्यून स्थिति है जहां प्रतिरक्षा प्रणाली जोड़ों और त्वचा पर हमला करती है।
  • आनुवंशिकी और पर्यावरणीय कारक: यह आनुवंशिक प्रवृत्ति और पर्यावरणीय ट्रिगर्स (जैसे संक्रमण या चोट) के संयोजन से होता है।

5. एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस (Ankylosing Spondylitis) के कारण:

  • आनुवंशिकी (Genetics): यह मुख्य रूप से HLA-B27 नामक जीन से जुड़ा हुआ है।

अन्य सामान्य जोखिम कारक जो किसी भी प्रकार के गठिया के विकास के जोखिम को बढ़ा सकते हैं:

  • लिंग (Gender): रूमेटोइड आर्थराइटिस और ऑस्टियोआर्थराइटिस सहित कई प्रकार के गठिया महिलाओं में अधिक आम हैं, जबकि गाउट पुरुषों में अधिक आम है।
  • संक्रमण (Infection): कुछ जीवाणु या वायरल संक्रमण भी गठिया का कारण बन सकते हैं (जैसे रिएक्टिव आर्थराइटिस या सेप्टिक आर्थराइटिस)।
  • धूम्रपान (Smoking): धूम्रपान कई प्रकार के गठिया, विशेष रूप से रूमेटोइड आर्थराइटिस के जोखिम को बढ़ाता है और लक्षणों को खराब कर सकता है।

संक्षेप में, गठिया कई कारणों से होता है, जिनमें जोड़ों का घिसाव, प्रतिरक्षा प्रणाली की खराबी, चयापचय संबंधी समस्याएं, चोटें और आनुवंशिक प्रवृत्तियां शामिल हैं। प्रत्येक प्रकार के गठिया के अपने विशिष्ट कारण और जोखिम कारक होते हैं।

गठिया रोग स्पेशलिस्ट डॉक्टर

गठिया रोग के विशेषज्ञ डॉक्टर रूमेटोलॉजिस्ट (Rheumatologist) होते हैं। अहमदाबाद में कुछ रूमेटोलॉजिस्ट के नाम:

  • डॉ. विष्णु शर्मा
  • डॉ. चिराग गोराडिया
  • डॉ. वर्षा देशपांडे
  • डॉ. उर्वी गोराडिया
  • डॉ. परेश ठक्कर
  • डॉ. अनुज शुक्ला
  • डॉ. पायल वी शाह
  • डॉ. पूजा श्रीवास्तव
  • डॉ. हर्षा भोरहारी
  • डॉ. निकुंज डढानिया

गठिया रोग के लिए किस प्रकार का डॉक्टर सर्वोत्तम है?

गठिया रोग के लिए रूमेटोलॉजिस्ट (Rheumatologist) ही सबसे अच्छे और सर्वोत्तम विशेषज्ञ डॉक्टर होते हैं।

इसका कारण यह है कि:

  • विशेषज्ञता: रूमेटोलॉजिस्ट गठिया और अन्य मस्कुलोस्केलेटल (मांसपेशियों और हड्डियों से संबंधित) और ऑटोइम्यून बीमारियों के निदान और उपचार में विशेष रूप से प्रशिक्षित होते हैं। वे जोड़ों, मांसपेशियों, हड्डियों और संयोजी ऊतकों (connective tissues) को प्रभावित करने वाली स्थितियों को समझने में माहिर होते हैं।
  • व्यापक ज्ञान: गठिया कई प्रकार का होता है (जैसे ऑस्टियोआर्थराइटिस, रूमेटोइड आर्थराइटिस, गाउट, सोरियाटिक आर्थराइटिस आदि) और हर प्रकार के कारण, लक्षण और उपचार अलग होते हैं। रूमेटोलॉजिस्ट को इन सभी प्रकारों और उनसे संबंधित जटिलताओं का गहरा ज्ञान होता है।
  • उन्नत निदान: वे नवीनतम रक्त परीक्षणों, इमेजिंग तकनीकों और अन्य नैदानिक ​​प्रक्रियाओं का उपयोग करके सटीक निदान करने में सक्षम होते हैं।
  • समग्र उपचार योजना: रूमेटोलॉजिस्ट केवल लक्षणों का इलाज नहीं करते, बल्कि रोग की प्रगति को धीमा करने और जोड़ों की कार्यक्षमता को बनाए रखने के लिए एक समग्र उपचार योजना विकसित करते हैं। इसमें दवाएं, जीवनशैली में बदलाव, शारीरिक चिकित्सा और आवश्यकता पड़ने पर सर्जरी के लिए अन्य विशेषज्ञों के साथ समन्वय शामिल हो सकता है।

संक्षेप में, यदि आपको गठिया या जोड़ों से संबंधित कोई जटिल समस्या है, तो रूमेटोलॉजिस्ट से परामर्श करना सबसे अच्छा विकल्प है। वे आपको सही निदान और सबसे प्रभावी उपचार प्रदान कर सकते हैं।

गठिया रोग के लिए आहार योजना

गठिया रोग के प्रबंधन में आहार एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हालांकि कोई जादुई आहार नहीं है जो गठिया को ठीक कर दे, लेकिन कुछ खाद्य पदार्थ सूजन को कम करने, जोड़ों के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और दर्द को कम करने में मदद कर सकते हैं। इसके विपरीत, कुछ खाद्य पदार्थ सूजन को बढ़ा सकते हैं।

यहाँ गठिया रोग के लिए एक सामान्य आहार योजना और सुझाव दिए गए हैं:

1. सूजन-रोधी खाद्य पदार्थों पर ध्यान दें (Focus on Anti-inflammatory Foods):

  • ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर खाद्य पदार्थ:
    • फायदे: ये शक्तिशाली सूजन-रोधी गुण रखते हैं।
    • स्रोत: वसायुक्त मछली (जैसे सैल्मन, मैकेरल, सार्डिन, ट्राउट), चिया बीज, अलसी के बीज (और उनका तेल), अखरोट।
  • फल और सब्जियां:
    • फायदे: एंटीऑक्सिडेंट, विटामिन और खनिज से भरपूर होते हैं जो शरीर को फ्री रेडिकल्स से बचाते हैं और सूजन को कम करते हैं।
    • स्रोत: गहरे रंग के पत्तेदार साग (पालक, केल), जामुन (ब्लूबेरी, स्ट्रॉबेरी, रास्पबेरी), चेरी, ब्रोकोली, गाजर, टमाटर, शिमला मिर्च, प्याज, लहसुन।
  • साबुत अनाज (Whole Grains):
    • फायदे: फाइबर से भरपूर होते हैं जो सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं।
    • स्रोत: ओट्स, ब्राउन राइस, क्विनोआ, बाजरा, साबुत गेहूं की रोटी और पास्ता।
  • जैतून का तेल (Extra Virgin Olive Oil):
    • फायदे: इसमें ओलेओकैंथल (oleocanthal) नामक एक यौगिक होता है जिसमें सूजन-रोधी गुण होते हैं, जो इबुप्रोफेन के समान होते हैं।
    • उपयोग: सलाद ड्रेसिंग के लिए, खाना पकाने के लिए (मध्यम आंच पर)।
  • मेवे और बीज (Nuts and Seeds):
    • फायदे: मोनोअनसैचुरेटेड और पॉलीअनसैचुरेटेड वसा, फाइबर और एंटीऑक्सिडेंट प्रदान करते हैं।
    • स्रोत: बादाम, अखरोट, चिया बीज, अलसी के बीज, कद्दू के बीज।
  • मसाले और जड़ी-बूटियाँ:
    • फायदे: कई मसालों में शक्तिशाली सूजन-रोधी गुण होते हैं।
    • स्रोत: हल्दी (करक्यूमिन के कारण), अदरक, दालचीनी, लहसुन, तुलसी, अजवायन।

2. सीमित करने या टालने वाले खाद्य पदार्थ (Foods to Limit or Avoid):

  • संसाधित और अत्यधिक प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ (Processed and Ultra-Processed Foods):
    • कारण: इनमें अक्सर अस्वस्थ वसा, अतिरिक्त शर्करा, और एडिटिव्स होते हैं जो सूजन को बढ़ा सकते हैं।
    • उदाहरण: पैकेज्ड स्नैक्स, फास्ट फूड, सोडा, प्रसंस्कृत मीट।
  • अतिरिक्त शर्करा (Added Sugars):
    • कारण: मिठाइयों, पेस्ट्री, सोडा और फलों के रस में पाई जाने वाली अतिरिक्त चीनी सूजन को बढ़ा सकती है।
    • उदाहरण: कैंडीज, केक, बिस्कुट, मीठे पेय पदार्थ।
  • संतृप्त और ट्रांस फैट (Saturated and Trans Fats):
    • कारण: ये सूजन को बढ़ावा दे सकते हैं और हृदय रोग के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।
    • उदाहरण: लाल मांस, पूर्ण वसा वाले डेयरी उत्पाद, तले हुए खाद्य पदार्थ, कुछ बेकरी उत्पाद (ट्रांस फैट के लिए लेबल जांचें)।
  • लाल मांस और प्रसंस्कृत मांस (Red and Processed Meats):
    • कारण: इनमें सूजन को बढ़ावा देने वाले यौगिक होते हैं। गाउट के रोगियों को इनका सेवन विशेष रूप से सीमित करना चाहिए।
    • उदाहरण: गोमांस, सूअर का मांस, सॉसेज, बेकन, हॉट डॉग।
  • ओमेगा-6 फैटी एसिड का अधिक सेवन (Excess Omega-6 Fatty Acids):
    • कारण: जबकि ओमेगा-6 आवश्यक हैं, पश्चिमी आहार में अक्सर ओमेगा-3 की तुलना में इनका अनुपात बहुत अधिक होता है, जो सूजन को बढ़ा सकता है।
    • उदाहरण: मकई का तेल, सूरजमुखी का तेल, सोयाबीन का तेल। (खाना पकाने के लिए जैतून का तेल या एवोकैडो तेल चुनें।)
  • शराब (Alcohol):
    • कारण: विशेष रूप से गाउट के लिए, शराब (और बीयर) यूरिक एसिड के स्तर को बढ़ा सकती है। यह सूजन को भी बढ़ा सकती है।
  • नमक (Salt):
    • कारण: अधिक नमक का सेवन उच्च रक्तचाप और सूजन में योगदान कर सकता है।

3. विशिष्ट गठिया प्रकारों के लिए अतिरिक्त विचार:

  • गाउट (Gout):
    • सीमित करें: उच्च प्यूरीन वाले खाद्य पदार्थ जैसे लाल मांस, समुद्री भोजन (विशेष रूप से कुछ प्रकार जैसे सार्डिन, एंकोवी), ऑर्गन मीट, शराब (विशेषकर बीयर)।
    • फोकस करें: लो-फैट डेयरी उत्पाद, चेरी (कुछ अध्ययनों में यूरिक एसिड कम करने में मदद के लिए दिखाए गए हैं)।
  • रूमेटोइड आर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis – RA):
    • फोकस करें: भूमध्यसागरीय आहार (Mediterranean Diet) जिसमें भरपूर फल, सब्जियां, साबुत अनाज, मछली और जैतून का तेल शामिल हो, RA के लक्षणों में सुधार के लिए दिखाया गया है।

4. अन्य महत्वपूर्ण सुझाव:

  • हाइड्रेटेड रहें (Stay Hydrated): पर्याप्त पानी पीने से जोड़ों को चिकनाई मिलती है और शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद मिलती है।
  • वजन प्रबंधन (Weight Management): स्वस्थ वजन बनाए रखने से जोड़ों पर तनाव कम होता है, खासकर घुटनों और कूल्हों पर, जिससे ऑस्टियोआर्थराइटिस के लक्षणों में सुधार होता है।
  • छोटे, बार-बार भोजन (Smaller, Frequent Meals): यह पाचन में मदद कर सकता है और पोषक तत्वों के अवशोषण में सुधार कर सकता है।
  • व्यक्तिगत प्रतिक्रिया पर ध्यान दें (Pay Attention to Individual Response): कुछ लोगों को कुछ खाद्य पदार्थों से परेशानी हो सकती है जो दूसरों के लिए ठीक होते हैं। अपने शरीर की सुनें और यदि कोई विशेष भोजन आपके लक्षणों को बढ़ाता है तो उसे टालें।
  • डॉक्टर/पोषाहार विशेषज्ञ से परामर्श (Consult a Doctor/Dietitian): एक पंजीकृत आहार विशेषज्ञ या रूमेटोलॉजिस्ट आपके विशिष्ट प्रकार के गठिया, स्वास्थ्य स्थिति और दवाओं के आधार पर एक व्यक्तिगत आहार योजना बनाने में मदद कर सकते हैं।

यह आहार योजना एक सामान्य दिशानिर्देश है। किसी भी बड़े आहार परिवर्तन से पहले हमेशा अपने डॉक्टर या एक पंजीकृत आहार विशेषज्ञ से परामर्श करें।

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