पित्ती

पित्ती

पित्ती क्या हैं?

पित्ती, जिसे अंग्रेजी में हाइव्स (Hives) या अर्टिकेरिया (Urticaria) भी कहा जाता है, त्वचा पर होने वाले उभरे हुए, लाल रंग के चकत्ते होते हैं जिनमें अक्सर खुजली होती है। ये चकत्ते अलग-अलग आकार और आकार के हो सकते हैं और शरीर के किसी भी हिस्से पर दिखाई दे सकते हैं।

पित्ती के मुख्य लक्षण इस प्रकार हैं:

  • उभरे हुए चकत्ते: त्वचा पर उठे हुए, सपाट या थोड़े गोल धब्बे।
  • लाल रंग: आमतौर पर चकत्ते लाल या गुलाबी रंग के होते हैं।
  • खुजली: पित्ती में अक्सर बहुत तेज खुजली होती है।
  • आकार और स्थान में बदलाव: पित्ती के चकत्ते कुछ मिनटों या घंटों में अपना आकार और स्थान बदल सकते हैं। एक जगह से गायब होकर दूसरी जगह पर निकल सकते हैं।
  • सूजन (एंजियोएडेमा): कभी-कभी पित्ती के साथ होंठ, पलकें, जीभ या गले में सूजन भी आ सकती है, जिसे एंजियोएडेमा कहते हैं। यह गंभीर हो सकता है और सांस लेने में कठिनाई पैदा कर सकता है।

पित्ती के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • एलर्जी: यह सबसे आम कारणों में से एक है। कुछ खाद्य पदार्थों (जैसे मूंगफली, शेलफिश, अंडे), दवाओं (जैसे पेनिसिलिन, एस्पिरिन), कीड़े के काटने, पराग, पालतू जानवरों की रूसी या लेटेक्स के संपर्क में आने से एलर्जी की प्रतिक्रिया हो सकती है।
  • गैर-एलर्जी कारक:
    • शारीरिक उत्तेजना: दबाव (जैसे तंग कपड़े), खरोंच, कंपन, गर्मी, ठंड या सूरज की रोशनी के संपर्क में आने से पित्ती हो सकती है।
    • संक्रमण: वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण भी पित्ती का कारण बन सकते हैं।
    • दवाएं: कुछ दवाएं बिना एलर्जी के भी पित्ती पैदा कर सकती हैं।
    • तनाव: भावनात्मक तनाव भी कुछ लोगों में पित्ती को ट्रिगर कर सकता है।
    • अन्य चिकित्सा स्थितियां: कुछ ऑटोइम्यून रोग या अन्य स्वास्थ्य समस्याएं पित्ती से जुड़ी हो सकती हैं।

पित्ती कितने समय तक रहती है?

पित्ती दो प्रकार की हो सकती है:

  • तीव्र पित्ती (Acute Urticaria): यह अचानक शुरू होती है और आमतौर पर कुछ घंटों से लेकर कुछ हफ्तों (6 सप्ताह से कम) तक रहती है। एलर्जी की प्रतिक्रिया इसका सबसे आम कारण है।
  • दीर्घकालिक पित्ती (Chronic Urticaria): यह 6 सप्ताह से अधिक समय तक बनी रहती है और इसके कारण की पहचान करना अधिक मुश्किल हो सकता है।

पित्ती के कारण क्या हैं?

पित्ती (Hives) के कई संभावित कारण हो सकते हैं। जैसा कि मैंने पहले बताया, इन्हें मुख्य रूप से एलर्जी और गैर-एलर्जी कारकों में विभाजित किया जा सकता है:

एलर्जी कारण (Allergic Causes):

जब आपका शरीर किसी ऐसे पदार्थ के संपर्क में आता है जिसे वह हानिकारक मानता है (एलर्जी), तो यह हिस्टामाइन नामक एक रसायन छोड़ता है। हिस्टामाइन त्वचा में छोटी रक्त वाहिकाओं को लीक करने का कारण बनता है, जिससे पित्ती के उभरे हुए, खुजली वाले चकत्ते बनते हैं। कुछ सामान्य एलर्जी कारक इस प्रकार हैं:

  • खाद्य पदार्थ:
    • मूंगफली
    • शेलफिश (जैसे झींगा, केकड़ा)
    • अंडे
    • दूध
    • सोया
    • गेहूं
    • पेड़ के नट (जैसे अखरोट, बादाम)
    • कुछ फल (जैसे जामुन)
  • दवाएं:
    • एंटीबायोटिक्स (जैसे पेनिसिलिन, सेफलोस्पोरिन)
    • दर्द निवारक (जैसे एस्पिरिन, इबुप्रोफेन, नेप्रोक्सन)
    • एंटीकॉन्वेलेंट्स
    • रक्तचाप की दवाएं
  • कीड़े के काटने और डंक:
    • मधुमक्खी का डंक
    • ततैया का डंक
    • चींटी का काटना
  • वायुजनित एलर्जी:
    • पराग
    • पालतू जानवरों की रूसी
    • धूल के कण
    • फफूंदी
  • लेटेक्स: लेटेक्स युक्त उत्पादों के संपर्क में आने से (जैसे दस्ताने, गुब्बारे)।

गैर-एलर्जी कारण (Non-Allergic Causes):

इन मामलों में, पित्ती सीधे हिस्टामाइन की एलर्जी प्रतिक्रिया के बिना जारी होने के कारण हो सकती है। कुछ गैर-एलर्जी कारक इस प्रकार हैं:

  • शारीरिक उत्तेजना (Physical Urticaria):
    • डर्मेटोग्राफिज्म (Dermatographism): त्वचा पर हल्के दबाव या खरोंच से पित्ती का बनना।
    • कोलीनर्जिक अर्टिकेरिया (Cholinergic Urticaria): व्यायाम, गर्मी, पसीना या भावनात्मक तनाव के कारण छोटे, खुजली वाले पित्ती का बनना।
    • शीतल अर्टिकेरिया (Cold Urticaria): ठंडी हवा या पानी के संपर्क में आने से पित्ती का बनना।
    • सौर अर्टिकेरिया (Solar Urticaria): सूर्य की रोशनी के संपर्क में आने से पित्ती का बनना।
    • प्रेशर अर्टिकेरिया (Pressure Urticaria): त्वचा पर लंबे समय तक दबाव पड़ने से पित्ती का बनना (जैसे तंग कपड़े, भारी बैग ले जाना)।
    • वाइब्रेटरी एंजियोएडेमा (Vibratory Angioedema): कंपन के संपर्क में आने से पित्ती और सूजन का बनना।
    • एक्वाजेनिक अर्टिकेरिया (Aquagenic Urticaria): पानी के संपर्क में आने से पित्ती का बनना (यह दुर्लभ है)।
  • संक्रमण:
    • वायरल संक्रमण (जैसे सामान्य सर्दी, फ्लू)
    • बैक्टीरियल संक्रमण (जैसे स्ट्रेप थ्रोट)
  • दवाएं: कुछ दवाएं बिना एलर्जी के भी सीधे हिस्टामाइन रिलीज कर सकती हैं या अन्य तंत्रों के माध्यम से पित्ती पैदा कर सकती हैं।
  • तनाव: भावनात्मक तनाव कुछ लोगों में पित्ती को ट्रिगर या बढ़ा सकता है।
  • अन्य चिकित्सा स्थितियां:
    • ऑटोइम्यून रोग (जैसे ल्यूपस, थायरॉइड रोग)
    • मास्ट सेल एक्टिवेशन सिंड्रोम
    • कुछ प्रकार के कैंसर (दुर्लभ)

पित्ती के संकेत और लक्षण क्या हैं?

पित्ती (Hives) के मुख्य संकेत और लक्षण इस प्रकार हैं:

  • उभरे हुए चकत्ते (Wheals): त्वचा पर अचानक से उभरे हुए, सपाट या थोड़े उठे हुए धब्बे दिखाई देते हैं। ये चिकने और थोड़े कठोर महसूस हो सकते हैं। इनकी सीमाएं स्पष्ट रूप से परिभाषित होती हैं।
  • लाल या गुलाबी रंग: आमतौर पर पित्ती के चकत्ते लाल या गुलाबी रंग के होते हैं। हालांकि, कुछ मामलों में वे त्वचा के रंग के भी हो सकते हैं, खासकर हल्के रंग की त्वचा पर।
  • खुजली (Pruritus): पित्ती का सबसे आम और परेशान करने वाला लक्षण तेज खुजली है। यह खुजली हल्की से लेकर बहुत गंभीर तक हो सकती है।
  • विभिन्न आकार और आकार: पित्ती के चकत्ते छोटे बूंदों से लेकर बड़े, आपस में जुड़े हुए पैच तक किसी भी आकार और आकार के हो सकते हैं। ये गोल, अंडाकार या अनियमित आकार के हो सकते हैं।
  • स्थान परिवर्तन: पित्ती की एक विशिष्ट विशेषता यह है कि चकत्ते कुछ मिनटों या घंटों के भीतर अपना स्थान और आकार बदल सकते हैं। एक जगह से गायब होकर वे शरीर के दूसरे हिस्से पर निकल सकते हैं। इसे “माइग्रेटरी” या “ट्रांजिएंट” भी कहा जाता है।
  • सूजन (एडिमा): पित्ती वाले क्षेत्रों के आसपास हल्की सूजन हो सकती है।
  • एंजियोएडेमा: कुछ मामलों में, पित्ती के साथ गहरी त्वचा की परतों में सूजन भी हो सकती है, जिसे एंजियोएडेमा कहते हैं। एंजियोएडेमा आमतौर पर होंठ, पलकें, जीभ, गले या जननांगों को प्रभावित करता है। इसके लक्षणों में शामिल हो सकते हैं:
    • त्वचा के नीचे गहरी सूजन और दर्द
    • त्वचा का रंग सामान्य या थोड़ा लाल हो सकता है
    • सांस लेने या निगलने में कठिनाई (अगर गले में सूजन हो) – यह एक गंभीर स्थिति है जिसके लिए तत्काल चिकित्सा ध्यान देने की आवश्यकता होती है।
  • अन्य संभावित लक्षण (कम आम):
    • कुछ लोगों को पित्ती के साथ हल्का बुखार, थकान या अस्वस्थ महसूस हो सकता है, खासकर यदि यह किसी संक्रमण के कारण हो।

महत्वपूर्ण बातें:

  • पित्ती के लक्षण अचानक शुरू हो सकते हैं और कुछ घंटों से लेकर कई दिनों तक रह सकते हैं (तीव्र पित्ती)।
  • पुरानी पित्ती में, लक्षण 6 सप्ताह से अधिक समय तक बने रहते हैं और बार-बार हो सकते हैं।
  • यदि आपको पित्ती के साथ सांस लेने में कठिनाई, गले में जकड़न, घरघराहट, चक्कर आना या बेहोशी जैसे गंभीर लक्षण हों, तो तुरंत चिकित्सा सहायता लें। ये एनाफिलेक्सिस के लक्षण हो सकते हैं, जो एक गंभीर और जानलेवा एलर्जी प्रतिक्रिया है।

पित्ती का खतरा किसे अधिक होता है?

कुछ ऐसे कारक हैं जो किसी व्यक्ति को पित्ती (Hives) विकसित होने के खतरे को बढ़ा सकते हैं। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि किसी को भी पित्ती हो सकती है, भले ही उनमें इनमें से कोई भी जोखिम कारक मौजूद न हो। पित्ती के बढ़ते खतरे से जुड़े कुछ कारक इस प्रकार हैं:

व्यक्तिगत इतिहास और चिकित्सा स्थितियाँ:

  • एलर्जी का इतिहास: जिन लोगों को पहले से ही किसी भी प्रकार की एलर्जी है (जैसे खाद्य एलर्जी, मौसमी एलर्जी, दवा एलर्जी), उनमें पित्ती होने का खतरा अधिक होता है क्योंकि उनका प्रतिरक्षा तंत्र एलर्जी कारकों के प्रति अधिक संवेदनशील होता है।
  • अस्थमा: अस्थमा से पीड़ित लोगों में एलर्जी प्रतिक्रियाओं और पित्ती का खतरा बढ़ सकता है।
  • अटोपिक डर्मेटाइटिस (एक्जिमा): एक्जिमा वाले लोगों में भी एलर्जी और पित्ती विकसित होने की संभावना अधिक होती है।
  • ऑटोइम्यून रोग: कुछ ऑटोइम्यून रोग, जैसे ल्यूपस या थायरॉइड रोग, पित्ती से जुड़े हो सकते हैं।
  • पिछली पित्ती की प्रतिक्रिया: जिन लोगों को पहले कभी पित्ती हुई है, उनमें भविष्य में फिर से होने का खतरा अधिक होता है।

पारिवारिक इतिहास:

  • यदि आपके परिवार के सदस्यों (माता-पिता, भाई-बहन) को एलर्जी या पित्ती का इतिहास है, तो आपको भी पित्ती होने का खतरा अधिक हो सकता है।

पर्यावरणीय और जीवनशैली कारक:

  • कुछ दवाओं का उपयोग: कुछ दवाएं, जैसे एंटीबायोटिक्स (पेनिसिलिन), दर्द निवारक (एनएसएआईडी), और रक्तचाप की दवाएं, पित्ती का कारण बन सकती हैं। इन दवाओं का नियमित उपयोग करने वालों में खतरा बढ़ सकता है।
  • कुछ खाद्य पदार्थों का सेवन: कुछ खाद्य पदार्थ, जैसे मूंगफली, शेलफिश, अंडे, और दूध, एलर्जी प्रतिक्रियाओं और पित्ती का कारण बन सकते हैं। इन खाद्य पदार्थों का नियमित सेवन करने वाले एलर्जी वाले व्यक्तियों में खतरा अधिक होता है।
  • कीड़े के काटने या डंक के संपर्क में आना: जिन लोगों को कीड़ों के काटने या डंक से एलर्जी है, उनमें संपर्क में आने पर पित्ती होने का खतरा होता है।
  • शारीरिक उत्तेजनाओं के संपर्क में आना: कुछ लोगों को शारीरिक उत्तेजनाओं जैसे ठंड, गर्मी, दबाव या कंपन के कारण पित्ती हो सकती है। इन उत्तेजनाओं के नियमित संपर्क में आने वालों में खतरा होता है।
  • तनाव: हालांकि तनाव सीधे पित्ती का कारण नहीं बनता है, लेकिन यह कुछ लोगों में पित्ती के लक्षणों को ट्रिगर या खराब कर सकता है। उच्च तनाव स्तर वाले व्यक्तियों में पित्ती होने की संभावना बढ़ सकती है।
  • संक्रमण: वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण पित्ती को ट्रिगर कर सकते हैं, इसलिए बार-बार संक्रमण होने वाले व्यक्तियों में खतरा बढ़ सकता है।

पित्ती से कौन सी बीमारियां जुड़ी हैं?

पित्ती (Hives) स्वयं में कोई बीमारी नहीं है, बल्कि यह कई अलग-अलग अंतर्निहित स्थितियों या ट्रिगर्स की प्रतिक्रिया के रूप में होने वाला एक लक्षण है। हालांकि, कुछ बीमारियां और स्वास्थ्य स्थितियां हैं जिनके साथ पित्ती अक्सर जुड़ी हुई पाई जाती है:

एलर्जी संबंधी बीमारियाँ:

  • एलर्जिक राइनाइटिस (Hay Fever): नाक की एलर्जी वाले लोगों में पराग, धूल के कण या पालतू जानवरों की रूसी के संपर्क में आने पर पित्ती हो सकती है।
  • एलर्जिक अस्थमा: अस्थमा से पीड़ित व्यक्तियों में एलर्जी प्रतिक्रियाओं के हिस्से के रूप में पित्ती विकसित होने की संभावना अधिक होती है।
  • अटोपिक डर्मेटाइटिस (एक्जिमा): एक्जिमा वाले लोगों में एलर्जी संवेदनशीलता अधिक होती है, जिससे उन्हें खाद्य पदार्थों या पर्यावरणीय एलर्जी के कारण पित्ती हो सकती है।
  • खाद्य एलर्जी: विशिष्ट खाद्य पदार्थों (जैसे मूंगफली, शेलफिश, अंडे) के प्रति एलर्जी वाले लोगों में उन खाद्य पदार्थों के सेवन के बाद पित्ती हो सकती है।
  • दवा एलर्जी: कुछ दवाओं के प्रति एलर्जी की प्रतिक्रिया के रूप में पित्ती हो सकती है।

ऑटोइम्यून बीमारियाँ:

इन बीमारियों में, शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से अपने ही ऊतकों पर हमला करती है। कुछ ऑटोइम्यून स्थितियां पित्ती से जुड़ी हो सकती हैं:

  • थायरॉइड रोग (हाशिमोटो थायरॉइडिटिस, ग्रेव्स रोग): थायरॉइड विकारों वाले कुछ लोगों में पुरानी पित्ती विकसित हो सकती है।
  • सिस्टमिक ल्यूपस एरिथेमेटोसस (एसएलई): ल्यूपस एक ऑटोइम्यून बीमारी है जो त्वचा सहित शरीर के कई अंगों को प्रभावित कर सकती है और पित्ती इसका एक लक्षण हो सकता है।
  • रूमेटाइड आर्थराइटिस: हालांकि सीधा संबंध कम है, कुछ मामलों में रूमेटाइड आर्थराइटिस वाले लोगों में पित्ती देखी जा सकती है।
  • सजोग्रेन सिंड्रोम: यह एक अन्य ऑटोइम्यून बीमारी है जो कभी-कभी पित्ती से जुड़ी होती है।

संक्रामक बीमारियाँ:

कुछ वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण पित्ती को ट्रिगर कर सकते हैं:

  • वायरल संक्रमण: सामान्य सर्दी, फ्लू, मोनोन्यूक्लिओसिस जैसे वायरल संक्रमण बच्चों और वयस्कों दोनों में तीव्र पित्ती का कारण बन सकते हैं।
  • बैक्टीरियल संक्रमण: स्ट्रेप थ्रोट जैसे कुछ बैक्टीरियल संक्रमण भी पित्ती से जुड़े हो सकते हैं।

अन्य चिकित्सा स्थितियाँ:

  • मास्ट सेल एक्टिवेशन सिंड्रोम (MCAS): इस स्थिति में, मास्ट कोशिकाएं आसानी से और अत्यधिक मात्रा में हिस्टामाइन और अन्य मध्यस्थों को छोड़ती हैं, जिससे पित्ती सहित कई लक्षण हो सकते हैं।
  • कुछ प्रकार के कैंसर: दुर्लभ मामलों में, कुछ प्रकार के कैंसर, जैसे लिम्फोमा, पुरानी पित्ती से जुड़े हो सकते हैं।
  • हेपेटाइटिस बी और सी: कुछ मामलों में, इन वायरल हेपेटाइटिस संक्रमणों से पित्ती जुड़ी हुई पाई गई है।

शारीरिक पित्ती से जुड़ी स्थितियाँ:

  • डर्मेटोग्राफिज्म: यह स्वयं में कोई बीमारी नहीं है, लेकिन यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें त्वचा पर हल्के खरोंच या दबाव से पित्ती बन जाती है।
  • कोलीनर्जिक अर्टिकेरिया: यह पसीने, गर्मी या तनाव के कारण होता है और कुछ अंतर्निहित स्थितियों से जुड़ा हो सकता है

पित्ती का निदान कैसे करें?

पित्ती (Hives) का निदान आमतौर पर डॉक्टर द्वारा आपके लक्षणों, चिकित्सा इतिहास और शारीरिक परीक्षण के आधार पर किया जाता है। पित्ती का निदान करने के लिए कोई एक विशिष्ट परीक्षण नहीं है, लेकिन डॉक्टर संभावित कारणों की पहचान करने और अन्य स्थितियों को दूर करने के लिए कुछ प्रक्रियाएं अपना सकते हैं:

1. चिकित्सा इतिहास (Medical History):

डॉक्टर आपसे आपके लक्षणों के बारे में विस्तृत जानकारी लेंगे, जिसमें शामिल हैं:

  • पित्ती कब शुरू हुई?
  • लक्षण कितने समय तक रहे?
  • पित्ती कहाँ दिखाई देती है?
  • क्या चकत्ते बदलते हैं या एक जगह से दूसरी जगह जाते हैं?
  • क्या आपको खुजली, सूजन या कोई अन्य लक्षण हैं?
  • आपकी पिछली चिकित्सा स्थितियाँ क्या हैं?
  • क्या आपको कोई ज्ञात एलर्जी है (खाद्य पदार्थ, दवाएं, कीड़े आदि)?
  • आप कौन सी दवाएं ले रहे हैं (प्रिस्क्रिप्शन, ओवर-द-काउंटर, हर्बल)?
  • आपके आहार में कोई हालिया बदलाव?
  • क्या आप किसी नए वातावरण या पदार्थों के संपर्क में आए हैं?
  • क्या आपके परिवार में एलर्जी या पित्ती का इतिहास है?
  • क्या तनाव आपके लक्षणों को प्रभावित करता है?
  • शारीरिक गतिविधियों या तापमान में बदलाव का आपके लक्षणों पर क्या प्रभाव पड़ता है?

2. शारीरिक परीक्षण (Physical Examination):

डॉक्टर आपकी त्वचा पर चकत्तों की उपस्थिति, आकार, रंग और वितरण की जांच करेंगे। वे सूजन (एंजियोएडेमा) के संकेतों की भी तलाश करेंगे, खासकर होंठ, पलकें, जीभ या गले में।

3. एलर्जी परीक्षण (Allergy Testing):

यदि डॉक्टर को एलर्जी की प्रतिक्रिया पित्ती का संभावित कारण लगती है, तो वे एलर्जी परीक्षण की सिफारिश कर सकते हैं। इनमें शामिल हो सकते हैं:

  • त्वचा चुभन परीक्षण (Skin Prick Test): थोड़ी मात्रा में संभावित एलर्जी कारकों को आपकी त्वचा पर रखा जाता है और फिर त्वचा को हल्का सा चुभाया जाता है। यदि आपको किसी विशिष्ट एलर्जन से एलर्जी है, तो उस जगह पर एक छोटा, उभरा हुआ दाना (व्हील) और लालिमा (फ्लेयर) दिखाई देगी।
  • इंट्राडर्मल परीक्षण (Intradermal Test): यदि त्वचा चुभन परीक्षण नकारात्मक है लेकिन एलर्जी का संदेह अभी भी है, तो एलर्जन की थोड़ी मात्रा को त्वचा की ऊपरी परत में इंजेक्ट किया जा सकता है।
  • ब्लड टेस्ट (IgE Antibody Test या RAST Test): यह रक्त परीक्षण विशिष्ट एलर्जी कारकों के प्रति आपके रक्त में इम्यूनोग्लोबुलिन ई (IgE) एंटीबॉडी के स्तर को मापता है। यह त्वचा परीक्षण की तुलना में कम संवेदनशील हो सकता है लेकिन कुछ स्थितियों में उपयोगी होता है।

4. उत्तेजना परीक्षण (Provocation Tests):

कुछ प्रकार की शारीरिक पित्ती के निदान के लिए उत्तेजना परीक्षण किए जा सकते हैं:

  • कोल्ड चैलेंज टेस्ट: त्वचा के एक छोटे से क्षेत्र पर बर्फ का टुकड़ा रखकर देखा जाता है कि क्या पित्ती विकसित होती है (शीतल अर्टिकेरिया के लिए)।
  • हीट चैलेंज टेस्ट: त्वचा को गर्म करके प्रतिक्रिया देखी जाती है।
  • प्रेशर टेस्ट: त्वचा पर दबाव डालकर प्रतिक्रिया देखी जाती है (प्रेशर अर्टिकेरिया के लिए)।
  • एक्सरसाइज चैलेंज टेस्ट: व्यायाम करने के बाद प्रतिक्रिया देखी जाती है (कोलीनर्जिक अर्टिकेरिया के लिए)।
  • पानी का परीक्षण (Aquagenic Urticaria Test): त्वचा पर पानी लगाकर प्रतिक्रिया देखी जाती है (एक्वाजेनिक अर्टिकेरिया के लिए)।

5. रक्त परीक्षण (Blood Tests):

एलर्जी परीक्षण के अलावा, डॉक्टर अन्य रक्त परीक्षण भी कर सकते हैं ताकि किसी अंतर्निहित चिकित्सा स्थिति का पता लगाया जा सके जो पित्ती से जुड़ी हो सकती है, जैसे:

  • कम्प्लीट ब्लड काउंट (CBC): संक्रमण या अन्य रक्त विकारों की जांच के लिए।
  • एरिथ्रोसाइट सेडिमेंटेशन रेट (ESR) और सी-रिएक्टिव प्रोटीन (CRP): सूजन के स्तर को मापने के लिए।
  • थायरॉइड फंक्शन टेस्ट: थायरॉइड विकारों की जांच के लिए।
  • ऑटोएंटीबॉडी परीक्षण: ऑटोइम्यून बीमारियों की जांच के लिए।

6. त्वचा बायोप्सी (Skin Biopsy):

दुर्लभ मामलों में, खासकर यदि पित्ती असामान्य दिखती है या लंबे समय तक बनी रहती है और अन्य उपचारों का जवाब नहीं देती है, तो डॉक्टर निदान की पुष्टि करने या अन्य त्वचा स्थितियों को दूर करने के लिए त्वचा बायोप्सी कर सकते हैं। इसमें त्वचा का एक छोटा सा नमूना निकालकर माइक्रोस्कोप के तहत जांच की जाती है।

पित्ती का इलाज क्या है?

पिट्टी (Hives) का इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि यह कितनी गंभीर है और इसके क्या कारण हैं। कई मामलों में, पित्ती अपने आप ही कुछ दिनों या हफ्तों में ठीक हो जाती है। हालांकि, अगर पित्ती गंभीर है या लंबे समय तक बनी रहती है, तो आपको डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

यहां कुछ सामान्य उपचार दिए गए हैं जो पित्ती के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं:

घरेलू उपचार:

  • ठंडी सिकाई: प्रभावित क्षेत्र पर ठंडी सिकाई करने से खुजली और सूजन कम हो सकती है।
  • ढीले-ढाले कपड़े पहनें: तंग कपड़े पहनने से बचें, क्योंकि यह पित्ती को और खराब कर सकता है।
  • खुजली न करें: खुजली करने से पित्ती फैल सकती है और त्वचा में जलन हो सकती है।
  • ट्रिगर्स से बचें: यदि आपको पता है कि आपकी पित्ती किस चीज से शुरू होती है (जैसे कि कुछ खाद्य पदार्थ, दवाएं या तापमान परिवर्तन), तो उनसे बचने की कोशिश करें।
  • ओटमील बाथ: गुनगुने पानी में ओटमील मिलाकर नहाने से खुजली से राहत मिल सकती है।
  • एलोवेरा जेल: एलोवेरा जेल लगाने से त्वचा को ठंडक मिलती है और सूजन कम होती है।

चिकित्सा उपचार:

  • एंटीहिस्टामाइन: ये दवाएं हिस्टामाइन नामक रसायन को ब्लॉक करके काम करती हैं, जो पित्ती के लक्षणों का कारण बनता है। एंटीहिस्टामाइन ओवर-द-काउंटर और प्रिस्क्रिप्शन दोनों में उपलब्ध हैं।
  • कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स: यदि एंटीहिस्टामाइन प्रभावी नहीं हैं, तो डॉक्टर कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स लिख सकते हैं। ये दवाएं सूजन को कम करती हैं। इन्हें आमतौर पर थोड़े समय के लिए ही लिया जाता है।
  • एपिनेफ्रिन इंजेक्शन (एपिपेन): यदि पित्ती के साथ सांस लेने में कठिनाई, गले में जकड़न या चक्कर आना जैसे गंभीर लक्षण हों, तो एपिनेफ्रिन इंजेक्शन की आवश्यकता हो सकती है। यह एक आपातकालीन उपचार है।
  • अन्य दवाएं: पुरानी पित्ती के गंभीर मामलों में, डॉक्टर ओमालिज़ुमाब या साइक्लोस्पोरिन जैसी अन्य दवाएं लिख सकते हैं।

डॉक्टर से कब मिलें:

  • यदि आपकी पित्ती अचानक शुरू हो जाती है और पूरे शरीर में फैल जाती है।
  • यदि आपकी पित्ती के साथ सांस लेने में कठिनाई, गले में जकड़न, होंठ या जीभ में सूजन, या चक्कर आना जैसे गंभीर लक्षण हों।
  • यदि आपकी पित्ती कुछ दिनों के बाद भी ठीक नहीं होती है।
  • यदि आपकी पित्ती बार-बार होती है।

डॉक्टर आपकी पित्ती के कारण का पता लगाने और आपके लिए सबसे अच्छा उपचार योजना निर्धारित करने में मदद कर सकते हैं।

पित्ती का घरेलू इलाज क्या है?

पिट्टी (Hives) के हल्के मामलों में, आप घर पर ही लक्षणों को कम करने के लिए कुछ उपाय कर सकते हैं:

ठंडी सिकाई:

  • प्रभावित क्षेत्र पर ठंडी सिकाई करने से खुजली और सूजन कम हो सकती है। आप बर्फ के टुकड़े को कपड़े में लपेटकर या ठंडे पानी में भिगोए हुए कपड़े का उपयोग कर सकते हैं। इसे 10-15 मिनट के लिए दिन में कई बार लगाएं।

ढीले-ढाले कपड़े पहनें:

  • तंग कपड़े पहनने से बचें, क्योंकि यह पित्ती को और खराब कर सकता है। सूती और ढीले-ढाले कपड़े पहनें जो त्वचा को सांस लेने दें।

खुजली न करें:

  • खुजली करने से पित्ती फैल सकती है और त्वचा में जलन हो सकती है। यदि आपको बहुत अधिक खुजली हो रही है, तो ठंडी सिकाई या कैलामाइन लोशन लगाने का प्रयास करें।

ट्रिगर्स से बचें:

  • यदि आपको पता है कि आपकी पित्ती किस चीज से शुरू होती है (जैसे कि कुछ खाद्य पदार्थ, दवाएं, तापमान परिवर्तन, तनाव), तो उनसे बचने की कोशिश करें।

ओटमील बाथ:

  • गुनगुने पानी में बिना सुगंध वाला ओटमील मिलाकर नहाने से खुजली से राहत मिल सकती है। आप कोलाइडल ओटमील (बारीक पिसा हुआ ओटमील) का उपयोग कर सकते हैं जो विशेष रूप से स्नान के लिए बनाया गया है।

एलोवेरा जेल:

  • एलोवेरा जेल लगाने से त्वचा को ठंडक मिलती है और सूजन कम होती है। सुनिश्चित करें कि आप शुद्ध एलोवेरा जेल का उपयोग कर रहे हैं जिसमें कोई अतिरिक्त सामग्री न हो।

बेकिंग सोडा का पेस्ट:

  • थोड़े से पानी में बेकिंग सोडा मिलाकर गाढ़ा पेस्ट बनाएं और इसे प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं। सूखने दें और फिर धो लें। यह खुजली को कम करने में मदद कर सकता है।

विच हेज़ल:

  • विच हेज़ल में कसैले गुण होते हैं जो सूजन और खुजली को कम करने में मदद कर सकते हैं। आप विच हेज़ल को सीधे प्रभावित त्वचा पर लगा सकते हैं।

हाइड्रेटेड रहें:

  • खूब पानी पीने से आपकी त्वचा हाइड्रेटेड रहेगी, जो खुजली को कम करने में मदद कर सकती है।

तनाव का प्रबंधन:

  • कुछ लोगों में तनाव पित्ती को ट्रिगर कर सकता है या उसे खराब कर सकता है। योग, ध्यान या गहरी सांस लेने के व्यायाम जैसी तकनीकों से तनाव का प्रबंधन करने का प्रयास करें।

एंटीहिस्टामाइन क्रीम या लोशन (ओवर-द-काउंटर):

  • कुछ ओवर-द-काउंटर एंटीहिस्टामाइन क्रीम या लोशन खुजली को कम करने में मदद कर सकते हैं। उपयोग करने से पहले लेबल पर दिए गए निर्देशों को ध्यान से पढ़ें।

पित्ती में क्या खाएं और क्या न खाएं?

पिट्टी (Hives) होने पर कुछ खाद्य पदार्थ लक्षणों को बढ़ा सकते हैं, जबकि कुछ खाद्य पदार्थ राहत प्रदान कर सकते हैं। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि हर किसी के लिए ट्रिगर खाद्य पदार्थ अलग-अलग हो सकते हैं, और कुछ लोगों में आहार का पित्ती पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ता है।

पित्ती में क्या खाएं (कुछ संभावित सहायक खाद्य पदार्थ):

  • पानी: खूब पानी पीना त्वचा को हाइड्रेटेड रखने और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है।
  • गैर-खट्टे फल: सेब, नाशपाती, तरबूज, खरबूजा जैसे फल आमतौर पर सुरक्षित माने जाते हैं। खट्टे फल जैसे संतरा, नींबू, अंगूर कुछ लोगों में प्रतिक्रिया कर सकते हैं।
  • गैर-खट्टे सब्जियां: हरी पत्तेदार सब्जियां, खीरा, गाजर, फूलगोभी, ब्रोकोली जैसे सब्जियां आमतौर पर सुरक्षित होती हैं। टमाटर और बैंगन कुछ लोगों में समस्या पैदा कर सकते हैं।
  • चावल और ओट्स: ये आसानी से पचने वाले अनाज हैं और आमतौर पर प्रतिक्रिया नहीं करते हैं।
  • लीन प्रोटीन: चिकन, मछली (ताज़ी), टोफू जैसे लीन प्रोटीन स्रोत आमतौर पर सुरक्षित होते हैं। शेलफिश और कुछ प्रकार की मछली एलर्जी का कारण बन सकती हैं।
  • दही (बिना अतिरिक्त चीनी और फ्लेवर): कुछ लोगों को प्रोबायोटिक युक्त दही फायदेमंद लग सकता है।
  • हर्बल चाय: कैमोमाइल और अदरक की चाय में सूजन-रोधी गुण हो सकते हैं।

पित्ती में क्या न खाएं (संभावित ट्रिगर खाद्य पदार्थ):

  • एलर्जी पैदा करने वाले सामान्य खाद्य पदार्थ:
    • शेलफिश: झींगा, केकड़ा, लॉबस्टर आदि।
    • मछली: कुछ विशिष्ट प्रकार की मछली।
    • मूंगफली और अन्य नट्स: बादाम, अखरोट, काजू आदि।
    • अंडे: खासकर अंडे का सफेद भाग।
    • दूध और डेयरी उत्पाद: गाय का दूध, पनीर, दही (कुछ लोगों में)।
    • सोया: सोयाबीन और सोया उत्पाद।
    • गेहूं: और अन्य ग्लूटेन युक्त अनाज (कुछ लोगों में)।
  • हिस्टामाइन युक्त खाद्य पदार्थ: ये खाद्य पदार्थ शरीर में हिस्टामाइन की मात्रा बढ़ा सकते हैं, जो पित्ती के लक्षणों को खराब कर सकता है।
    • किण्वित खाद्य पदार्थ: अचार, सॉकरौट, केफिर, कोम्बुचा।
    • पुराना पनीर: चेडर, परमेसन आदि।
    • स्मोक्ड और प्रोसेस्ड मीट: सॉसेज, सलामी, बेकन, हैम।
    • मछली के डिब्बे: टूना, मैकेरल।
    • शराब: खासकर रेड वाइन और बीयर।
    • खट्टे फल: संतरा, नींबू, अंगूर।
    • टमाटर और टमाटर आधारित उत्पाद: केचप, सॉस।
    • पालक, बैंगन, मशरूम।
  • एडिटिव्स और प्रिजरवेटिव्स: कृत्रिम रंग, स्वाद, और संरक्षक कुछ लोगों में प्रतिक्रिया कर सकते हैं।
  • मसालेदार भोजन: मसालेदार भोजन त्वचा में गर्मी और खुजली बढ़ा सकता है।
  • फास्ट फूड और प्रोसेस्ड फूड: इनमें अक्सर ऐसे तत्व होते हैं जो प्रतिक्रिया कर सकते हैं।

महत्वपूर्ण बातें:

  • व्यक्तिगत प्रतिक्रियाएं: हर किसी की प्रतिक्रिया अलग-अलग हो सकती है। एक व्यक्ति के लिए ट्रिगर करने वाला भोजन दूसरे के लिए सुरक्षित हो सकता है।
  • एलिमिनेशन डाइट: यदि आपको संदेह है कि कोई विशेष भोजन आपकी पित्ती को ट्रिगर कर रहा है, तो आप एलिमिनेशन डाइट आज़मा सकते हैं। इसमें कुछ समय के लिए संदिग्ध खाद्य पदार्थों को पूरी तरह से हटा देना और फिर धीरे-धीरे उन्हें वापस शामिल करना शामिल है, यह देखने के लिए कि क्या कोई प्रतिक्रिया होती है। यह प्रक्रिया डॉक्टर या आहार विशेषज्ञ की देखरेख में करना सबसे अच्छा है।
  • फूड डायरी: आप एक फूड डायरी भी रख सकते हैं जिसमें आप जो कुछ भी खाते हैं और आपके लक्षणों को नोट करते हैं। इससे आपको संभावित ट्रिगर्स की पहचान करने में मदद मिल सकती है।
  • डॉक्टर से सलाह: यदि आपकी पित्ती गंभीर है या लंबे समय तक बनी रहती है, तो डॉक्टर से सलाह लेना

पित्ती के जोखिम को कैसे कम करें?

पिट्टी (Hives) के जोखिम को पूरी तरह से खत्म करना मुश्किल हो सकता है, खासकर यदि आपको पुरानी पित्ती है या आपको इसके विशिष्ट ट्रिगर्स का पता नहीं है। हालांकि, कुछ कदम उठाकर आप इसकी संभावना और गंभीरता को कम कर सकते हैं:

1. अपने ट्रिगर्स की पहचान करें और उनसे बचें:

  • ध्यान से निगरानी करें: कब और किन परिस्थितियों में आपको पित्ती होती है, इस पर ध्यान दें। क्या आपने कोई नया भोजन खाया, कोई नई दवा ली, किसी नए पदार्थ के संपर्क में आए, या आप तनाव में थे?
  • फूड डायरी: एक फूड डायरी रखें जिसमें आप जो कुछ भी खाते हैं और आपके लक्षणों को नोट करें। यह आपको खाद्य पदार्थों से संबंधित ट्रिगर्स की पहचान करने में मदद कर सकता है।
  • एलर्जी परीक्षण: यदि आपको संदेह है कि किसी एलर्जी के कारण आपको पित्ती हो रही है, तो डॉक्टर से एलर्जी परीक्षण कराने के बारे में पूछें। इसमें त्वचा परीक्षण या रक्त परीक्षण शामिल हो सकते हैं।
  • दवाओं की समीक्षा: अपनी सभी दवाओं (प्रिस्क्रिप्शन और ओवर-द-काउंटर) की सूची अपने डॉक्टर को दिखाएं। कुछ दवाएं पित्ती का कारण बन सकती हैं।
  • पर्यावरणीय कारक: तापमान में अचानक परिवर्तन, धूप, पानी, दबाव या कंपन जैसे पर्यावरणीय कारकों पर ध्यान दें जो आपकी पित्ती को ट्रिगर कर सकते हैं।
  • तनाव का प्रबंधन: तनाव पित्ती को ट्रिगर या खराब कर सकता है। योग, ध्यान, गहरी सांस लेने के व्यायाम या अन्य तनाव-प्रबंधन तकनीकों का अभ्यास करें।

2. अपनी जीवनशैली में बदलाव करें:

  • ढीले-ढाले कपड़े पहनें: तंग कपड़े त्वचा पर दबाव डाल सकते हैं और पित्ती को बढ़ा सकते हैं। सूती और ढीले-ढाले कपड़े पहनें।
  • अत्यधिक गर्मी और ठंड से बचें: तापमान में अचानक परिवर्तन पित्ती को ट्रिगर कर सकता है। अत्यधिक गर्म या ठंडे वातावरण से बचें।
  • सौम्य त्वचा देखभाल उत्पादों का उपयोग करें: कठोर साबुन, डिटर्जेंट और सुगंधित लोशन से बचें जो त्वचा को परेशान कर सकते हैं। हाइपोएलर्जेनिक और बिना सुगंध वाले उत्पादों का चयन करें।
  • गरम पानी से नहाने से बचें: गरम पानी त्वचा को सूखा कर सकता है और खुजली बढ़ा सकता है। गुनगुने पानी से नहाएं और कम समय तक नहाएं।
  • खुजली न करें: खुजली करने से पित्ती फैल सकती है और त्वचा में जलन हो सकती है। यदि आपको खुजली हो रही है, तो ठंडी सिकाई करें या कैलामाइन लोशन लगाएं।
  • पर्याप्त नींद लें: अच्छी नींद आपके प्रतिरक्षा प्रणाली को स्वस्थ रखने में मदद करती है।

3. निवारक दवाएं (डॉक्टर की सलाह पर):

  • एंटीहिस्टामाइन: यदि आपको बार-बार पित्ती होती है, तो आपका डॉक्टर नियमित रूप से एंटीहिस्टामाइन लेने की सलाह दे सकता है ताकि प्रतिक्रियाओं को रोका जा सके या उनकी गंभीरता को कम किया जा सके।
  • अन्य दवाएं: पुरानी पित्ती के गंभीर मामलों में, डॉक्टर ओमालिज़ुमाब या अन्य इम्यूनोसप्रेसेंट दवाएं लिख सकते हैं।

4. सामान्य स्वास्थ्य का ध्यान रखें:

  • संतुलित आहार लें: स्वस्थ और संतुलित आहार आपके प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत रखने में मदद करता है।
  • नियमित व्यायाम करें: नियमित व्यायाम आपके समग्र स्वास्थ्य के लिए अच्छा है और तनाव को कम करने में मदद कर सकता है।

महत्वपूर्ण बातें:

  • डॉक्टर से सलाह लें: यदि आपको बार-बार पित्ती होती है या आपकी पित्ती गंभीर है, तो डॉक्टर से सलाह लेना महत्वपूर्ण है। वे आपके लक्षणों का आकलन कर सकते हैं, संभावित कारणों की पहचान कर सकते हैं और आपके लिए सबसे अच्छी रोकथाम और उपचार योजना विकसित कर सकते हैं।
  • आत्म-उपचार से बचें: बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी नई दवा या उपचार शुरू न करें।

सारांश

पिट्टी (Hives) एक त्वचा की स्थिति है जिसमें लाल, खुजलीदार उभार त्वचा पर दिखाई देते हैं। इसका इलाज गंभीरता और कारण पर निर्भर करता है।

इलाज के मुख्य तरीके:

  • घरेलू उपचार: ठंडी सिकाई, ढीले कपड़े पहनना, खुजली न करना, ट्रिगर्स से बचना, ओटमील बाथ, एलोवेरा जेल।
  • चिकित्सा उपचार: एंटीहिस्टामाइन (खुजली और सूजन कम करते हैं), कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स (गंभीर सूजन के लिए, डॉक्टर द्वारा निर्धारित), एपिनेफ्रिन इंजेक्शन (गंभीर एलर्जी की प्रतिक्रिया में)।

डॉक्टर से कब मिलें:

  • पित्ती अचानक शुरू हो जाए और पूरे शरीर में फैल जाए।
  • सांस लेने में कठिनाई, गले में जकड़न, होंठ या जीभ में सूजन, या चक्कर आना जैसे गंभीर लक्षण हों।
  • पित्ती कुछ दिनों के बाद भी ठीक न हो।
  • पित्ती बार-बार हो।

पिट्टी के जोखिम को कम करने के तरीके:

  • अपने ट्रिगर्स (जैसे कुछ खाद्य पदार्थ, दवाएं, पर्यावरणीय कारक, तनाव) की पहचान करें और उनसे बचें।
  • ढीले-ढाले कपड़े पहनें, अत्यधिक गर्मी और ठंड से बचें, सौम्य त्वचा देखभाल उत्पादों का उपयोग करें, गरम पानी से नहाने से बचें, खुजली न करें, पर्याप्त नींद लें।
  • डॉक्टर की सलाह पर निवारक दवाएं (जैसे एंटीहिस्टामाइन) लें।
  • संतुलित आहार लें और नियमित व्यायाम करें।

पित्ती में क्या खाएं और क्या न खाएं (सामान्य मार्गदर्शन):

  • खाएं: पानी, गैर-खट्टे फल और सब्जियां, चावल, ओट्स, लीन प्रोटीन, बिना अतिरिक्त चीनी वाला दही, हर्बल चाय।
  • न खाएं (संभावित ट्रिगर): एलर्जी पैदा करने वाले सामान्य खाद्य पदार्थ (शेलफिश, नट्स, अंडे, डेयरी, सोया, गेहूं), हिस्टामाइन युक्त खाद्य पदार्थ (किण्वित खाद्य पदार्थ, पुराना पनीर, प्रोसेस्ड मीट, शराब, खट्टे फल, टमाटर), एडिटिव्स और प्रिजरवेटिव्स, मसालेदार भोजन, फास्ट फूड।

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