स्पोंडिलोलिस्थीसिस
स्पोंडिलोलिस्थीसिस क्या हैं?
स्पोंडिलोलिस्थीसिस एक ऐसी स्थिति है जिसमें रीढ़ की हड्डी में एक कशेरुका नीचे की कशेरुका पर आगे की ओर खिसक जाती है। यह आमतौर पर पीठ के निचले हिस्से (काठ की रीढ़) में होता है।
स्पोंडिलोलिस्थीसिस के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- जन्मजात दोष: कुछ लोगों में रीढ़ की हड्डी में जन्म से ही असामान्यताएं होती हैं जो स्पोंडिलोलिस्थीसिस का कारण बन सकती हैं।
- तनाव फ्रैक्चर: बार-बार तनाव या अति प्रयोग के कारण कशेरुका में छोटे फ्रैक्चर हो सकते हैं, जिससे वह खिसक सकता है। यह एथलीटों, विशेष रूप से जिमनास्ट और भारोत्तोलकों में आम है।
- अपक्षयी परिवर्तन: उम्र के साथ, रीढ़ की हड्डी के डिस्क और जोड़ों में टूट-फूट हो सकती है, जिससे कशेरुका अस्थिर हो सकती है और खिसक सकती है। यह 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में अधिक आम है।
- आघात: रीढ़ की हड्डी में अचानक चोट, जैसे कि कार दुर्घटना या गिरने से भी स्पोंडिलोलिस्थीसिस हो सकता है।
- रोग: कुछ बीमारियाँ, जैसे कि गठिया या ट्यूमर, रीढ़ की हड्डी को कमजोर कर सकती हैं और स्पोंडिलोलिस्थीसिस का कारण बन सकती हैं।
स्पोंडिलोलिस्थीसिस के लक्षण हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकते हैं, और कुछ लोगों में कोई लक्षण नहीं होते हैं। सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:
- पीठ के निचले हिस्से में दर्द: यह दर्द खड़े होने या चलने पर बढ़ सकता है और बैठने या आगे झुकने पर कम हो सकता है।
- कूल्हों या जांघों तक फैलने वाला दर्द
- हैमस्ट्रिंग में कसाव (जांघों के पीछे की मांसपेशियां)
- पीठ के निचले हिस्से से एक पैर तक फैलने वाला दर्द, सुन्नता या झुनझुनी (कटिस्नायुशूल)
- पीठ के निचले हिस्से में अकड़न
- खिसकी हुई कशेरुका के क्षेत्र में कोमलता
- पैरों में कमजोरी
- मूत्राशय या मल त्याग पर नियंत्रण में कठिनाई (गंभीर मामलों में)
स्पोंडिलोलिस्थीसिस का निदान शारीरिक परीक्षा और इमेजिंग परीक्षणों, जैसे कि एक्स-रे, सीटी स्कैन या एमआरआई स्कैन के माध्यम से किया जाता है।
स्पोंडिलोलिस्थीसिस का उपचार लक्षणों की गंभीरता और कशेरुका के खिसकने की डिग्री पर निर्भर करता है। हल्के मामलों में, गैर-सर्जिकल उपचार, जैसे कि आराम, दर्द निवारक दवाएं, शारीरिक थेरेपी और बैक ब्रेस पर्याप्त हो सकते हैं। गंभीर मामलों में, जहां दर्द असहनीय होता है, तंत्रिकाओं पर दबाव पड़ता है या पैरों में कमजोरी होती है, सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है। सर्जरी में आमतौर पर खिसकी हुई कशेरुका को स्थिर करने के लिए स्पाइनल फ्यूजन शामिल होता है।
स्पोंडिलोलिस्थीसिस के कारण क्या हैं?
स्पोंडिलोलिस्थीसिस कई कारणों से हो सकता है, जिन्हें मुख्य रूप से निम्नलिखित श्रेणियों में बांटा जा सकता है:
1. जन्मजात दोष (Dysplastic Spondylolisthesis):
- कुछ व्यक्तियों में जन्म से ही रीढ़ की हड्डी में असामान्यताएं होती हैं, विशेष रूप से लंबोसैक्रल जंक्शन (निचली पीठ और त्रिकास्थि के बीच)।
- ये असामान्यताएं कशेरुकाओं को अस्थिर बना सकती हैं और उनके आगे खिसकने की संभावना को बढ़ा सकती हैं।
2. तनाव फ्रैक्चर (Isthmic Spondylolisthesis):
- यह प्रकार तब होता है जब कशेरुका के एक छोटे से हड्डी वाले हिस्से में फ्रैक्चर (स्पोंडिलोलिसिस) हो जाता है, जिसे पार्स इंटरआर्टिकुलरिस कहा जाता है।
- यह फ्रैक्चर बार-बार होने वाले तनाव या अति प्रयोग के कारण हो सकता है, खासकर उन गतिविधियों में जिनमें रीढ़ की हड्डी का बार-बार हाइपरेक्स्टेंशन (पीछे की ओर झुकना) शामिल होता है, जैसे कि जिमनास्टिक, भारोत्तोलन और फुटबॉल।
- समय के साथ, यह फ्रैक्चर कमजोर हो सकता है और कशेरुका को आगे खिसकने की अनुमति दे सकता है।
3. अपक्षयी परिवर्तन (Degenerative Spondylolisthesis):
- यह स्पोंडिलोलिस्थीसिस का सबसे आम प्रकार है और यह उम्र बढ़ने के साथ रीढ़ की हड्डी में होने वाले सामान्य टूट-फूट के कारण होता है।
- इंटरवर्टेब्रल डिस्क (कशेरुकाओं के बीच कुशन) औरFacet जोड़ (कशेरुकाओं के पीछे के छोटे जोड़) कमजोर और पतले हो सकते हैं।
- इन परिवर्तनों के कारण रीढ़ की हड्डी अस्थिर हो जाती है और एक कशेरुका दूसरी पर आगे खिसक सकती है। यह आमतौर पर 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में अधिक आम है।
4. आघात (Traumatic Spondylolisthesis):
- रीढ़ की हड्डी में अचानक चोट, जैसे कि कार दुर्घटना, गिरने या सीधे आघात के कारण कशेरुका फ्रैक्चर हो सकता है और खिसक सकता है।
5. रोग (Pathologic Spondylolisthesis):
- कुछ बीमारियाँ जो हड्डियों को कमजोर करती हैं, जैसे कि ऑस्टियोपोरोसिस, रीढ़ की हड्डी के ट्यूमर या संक्रमण, कशेरुकाओं की संरचनात्मक अखंडता को कमजोर कर सकती हैं और उन्हें खिसकने के लिए प्रेरित कर सकती हैं।
6. सर्जरी के बाद (Post-surgical or Iatrogenic Spondylolisthesis):
- दुर्लभ मामलों में, रीढ़ की हड्डी की सर्जरी, विशेष रूप से जिसमें डीकंप्रेशन (तंत्रिकाओं पर दबाव कम करना) शामिल है, रीढ़ की हड्डी को अस्थिर कर सकती है और स्पोंडिलोलिस्थीसिस का कारण बन सकती है।
स्पोंडिलोलिस्थीसिस के संकेत और लक्षण क्या हैं?
स्पोंडिलोलिस्थीसिस के संकेत और लक्षण व्यक्ति से व्यक्ति में भिन्न हो सकते हैं और कशेरुका के खिसकने की डिग्री और तंत्रिकाओं पर पड़ने वाले दबाव पर निर्भर करते हैं। कुछ लोगों में कोई लक्षण नहीं होते हैं, खासकर हल्के मामलों में। हालांकि, जब लक्षण मौजूद होते हैं, तो वे निम्नलिखित शामिल कर सकते हैं:
सामान्य लक्षण:
- पीठ के निचले हिस्से में दर्द: यह सबसे आम लक्षण है। दर्द सुस्त, लगातार या तेज हो सकता है। यह खड़े होने, चलने, झुकने या रीढ़ की हड्डी को मोड़ने पर बढ़ सकता है और बैठने या आगे झुकने पर कम हो सकता है।
- कूल्हों या जांघों तक फैलने वाला दर्द: दर्द पीठ के निचले हिस्से से कूल्हों और ऊपरी जांघों तक फैल सकता है।
- हैमस्ट्रिंग में कसाव (जांघों के पीछे की मांसपेशियां): हैमस्ट्रिंग की मांसपेशियां अकड़ सकती हैं और तंग महसूस हो सकती हैं, जिससे आगे झुकना मुश्किल हो सकता है।
- पीठ के निचले हिस्से में अकड़न: सुबह या आराम के बाद पीठ का निचला हिस्सा अकड़ा हुआ महसूस हो सकता है।
- खिसकी हुई कशेरुका के क्षेत्र में कोमलता: प्रभावित क्षेत्र को छूने पर दर्द महसूस हो सकता है।
अधिक गंभीर लक्षण (जब तंत्रिकाओं पर दबाव पड़ता है):
- एक या दोनों पैरों में दर्द, सुन्नता या झुनझुनी (कटिस्नायुशूल): यह दर्द अक्सर नितंबों से नीचे पैर के पिछले हिस्से तक जाता है। सुन्नता या झुनझुनी पैरों या पंजों में महसूस हो सकती है।
- पैरों में कमजोरी: गंभीर मामलों में, पैरों में कमजोरी विकसित हो सकती है, जिससे चलने या खड़े होने में कठिनाई हो सकती है।
- चलने में कठिनाई: दर्द और कमजोरी के कारण व्यक्ति को असामान्य चाल (जैसे कि छोटी, सावधानीपूर्वक कदम उठाना) विकसित हो सकती है।
- लॉर्डोसिस में वृद्धि (अति-कूबड़): शरीर गुरुत्वाकर्षण के केंद्र को बनाए रखने की कोशिश में पीठ के निचले हिस्से में असामान्य रूप से अधिक वक्रता विकसित हो सकती है।
- धड़ का छोटा दिखना: कुछ मामलों में, खिसकी हुई कशेरुका के कारण धड़ छोटा दिख सकता है।
दुर्लभ लेकिन गंभीर लक्षण (तंत्रिका जड़ों पर गंभीर दबाव):
- मूत्राशय या मल त्याग पर नियंत्रण में कठिनाई (असंयम): यह एक गंभीर लक्षण है जिसके लिए तत्काल चिकित्सा ध्यान देने की आवश्यकता होती है।
- गुदा क्षेत्र और आंतरिक जांघों में सुन्नता (सैडल एनेस्थीसिया): यह भी एक गंभीर लक्षण है जिसके लिए तत्काल चिकित्सा ध्यान देने की आवश्यकता होती है।
स्पोंडिलोलिस्थीसिस का खतरा किसे अधिक होता है?
स्पोंडिलोलिस्थीसिस किसी को भी हो सकता है, लेकिन कुछ कारकों वाले व्यक्तियों में इसका खतरा अधिक होता है। ये जोखिम कारक स्पोंडिलोलिस्थीसिस के विभिन्न प्रकारों से जुड़े होते हैं:
1. आयु:
- अपक्षयी स्पोंडिलोलिस्थीसिस: यह प्रकार उम्र बढ़ने के साथ अधिक आम होता जाता है, आमतौर पर 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में। रीढ़ की हड्डी के डिस्क और जोड़ों में टूट-फूट के कारण यह होता है।
- इस्थमिक स्पोंडिलोलिस्थीसिस: तनाव फ्रैक्चर अक्सर किशोरावस्था या युवावस्था में होते हैं, खासकर सक्रिय व्यक्तियों में। हालांकि, लक्षण बाद में वयस्कता तक प्रकट नहीं हो सकते हैं।
2. खेल और गतिविधियाँ:
- ऐसे खेल जिनमें रीढ़ की हड्डी का बार-बार हाइपरेक्स्टेंशन (पीछे की ओर झुकना) शामिल होता है, जैसे कि जिमनास्टिक, भारोत्तोलन, फुटबॉल, और डाइविंग, इस्थमिक स्पोंडिलोलिस्थीसिस के खतरे को बढ़ा सकते हैं। इन गतिविधियों से पार्स इंटरआर्टिकुलरिस पर बार-बार तनाव पड़ता है, जिससे फ्रैक्चर हो सकता है।
3. जन्मजात दोष:
- जिन व्यक्तियों में जन्म से ही रीढ़ की हड्डी में असामान्यताएं होती हैं, उनमें डिस्प्लास्टिक स्पोंडिलोलिस्थीसिस विकसित होने का खतरा अधिक होता है।
4. पारिवारिक इतिहास:
- यदि आपके परिवार में किसी को स्पोंडिलोलिस्थीसिस है, तो आपको यह स्थिति विकसित होने का खतरा अधिक हो सकता है। यह आनुवंशिक कारकों की भूमिका का सुझाव देता है, खासकर जन्मजात और इस्थमिक प्रकारों में।
5. पिछली पीठ की चोटें:
- रीढ़ की हड्डी में महत्वपूर्ण आघात या फ्रैक्चर आघातजन्य स्पोंडिलोलिस्थीसिस का कारण बन सकते हैं।
6. कुछ चिकित्सा स्थितियाँ:
- ऑस्टियोपोरोसिस जैसी स्थितियाँ हड्डियों को कमजोर कर सकती हैं और अपक्षयी स्पोंडिलोलिस्थीसिस के खतरे को बढ़ा सकती हैं।
- गठिया रीढ़ की हड्डी के जोड़ों को प्रभावित कर सकता है और अपक्षयी स्पोंडिलोलिस्थीसिस में योगदान कर सकता है।
- रीढ़ की हड्डी के ट्यूमर या संक्रमण भी स्पोंडिलोलिस्थीसिस का कारण बन सकते हैं (पैथोलॉजिकल स्पोंडिलोलिस्थीसिस)।
7. मोटापा:
- अतिरिक्त वजन पीठ के निचले हिस्से पर अतिरिक्त दबाव डाल सकता है, जिससे स्पोंडिलोलिस्थीसिस का खतरा बढ़ सकता है, खासकर अपक्षयी प्रकार में।
8. पिछली रीढ़ की हड्डी की सर्जरी:
- दुर्लभ मामलों में, पिछली रीढ़ की हड्डी की सर्जरी रीढ़ की हड्डी की स्थिरता को बदल सकती है और पोस्ट-सर्जिकल स्पोंडिलोलिस्थीसिस का कारण बन सकती है।
स्पोंडिलोलिस्थीसिस से कौन सी बीमारियां जुड़ी हैं?
स्पोंडिलोलिस्थीसिस सीधे तौर पर कोई संक्रामक बीमारी नहीं है, लेकिन यह कुछ अन्य स्थितियों और बीमारियों से जुड़ी हो सकती है या उनके कारण हो सकती है। यहां कुछ बीमारियां और स्थितियां दी गई हैं जो स्पोंडिलोलिस्थीसिस से जुड़ी हो सकती हैं:
स्पोंडिलोलिस्थीसिस के कारण बनने वाली या उससे जुड़ी स्थितियां:
- स्पोंडिलोलिसिस: यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें कशेरुका के एक छोटे से हड्डी वाले हिस्से (पार्स इंटरआर्टिकुलरिस) में फ्रैक्चर होता है। यह अक्सर इस्थमिक स्पोंडिलोलिस्थीसिस का पहला चरण होता है, जहां फ्रैक्चर अंततः कशेरुका को आगे खिसकने की अनुमति देता है।
- अपक्षयी डिस्क रोग (Degenerative Disc Disease): उम्र के साथ इंटरवर्टेब्रल डिस्क का टूटना और पतला होना अपक्षयी स्पोंडिलोलिस्थीसिस में योगदान कर सकता है। कमजोर डिस्क कशेरुकाओं को अस्थिर कर सकती हैं।
- फेसट आर्थ्रोपैथी (Facet Arthropathy): फेसट जोड़ रीढ़ की हड्डी के पीछे छोटे जोड़ होते हैं जो गति और स्थिरता प्रदान करते हैं। गठिया या अन्य अपक्षयी परिवर्तनों के कारण इन जोड़ों का बिगड़ना अपक्षयी स्पोंडिलोलिस्थीसिस से जुड़ा हो सकता है।
- ऑस्टियोपोरोसिस: यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें हड्डियां कमजोर और भंगुर हो जाती हैं। ऑस्टियोपोरोसिस से पीड़ित लोगों में कशेरुका फ्रैक्चर होने का खतरा अधिक होता है, जो स्पोंडिलोलिस्थीसिस का कारण बन सकता है।
- रीढ़ की हड्डी के ट्यूमर: दुर्लभ मामलों में, रीढ़ की हड्डी में ट्यूमर कशेरुकाओं की संरचना को कमजोर कर सकते हैं और उन्हें खिसकने के लिए प्रेरित कर सकते हैं (पैथोलॉजिकल स्पोंडिलोलिस्थीसिस)।
- रीढ़ की हड्डी में संक्रमण (स्पोंडिलाइटिस या डिस्काइटिस): संक्रमण कशेरुकाओं और इंटरवर्टेब्रल डिस्क को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिससे अस्थिरता और संभावित रूप से स्पोंडिलोलिस्थीसिस हो सकता है।
- जन्मजात कंकाल संबंधी असामान्यताएं: कुछ व्यक्तियों में जन्म से ही रीढ़ की हड्डी में संरचनात्मक दोष होते हैं जो उन्हें स्पोंडिलोलिस्थीसिस के प्रति अधिक संवेदनशील बनाते हैं (डिस्प्लास्टिक स्पोंडिलोलिस्थीसिस)।
- कनेक्टिव टिश्यू डिसऑर्डर: कुछ आनुवंशिक कनेक्टिव टिश्यू डिसऑर्डर रीढ़ की हड्डी सहित जोड़ों और हड्डियों को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे स्पोंडिलोलिस्थीसिस का खतरा बढ़ सकता है।
स्पोंडिलोलिस्थीसिस के कारण होने वाली या उससे जुड़ी जटिलताएं:
- कटिस्नायुशूल (Sciatica): खिसकी हुई कशेरुका रीढ़ की हड्डी की नसों, विशेष रूप से कटिस्नायुशूल तंत्रिका पर दबाव डाल सकती है, जिससे कूल्हों, जांघों और पैरों में दर्द, सुन्नता और झुनझुनी हो सकती है।
- स्पाइनल स्टेनोसिस: स्पोंडिलोलिस्थीसिस रीढ़ की हड्डी नहर को संकुचित कर सकता है (स्पाइनल स्टेनोसिस), जिससे रीढ़ की हड्डी और नसों पर दबाव बढ़ सकता है। इसके लक्षणों में पैरों में दर्द, कमजोरी और सुन्नता शामिल हो सकते हैं।
- लॉर्डोसिस में वृद्धि (हाइपरलॉर्डोसिस): पीठ के निचले हिस्से में असामान्य रूप से अधिक वक्रता विकसित हो सकती है क्योंकि शरीर संतुलन बनाए रखने की कोशिश करता है।
- क्रोनिक पीठ दर्द: स्पोंडिलोलिस्थीसिस दीर्घकालिक पीठ दर्द का कारण बन सकता है जो दैनिक गतिविधियों को प्रभावित कर सकता है।
- न्यूरोलॉजिकल डेफिसिट: गंभीर मामलों में, नसों पर महत्वपूर्ण दबाव के कारण पैरों में कमजोरी, चलने में कठिनाई और मूत्राशय या मल त्याग पर नियंत्रण में समस्या हो सकती है।
स्पोंडिलोलिस्थीसिस का निदान कैसे करें?
स्पोंडिलोलिस्थीसिस का निदान आमतौर पर एक शारीरिक परीक्षा, आपके चिकित्सा इतिहास की समीक्षा और इमेजिंग परीक्षणों के संयोजन के माध्यम से किया जाता है। निदान प्रक्रिया में निम्नलिखित चरण शामिल हो सकते हैं:
1. चिकित्सा इतिहास और शारीरिक परीक्षा:
- चिकित्सा इतिहास: डॉक्टर आपसे आपके लक्षणों (दर्द का स्थान, प्रकार और अवधि, सुन्नता, कमजोरी आदि), आपकी पिछली चिकित्सा स्थितियों, चोटों और आपके परिवार के चिकित्सा इतिहास के बारे में पूछेंगे। वे आपकी दैनिक गतिविधियों और उन कारकों के बारे में भी पूछ सकते हैं जो आपके लक्षणों को बढ़ाते या कम करते हैं।
- शारीरिक परीक्षा: डॉक्टर आपकी पीठ की जांच करेंगे, जिसमें शामिल हैं:
- निरीक्षण: वे आपकी मुद्रा, चलने के तरीके और पीठ के निचले हिस्से में किसी भी दृश्यमान विकृति या असामान्य वक्रता (जैसे कि लॉर्डोसिस में वृद्धि) की जांच करेंगे।
- स्पर्श (Palpation): वे आपकी रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से को धीरे से दबाकर कोमलता या असामान्य उभार महसूस करने की कोशिश करेंगे।
- गति की सीमा का आकलन: वे आपको विभिन्न दिशाओं में झुकने और मोड़ने के लिए कह सकते हैं ताकि आपकी रीढ़ की हड्डी की गति की सीमा का आकलन किया जा सके।
- न्यूरोलॉजिकल परीक्षा: वे आपकी मांसपेशियों की ताकत, सजगता (रिफ्लेक्स) और संवेदी कार्य (स्पर्श, दर्द, तापमान महसूस करने की क्षमता) का आकलन करेंगे ताकि यह पता चल सके कि कोई नस संकुचित या क्षतिग्रस्त तो नहीं है। इसमें स्ट्रेट लेग रेज टेस्ट (एसएलआर टेस्ट) भी शामिल हो सकता है, जो कटिस्नायुशूल (साइटिका) के लक्षणों की जांच करने के लिए किया जाता है।
2. इमेजिंग परीक्षण:
शारीरिक परीक्षा के निष्कर्षों के आधार पर, डॉक्टर स्पोंडिलोलिस्थीसिस की पुष्टि करने और उसकी गंभीरता का आकलन करने के लिए एक या अधिक इमेजिंग परीक्षणों का आदेश दे सकते हैं:
- एक्स-रे (X-rays): यह स्पोंडिलोलिस्थीसिस के निदान के लिए सबसे आम और पहला इमेजिंग परीक्षण है।
- लेटरल (साइड) व्यू एक्स-रे: यह सबसे महत्वपूर्ण दृश्य है क्योंकि यह दिखाता है कि एक कशेरुका दूसरी पर कितनी आगे खिसक गई है। डॉक्टर खिसकने की डिग्री को ग्रेड करने के लिए इस दृश्य का उपयोग करेंगे।
- एंटीरियर-पोस्टीरियर (सामने से पीछे) व्यू एक्स-रे: यह रीढ़ की हड्डी के संरेखण को देखने में मदद कर सकता है।
- ऑब्लिक व्यू एक्स-रे (अब उतना आम नहीं): कभी-कभी पार्स इंटरआर्टिकुलरिस में फ्रैक्चर (स्पोंडिलोलिसिस) को देखने के लिए लिया जाता था।
- फ्लेक्सन और एक्सटेंशन एक्स-रे: ये गतिशील एक्स-रे हैं जो यह देखने के लिए लिए जाते हैं कि खड़े होने और झुकने पर कशेरुका कितनी अस्थिर है।
- सीटी स्कैन (Computed Tomography Scan): सीटी स्कैन एक्स-रे की तुलना में हड्डियों और नरम ऊतकों की अधिक विस्तृत क्रॉस-सेक्शनल छवियां प्रदान करता है। यह फ्रैक्चर (विशेष रूप से पार्स फ्रैक्चर) को बेहतर ढंग से देखने और रीढ़ की हड्डी नहर के संकुचन (स्पाइनल स्टेनोसिस) का आकलन करने में मदद कर सकता है।
- एमआरआई स्कैन (Magnetic Resonance Imaging Scan): एमआरआई स्कैन नरम ऊतकों, जैसे कि इंटरवर्टेब्रल डिस्क, नसों और लिगामेंट्स की विस्तृत छवियां बनाने के लिए रेडियो तरंगों और एक मजबूत चुंबकीय क्षेत्र का उपयोग करता है। यह नसों पर दबाव, डिस्क हर्नियेशन या अन्य नरम ऊतक असामान्यताओं की पहचान करने में बहुत उपयोगी है जो स्पोंडिलोलिस्थीसिस से जुड़ी हो सकती हैं।
- बोन स्कैन (Bone Scan): यदि तनाव फ्रैक्चर (स्पोंडिलोलिसिस) का संदेह है, खासकर सक्रिय व्यक्तियों में, तो एक बोन स्कैन किया जा सकता है ताकि हड्डी के चयापचय की बढ़ी हुई गतिविधि वाले क्षेत्रों की पहचान की जा सके, जो फ्रैक्चर का संकेत दे सकता है।
3. ग्रेडिंग:
यदि स्पोंडिलोलिस्थीसिस का निदान किया जाता है, तो डॉक्टर खिसकने की डिग्री के आधार पर इसे ग्रेड करेंगे। मेयरडिंग वर्गीकरण प्रणाली सबसे अधिक इस्तेमाल की जाती है:
- ग्रेड I: 25% से कम आगे खिसकना
- ग्रेड II: 25% से 50% आगे खिसकना
- ग्रेड III: 50% से 75% आगे खिसकना
- ग्रेड IV: 75% से 100% आगे खिसकना
- ग्रेड V (स्पोंडिलोपटोसिस): एक कशेरुका पूरी तरह से नीचे की कशेरुका से आगे निकल गई है।
स्पोंडिलोलिस्थीसिस का इलाज क्या है?
स्पोंडिलोलिस्थीसिस का इलाज लक्षणों की गंभीरता, कशेरुका के खिसकने की डिग्री, आपकी समग्र स्वास्थ्य स्थिति और जीवनशैली पर निर्भर करता है। उपचार का मुख्य लक्ष्य दर्द को कम करना, रीढ़ की हड्डी को स्थिर करना और सामान्य कार्य को बहाल करना है। उपचार के विकल्प गैर-सर्जिकल और सर्जिकल दोनों हो सकते हैं:
गैर-सर्जिकल उपचार:
गैर-सर्जिकल उपचार अक्सर हल्के से मध्यम स्पोंडिलोलिस्थीसिस वाले लोगों के लिए पहले आजमाए जाते हैं, जिनके लक्षण नियंत्रित किए जा सकते हैं। इनमें शामिल हैं:
- आराम और गतिविधि में बदलाव:
- दर्दनाक गतिविधियों से बचें जो लक्षणों को बढ़ाते हैं।
- भारी उठाने, लंबे समय तक खड़े रहने या बैठने से बचें।
- डॉक्टर की सलाह के अनुसार धीरे-धीरे अपनी गतिविधि का स्तर बढ़ाएं।
- दर्द निवारक दवाएं:
- ओवर-द-काउंटर दवाएं: नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (एनएसएआईडी), जैसे कि इबुप्रोफेन या नेप्रोक्सन, दर्द और सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं।
- प्रिस्क्रिप्शन दवाएं: अधिक गंभीर दर्द के लिए, डॉक्टर मजबूत एनएसएआईडी या अल्पकालिक ओपिओइड दर्द निवारक लिख सकते हैं।
- मांसपेशी शिथिलक: यदि मांसपेशियों में ऐंठन हो रही है तो ये दवाएं मदद कर सकती हैं।
- शारीरिक थेरेपी (फिजिकल थेरेपी): एक भौतिक चिकित्सक आपको सिखा सकता है:
- विशिष्ट व्यायाम: ये व्यायाम पीठ और पेट की मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद करते हैं, जो रीढ़ की हड्डी को सहारा देते हैं और स्थिरता बढ़ाते हैं। इनमें कोर स्ट्रेंथनिंग एक्सरसाइज शामिल हो सकते हैं।
- लचीलापन और स्ट्रेचिंग व्यायाम: ये हैमस्ट्रिंग और पीठ के निचले हिस्से की मांसपेशियों के कसाव को कम करने में मदद कर सकते हैं।
- उचित शरीर यांत्रिकी और आसन: यह सीखने से पीठ पर तनाव कम करने में मदद मिलती है।
- दर्द प्रबंधन तकनीकें: जैसे कि गर्मी या बर्फ का उपयोग।
- बैक ब्रेस या कोर्सेट: कुछ मामलों में, डॉक्टर पीठ के निचले हिस्से को सहारा देने और गति को सीमित करने के लिए एक अस्थायी बैक ब्रेस पहनने की सलाह दे सकते हैं। यह दर्द को कम करने और उपचार को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है।
- एपिड्यूरल स्टेरॉयड इंजेक्शन: यदि पैर में दर्द (कटिस्नायुशूल) गंभीर है, तो डॉक्टर रीढ़ की हड्डी नहर में स्टेरॉयड दवा इंजेक्ट करने की सलाह दे सकते हैं। यह सूजन को कम करने और दर्द से राहत प्रदान करने में मदद कर सकता है, हालांकि यह दीर्घकालिक समाधान नहीं है।
सर्जिकल उपचार:
सर्जरी आमतौर पर तब विचार किया जाता है जब गैर-सर्जिकल उपचार लक्षणों को नियंत्रित करने में विफल रहते हैं, दर्द गंभीर और अक्षम करने वाला होता है, या यदि तंत्रिका संपीड़न के कारण प्रगतिशील न्यूरोलॉजिकल लक्षण (जैसे कि कमजोरी, सुन्नता, मूत्राशय या मल त्याग में समस्या) विकसित होते हैं। सबसे आम सर्जिकल प्रक्रियाएं हैं:
- स्पाइनल फ्यूजन: यह सर्जरी खिसकी हुई कशेरुका को नीचे की कशेरुका से स्थायी रूप से जोड़ने (फ्यूज करने) के लिए की जाती है। हड्डी के ग्राफ्ट और कभी-कभी धातु के स्क्रू और रॉड का उपयोग कशेरुकाओं को एक साथ स्थिर करने और आगे की गति को रोकने के लिए किया जाता है। फ्यूजन रीढ़ की हड्डी के उस हिस्से में गति को समाप्त कर देता है, लेकिन यह दर्द को कम करने और स्थिरता प्रदान करने में मदद कर सकता है।
- लेमिनेक्टॉमी (डिकंप्रेशन): यदि तंत्रिकाओं पर दबाव पड़ रहा है, तो लेमिनेक्टॉमी नामक एक प्रक्रिया की जा सकती है। इसमें कशेरुका के पीछे के हिस्से (लैमिना) का एक हिस्सा या पूरा हिस्सा हटा दिया जाता है ताकि रीढ़ की हड्डी नहर में अधिक जगह बन सके और नसों पर दबाव कम हो सके। स्पोंडिलोलिस्थीसिस के लिए, लेमिनेक्टॉमी अक्सर स्पाइनल फ्यूजन के साथ की जाती है ताकि स्थिरता बनाए रखी जा सके।
सर्जरी का निर्णय कई कारकों पर निर्भर करता है, और यह आपके सर्जन के साथ सावधानीपूर्वक चर्चा के बाद किया जाना चाहिए। सर्जरी में संभावित जोखिम और जटिलताएं शामिल हैं, और पुनर्वास में समय लगता है।
स्पोंडिलोलिस्थीसिस का घरेलू इलाज क्या है?
स्पोंडिलोलिस्थीसिस के लिए कोई सिद्ध “घरेलू इलाज” नहीं है जो कशेरुका के खिसकने की समस्या को ठीक कर सके। यह एक संरचनात्मक समस्या है जिसके लिए अक्सर चिकित्सा देखरेख और उपचार की आवश्यकता होती है। हालांकि, कुछ घरेलू उपाय और जीवनशैली में बदलाव लक्षणों को प्रबंधित करने और आराम प्रदान करने में मदद कर सकते हैं। यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि ये उपाय चिकित्सा उपचार का विकल्प नहीं हैं और आपको हमेशा निदान और उपचार के लिए डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।
यहां कुछ घरेलू उपाय दिए गए हैं जो स्पोंडिलोलिस्थीसिस के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं:
1. आराम और गतिविधि में बदलाव:
- दर्दनाक गतिविधियों से बचें: उन गतिविधियों को पहचानें और उनसे बचें जो आपके पीठ दर्द को बढ़ाते हैं, जैसे कि भारी उठाना, लंबे समय तक खड़े रहना या बैठना, और रीढ़ की हड्डी को मोड़ने या घुमाने वाली गतिविधियां।
- शारीरिक गतिविधि को संशोधित करें: अपनी गतिविधि के स्तर को समायोजित करें ताकि आपकी पीठ पर कम तनाव पड़े। कम प्रभाव वाली गतिविधियां, जैसे कि चलना या तैराकी, अधिक तीव्र गतिविधियों की तुलना में बेहतर हो सकती हैं।
- उचित नींद की स्थिति: अपनी पीठ के बल या करवट लेकर सोएं, और अपनी पीठ और घुटनों को सहारा देने के लिए तकियों का उपयोग करें।
2. दर्द और सूजन को कम करना:
- बर्फ और गर्मी का प्रयोग:
- बर्फ: दर्द और सूजन को कम करने के लिए प्रभावित क्षेत्र पर 15-20 मिनट के लिए बर्फ लगाएं, खासकर गतिविधि के बाद या दर्द बढ़ने पर।
- गर्मी: मांसपेशियों की जकड़न को कम करने और रक्त प्रवाह को बढ़ाने के लिए गर्म पानी की बोतल या हीटिंग पैड का उपयोग करें। आप गर्म स्नान या शॉवर भी ले सकते हैं।
- यह पता लगाने के लिए प्रयोग करें कि आपके लिए कौन सा बेहतर काम करता है, या आप दोनों को बारी-बारी से उपयोग कर सकते हैं।
- ओवर-द-काउंटर दर्द निवारक: डॉक्टर से सलाह लेने के बाद, आप दर्द और सूजन को कम करने के लिए नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (एनएसएआईडी), जैसे कि इबुप्रोफेन या नेप्रोक्सन का उपयोग कर सकते हैं। निर्देशों का पालन करें और यदि आपको कोई चिंता है तो अपने डॉक्टर से बात करें।
3. मांसपेशियों को मजबूत करना और लचीलापन बढ़ाना:
- हल्के व्यायाम और स्ट्रेचिंग: अपने डॉक्टर या भौतिक चिकित्सक से सलाह लेने के बाद, आप कुछ हल्के व्यायाम और स्ट्रेचिंग कर सकते हैं जो आपकी पीठ और पेट की मांसपेशियों को मजबूत करने और लचीलापन बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। इसमें कोर स्ट्रेंथनिंग एक्सरसाइज शामिल हो सकते हैं।
- योग और पिलेट्स: कुछ हल्के योग और पिलेट्स आसन पीठ के निचले हिस्से की मांसपेशियों को मजबूत करने और लचीलापन में सुधार करने में मदद कर सकते हैं। हालांकि, ऐसे आसनों से बचें जिनमें रीढ़ की हड्डी का अत्यधिक झुकना या घुमाना शामिल हो। हमेशा एक योग्य प्रशिक्षक के मार्गदर्शन में अभ्यास करें और अपने शरीर को सुनें।
4. उचित शरीर यांत्रिकी और आसन:
- उठते और बैठते समय सावधानी बरतें: भारी वस्तुओं को उठाते समय अपनी पीठ को सीधा रखें और अपनी टांगों की मांसपेशियों का उपयोग करें। झुकने के बजाय नीचे झुकें। बैठते समय अच्छी मुद्रा बनाए रखें और अपनी पीठ को सहारा दें।
- काम करने की जगह को व्यवस्थित करें: सुनिश्चित करें कि आपकी कुर्सी और डेस्क एर्गोनॉमिक रूप से सही ढंग से व्यवस्थित हैं ताकि आपकी पीठ पर कम तनाव पड़े।
5. वजन प्रबंधन:
- यदि आप अधिक वजन वाले या मोटे हैं, तो वजन कम करने से आपके पीठ के निचले हिस्से पर पड़ने वाला दबाव कम हो सकता है और लक्षणों में सुधार हो सकता
स्पोंडिलोलिस्थीसिस में क्या खाएं और क्या न खाएं?
स्पोंडिलोलिस्थीसिस के लिए कोई विशिष्ट आहार योजना नहीं है जो सीधे तौर पर कशेरुका के खिसकने की समस्या को ठीक कर सके। हालांकि, एक स्वस्थ और संतुलित आहार समग्र स्वास्थ्य और रीढ़ की हड्डी के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है, और यह सूजन को कम करने और स्वस्थ वजन बनाए रखने में मदद कर सकता है, जो स्पोंडिलोलिस्थीसिस के लक्षणों को प्रबंधित करने में सहायक हो सकता है।
यहां कुछ सामान्य दिशानिर्देश दिए गए हैं कि स्पोंडिलोलिस्थीसिस में क्या खाना चाहिए और किन खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए:
क्या खाएं:
- सूजन-रोधी खाद्य पदार्थ:
- फल और सब्जियां: रंगीन फल और सब्जियां एंटीऑक्सिडेंट और फाइटोन्यूट्रिएंट्स से भरपूर होती हैं, जिनमें सूजन-रोधी गुण होते हैं। जामुन, चेरी, संतरा, पत्तेदार साग, ब्रोकली, फूलगोभी और शिमला मिर्च शामिल करें।
- ओमेगा-3 फैटी एसिड: ये स्वस्थ वसा सूजन को कम करने में मदद करते हैं। वसायुक्त मछली (सैल्मन, मैकेरल, सार्डिन), अलसी के बीज, चिया सीड्स और अखरोट अच्छे स्रोत हैं।
- हल्दी: इस मसाले में करक्यूमिन होता है, जिसमें शक्तिशाली सूजन-रोधी गुण होते हैं। इसे अपने भोजन में शामिल करें या हल्दी की चाय पिएं।
- अदरक: अदरक में भी सूजन-रोधी गुण होते हैं और यह दर्द से राहत दिलाने में मदद कर सकता है।
- हड्डियों को मजबूत करने वाले खाद्य पदार्थ:
- कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थ: डेयरी उत्पाद (दूध, दही, पनीर), पत्तेदार हरी सब्जियां, बादाम, टोफू और फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थ कैल्शियम के अच्छे स्रोत हैं, जो हड्डियों को मजबूत रखने के लिए आवश्यक है।
- विटामिन डी युक्त खाद्य पदार्थ: वसायुक्त मछली, अंडे की जर्दी और फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थ विटामिन डी प्रदान करते हैं, जो कैल्शियम के अवशोषण के लिए महत्वपूर्ण है। धूप भी विटामिन डी का एक अच्छा स्रोत है, लेकिन सुरक्षित धूप सेंकने के दिशानिर्देशों का पालन करें।
- उच्च फाइबर वाले खाद्य पदार्थ:
- साबुत अनाज: ब्राउन राइस, ओट्स, क्विनोआ और साबुत गेहूं के उत्पाद फाइबर से भरपूर होते हैं, जो स्वस्थ पाचन को बढ़ावा देते हैं और कब्ज को रोकने में मदद करते हैं, जिससे पीठ के निचले हिस्से पर दबाव पड़ सकता है।
- फल और सब्जियां: फाइबर का अच्छा स्रोत हैं।
- फलियां: दालें, बीन्स और छोले फाइबर और प्रोटीन से भरपूर होते हैं।
- लीन प्रोटीन:
- चिकन, मछली, टोफू और फलियां मांसपेशियों को स्वस्थ रखने और मरम्मत करने के लिए आवश्यक प्रोटीन प्रदान करते हैं, जो रीढ़ की हड्डी को सहारा देने में महत्वपूर्ण हैं।
- पर्याप्त पानी: हाइड्रेटेड रहना इंटरवर्टेब्रल डिस्क को हाइड्रेटेड रखने में मदद करता है, जो रीढ़ की हड्डी के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है।
क्या न खाएं या सीमित करें:
- सूजन बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थ:
- प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ: इनमें अक्सर अस्वास्थ्यकर वसा, अतिरिक्त चीनी और कृत्रिम तत्व होते हैं जो सूजन को बढ़ा सकते हैं।
- अतिरिक्त चीनी: मीठे पेय, कैंडी और प्रसंस्कृत स्नैक्स में उच्च मात्रा में चीनी सूजन को बढ़ावा दे सकती है।
- अस्वास्थ्यकर वसा: ट्रांस वसा (तले हुए और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों में पाए जाते हैं) और अत्यधिक मात्रा में संतृप्त वसा सूजन को बढ़ा सकते हैं।
- परिष्कृत अनाज: सफेद ब्रेड, सफेद पास्ता और अन्य परिष्कृत अनाज में फाइबर कम होता है और ये रक्त शर्करा के स्तर में तेजी से वृद्धि कर सकते हैं, जिससे संभावित रूप से सूजन बढ़ सकती है।
- अत्यधिक प्रसंस्कृत मांस: सॉसेज, हॉट डॉग और डेली मीट जैसे खाद्य पदार्थों में अक्सर उच्च मात्रा में सोडियम और अस्वास्थ्यकर वसा होती है।
- अत्यधिक शराब: अत्यधिक शराब का सेवन सूजन को बढ़ा सकता है और हड्डियों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
- अत्यधिक कैफीन: जबकि मध्यम मात्रा में कैफीन ठीक है, अत्यधिक सेवन निर्जलीकरण का कारण बन सकता है, जो इंटरवर्टेब्रल डिस्क के लिए अच्छा नहीं है।
अन्य महत्वपूर्ण बातें:
- स्वस्थ वजन बनाए रखें: अधिक वजन या मोटापा पीठ के निचले हिस्से पर अतिरिक्त दबाव डाल सकता है, जिससे स्पोंडिलोलिस्थीसिस के लक्षण बढ़ सकते हैं। एक स्वस्थ और संतुलित आहार स्वस्थ वजन बनाए रखने में मदद करता है।
- व्यक्तिगत संवेदनशीलता: कुछ लोगों को कुछ खाद्य पदार्थों से सूजन या दर्द बढ़ सकता है। अपने शरीर को सुनें और देखें कि कौन से खाद्य पदार्थ आपके लक्षणों को प्रभावित करते हैं।
- डॉक्टर या आहार विशेषज्ञ से सलाह लें: यदि आपके पास कोई विशिष्ट आहार संबंधी चिंताएं या आवश्यकताएं हैं, तो एक डॉक्टर या पंजीकृत आहार विशेषज्ञ से परामर्श करना हमेशा सर्वोत्तम होता है। वे आपकी व्यक्तिगत स्थिति के लिए अनुकूलित मार्गदर्शन प्रदान कर सकते हैं।
स्पोंडिलोलिस्थीसिस के जोखिम को कैसे कम करें?
स्पोंडिलोलिस्थीसिस के कुछ कारणों, जैसे कि जन्मजात दोषों को रोका नहीं जा सकता है। हालांकि, कुछ जीवनशैली में बदलाव और सावधानियां बरतकर आप कुछ प्रकार के स्पोंडिलोलिस्थीसिस के विकास या इसके लक्षणों को बिगड़ने के जोखिम को कम कर सकते हैं:
1. स्वस्थ वजन बनाए रखें:
- अधिक वजन या मोटापा आपके पीठ के निचले हिस्से पर अतिरिक्त दबाव डालता है, जिससे कशेरुकाओं पर तनाव बढ़ सकता है और अपक्षयी स्पोंडिलोलिस्थीसिस का खतरा बढ़ सकता है। संतुलित आहार और नियमित व्यायाम के माध्यम से स्वस्थ वजन बनाए रखें।
2. उचित शरीर यांत्रिकी का अभ्यास करें:
- उठाना: भारी वस्तुओं को उठाते समय हमेशा अपनी पीठ को सीधा रखें और अपनी टांगों की मांसपेशियों का उपयोग करें। झुकने के बजाय नीचे झुकें और वस्तु को अपने शरीर के करीब रखें।
- बैठना: बैठते समय अच्छी मुद्रा बनाए रखें। अपनी पीठ को सहारा देने वाली कुर्सी का उपयोग करें और सुनिश्चित करें कि आपके पैर फर्श पर सपाट हैं या फुटरेस्ट पर हैं। लंबे समय तक एक ही स्थिति में बैठने से बचें; ब्रेक लें और घूमें।
- खड़े रहना: खड़े रहते समय अपने वजन को दोनों पैरों पर समान रूप से वितरित करें। लंबे समय तक एक ही स्थान पर खड़े रहने से बचें।
3. नियमित व्यायाम करें:
- कोर स्ट्रेंथनिंग: पेट और पीठ की मांसपेशियों को मजबूत करने वाले व्यायाम (जिन्हें कोर मांसपेशियां कहा जाता है) आपकी रीढ़ की हड्डी को सहारा देने और स्थिर करने में मदद करते हैं। प्लांक, क्रंच और बैक एक्सटेंशन जैसे व्यायाम शामिल करें।
- लचीलापन और स्ट्रेचिंग: नियमित स्ट्रेचिंग व्यायाम आपकी पीठ के निचले हिस्से और हैमस्ट्रिंग की मांसपेशियों के लचीलेपन को बनाए रखने में मदद करते हैं, जिससे तनाव कम होता है।
- कम प्रभाव वाली गतिविधियाँ: तैराकी, चलना और साइकिल चलाना जैसी गतिविधियाँ आपकी पीठ पर कम तनाव डालती हैं और समग्र फिटनेस को बनाए रखने में मदद करती हैं।
- व्यायाम शुरू करने से पहले डॉक्टर या भौतिक चिकित्सक से सलाह लें, खासकर यदि आपको पहले से ही पीठ की समस्या है।
4. खेल और गतिविधियों में सावधानी बरतें:
- उचित तकनीक का उपयोग करें: यदि आप ऐसे खेल खेलते हैं जिनमें रीढ़ की हड्डी पर बार-बार तनाव पड़ता है (जैसे कि जिमनास्टिक, भारोत्तोलन), तो सुनिश्चित करें कि आप उचित तकनीक का उपयोग कर रहे हैं और धीरे-धीरे अपनी तीव्रता बढ़ा रहे हैं।
- अति प्रयोग से बचें: अपनी मांसपेशियों और हड्डियों को ठीक होने का समय दें। अत्यधिक प्रशिक्षण या बार-बार तनाव फ्रैक्चर (स्पोंडिलोलिसिस) का कारण बन सकता है, जो इस्थमिक स्पोंडिलोलिस्थीसिस का कारण बन सकता है।
- सुरक्षात्मक उपकरण का उपयोग करें: यदि आप जोखिम भरी गतिविधियों में शामिल हैं, तो उचित सुरक्षात्मक उपकरण का उपयोग करें।
5. धूम्रपान छोड़ें:
- धूम्रपान हड्डियों के स्वास्थ्य को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है और रीढ़ की हड्डी में रक्त प्रवाह को कम कर सकता है, जिससे अपक्षयी परिवर्तन बढ़ सकते हैं।
6. अच्छी मुद्रा बनाए रखें:
- चलते, बैठते और खड़े रहते समय अच्छी मुद्रा बनाए रखने का सचेतन प्रयास करें। झुके हुए बैठने या खड़े होने से बचें।
7. भारी वस्तुओं को सावधानी से उठाएं:
- जब भी संभव हो भारी वस्तुओं को उठाने से बचें। यदि आपको उठाना ही है, तो उचित तकनीक का उपयोग करें।
8. नियमित जांच:
- यदि आपके परिवार में स्पोंडिलोलिस्थीसिस का इतिहास है या आपको पीठ में लगातार दर्द होता है, तो नियमित जांच के लिए अपने डॉक्टर से मिलें। प्रारंभिक निदान और प्रबंधन जटिलताओं को रोकने में मदद कर सकता है।
सारांश
स्पोंडिलोलिस्थीसिस एक ऐसी स्थिति है जिसमें रीढ़ की हड्डी में एक कशेरुका नीचे की कशेरुका पर आगे की ओर खिसक जाती है, आमतौर पर पीठ के निचले हिस्से में। इसके कई कारण हो सकते हैं, जिनमें जन्मजात दोष, तनाव फ्रैक्चर, उम्र से संबंधित घिसाव, चोट और कुछ बीमारियाँ शामिल हैं।
इसके लक्षणों में पीठ के निचले हिस्से में दर्द, कूल्हों या जांघों तक फैलने वाला दर्द, हैमस्ट्रिंग में कसाव, अकड़न और गंभीर मामलों में पैरों में सुन्नता, कमजोरी या मूत्राशय/मल त्याग पर नियंत्रण में समस्या शामिल हो सकती है। कुछ लोगों में कोई लक्षण नहीं होते हैं।
स्पोंडिलोलिस्थीसिस का निदान शारीरिक परीक्षा और एक्स-रे, सीटी स्कैन या एमआरआई जैसे इमेजिंग परीक्षणों के माध्यम से किया जाता है। खिसकने की डिग्री के आधार पर इसे ग्रेड किया जाता है।
इलाज लक्षणों की गंभीरता पर निर्भर करता है। हल्के मामलों में आराम, दर्द निवारक दवाएं, शारीरिक थेरेपी और बैक ब्रेस जैसे गैर-सर्जिकल उपचार पर्याप्त हो सकते हैं। गंभीर मामलों में, सर्जरी (आमतौर पर स्पाइनल फ्यूजन) की आवश्यकता हो सकती है।
कुछ घरेलू उपाय लक्षणों को प्रबंधित करने में मदद कर सकते हैं, जैसे कि दर्दनाक गतिविधियों से बचना, बर्फ या गर्मी लगाना, हल्के व्यायाम करना और अच्छी मुद्रा बनाए रखना। स्वस्थ वजन बनाए रखना और उचित शरीर यांत्रिकी का अभ्यास करना जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है।
स्पोंडिलोलिस्थीसिस के लिए कोई विशिष्ट आहार नहीं है, लेकिन सूजन-रोधी और हड्डियों को मजबूत करने वाले खाद्य पदार्थों पर ध्यान केंद्रित करना सहायक हो सकता है।