जोड़ों में विकृति
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जोड़ों में विकृति

जोड़ों में विकृति क्या है?

जोड़ों में विकृति तब होती है जब कोई जोड़ असामान्य आकार का हो जाता है या गलत तरीके से संरेखित हो जाता है। यह शरीर के किसी भी जोड़ में हो सकता है, लेकिन यह आमतौर पर हाथों और पैरों में होता है।

जोड़ों में विकृति के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • गठिया: ऑस्टियोआर्थराइटिस और रुमेटीइड गठिया जोड़ों में विकृति के सबसे आम कारण हैं। ये स्थितियां उपास्थि और हड्डियों को नुकसान पहुंचा सकती हैं, जिससे जोड़ अपना आकार खो देते हैं।
  • चोटें: फ्रैक्चर, मोच और अन्य चोटें जोड़ों को नुकसान पहुंचा सकती हैं और विकृति का कारण बन सकती हैं यदि वे ठीक से ठीक न हों।
  • जन्मजात दोष: कुछ लोग जन्म से ही विकृत जोड़ों के साथ पैदा होते हैं।
  • अन्य चिकित्सा स्थितियां: ल्यूपस, गाउट और हड्डी या उपास्थि कैंसर जैसी कुछ अन्य चिकित्सा स्थितियां जोड़ों में विकृति का कारण बन सकती हैं।

जोड़ों में विकृति के लक्षण कारण और प्रभावित जोड़ के आधार पर भिन्न हो सकते हैं। कुछ सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:

  • दर्द
  • अकड़न
  • सूजन
  • गति की सीमित सीमा
  • जोड़ का असामान्य आकार

जोड़ों में विकृति का उपचार कारण पर निर्भर करता है। कुछ मामलों में, दवा, भौतिक चिकित्सा या ऑर्थोटिक्स जैसे रूढ़िवादी उपचार लक्षणों को दूर करने और कार्य में सुधार करने में मदद कर सकते हैं। अन्य मामलों में, विकृति को ठीक करने और कार्य को बहाल करने के लिए सर्जरी आवश्यक हो सकती है।

यदि आपको जोड़ों में विकृति के बारे में चिंता है, तो निदान और उपचार के लिए डॉक्टर को देखना महत्वपूर्ण है। प्रारंभिक निदान और उपचार आगे की क्षति को रोकने और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद कर सकता है।

जोड़ों में विकृति के कारण क्या हैं?

जोड़ों में विकृति के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:

गठिया:

  • ऑस्टियोआर्थराइटिस (OA): यह गठिया का सबसे आम प्रकार है, जो तब होता है जब जोड़ों में उपास्थि धीरे-धीरे घिस जाती है। समय के साथ, यह हड्डियों के आपस में रगड़ने का कारण बन सकता है, जिससे दर्द, अकड़न और सूजन होती है। इस प्रक्रिया में, जोड़ अपना सामान्य आकार खो सकते हैं और विकृत हो सकते हैं। हड्डी के स्पर्स (अतिरिक्त हड्डी का विकास) भी बन सकते हैं, जो विकृति में योगदान करते हैं।
  • रुमेटीइड गठिया (RA): यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से जोड़ों की परत (सिनोवियम) पर हमला करती है। इससे सूजन होती है, जो उपास्थि और हड्डी को नुकसान पहुंचा सकती है। लंबे समय तक अनियंत्रित सूजन से जोड़ों में विकृति हो सकती है, खासकर हाथों और पैरों में। सिनोवियम मोटा हो सकता है ( pannus नामक ऊतक का गठन), जो उपास्थि, स्नायुबंधन और tendons को और नुकसान पहुंचा सकता है।

चोटें:

  • अस्थिभंग (Fractures): यदि कोई हड्डी का फ्रैक्चर ठीक से ठीक नहीं होता है, तो यह जोड़ की असामान्य स्थिति या आकार का कारण बन सकता है, जिससे विकृति हो सकती है।
  • मोच (Sprains) और अन्य चोटें: जोड़ों में गंभीर मोच या अन्य चोटें स्नायुबंधन और अन्य सहायक ऊतकों को नुकसान पहुंचा सकती हैं। यदि ये चोटें ठीक से ठीक नहीं होती हैं, तो जोड़ अस्थिर हो सकता है और समय के साथ विकृत हो सकता है।

जन्मजात दोष:

  • कुछ व्यक्ति जन्म से ही असामान्य रूप से गठित जोड़ों या उपास्थि दोषों के साथ पैदा होते हैं, जिससे बचपन या बाद के जीवन में विकृति हो सकती है।

अन्य चिकित्सा स्थितियां:

  • गाउट: यह एक प्रकार का गठिया है जो तब होता है जब शरीर में यूरिक एसिड का निर्माण होता है, जिससे जोड़ों में क्रिस्टल जमा हो जाते हैं। बार-बार होने वाले गाउट के दौरे जोड़ों को नुकसान पहुंचा सकते हैं और विकृति का कारण बन सकते हैं।
  • ल्यूपस: यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है जो शरीर के कई हिस्सों को प्रभावित कर सकती है, जिसमें जोड़ भी शामिल हैं। ल्यूपस जोड़ों में सूजन और क्षति का कारण बन सकता है, जिससे विकृति हो सकती है।
  • हड्डी या उपास्थि का कैंसर: दुर्लभ मामलों में, हड्डी या उपास्थि में ट्यूमर जोड़ों के सामान्य आकार और संरचना को बदल सकते हैं, जिससे विकृति हो सकती है।
  • कुछ चयापचय संबंधी रोग: मधुमेह और हेमोक्रोमैटोसिस (शरीर में बहुत अधिक लोहा) जैसी स्थितियां जोड़ों को प्रभावित कर सकती हैं और विकृति का कारण बन सकती हैं।

जोड़ों में विकृति के संकेत और लक्षण क्या हैं?

जोड़ों में विकृति के संकेत और लक्षण कारण और प्रभावित जोड़ के आधार पर भिन्न हो सकते हैं। हालांकि, कुछ सामान्य संकेत और लक्षण इस प्रकार हैं:

मुख्य लक्षण:

  • जोड़ का असामान्य आकार या बनावट: यह विकृति का सबसे स्पष्ट संकेत है। प्रभावित जोड़ सामान्य से अलग दिख सकता है, जैसे कि टेढ़ा, मुड़ा हुआ, या उभरा हुआ। उदाहरण के लिए, उंगलियों या पैर की उंगलियों में गांठें या असामान्य कोण दिखाई दे सकते हैं।
  • गति की सीमित सीमा: विकृत जोड़ पूरी तरह से हिलाने में कठिनाई हो सकती है। यह अकड़न और दर्द के कारण हो सकता है।
  • दर्द: प्रभावित जोड़ में दर्द हो सकता है, जो हल्का से लेकर गंभीर तक हो सकता है। दर्द गतिविधि के साथ बढ़ सकता है या आराम करने पर भी मौजूद रह सकता है।
  • अकड़न: जोड़ में अकड़न महसूस हो सकती है, खासकर सुबह या निष्क्रियता के बाद।
  • सूजन: जोड़ के आसपास सूजन आ सकती है, जो गर्म और लाल भी हो सकती है।

अन्य संभावित लक्षण:

  • कमजोरी: प्रभावित जोड़ के आसपास की मांसपेशियों में कमजोरी महसूस हो सकती है।
  • अस्थिरता: जोड़ अस्थिर महसूस हो सकता है या ऐसा लग सकता है कि वह बाहर निकल जाएगा।
  • चरमराहट या खड़खड़ाहट (Crepitus): जोड़ को हिलाते समय आवाजें आ सकती हैं, जैसे कि चटकना या खड़खड़ाहट।
  • चलने या पकड़ने में कठिनाई: यदि विकृति पैरों या हाथों में है, तो चलने या वस्तुओं को पकड़ने में कठिनाई हो सकती है।
  • त्वचा में परिवर्तन: कुछ मामलों में, विकृत जोड़ के आसपास की त्वचा लाल, चमकदार या मोटी हो सकती है।

विभिन्न कारणों के आधार पर विशिष्ट लक्षण:

  • ऑस्टियोआर्थराइटिस: आमतौर पर वजन-bearing जोड़ों (जैसे घुटने, कूल्हे) को प्रभावित करता है, सुबह की अकड़न 30 मिनट से कम होती है, गतिविधि के साथ दर्द बढ़ता है। हड्डी के स्पर्स (osteophytes) बन सकते हैं जो विकृति में योगदान करते हैं।
  • रुमेटीइड गठिया: आमतौर पर हाथों और पैरों के छोटे जोड़ों को सममित रूप से प्रभावित करता है, सुबह की अकड़न एक घंटे से अधिक रहती है, थकान और बुखार जैसे प्रणालीगत लक्षण हो सकते हैं। उंगलियों और पैर की उंगलियों में विशिष्ट विकृतियाँ (जैसे स्वान-नेक विकृति, बटनहोल विकृति) विकसित हो सकती हैं।
  • चोटें: विकृति आमतौर पर चोट के तुरंत बाद दिखाई देती है और दर्द, सूजन और खरोंच के साथ हो सकती है।
  • गाउट: अचानक, तीव्र दर्द, लालिमा, गर्मी और सूजन, आमतौर पर बड़े पैर के अंगूठे में। बार-बार होने वाले हमलों से जोड़ों में स्थायी विकृति हो सकती है।

जोड़ों में विकृति का खतरा किसे अधिक होता है?

जोड़ों में विकृति का खतरा निम्नलिखित लोगों में अधिक होता है:

उम्र: उम्र बढ़ने के साथ जोड़ों में विकृति का खतरा बढ़ जाता है, खासकर ऑस्टियोआर्थराइटिस के कारण।

लिंग: कुछ प्रकार के गठिया, जैसे कि रुमेटीइड गठिया, महिलाओं में अधिक आम हैं, जिससे उनमें जोड़ों में विकृति का खतरा बढ़ जाता है।

पारिवारिक इतिहास: यदि आपके परिवार में गठिया या जोड़ों में विकृति का इतिहास है, तो आपको इसका खतरा अधिक हो सकता है।

मोटापा: अतिरिक्त वजन जोड़ों पर अधिक दबाव डालता है, खासकर घुटनों और कूल्हों पर, जिससे ऑस्टियोआर्थराइटिस और विकृति का खतरा बढ़ जाता है।

जोड़ों की चोटें: खेलकूद या दुर्घटनाओं के कारण जोड़ों में लगी चोटें, भले ही वे कई साल पहले लगी हों, भविष्य में जोड़ों में विकृति का खतरा बढ़ा सकती हैं।

जोड़ों पर बार-बार तनाव: कुछ व्यवसायों या खेलों में जोड़ों पर बार-बार तनाव डालने से ऑस्टियोआर्थराइटिस और विकृति का खतरा बढ़ सकता है।

जन्मजात हड्डी की विकृति: कुछ लोग जन्म से ही विकृत जोड़ों या उपास्थि दोषों के साथ पैदा होते हैं, जिससे विकृति का खतरा बढ़ जाता है।

कुछ चयापचय संबंधी रोग: मधुमेह और हेमोक्रोमैटोसिस जैसी स्थितियां जोड़ों को प्रभावित कर सकती हैं और विकृति का कारण बन सकती हैं।

अन्य चिकित्सा स्थितियां: ल्यूपस, गाउट और हड्डी या उपास्थि कैंसर जैसी कुछ अन्य चिकित्सा स्थितियां जोड़ों में विकृति का खतरा बढ़ा सकती हैं।

जोड़ों में विकृति से कौन सी बीमारियां जुड़ी हैं?

जोड़ों में विकृति कई बीमारियों से जुड़ी हो सकती है, जिनमें सबसे आम हैं:

  • गठिया (Arthritis): यह जोड़ों में विकृति का सबसे आम कारण है। गठिया के कई प्रकार हैं जो जोड़ों को अलग-अलग तरीकों से प्रभावित करते हैं:
    • ऑस्टियोआर्थराइटिस (Osteoarthritis): यह “पहनने और आंसू” वाला गठिया है जो जोड़ों में उपास्थि के टूटने के कारण होता है। समय के साथ, यह जोड़ों के आकार को बदल सकता है, खासकर हाथों, घुटनों और कूल्हों में। हड्डी के स्पर्स (ऑस्टियोफाइट्स) भी बन सकते हैं, जिससे विकृति होती है।
    • रुमेटीइड गठिया (Rheumatoid Arthritis): यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है जो जोड़ों की परत (सिनोवियम) पर हमला करती है, जिससे सूजन और क्षति होती है। यह विशेष रूप से हाथों और पैरों के छोटे जोड़ों में विकृति का कारण बन सकता है, जैसे कि उंगलियों में स्वान-नेक और बटनहोल विकृति।
    • गाउट (Gout): यूरिक एसिड क्रिस्टल के जोड़ों में जमा होने से होने वाला यह गठिया बार-बार होने वाले हमलों से जोड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है और विकृति का कारण बन सकता है, खासकर बड़े पैर के अंगूठे में।
    • सोरायटिक गठिया (Psoriatic Arthritis): यह सोरायसिस वाले कुछ लोगों में होता है और जोड़ों में सूजन और विकृति का कारण बन सकता है।
    • एंकायलूजिंग स्पोंडिलिटिस (Ankylosing Spondylitis): यह मुख्य रूप से रीढ़ की हड्डियों को प्रभावित करता है, जिससे वे आपस में जुड़ सकते हैं और विकृति हो सकती है। यह अन्य जोड़ों को भी प्रभावित कर सकता है।
    • किशोर इडियोपैथिक गठिया (Juvenile Idiopathic Arthritis – JIA): यह बच्चों में होने वाला गठिया है जो जोड़ों में सूजन और विकृति का कारण बन सकता है।
  • ल्यूपस (Lupus): यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है जो जोड़ों सहित शरीर के कई हिस्सों को प्रभावित कर सकती है। यह जोड़ों में दर्द और सूजन के साथ-साथ विकृति भी पैदा कर सकती है, खासकर उंगलियों में।
  • जन्मजात दोष (Congenital Defects): कुछ व्यक्ति जन्म से ही असामान्य रूप से गठित जोड़ों के साथ पैदा होते हैं, जिससे विकृति हो सकती है। उदाहरणों में आर्थ्रोग्रिपोसिस मल्टीप्लेक्स कॉन्जेनिटा शामिल है।
  • चोटें (Injuries): फ्रैक्चर जो ठीक से ठीक नहीं होते हैं या जोड़ों में गंभीर मोच और अन्य चोटें समय के साथ जोड़ों में विकृति का कारण बन सकती हैं।
  • हड्डी या उपास्थि का कैंसर (Bone or Cartilage Cancer): ट्यूमर जोड़ों की सामान्य संरचना को नष्ट कर सकते हैं, जिससे विकृति हो सकती है।
  • ऑस्टियोमाइलाइटिस (Osteomyelitis): यह हड्डी का संक्रमण है जो गंभीर विकृति का कारण बन सकता है यदि हड्डी की मृत्यु हो जाए।
  • कुछ चयापचय संबंधी रोग (Certain Metabolic Diseases): मधुमेह और हेमोक्रोमैटोसिस जैसी स्थितियां जोड़ों को प्रभावित कर सकती हैं और विकृति का कारण बन सकती हैं।
  • न्यूरोजेनिक आर्थ्रोपैथी (Charcot Joint): यह तंत्रिका क्षति के कारण होता है जो जोड़ों की संवेदना को प्रभावित करता है, जिससे वे क्षतिग्रस्त हो जाते हैं और विकृत हो जाते हैं। यह मधुमेह, सिफलिस और अन्य स्थितियों से जुड़ा हो सकता है।

जोड़ों में विकृति का निदान कैसे करें?

जोड़ों में विकृति का निदान करने के लिए डॉक्टर कई तरीकों का इस्तेमाल कर सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:

1. शारीरिक परीक्षा (Physical Examination):

  • डॉक्टर प्रभावित जोड़ का सावधानीपूर्वक निरीक्षण करेंगे। वे आकार, समोच्च, सूजन, लालिमा और किसी भी दृश्य विकृति की तलाश करेंगे।
  • वे जोड़ की गति की सीमा का आकलन करेंगे, यह देखने के लिए कि यह कितनी दूर तक और कितनी आसानी से हिल सकता है।
  • वे जोड़ को छूकर कोमलता, गर्मी या किसी असामान्य वृद्धि (जैसे हड्डी के स्पर्स) का पता लगाएंगे।
  • वे आसपास की मांसपेशियों की ताकत और स्थिरता का भी आकलन कर सकते हैं।

2. चिकित्सा इतिहास (Medical History):

  • डॉक्टर आपसे आपके लक्षणों के बारे में विस्तार से पूछेंगे, जैसे कि दर्द कब शुरू हुआ, यह कितना गंभीर है, यह किन गतिविधियों से बढ़ता है या कम होता है, और क्या सुबह की अकड़न है।
  • वे आपके पिछले चिकित्सा इतिहास, किसी भी पिछली चोटों, पारिवारिक इतिहास (विशेष रूप से गठिया या जोड़ों की समस्याओं का), और आपके द्वारा ली जा रही किसी भी दवा के बारे में पूछेंगे।

3. इमेजिंग टेस्ट (Imaging Tests):

  • एक्स-रे (X-rays): ये जोड़ों की हड्डियों की तस्वीरें प्रदान करते हैं और हड्डी की क्षति, हड्डी के स्पर्स, जोड़ों की जगह का संकुचन और विकृति को दिखाने में मदद कर सकते हैं। यह ऑस्टियोआर्थराइटिस के निदान में विशेष रूप से उपयोगी है।
  • एमआरआई (MRI – Magnetic Resonance Imaging): यह विस्तृत चित्र बनाने के लिए रेडियो तरंगों और एक शक्तिशाली चुंबक का उपयोग करता है। यह उपास्थि, स्नायुबंधन और tendons जैसे नरम ऊतकों में समस्याओं को दिखाने में मदद कर सकता है, साथ ही हड्डी में सूजन और क्षति का भी पता लगा सकता है। यह रुमेटीइड गठिया और अन्य सूजन संबंधी स्थितियों के मूल्यांकन के लिए उपयोगी हो सकता है।
  • सीटी स्कैन (CT Scan – Computed Tomography Scan): यह एक्स-रे और कंप्यूटर तकनीक को मिलाकर हड्डियों और नरम ऊतकों के क्रॉस-सेक्शनल चित्र बनाता है। यह जटिल फ्रैक्चर या हड्डी की असामान्यताओं का अधिक विस्तृत दृश्य प्रदान कर सकता है।
  • अल्ट्रासाउंड (Ultrasound): यह वास्तविक समय में जोड़ों, tendons और मांसपेशियों की तस्वीरें बनाने के लिए ध्वनि तरंगों का उपयोग करता है। यह सूजन, द्रव संचय और नरम ऊतकों की समस्याओं का आकलन करने में मदद कर सकता है।

4. रक्त परीक्षण (Blood Tests):

  • कुछ रक्त परीक्षण विशिष्ट प्रकार के गठिया का निदान करने में मदद कर सकते हैं। उदाहरण के लिए:
    • रुमेटीइड फैक्टर (RF) और एंटी-साइक्लिक सिट्रुलिनेटेड पेप्टाइड (anti-CCP) एंटीबॉडी: रुमेटीइड गठिया के निदान में मदद कर सकते हैं।
    • यूरिक एसिड का स्तर: गाउट के निदान में मदद कर सकता है।
    • एरिथ्रोसाइट अवसादन दर (ESR) और सी-रिएक्टिव प्रोटीन (CRP): शरीर में सूजन के स्तर को माप सकते हैं, जो विभिन्न प्रकार के गठिया में बढ़ सकता है।
    • एंटीन्यूक्लियर एंटीबॉडी (ANA): ल्यूपस और अन्य ऑटोइम्यून बीमारियों के निदान में मदद कर सकता है।
  • अन्य रक्त परीक्षण अंतर्निहित चिकित्सा स्थितियों का पता लगाने में मदद कर सकते हैं जो जोड़ों की समस्याओं में योगदान कर सकती हैं।

5. जोड़ों का द्रव विश्लेषण (Joint Fluid Analysis – Arthrocentesis):

  • इस प्रक्रिया में, डॉक्टर एक सुई का उपयोग करके प्रभावित जोड़ से थोड़ी मात्रा में द्रव निकालते हैं। इस द्रव का विश्लेषण सूजन, संक्रमण, यूरिक एसिड क्रिस्टल (गाउट के लिए) या रक्त कोशिकाओं की उपस्थिति की जांच के लिए किया जा सकता है।

6. बायोप्सी (Biopsy):

  • दुर्लभ मामलों में, यदि हड्डी या नरम ऊतक में असामान्य वृद्धि पाई जाती है, तो कैंसर जैसी स्थितियों से इंकार करने के लिए बायोप्सी की जा सकती है।

जोड़ों में विकृति का इलाज क्या है?

जोड़ों में विकृति का इलाज अंतर्निहित कारण, विकृति की गंभीरता और प्रभावित जोड़ पर निर्भर करता है। उपचार का मुख्य लक्ष्य दर्द को कम करना, कार्य में सुधार करना, आगे की क्षति को रोकना और जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाना है। उपचार के विभिन्न तरीके इस प्रकार हैं:

गैर-सर्जिकल उपचार (Non-Surgical Treatments):

  • दवाएं (Medications):
    • दर्द निवारक (Pain relievers): ओवर-द-काउंटर दवाएं जैसे एसिटामिनोफेन (पैरासिटामोल) और नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (NSAIDs) जैसे इबुप्रोफेन और नेप्रोक्सन दर्द को कम करने में मदद कर सकते हैं।
    • कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स (Corticosteroids): ये शक्तिशाली एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाएं हैं जिन्हें मौखिक रूप से या सीधे प्रभावित जोड़ में इंजेक्शन के रूप में दिया जा सकता है ताकि दर्द और सूजन को कम किया जा सके। लंबे समय तक उपयोग से दुष्प्रभाव हो सकते हैं।
    • रोग-संशोधित एंटीरूमेटिक दवाएं (DMARDs): रुमेटीइड गठिया जैसी सूजन संबंधी स्थितियों के इलाज के लिए उपयोग की जाती हैं। ये दवाएं प्रतिरक्षा प्रणाली को दबाकर जोड़ों को होने वाले नुकसान को धीमा करने में मदद करती हैं।
    • जैविक दवाएं (Biologics): ये DMARDs का एक नया वर्ग हैं जो प्रतिरक्षा प्रणाली के विशिष्ट हिस्सों को लक्षित करते हैं और रुमेटीइड गठिया और अन्य सूजन संबंधी गठिया के इलाज में बहुत प्रभावी हो सकते हैं।
    • यूरिक एसिड कम करने वाली दवाएं: गाउट के इलाज के लिए उपयोग की जाती हैं ताकि यूरिक एसिड के स्तर को कम किया जा सके और भविष्य के हमलों को रोका जा सके।
  • भौतिक चिकित्सा (Physical Therapy):
    • व्यायाम जोड़ों के आसपास की मांसपेशियों को मजबूत करने, लचीलापन बढ़ाने और गति की सीमा में सुधार करने में मदद कर सकते हैं।
    • एक भौतिक चिकित्सक आपको दर्द को कम करने और कार्य को बेहतर बनाने के लिए विशिष्ट व्यायाम और तकनीकें सिखा सकता है।
  • व्यावसायिक चिकित्सा (Occupational Therapy):
    • व्यावसायिक चिकित्सक आपको दैनिक गतिविधियों को करने के तरीके सिखा सकते हैं जिससे आपके जोड़ों पर कम तनाव पड़े।
    • वे सहायक उपकरणों (जैसे कि ग्रिप एड्स, लंबे हैंडल वाले उपकरण) की सिफारिश भी कर सकते हैं।
  • ऑर्थोटिक्स और सहायक उपकरण (Orthotics and Assistive Devices):
    • स्प्लिंट्स, ब्रेसिज़, कैन और वॉकर जैसे उपकरण प्रभावित जोड़ों को सहारा दे सकते हैं, दर्द को कम कर सकते हैं और गतिशीलता में सुधार कर सकते हैं। पैर के आर्च सपोर्ट (ऑर्थोटिक्स) पैरों में विकृति के लिए मददगार हो सकते हैं।
  • इंजेक्शन (Injections):
    • कॉर्टिकोस्टेरॉइड इंजेक्शन: सीधे जोड़ में दर्द और सूजन को कम करने के लिए इंजेक्ट किए जा सकते हैं। राहत अस्थायी हो सकती है।
    • हयालूरोनिक एसिड इंजेक्शन (Hyaluronic Acid Injections): ऑस्टियोआर्थराइटिस वाले कुछ लोगों में घुटने के दर्द को कम करने में मदद कर सकते हैं। हयालूरोनिक एसिड जोड़ों के द्रव में पाया जाने वाला एक पदार्थ है जो चिकनाई प्रदान करता है।
    • प्लेटलेट-रिच प्लाज्मा (PRP) इंजेक्शन: कुछ मामलों में, जोड़ों को ठीक करने में मदद करने के लिए PRP इंजेक्शन का उपयोग किया जा सकता है, हालांकि इस पर शोध जारी है।

सर्जिकल उपचार (Surgical Treatments):

यदि गैर-सर्जिकल उपचार प्रभावी नहीं हैं या विकृति गंभीर है और कार्य को महत्वपूर्ण रूप से सीमित कर रही है, तो सर्जरी एक विकल्प हो सकता है। सर्जरी के प्रकार में शामिल हैं:

  • जोड़ बदलना (Joint Replacement): क्षतिग्रस्त जोड़ को कृत्रिम जोड़ (प्रोस्थेसिस) से बदल दिया जाता है। यह आमतौर पर कूल्हे और घुटने के गंभीर ऑस्टियोआर्थराइटिस के लिए किया जाता है, लेकिन कंधे, कोहनी और टखने के लिए भी उपलब्ध है।
  • ऑस्टियोटॉमी (Osteotomy): हड्डी को काटा और पुन: संरेखित किया जाता है ताकि जोड़ पर दबाव कम हो सके। यह अक्सर घुटने के ऑस्टियोआर्थराइटिस के शुरुआती चरणों में किया जाता है।
  • आर्थ्रोस्कोपी (Arthroscopy): एक न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया जिसमें एक छोटा कैमरा और उपकरण छोटे चीरों के माध्यम से जोड़ में डाले जाते हैं। इसका उपयोग क्षतिग्रस्त उपास्थि को हटाने, हड्डी के स्पर्स को ट्रिम करने या ढीले टुकड़ों को निकालने के लिए किया जा सकता है।
  • जोड़ का स्थिरीकरण (Joint Fusion – Arthrodesis): दो या दो से अधिक हड्डियों को एक साथ जोड़ा जाता है ताकि जोड़ को स्थिर किया जा सके और दर्द कम किया जा सके। यह आमतौर पर छोटे जोड़ों, जैसे कि उंगलियों या टखने में किया जाता है।
  • नरम ऊतक की मरम्मत (Soft Tissue Repair): यदि विकृति स्नायुबंधन या tendons की क्षति के कारण होती है, तो उन्हें शल्य चिकित्सा द्वारा मरम्मत किया जा सकता है।

अन्य उपचार:

  • एक्यूपंक्चर (Acupuncture): कुछ लोगों को एक्यूपंक्चर से जोड़ों के दर्द में राहत मिलती है।
  • मालिश (Massage): मांसपेशियों को आराम देने और दर्द को कम करने में मदद कर सकती है।
  • गर्मी और ठंड का प्रयोग (Heat and Cold Therapy): दर्द और सूजन को कम करने में मदद कर सकता है।

जीवनशैली में बदलाव:

  • स्वस्थ वजन बनाए रखना: जोड़ों पर तनाव को कम करता है।
  • नियमित व्यायाम: जोड़ों के आसपास की मांसपेशियों को मजबूत करता है और लचीलापन बनाए रखता है।
  • संतुलित आहार: समग्र स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है और कुछ प्रकार के गठिया को प्रबंधित करने में मदद कर सकता है।
  • धूम्रपान छोड़ना: जोड़ों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

आपके लिए सबसे अच्छा इलाज आपकी विशिष्ट स्थिति पर निर्भर करेगा। एक रुमेटोलॉजिस्ट या ऑर्थोपेडिक सर्जन आपकी स्थिति का मूल्यांकन कर सकता है और आपके लिए सबसे उपयुक्त उपचार योजना विकसित करने में आपकी मदद कर सकता है। प्रारंभिक निदान और उपचार आगे की विकृति को रोकने और आपके जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

जोड़ों में विकृति का घरेलू इलाज क्या है?

जोड़ों में विकृति के लिए कुछ घरेलू उपचार लक्षणों को प्रबंधित करने और आराम प्रदान करने में मदद कर सकते हैं, लेकिन यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि ये उपचार चिकित्सा देखभाल का विकल्प नहीं हैं और विकृति के अंतर्निहित कारण का इलाज नहीं कर सकते हैं। यदि आपको जोड़ों में विकृति है, तो सटीक निदान और उचित उपचार योजना के लिए डॉक्टर से परामर्श करना महत्वपूर्ण है।

यहां कुछ घरेलू उपचार दिए गए हैं जो लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं:

1. गर्मी और ठंड का प्रयोग:

  • गर्मी: अकड़े हुए जोड़ों को आराम देने और मांसपेशियों को ढीला करने में मदद कर सकती है। आप गर्म पानी की बोतल, हीटिंग पैड या गर्म स्नान का उपयोग कर सकते हैं।
  • ठंड: सूजन और दर्द को कम करने में मदद कर सकती है। आप आइस पैक या ठंडे सेक का उपयोग कर सकते हैं।
  • कब क्या इस्तेमाल करें: आमतौर पर, अकड़न के लिए गर्मी और सूजन के लिए ठंड का उपयोग किया जाता है। आप बारी-बारी से दोनों का भी उपयोग कर सकते हैं।

2. हल्के व्यायाम और गतिविधि:

  • जोड़ों को हिलाते रहना महत्वपूर्ण है ताकि वे अकड़े न रहें। हल्के व्यायाम, जैसे चलना, तैराकी या योग, जोड़ों के लचीलेपन और गति की सीमा को बनाए रखने में मदद कर सकते हैं।
  • अपने डॉक्टर या भौतिक चिकित्सक से उन विशिष्ट व्यायामों के बारे में सलाह लें जो आपके लिए सुरक्षित और फायदेमंद हों।
  • अत्यधिक तनाव से बचें जो जोड़ों पर दबाव डाल सकता है।

3. आराम और सहारा:

  • दर्द होने पर प्रभावित जोड़ को आराम दें।
  • स्प्लिंट्स या ब्रेसिज़ जैसे सहायक उपकरणों का उपयोग जोड़ों को सहारा देने और दर्द को कम करने में मदद कर सकता है।

4. स्वस्थ आहार:

  • एक संतुलित आहार समग्र स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है और सूजन को कम करने में मदद कर सकता है।
  • ओमेगा-3 फैटी एसिड (मछली के तेल में पाया जाता है), एंटीऑक्सिडेंट (फल और सब्जियों में) और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों वाले खाद्य पदार्थों (जैसे हल्दी और अदरक) को अपने आहार में शामिल करें।
  • पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं।

5. वजन प्रबंधन:

  • यदि आपका वजन अधिक है, तो वजन कम करने से आपके जोड़ों पर पड़ने वाला दबाव कम हो सकता है, खासकर घुटनों और कूल्हों पर।

6. मालिश:

  • हल्के हाथों से मालिश करने से मांसपेशियों को आराम मिल सकता है और दर्द कम हो सकता है। आप स्वयं मालिश कर सकते हैं या किसी पेशेवर मालिश चिकित्सक से मदद ले सकते हैं।

7. एक्यूपंक्चर:

  • कुछ लोगों को एक्यूपंक्चर से जोड़ों के दर्द में राहत मिलती है, हालांकि इस पर वैज्ञानिक प्रमाण मिश्रित हैं।

8. हर्बल उपचार (सावधानी से उपयोग करें):

  • कुछ जड़ी-बूटियाँ, जैसे कि अदरक, हल्दी और विलो की छाल, में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं और कुछ लोगों को दर्द से राहत मिल सकती है। हालांकि, इनका उपयोग करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें, खासकर यदि आप अन्य दवाएं ले रहे हैं।

महत्वपूर्ण बातें:

  • घरेलू उपचार केवल लक्षणों को प्रबंधित करने में मदद कर सकते हैं, वे विकृति को ठीक नहीं कर सकते हैं।
  • यदि आपकी विकृति बढ़ रही है या दर्द गंभीर है, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें।
  • किसी भी नए घरेलू उपचार को शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें, खासकर यदि आपको कोई अन्य स्वास्थ्य समस्या है या आप दवाएं ले रहे हैं।
  • स्व-निदान न करें। जोड़ों में विकृति के कई कारण हो सकते हैं, और उचित निदान के बिना इलाज करना हानिकारक हो सकता है।

जोड़ों में विकृति में क्या खाएं और क्या न खाएं?

जोड़ों में विकृति होने पर कोई विशेष “डाइट” नहीं है जो विकृति को ठीक कर सके। हालांकि, एक स्वस्थ और संतुलित आहार समग्र स्वास्थ्य और जोड़ों के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है और कुछ खाद्य पदार्थों से सूजन कम हो सकती है, जो जोड़ों के दर्द और अकड़न को प्रबंधित करने में मदद कर सकता है।

यहां बताया गया है कि जोड़ों में विकृति होने पर क्या खाएं और क्या न खाएं:

क्या खाएं (Eat):

  • एंटी-इंफ्लेमेटरी खाद्य पदार्थ:
    • ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त मछली: सैल्मन, मैकेरल, सार्डिन और टूना जैसी वसायुक्त मछली में ओमेगा-3 फैटी एसिड होते हैं, जिनमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं।
    • फल और सब्जियां: रंगीन फल और सब्जियां एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर होती हैं, जो सूजन को कम करने में मदद कर सकती हैं। जामुन (ब्लूबेरी, स्ट्रॉबेरी, रसभरी), चेरी, पालक, केल और ब्रोकोली विशेष रूप से फायदेमंद हो सकते हैं।
    • स्वस्थ वसा: जैतून का तेल, एवोकाडो और नट्स (जैसे बादाम और अखरोट) स्वस्थ वसा प्रदान करते हैं जिनमें एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रभाव हो सकते हैं।
    • साबुत अनाज: ओट्स, ब्राउन राइस और क्विनोआ जैसे साबुत अनाज में फाइबर होता है, जो सूजन को कम करने में मदद कर सकता है।
    • फलियां: बीन्स और दालें फाइबर और एंटीऑक्सिडेंट का अच्छा स्रोत हैं।
    • मसाले: हल्दी और अदरक में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं।
  • विटामिन और खनिजों से भरपूर खाद्य पदार्थ:
    • विटामिन सी: खट्टे फल, मिर्च और ब्रोकोली जैसे खाद्य पदार्थ कोलेजन उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण हैं, जो जोड़ों के उपास्थि का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
    • विटामिन डी: वसायुक्त मछली, अंडे की जर्दी और फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थ कैल्शियम के अवशोषण के लिए महत्वपूर्ण हैं, जो हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।
    • कैल्शियम: डेयरी उत्पाद (यदि सहन किया जाए), हरी पत्तेदार सब्जियां और फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थ हड्डियों को मजबूत रखने में मदद करते हैं।
  • पर्याप्त प्रोटीन: मांसपेशियों के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है जो जोड़ों का समर्थन करते हैं। चिकन, मछली, बीन्स, दालें और टोफू जैसे दुबले प्रोटीन स्रोत चुनें।
  • पर्याप्त पानी: हाइड्रेटेड रहना जोड़ों को चिकनाई देने और समग्र स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है।

क्या न खाएं (Avoid):

  • प्रोसेस्ड और तले हुए खाद्य पदार्थ: इनमें अक्सर अस्वास्थ्यकर वसा, ट्रांस वसा और योजक होते हैं जो सूजन को बढ़ा सकते हैं।
  • उच्च मात्रा में ओमेगा-6 फैटी एसिड वाले तेल: मक्का का तेल, सूरजमुखी का तेल और वनस्पति तेल जैसे तेलों में ओमेगा-6 फैटी एसिड की मात्रा अधिक होती है, जो सूजन को बढ़ावा दे सकते हैं यदि ओमेगा-3 का संतुलन सही न हो।
  • अतिरिक्त शर्करा: सोडा, कैंडी, बेक्ड सामान और कई प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों में अतिरिक्त शर्करा सूजन को बढ़ा सकती है।
  • परिष्कृत कार्बोहाइड्रेट: सफेद ब्रेड, सफेद चावल और पास्ता जैसे खाद्य पदार्थ सूजन को बढ़ावा दे सकते हैं।
  • उच्च मात्रा में संतृप्त वसा: लाल मांस, मक्खन और पनीर जैसे खाद्य पदार्थों में संतृप्त वसा की मात्रा अधिक होती है, जो सूजन में योगदान कर सकती है।
  • अत्यधिक नमक: उच्च सोडियम वाले खाद्य पदार्थ शरीर में पानी की अवधारण को बढ़ा सकते हैं, जिससे जोड़ों के आसपास सूजन हो सकती है।
  • कुछ लोगों के लिए ट्रिगर खाद्य पदार्थ: कुछ लोगों को नाइटशेड सब्जियां (जैसे टमाटर, बैंगन, मिर्च, आलू) या डेयरी उत्पाद जैसे विशिष्ट खाद्य पदार्थों से जोड़ों के दर्द में वृद्धि का अनुभव हो सकता है। यदि आपको संदेह है कि कोई विशेष भोजन आपके लक्षणों को खराब कर रहा है, तो कुछ हफ्तों के लिए उन्हें हटाकर और फिर धीरे-धीरे वापस लाकर देखें कि क्या कोई प्रतिक्रिया होती है।
  • अत्यधिक शराब: शराब सूजन को बढ़ा सकती है और कुछ दवाओं के साथ परस्पर क्रिया कर सकती है।
  • उच्च प्यूरिन वाले खाद्य पदार्थ (गाउट के लिए): यदि आपको गाउट है, तो आपको ऑर्गन मीट, रेड मीट और कुछ प्रकार की सीफूड से बचना चाहिए।

याद रखें:

  • कोई एक “सही” आहार नहीं है जो सभी के लिए काम करे। व्यक्तिगत प्रतिक्रियाएं भिन्न हो सकती हैं।
  • एक संतुलित और विविध आहार पर ध्यान केंद्रित करें जिसमें संपूर्ण, असंसाधित खाद्य पदार्थ शामिल हों।
  • यदि आपको विशिष्ट खाद्य पदार्थों के बारे में चिंता है, तो एक पंजीकृत आहार विशेषज्ञ या पोषण विशेषज्ञ से सलाह लें जो आपकी व्यक्तिगत आवश्यकताओं के अनुसार मार्गदर्शन प्रदान कर सके।
  • यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि आहार जोड़ों में विकृति के इलाज का प्राथमिक तरीका नहीं है, लेकिन यह लक्षणों को प्रबंधित करने और समग्र स्वास्थ्य का समर्थन करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। डॉक्टर द्वारा बताई गई उपचार योजना का पालन करना आवश्यक है।

जोड़ों में विकृतिके जोखिम को कैसे कम करें?

जोड़ों में विकृति के जोखिम को पूरी तरह से खत्म करना हमेशा संभव नहीं होता है, खासकर आनुवंशिक कारकों या कुछ बीमारियों के कारण होने वाली विकृति के मामले में। हालांकि, कुछ कदम उठाकर आप इस जोखिम को काफी हद तक कम कर सकते हैं:

1. स्वस्थ वजन बनाए रखें:

  • अतिरिक्त वजन आपके जोड़ों पर, खासकर घुटनों, कूल्हों और पैरों पर अधिक दबाव डालता है। यह ऑस्टियोआर्थराइटिस के विकास और जोड़ों में विकृति के जोखिम को बढ़ाता है।
  • संतुलित आहार और नियमित व्यायाम के माध्यम से स्वस्थ वजन बनाए रखें।

2. नियमित व्यायाम करें:

  • नियमित, मध्यम व्यायाम जोड़ों के आसपास की मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद करता है, जो उन्हें सहारा देता है और स्थिरता प्रदान करता है।
  • लचीलापन बढ़ाने वाले व्यायाम (जैसे स्ट्रेचिंग) और कम प्रभाव वाले एरोबिक व्यायाम (जैसे तैराकी, साइकिल चलाना) जोड़ों के स्वास्थ्य के लिए विशेष रूप से फायदेमंद होते हैं।
  • व्यायाम शुरू करने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें, खासकर यदि आपको पहले से ही जोड़ों की समस्या है।

3. जोड़ों की चोटों से बचें:

  • खेल खेलते समय या भारी सामान उठाते समय उचित तकनीक का उपयोग करें।
  • सुरक्षात्मक उपकरण (जैसे घुटने के पैड, कलाई के गार्ड) पहनें जब ऐसी गतिविधियाँ करें जिनमें चोट लगने का खतरा हो।
  • अचानक झटके या अत्यधिक तनाव से बचें जो जोड़ों पर पड़ सकता है।
  • यदि आपको कोई चोट लगती है, तो उसे ठीक से ठीक होने दें और जल्दबाजी में गतिविधि में न लौटें।

4. स्वस्थ आहार लें:

  • एंटीऑक्सिडेंट और ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर संतुलित आहार सूजन को कम करने में मदद कर सकता है, जो कुछ प्रकार के गठिया से जुड़े जोड़ों के नुकसान को कम करने में सहायक हो सकता है।
  • पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम और विटामिन डी का सेवन हड्डियों को मजबूत रखने में मदद करता है।

5. धूम्रपान न करें:

  • धूम्रपान जोड़ों सहित पूरे शरीर में सूजन को बढ़ा सकता है और रक्त प्रवाह को कम कर सकता है, जिससे जोड़ों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

6. शराब का सेवन सीमित करें:

  • अत्यधिक शराब का सेवन गाउट के खतरे को बढ़ा सकता है और कुछ दवाओं के साथ परस्पर क्रिया कर सकता है।

7. अच्छी मुद्रा बनाए रखें:

  • खड़े होने और बैठने के दौरान अच्छी मुद्रा बनाए रखने से जोड़ों पर असामान्य तनाव कम होता है।

8. काम पर एर्गोनॉमिक्स का ध्यान रखें:

  • यदि आपके काम में दोहराव वाली गतिविधियाँ या लंबे समय तक एक ही स्थिति में रहना शामिल है, तो अपने कार्यस्थल को एर्गोनॉमिक रूप से व्यवस्थित करें ताकि जोड़ों पर तनाव कम हो सके।

9. अंतर्निहित चिकित्सा स्थितियों का प्रबंधन करें:

  • यदि आपको गठिया (जैसे रुमेटीइड गठिया, गाउट) या ल्यूपस जैसी कोई अंतर्निहित चिकित्सा स्थिति है, तो अपनी डॉक्टर की सलाह का पालन करें और निर्धारित दवाओं को नियमित रूप से लें ताकि जोड़ों में सूजन और क्षति को नियंत्रित किया जा सके।

10. शुरुआती लक्षणों को पहचानें और उनका इलाज करें:

  • यदि आपको जोड़ों में दर्द, अकड़न या सूजन जैसे शुरुआती लक्षण महसूस होते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। प्रारंभिक निदान और उपचार जोड़ों को आगे होने वाले नुकसान और विकृति को रोकने में मदद कर सकता है।

11. आनुवंशिक जोखिम के बारे में जागरूक रहें:

  • यदि आपके परिवार में गठिया या जोड़ों में विकृति का इतिहास है, तो आपको इसका खतरा अधिक हो सकता है। हालांकि, स्वस्थ जीवनशैली विकल्पों को अपनाकर आप अपने जोखिम को कम कर सकते हैं।

इन उपायों को अपनाकर आप जोड़ों में विकृति के जोखिम को कम करने और अपने जोड़ों को स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं। याद रखें कि रोकथाम हमेशा इलाज से बेहतर है।

सारांश

ठीक है, यहाँ “जोड़ों में विकृति” पर चर्चा का सारांश दिया गया है:

जोड़ों में विकृति क्या है: जोड़ों में विकृति तब होती है जब कोई जोड़ असामान्य आकार का हो जाता है या गलत तरीके से संरेखित हो जाता है। यह शरीर के किसी भी जोड़ में हो सकता है, लेकिन आमतौर पर हाथों और पैरों में होता है।

जोड़ों में विकृति के कारण: इसके कई कारण हो सकते हैं, जिनमें गठिया (ऑस्टियोआर्थराइटिस, रुमेटीइड गठिया), चोटें, जन्मजात दोष और अन्य चिकित्सा स्थितियां (जैसे ल्यूपस, गाउट, हड्डी का कैंसर) शामिल हैं।

जोड़ों में विकृति के संकेत और लक्षण: सामान्य लक्षणों में जोड़ का असामान्य आकार, गति की सीमित सीमा, दर्द, अकड़न और सूजन शामिल हैं। कारण के आधार पर विशिष्ट लक्षण भिन्न हो सकते हैं।

जोड़ों में विकृति का खतरा किसे अधिक होता है: वृद्ध लोग, महिलाएं (कुछ प्रकार के गठिया के लिए), जिनका पारिवारिक इतिहास है, मोटापे से ग्रस्त लोग, जोड़ों की चोट वाले लोग और कुछ चिकित्सा स्थितियों वाले लोग अधिक जोखिम में हैं।

जोड़ों में विकृति से जुड़ी बीमारियां: ऑस्टियोआर्थराइटिस, रुमेटीइड गठिया, गाउट, ल्यूपस, जन्मजात दोष, चोटें और हड्डी का कैंसर जैसी कई बीमारियां जोड़ों में विकृति से जुड़ी हैं।

जोड़ों में विकृति का निदान कैसे करें: निदान में शारीरिक परीक्षा, चिकित्सा इतिहास, इमेजिंग टेस्ट (एक्स-रे, एमआरआई, सीटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड), रक्त परीक्षण और जोड़ों के द्रव का विश्लेषण शामिल हो सकता है।

जोड़ों में विकृति का इलाज क्या है: उपचार में गैर-सर्जिकल तरीके (दवाएं, भौतिक और व्यावसायिक चिकित्सा, ऑर्थोटिक्स, इंजेक्शन) और सर्जिकल तरीके (जोड़ बदलना, ऑस्टियोटॉमी, आर्थ्रोस्कोपी, जोड़ का स्थिरीकरण, नरम ऊतक की मरम्मत) शामिल हैं। जीवनशैली में बदलाव भी महत्वपूर्ण हैं।

जोड़ों में विकृति का घरेलू इलाज क्या है: घरेलू उपचार लक्षणों को प्रबंधित करने में मदद कर सकते हैं (गर्मी और ठंड का प्रयोग, हल्का व्यायाम, आराम, स्वस्थ आहार, वजन प्रबंधन, मालिश), लेकिन वे चिकित्सा देखभाल का विकल्प नहीं हैं।

जोड़ों में विकृति में क्या खाएं और क्या न खाएं: एक स्वस्थ, संतुलित आहार जिसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी खाद्य पदार्थ (ओमेगा-3 फैटी एसिड, फल, सब्जियां) शामिल हों और प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों, अतिरिक्त शर्करा और अस्वास्थ्यकर वसा से बचें।

जोड़ों में विकृतिके जोखिम को कैसे कम करें: स्वस्थ वजन बनाए रखना, नियमित व्यायाम करना, जोड़ों की चोटों से बचना, स्वस्थ आहार लेना, धूम्रपान न करना और अंतर्निहित चिकित्सा स्थितियों का प्रबंधन करना जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है। शुरुआती लक्षणों को पहचानना और उनका इलाज करना भी महत्वपूर्ण है।

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