कैंसर

कैंसर

कैंसर क्या है?

कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसमें शरीर की कोशिकाएँ अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं। ये कोशिकाएँ ऊतकों और अंगों पर आक्रमण कर सकती हैं और शरीर के अन्य भागों में फैल सकती हैं।

कैंसर के प्रकार:

कैंसर के 100 से अधिक प्रकार हैं, जिनमें से कुछ सबसे आम प्रकार हैं:

  • स्तन कैंसर
  • फेफड़ों का कैंसर
  • प्रोस्टेट कैंसर
  • कोलोरेक्टल कैंसर
  • त्वचा कैंसर
  • ल्यूकेमिया

कैंसर के कारण:

कैंसर के कई कारण होते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • तम्बाकू का उपयोग
  • मोटापा
  • अस्वास्थ्यकर आहार
  • शारीरिक गतिविधि की कमी
  • कुछ संक्रमण
  • आनुवंशिक कारक
  • पर्यावरणीय कारक

कैंसर के लक्षण:

कैंसर के लक्षण कैंसर के प्रकार और चरण के आधार पर भिन्न होते हैं। कुछ सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:

  • थकान
  • गांठ या त्वचा का मोटा होना
  • वजन में बदलाव
  • त्वचा में बदलाव
  • मल त्याग या मूत्राशय की आदतों में बदलाव
  • लगातार खांसी या स्वर बैठना
  • अपच या निगलने में कठिनाई
  • अस्पष्टीकृत दर्द या दर्द
  • अस्पष्टीकृत रक्तस्राव या निर्वहन

कैंसर का निदान:

कैंसर का निदान करने के लिए कई परीक्षणों का उपयोग किया जाता है, जिनमें शामिल हैं:

  • शारीरिक परीक्षा
  • रक्त परीक्षण
  • इमेजिंग परीक्षण (जैसे एक्स-रे, सीटी स्कैन और एमआरआई)
  • बायोप्सी

कैंसर का इलाज:

कैंसर का इलाज कैंसर के प्रकार और चरण के आधार पर भिन्न होता है। कुछ सामान्य उपचारों में शामिल हैं:

  • सर्जरी
  • कीमोथेरेपी
  • विकिरण चिकित्सा
  • लक्षित चिकित्सा
  • इम्यूनोथेरेपी

कैंसर की रोकथाम:

कैंसर के खतरे को कम करने के लिए कई चीजें की जा सकती हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • तम्बाकू के उपयोग से बचें
  • स्वस्थ वजन बनाए रखें
  • स्वस्थ आहार खाएं
  • नियमित रूप से व्यायाम करें
  • कुछ संक्रमणों के खिलाफ टीका लगवाएं
  • धूप से बचें
  • नियमित रूप से कैंसर की जांच करवाएं

कैंसर के कारण क्या हैं?

कैंसर कई कारणों से हो सकता है। कुछ मुख्य कारण हैं:

  • आनुवंशिक कारण:
    • अगर परिवार में किसी को कैंसर हुआ है, तो इसका खतरा बढ़ सकता है।
  • वातावरणीय कारण:
    • प्रदूषण, हानिकारक रसायनों या रेडिएशन के संपर्क में आने से कैंसर हो सकता है।
  • धूम्रपान और शराब:
    • तंबाकू और शराब का सेवन कैंसर के जोखिम को बढ़ाता है।
  • अस्वास्थ्यकर आहार:
    • ज्यादा वसायुक्त और प्रोसेस्ड खाना खाने से कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
  • शारीरिक निष्क्रियता:
    • शारीरिक गतिविधि की कमी से कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
  • संक्रमण:
    • कुछ संक्रमण जैसे एचपीवी (ह्यूमन पैपिलोमावायरस) कैंसर का कारण बन सकते हैं।
  • उम्र:
    • उम्र बढ़ने के साथ कैंसर का खतरा भी बढ़ता है।

कैंसर के संकेत और लक्षण क्या हैं?

कैंसर के लक्षण कैंसर के प्रकार और चरण के आधार पर भिन्न होते हैं। कुछ सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:

  • थकान: लगातार थकान महसूस होना, जो आराम करने के बाद भी ठीक न हो।
  • वजन में बदलाव: बिना किसी कारण वजन का घटना या बढ़ना।
  • गांठ या सूजन: शरीर में किसी गांठ या सूजन का बनना।
  • त्वचा में बदलाव: त्वचा का रंग बदलना, त्वचा पर चकत्ते, या मस्सों में बदलाव।
  • दर्द: अस्पष्टीकृत दर्द या पीड़ा, जो लगातार बनी रहे।
  • भूख में कमी: भूख न लगना या खाने में अरुचि।
  • पाचन संबंधी समस्याएं: अपच, कब्ज या दस्त जैसे पाचन संबंधी बदलाव।
  • खांसी या सांस लेने में तकलीफ: लगातार खांसी, सांस लेने में कठिनाई या घरघराहट।
  • मल या मूत्र में बदलाव: मल या मूत्र की आदतों में बदलाव, जैसे कि मल में खून आना या पेशाब में कठिनाई।
  • घाव जो ठीक न हो: कोई घाव जो लंबे समय तक ठीक न हो।
  • अस्पष्टीकृत रक्तस्राव या स्राव: शरीर के किसी भी हिस्से से असामान्य रक्तस्राव या स्राव।

कैंसर का खतरा किसे अधिक होता है?

कैंसर का खतरा कई कारकों से जुड़ा हुआ है, और कुछ लोगों को दूसरों की तुलना में अधिक खतरा होता है। यहां कुछ प्रमुख कारक दिए गए हैं:

  • उम्र: उम्र बढ़ने के साथ कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
  • आनुवंशिकी: यदि आपके परिवार में किसी को कैंसर हुआ है, तो आपको भी कैंसर होने का खतरा अधिक हो सकता है।
  • धूम्रपान: तंबाकू का उपयोग कई प्रकार के कैंसर के लिए एक प्रमुख जोखिम कारक है, जिसमें फेफड़े, मुंह, गले, मूत्राशय और गुर्दे का कैंसर शामिल है।
  • शराब का सेवन: अत्यधिक शराब का सेवन मुंह, गले, यकृत, स्तन और कोलोरेक्टल कैंसर के खतरे को बढ़ा सकता है।
  • सूर्य का संपर्क: सूर्य के हानिकारक पराबैंगनी (यूवी) विकिरण के संपर्क में आने से त्वचा कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
  • अस्वास्थ्यकर आहार: प्रसंस्कृत मांस, लाल मांस और उच्च वसा वाले आहार जैसे अस्वास्थ्यकर आहार खाने से कोलोरेक्टल, स्तन और प्रोस्टेट कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
  • शारीरिक निष्क्रियता: नियमित रूप से व्यायाम न करने से कोलोरेक्टल, स्तन और एंडोमेट्रियल कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
  • कुछ संक्रमण: कुछ संक्रमण, जैसे कि ह्यूमन पैपिलोमावायरस (एचपीवी) और हेपेटाइटिस बी और सी वायरस, कैंसर का कारण बन सकते हैं।
  • पर्यावरणीय कारक: कुछ रसायनों और विकिरणों के संपर्क में आने से कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।

कैंसर से कौन सी बीमारियां जुड़ी हैं?

कैंसर एक जटिल बीमारी है जो कई अन्य बीमारियों से जुड़ी हो सकती है। यहाँ कुछ बीमारियाँ दी गई हैं:

  • आनुवंशिक बीमारियाँ:
    • कुछ आनुवंशिक स्थितियाँ, जैसे कि BRCA1 और BRCA2 जीन उत्परिवर्तन, स्तन और डिम्बग्रंथि के कैंसर के खतरे को बढ़ा सकती हैं।
    • लिंच सिंड्रोम कोलोरेक्टल और अन्य कैंसर के खतरे को बढ़ा सकता है।
  • संक्रामक रोग:
    • मानव पैपिलोमावायरस (एचपीवी) सर्वाइकल, गुदा और गले के कैंसर का कारण बन सकता है।
    • हेपेटाइटिस बी और सी वायरस यकृत कैंसर का कारण बन सकते हैं।
    • हेलिकोबैक्टर पाइलोरी पेट के कैंसर का कारण बन सकता है।
  • प्रतिरक्षा प्रणाली संबंधी विकार:
    • कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों में लिम्फोमा और अन्य कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
    • एचआईवी संक्रमण से पीड़ित लोगों में कुछ कैंसर विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है।
  • जीवनशैली से जुड़ी बीमारियाँ:
    • मोटापा कई प्रकार के कैंसर के खतरे को बढ़ाता है, जिसमें स्तन, कोलोरेक्टल और एंडोमेट्रियल कैंसर शामिल हैं।
    • मधुमेह कुछ प्रकार के कैंसर के खतरे को बढ़ा सकता है।
    • हृदय रोग और कैंसर दोनों में कई समान जोखिम कारक होते हैं, जैसे कि धूम्रपान, अस्वास्थ्यकर आहार और शारीरिक निष्क्रियता।
  • अन्य बीमारियाँ:
    • कुछ ऑटोइम्यून बीमारियाँ, जैसे कि ल्यूपस और रुमेटीइड गठिया, लिम्फोमा के खतरे को बढ़ा सकती हैं।
    • अल्सरेटिव कोलाइटिस और क्रोहन रोग कोलोरेक्टल कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं।

कैंसर का निदान कैसे करें?

कैंसर का निदान कई तरीकों से किया जा सकता है, जिनमें शामिल हैं:

  • शारीरिक परीक्षण:
    • डॉक्टर आपके शरीर में किसी भी गांठ या असामान्यताओं की जांच करेंगे।
  • इमेजिंग परीक्षण:
    • एक्स-रे, सीटी स्कैन, एमआरआई और अल्ट्रासाउंड जैसे परीक्षण शरीर के अंदर की विस्तृत छवियां प्रदान कर सकते हैं।
  • बायोप्सी:
    • एक बायोप्सी में, ऊतक का एक छोटा सा नमूना लिया जाता है और कैंसर कोशिकाओं की उपस्थिति के लिए माइक्रोस्कोप के तहत जांच की जाती है।
  • रक्त परीक्षण:
    • कुछ रक्त परीक्षण विशिष्ट प्रकार के कैंसर का पता लगाने या संबंधित मार्करों की पहचान करने में मदद कर सकते हैं।
  • एंडोस्कोपी:
    • एंडोस्कोपी में, एक पतली, लचीली ट्यूब जिसमें एक कैमरा लगा होता है, शरीर के अंदर देखने के लिए उपयोग किया जाता है।
  • आनुवंशिक परीक्षण:
    • कुछ आनुवंशिक परीक्षण उन जीनों में परिवर्तन की पहचान कर सकते हैं जो कैंसर के खतरे को बढ़ाते हैं।

कैंसर का इलाज क्या है?

कैंसर का इलाज कैंसर के प्रकार, चरण और व्यक्ति के समग्र स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। कुछ सामान्य उपचारों में शामिल हैं:

  • सर्जरी:
    • इसमें ट्यूमर और आसपास के ऊतकों को शारीरिक रूप से हटाना शामिल है।
  • कीमोथेरेपी:
    • इसमें कैंसर कोशिकाओं को मारने या उनके विकास को धीमा करने के लिए दवाओं का उपयोग शामिल है।
  • विकिरण चिकित्सा:
    • इसमें कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए उच्च-ऊर्जा विकिरण का उपयोग शामिल है।
  • लक्षित चिकित्सा:
    • इसमें कैंसर कोशिकाओं में विशिष्ट लक्ष्यों को लक्षित करने वाली दवाओं का उपयोग शामिल है।
  • इम्यूनोथेरेपी:
    • इसमें कैंसर से लड़ने के लिए शरीर की अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली का उपयोग शामिल है।
  • स्टेम सेल प्रत्यारोपण:
    • इसमें उच्च-खुराक कीमोथेरेपी या विकिरण चिकित्सा के बाद स्वस्थ स्टेम कोशिकाओं के साथ अस्थि मज्जा को बदलना शामिल है।
  • हार्मोन थेरेपी:
    • इसमें हार्मोन के प्रति संवेदनशील कैंसर के विकास को धीमा करने के लिए दवाओं का उपयोग शामिल है।
  • उपशामक देखभाल:
    • यह कैंसर से पीड़ित लोगों और उनके परिवारों के लिए जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने पर केंद्रित है।

कैंसर का फिजियोथेरेपी उपचार क्या है?

कैंसर के उपचार में फिजियोथेरेपी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। यह रोगियों को कैंसर के उपचार के दुष्प्रभावों से निपटने और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद करता है। फिजियोथेरेपी उपचार कैंसर के प्रकार, उपचार के चरण और रोगी की व्यक्तिगत आवश्यकताओं के आधार पर भिन्न होता है।

फिजियोथेरेपी के लाभ:

  • दर्द प्रबंधन: फिजियोथेरेपी तकनीकों से कैंसर के कारण होने वाले दर्द को कम किया जा सकता है।
  • गतिशीलता में सुधार: व्यायाम और स्ट्रेचिंग से रोगियों की गतिशीलता और लचीलेपन को बढ़ाया जा सकता है।
  • थकान कम करना: फिजियोथेरेपी रोगियों को ऊर्जा के स्तर को बढ़ाने और थकान को कम करने में मदद कर सकती है।
  • सूजन कम करना: लिम्फडेमा जैसी स्थितियों में, फिजियोथेरेपी सूजन को कम करने में मदद कर सकती है।
  • मानसिक स्वास्थ्य में सुधार: फिजियोथेरेपी रोगियों को तनाव और चिंता को कम करने में मदद कर सकती है।
  • सर्जरी के बाद रिकवरी में मदद: सर्जरी के बाद फिजियोथेरेपी रोगियों को तेजी से ठीक होने में मदद कर सकती है।

फिजियोथेरेपी उपचार के प्रकार:

  • व्यायाम: फिजियोथेरेपिस्ट रोगियों को उनकी स्थिति के अनुसार व्यायाम सिखाते हैं, जिसमें स्ट्रेचिंग, स्ट्रेंथ ट्रेनिंग और एरोबिक एक्सरसाइज शामिल हो सकते हैं।
  • मैनुअल थेरेपी: इसमें मालिश, मोबिलाइजेशन और अन्य तकनीकें शामिल हैं जो दर्द को कम करने और गतिशीलता में सुधार करने में मदद करती हैं।
  • लिम्फडेमा प्रबंधन: लिम्फडेमा एक ऐसी स्थिति है जिसमें कैंसर के उपचार के कारण लिम्फ द्रव का निर्माण होता है। फिजियोथेरेपिस्ट लिम्फडेमा को प्रबंधित करने के लिए विशेष तकनीकें सिखाते हैं।
  • दर्द प्रबंधन तकनीकें: फिजियोथेरेपिस्ट रोगियों को दर्द से निपटने के लिए विभिन्न तकनीकें सिखाते हैं, जैसे कि गर्मी, बर्फ, अल्ट्रासाउंड और विद्युत उत्तेजना।
  • शिक्षा और परामर्श: फिजियोथेरेपिस्ट रोगियों को उनकी स्थिति के बारे में शिक्षित करते हैं और उन्हें घर पर व्यायाम और दर्द प्रबंधन तकनीकों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

फिजियोथेरेपी कब शुरू करें:

कैंसर के उपचार के दौरान किसी भी समय फिजियोथेरेपी शुरू की जा सकती है। कुछ मामलों में, सर्जरी से पहले फिजियोथेरेपी शुरू करने से रिकवरी में मदद मिल सकती है। कैंसर के उपचार के बाद, फिजियोथेरेपी रोगियों को उनकी सामान्य गतिविधियों में वापस आने में मदद कर सकती है।

यदि आप या आपका कोई प्रियजन कैंसर से पीड़ित है, तो फिजियोथेरेपी के लाभों के बारे में अपने डॉक्टर से बात करें।

कैंसर का घरेलू इलाज क्या है?

कैंसर एक गंभीर बीमारी है जिसका इलाज केवल डॉक्टर की सलाह से ही किया जाना चाहिए। घरेलू उपचार कैंसर के इलाज का विकल्प नहीं हैं, लेकिन वे लक्षणों को कम करने और रोगी के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद कर सकते हैं।

यहाँ कुछ घरेलू उपचार दिए गए हैं जो कैंसर रोगियों के लिए सहायक हो सकते हैं:

  • स्वस्थ आहार:
    • फल, सब्जियां और साबुत अनाज जैसे पौष्टिक खाद्य पदार्थ खाएं।
    • प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, चीनी और रेड मीट से बचें।
    • अपने आहार में एंटीऑक्सिडेंट युक्त खाद्य पदार्थों को शामिल करें, जैसे कि जामुन, हरी पत्तेदार सब्जियां और नट्स।
  • नियमित व्यायाम:
    • नियमित व्यायाम से थकान कम करने और ऊर्जा के स्तर को बढ़ाने में मदद मिल सकती है।
    • अपने डॉक्टर से पूछें कि आपके लिए किस प्रकार का व्यायाम सुरक्षित है।
  • तनाव प्रबंधन:
    • तनाव कैंसर रोगियों के लिए हानिकारक हो सकता है।
    • योग, ध्यान या गहरी सांस लेने जैसी तकनीकों से तनाव को कम करें।
  • पर्याप्त नींद:
    • पर्याप्त नींद लेना शरीर को ठीक होने में मदद करता है।
    • हर रात 7-8 घंटे की नींद लेने का लक्ष्य रखें।
  • हर्बल उपचार:
    • कुछ हर्बल उपचार, जैसे कि हल्दी और अदरक, में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं।
    • इनका उपयोग डॉक्टर की सलाह से ही करें।
  • आराम तकनीकें:
    • मालिश, एक्यूपंक्चर और अरोमाथेरेपी जैसी आराम तकनीकें दर्द और तनाव को कम करने में मदद कर सकती हैं।

कैंसर में क्या खाएं और क्या न खाएं?

कैंसर के दौरान सही खान-पान बहुत महत्वपूर्ण है। यह न केवल रोगी की ताकत बनाए रखने में मदद करता है, बल्कि उपचार के दुष्प्रभावों को कम करने में भी सहायक होता है। यहाँ बताया गया है कि कैंसर रोगियों को क्या खाना चाहिए और क्या नहीं:

क्या खाएं:

  • फल और सब्जियां:
    • विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं।
    • हरी पत्तेदार सब्जियां, जामुन, संतरे, और गाजर जैसे खाद्य पदार्थ फायदेमंद होते हैं।
  • साबुत अनाज:
    • फाइबर से भरपूर होते हैं, जो पाचन को स्वस्थ रखते हैं।
    • ब्राउन राइस, ओट्स, और साबुत गेहूं का सेवन करें।
  • प्रोटीन:
    • मांसपेशियों को बनाए रखने और ऊर्जा प्रदान करने के लिए आवश्यक है।
    • मछली, चिकन, बीन्स, और दालें प्रोटीन के अच्छे स्रोत हैं।
  • स्वस्थ वसा:
    • शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं और कोशिकाओं को स्वस्थ रखते हैं।
    • एवोकाडो, नट्स, और जैतून का तेल शामिल करें।
  • पर्याप्त पानी:
    • शरीर को हाइड्रेटेड रखने और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है।
    • दिन भर में खूब पानी पिएं।

क्या न खाएं:

  • प्रसंस्कृत मांस:
    • जैसे कि सॉसेज, बेकन, और हॉट डॉग, कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं।
  • लाल मांस:
    • अत्यधिक सेवन कोलोरेक्टल कैंसर के खतरे को बढ़ा सकता है।
  • चीनी युक्त खाद्य पदार्थ और पेय:
    • कैंसर कोशिकाओं के विकास को बढ़ावा दे सकते हैं और वजन बढ़ा सकते हैं।
  • तले हुए और तैलीय खाद्य पदार्थ:
    • पाचन में कठिनाई पैदा कर सकते हैं और मतली को बढ़ा सकते हैं।
  • शराब और तंबाकू:
    • कैंसर के खतरे को बढ़ाते हैं और उपचार के दुष्प्रभावों को खराब कर सकते हैं।
  • कच्चे या अधपके खाद्य पदार्थ:
    • कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले रोगियों के लिए संक्रमण का खतरा बढ़ा सकते हैं।

अतिरिक्त सुझाव:

  • छोटे और बार-बार भोजन करें, खासकर यदि आपको मतली हो रही है।
  • अपने डॉक्टर या आहार विशेषज्ञ से सलाह लें, ताकि वे आपकी व्यक्तिगत आवश्यकताओं के अनुसार आहार योजना बना सकें।
  • भोजन की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें।

कैंसर के जोखिम को कैसे कम करें?

कैंसर के जोखिम को कम करने के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं:
    • धूम्रपान से बचें: धूम्रपान कई प्रकार के कैंसर के लिए एक प्रमुख जोखिम कारक है।
    • स्वस्थ आहार लें: फल, सब्जियां, और साबुत अनाज जैसे पौष्टिक खाद्य पदार्थ खाएं। प्रसंस्कृत मांस, लाल मांस, और मीठे खाद्य पदार्थों से बचें।
    • नियमित रूप से व्यायाम करें: नियमित व्यायाम कैंसर के खतरे को कम करने में मदद कर सकता है।
    • स्वस्थ वजन बनाए रखें: मोटापा कई प्रकार के कैंसर के खतरे को बढ़ा सकता है।
    • शराब का सेवन सीमित करें: अत्यधिक शराब का सेवन कई प्रकार के कैंसर के खतरे को बढ़ा सकता है।
  • सूर्य के हानिकारक प्रभावों से बचें:
    • धूप में बाहर जाते समय सनस्क्रीन का उपयोग करें।
    • तेज धूप में बाहर जाने से बचें।
  • कुछ संक्रमणों से बचें:
    • एचपीवी और हेपेटाइटिस बी जैसे कुछ संक्रमण कैंसर का कारण बन सकते हैं।
    • टीकाकरण करवाएं।
  • नियमित रूप से कैंसर की जांच करवाएं:
    • नियमित जांच से कैंसर का जल्दी पता लगाने में मदद मिल सकती है, जिससे उपचार अधिक प्रभावी हो सकता है।
  • रासायनिक और पर्यावरणीय कारकों से बचें:
    • हानिकारक रसायनों और विकिरणों के संपर्क में आने से बचें।
    • कार्यस्थल पर सुरक्षा नियमों का पालन करें।

सारांश

कैंसर एक गंभीर बीमारी है जिसमें कोशिकाएँ अनियंत्रित रूप से बढ़ती हैं। इसके कई कारण हैं, जिनमें आनुवंशिक, पर्यावरणीय और जीवनशैली संबंधी कारक शामिल हैं। लक्षणों में थकान, वजन में बदलाव और गांठ शामिल हैं। कुछ लोगों को दूसरों की तुलना में अधिक खतरा होता है, जैसे कि धूम्रपान करने वाले और आनुवंशिक स्थितियों वाले लोग। कैंसर कई बीमारियों से जुड़ा हुआ है, जिनमें आनुवंशिक बीमारियाँ और संक्रामक रोग शामिल हैं।

निदान में शारीरिक परीक्षण, इमेजिंग परीक्षण और बायोप्सी शामिल हैं। उपचार में सर्जरी, कीमोथेरेपी और विकिरण चिकित्सा शामिल हैं। स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर, आप कैंसर के खतरे को कम कर सकते हैं।

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