सर्विकल स्पॉन्डिलाइसिस
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सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस

प्रस्तावना

आधुनिक जीवनशैली में कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं आम हो गई हैं, और इनमें से एक प्रमुख समस्या है सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस। यह गर्दन के हिस्से में होने वाली एक अपक्षयी (degenerative) बीमारी है जो रीढ़ की हड्डी के ऊपरी हिस्से (सर्वाइकल वर्टिब्रा) को प्रभावित करती है।

इस स्थिति में, गर्दन की हड्डियों, डिस्क (vertebral discs) और आसपास के ऊतकों में धीरे-धीरे टूट-फूट और बदलाव आने लगते हैं। यह आमतौर पर उम्र बढ़ने के साथ होता है, लेकिन आजकल खराब मुद्रा (posture), लंबे समय तक एक ही स्थिति में बैठना, और गैजेट्स का अत्यधिक उपयोग भी कम उम्र के लोगों में इस समस्या को बढ़ा रहा है। यह लेख सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से प्रकाश डालेगा।

सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस क्या है?

हमारी रीढ़ की हड्डी 33 कशेरुकाओं (vertebrae) से बनी होती है, जो एक के ऊपर एक रखी होती हैं। इन कशेरुकाओं के बीच शॉक एब्जॉर्बर (shock absorber) के रूप में डिस्क होती हैं, जो कुशन का काम करती हैं और रीढ़ को लचीलापन प्रदान करती हैं। गर्दन का हिस्सा, जिसे सर्वाइकल स्पाइन (cervical spine) कहा जाता है, में सात कशेरुकाएं (C1 से C7) होती हैं। सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस तब होता है जब इन कशेरुकाओं और डिस्क में उम्र के साथ या अन्य कारणों से बदलाव आते हैं।

ये बदलाव कई रूपों में हो सकते हैं:

  1. डिस्क का डिहाइड्रेशन (Disc Dehydration): उम्र बढ़ने के साथ, डिस्क अपनी पानी की मात्रा खोने लगती हैं, जिससे वे पतली और कम लचीली हो जाती हैं। यह डिस्क की ऊंचाई को कम कर देता है और कशेरुकाओं के बीच घर्षण बढ़ा देता है।
  2. डिस्क का हर्निएशन (Disc Herniation): कभी-कभी डिस्क की बाहरी परत कमजोर हो जाती है और आंतरिक, नरम हिस्सा बाहर निकल जाता है। यह आसपास की नसों पर दबाव डाल सकता है, जिससे दर्द और अन्य लक्षण होते हैं।
  3. अस्थि स्पर्स (Bone Spurs/Osteophytes): शरीर डिस्क के पतले होने की भरपाई करने के लिए नई हड्डी बनाने लगता है। ये नई हड्डियों के उभार, जिन्हें अस्थि स्पर्स या ऑस्टियोफाइट्स कहते हैं, रीढ़ की हड्डी के चैनल या तंत्रिका जड़ों (nerve roots) पर दबाव डाल सकते हैं।
  4. लिगामेंट्स का मोटा होना (Thickening of Ligaments): रीढ़ की हड्डी को सहारा देने वाले लिगामेंट्स (ligaments) समय के साथ मोटे और कड़े हो सकते हैं, जिससे रीढ़ की हड्डी का चैनल संकुचित हो सकता है।

इन सभी परिवर्तनों के परिणामस्वरूप रीढ़ की हड्डी या उससे निकलने वाली नसों पर दबाव पड़ सकता है, जिससे सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस के लक्षण उत्पन्न होते हैं।

कारण (Causes)

सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस का मुख्य कारण उम्र बढ़ने से होने वाले अपक्षयी परिवर्तन हैं। हालांकि, कुछ अन्य कारक भी इस स्थिति के विकास में योगदान कर सकते हैं:

  • उम्र (Age): 40 वर्ष की आयु के बाद यह स्थिति अधिक आम हो जाती है, और 60 वर्ष से अधिक उम्र के लगभग 85% लोगों में इसके लक्षण दिखाई देते हैं।
  • आनुवंशिकी (Genetics): यदि आपके परिवार में किसी को सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस है, तो आपको भी इसके विकसित होने का जोखिम अधिक हो सकता है।
  • पेशेवर कारक (Occupational Factors): ऐसे पेशे जिनमें लंबे समय तक गर्दन को एक ही स्थिति में रखना पड़ता है, जैसे कंप्यूटर पर काम करना, सिलाई करना, या ड्राइविंग करना, इस स्थिति के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।
  • चोट या आघात (Injury or Trauma): गर्दन पर लगी कोई पुरानी चोट या आघात भविष्य में स्पॉन्डिलाइटिस के विकास में योगदान कर सकता है।
  • खराब मुद्रा (Poor Posture): लंबे समय तक गर्दन को झुकाकर रखना या गलत तरीके से बैठना रीढ़ पर अनावश्यक दबाव डालता है।
  • धूम्रपान (Smoking): धूम्रपान डिस्क में रक्त के प्रवाह को कम कर सकता है, जिससे उनका डिहाइड्रेशन और अपघटन तेज हो सकता है।
  • मोटापा (Obesity): अधिक वजन रीढ़ पर अतिरिक्त दबाव डालता है, जिससे अपक्षयी परिवर्तन तेज हो सकते हैं।
  • शारीरिक गतिविधि का अभाव (Lack of Physical Activity): कमजोर गर्दन की मांसपेशियां रीढ़ को पर्याप्त सहारा नहीं दे पाती हैं, जिससे स्पॉन्डिलाइटिस का खतरा बढ़ जाता है।

लक्षण (Symptoms)

सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस के लक्षण व्यक्ति-से-व्यक्ति भिन्न हो सकते हैं। कुछ लोगों में कोई लक्षण नहीं दिखते, जबकि कुछ में गंभीर दर्द और न्यूरोलॉजिकल समस्याएं हो सकती हैं। सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं:

  1. गर्दन में दर्द और अकड़न (Neck Pain and Stiffness): यह सबसे आम लक्षण है। दर्द आमतौर पर गर्दन के पिछले हिस्से में होता है और कंधे या बांह तक फैल सकता है। सुबह उठने पर अकड़न अधिक महसूस होती है और दिन के अंत तक बढ़ सकती है।
  2. सिरदर्द (Headaches): सिरदर्द अक्सर सिर के पिछले हिस्से से शुरू होकर कनपटी तक फैल सकता है।
  3. कंधे या बांह में दर्द (Shoulder or Arm Pain): तंत्रिका जड़ों पर दबाव के कारण दर्द गर्दन से कंधे, बांह और कभी-कभी हाथ तक फैल सकता है। इसे रेडिकुलोपैथी (radiculopathy) कहा जाता है।
  4. सुन्नता और झुनझुनी (Numbness and Tingling): प्रभावित तंत्रिका के मार्ग में सुन्नता, झुनझुनी या “पिन और नीडल्स” (pins and needles) जैसी संवेदना महसूस हो सकती है।
  5. कमजोरी (Weakness): गंभीर मामलों में, बांह या हाथ की मांसपेशियों में कमजोरी महसूस हो सकती है, जिससे वस्तुओं को पकड़ने या उठाने में कठिनाई हो सकती है।
  6. चलने में कठिनाई (Difficulty Walking): यदि रीढ़ की हड्डी पर दबाव पड़ता है (माइलोपैथी – myelopathy), तो संतुलन बिगड़ सकता है, चलने में कठिनाई हो सकती है, और पैरों में कमजोरी महसूस हो सकती है।
  7. मूत्राशय या आंत्र नियंत्रण का नुकसान (Loss of Bladder or Bowel Control): यह एक गंभीर लक्षण है और तुरंत चिकित्सा सहायता की आवश्यकता होती है, क्योंकि यह रीढ़ की हड्डी के गंभीर संपीड़न का संकेत हो सकता है।
  8. मांसपेशियों में ऐंठन (Muscle Spasms): गर्दन और कंधों की मांसपेशियां अकड़ सकती हैं और ऐंठन का अनुभव हो सकता है।
  9. आवाज में कर्कशता (Hoarseness of Voice): दुर्लभ मामलों में, यदि गर्दन में कुछ नसों पर दबाव पड़ता है, तो आवाज में बदलाव आ सकता है।

लक्षण आमतौर पर आराम करने पर बेहतर होते हैं और गतिविधि या गर्दन को एक विशेष स्थिति में रखने पर बिगड़ सकते हैं।

निदान (Diagnosis)

सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस का निदान चिकित्सा इतिहास, शारीरिक परीक्षण और इमेजिंग परीक्षणों के संयोजन से किया जाता है।

  1. चिकित्सा इतिहास और शारीरिक परीक्षण (Medical History and Physical Examination): डॉक्टर आपके लक्षणों, उनकी शुरुआत और गंभीरता के बारे में विस्तृत जानकारी लेंगे। वे आपकी गर्दन की गति की सीमा, मांसपेशियों की ताकत, संवेदनशीलता और रिफ्लेक्सेस (reflexes) का आकलन करेंगे।
  2. एक्स-रे (X-rays): एक्स-रे हड्डियों के बीच की जगह के कम होने, अस्थि स्पर्स और रीढ़ की हड्डी की संरचनात्मक असामान्यताओं को दिखा सकते हैं।
  3. सीटी स्कैन (CT Scan): सीटी स्कैन हड्डियों की अधिक विस्तृत छवियां प्रदान करता है और अस्थि स्पर्स और स्पाइनल कैनाल के संकुचन को बेहतर ढंग से दिखा सकता है।
  4. एमआरआई (MRI): एमआरआई नरम ऊतकों, जैसे डिस्क, स्नायुबंधन और रीढ़ की हड्डी की विस्तृत छवियां प्रदान करने में सबसे प्रभावी है। यह डिस्क हर्निएशन, रीढ़ की हड्डी पर दबाव और तंत्रिका संपीड़न का पता लगा सकता है।
  5. इलेक्ट्रोमायोग्राफी (EMG) और तंत्रिका चालन अध्ययन (Nerve Conduction Studies): ये परीक्षण यह निर्धारित करने में मदद करते हैं कि तंत्रिकाएं कितनी अच्छी तरह काम कर रही हैं और क्या तंत्रिका संपीड़न है।
  6. रक्त परीक्षण (Blood Tests): यदि डॉक्टर को किसी अन्य अंतर्निहित सूजन की स्थिति का संदेह है, तो वे रक्त परीक्षण का आदेश दे सकते हैं।

उपचार (Treatment)

सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस का उपचार लक्षणों की गंभीरता और व्यक्ति की समग्र स्वास्थ्य स्थिति पर निर्भर करता है। अधिकांश मामलों में गैर-सर्जिकल उपचार प्रभावी होते हैं।

गैर-सर्जिकल उपचार (Non-Surgical Treatments):

  1. आराम और गतिविधि में संशोधन (Rest and Activity Modification): तीव्र दर्द के दौरान कुछ दिनों के लिए आराम करना फायदेमंद हो सकता है। ऐसी गतिविधियों से बचें जो दर्द को बढ़ाती हैं।
  2. दवाएं (Medications):
    • दर्द निवारक (Pain Relievers): ओवर-द-काउंटर दर्द निवारक जैसे इबुप्रोफेन (ibuprofen) या नेप्रोक्सन (naproxen) सूजन और दर्द को कम करने में मदद कर सकते हैं।
    • मांसपेशी शिथिलक (Muscle Relaxants): मांसपेशी ऐंठन को कम करने के लिए डॉक्टर मांसपेशी शिथिलक लिख सकते हैं।
    • न्यूरोपैथिक दर्द की दवाएं (Neuropathic Pain Medications): गैबापेंटिन (gabapentin) या प्रीगैबलिन (pregabalin) जैसी दवाएं तंत्रिका दर्द को प्रबंधित करने में मदद कर सकती हैं।
    • कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स (Corticosteroids): गंभीर सूजन और दर्द के लिए मौखिक कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स का एक छोटा कोर्स दिया जा सकता है।
  3. भौतिक चिकित्सा (Physical Therapy):
    • इसमें शामिल हो सकते हैं:
      • गर्दन को खींचने वाले व्यायाम (Neck stretching exercises)
      • गर्दन की मांसपेशियों को मजबूत करने वाले व्यायाम (Neck strengthening exercises)
      • गर्दन के लिए कर्षण (Cervical traction)
      • ऊष्मा और शीत चिकित्सा (Heat and cold therapy)
  4. गर्दन का कॉलर (Cervical Collar): अल्पावधि के लिए, एक नरम सर्वाइकल कॉलर गर्दन को सहारा दे सकता है और दर्द कम कर सकता है, लेकिन इसका लंबे समय तक उपयोग मांसपेशियों को कमजोर कर सकता है।
  5. इंजेक्शन (Injections):
    • एपिड्यूरल स्टेरॉयड इंजेक्शन
    • फेसेट जॉइंट इंजेक्शन (Facet Joint Injections): यदि दर्द फेसेट जोड़ों से आ रहा है, तो इन जोड़ों में इंजेक्शन दिए जा सकते हैं।
  6. जीवनशैली में बदलाव (Lifestyle Modifications):
    • सही मुद्रा बनाए रखना, विशेष रूप से जब कंप्यूटर पर काम कर रहे हों या फोन का उपयोग कर रहे हों।
    • नियमित व्यायाम करना।
    • स्वस्थ वजन बनाए रखना।
    • धूम्रपान छोड़ना।
    • पर्याप्त नींद लेना और सही तकिए का उपयोग करना।

सर्जिकल उपचार (Surgical Treatments):

यदि गैर-सर्जिकल उपचार प्रभावी नहीं होते हैं, या यदि रीढ़ की हड्डी या नसों पर गंभीर दबाव है जिससे न्यूरोलॉजिकल समस्याएं (जैसे गंभीर कमजोरी, सुन्नता या मूत्राशय/आंत्र नियंत्रण का नुकसान) हो रही हैं, तो सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है। सर्जरी का लक्ष्य रीढ़ की हड्डी या तंत्रिका जड़ों पर से दबाव को कम करना है। कुछ सामान्य सर्जिकल प्रक्रियाएं हैं:

  1. एंटीरियर सर्वाइकल डिसकेक्टोमी और फ्यूजन (Anterior Cervical Discectomy and Fusion – ACDF): इस प्रक्रिया में गर्दन के सामने से चीरा लगाकर क्षतिग्रस्त डिस्क को हटाया जाता है और फिर कशेरुकाओं को एक साथ फ्यूज (जोड़ा) किया जाता है।
  2. पोस्टीरियर लैमिनेक्टोमी या लैमिनोप्लास्टी
  3. आर्टिफिशियल डिस्क रिप्लेसमेंट (Artificial Disc Replacement): कुछ मामलों में, क्षतिग्रस्त डिस्क को हटाने के बाद एक कृत्रिम डिस्क लगाई जा सकती है, जिससे रीढ़ की हड्डी की गतिशीलता बनी रहती है।

सर्जरी के बाद रिकवरी का समय अलग-अलग हो सकता है और इसमें भौतिक चिकित्सा और पुनर्वास शामिल हो सकता है।

निवारण (Prevention)

हालांकि सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस को पूरी तरह से रोकना संभव नहीं हो सकता है, खासकर उम्र बढ़ने के साथ, कुछ उपाय इसके विकास के जोखिम को कम कर सकते हैं और लक्षणों की गंभीरता को कम कर सकते हैं:

  1. सही मुद्रा बनाए रखें
  2. नियमित व्यायाम करें
  3. विराम लें (Take Breaks): यदि आपको लंबे समय तक बैठना पड़ता है, तो हर 30-45 मिनट में छोटे-छोटे ब्रेक लें और अपनी गर्दन और कंधों को स्ट्रेच करें।
  4. सही तकिए का उपयोग करें
  5. धूम्रपान छोड़ें (Quit Smoking): धूम्रपान डिस्क के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
  6. स्वस्थ वजन बनाए रखें (Maintain a Healthy Weight): मोटापा रीढ़ पर अनावश्यक दबाव डालता है।
  7. पानी पर्याप्त पिएं
  8. भारी वजन उठाते समय सावधानी (Care when Lifting Heavy Objects): अपनी पीठ और गर्दन पर अनावश्यक तनाव डालने से बचें।
  9. नियमित जांच करवाएं

निष्कर्ष

सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस एक सामान्य अपक्षयी स्थिति है जो गर्दन के दर्द और अन्य न्यूरोलॉजिकल लक्षणों का कारण बन सकती है। यह आमतौर पर उम्र बढ़ने के साथ जुड़ा हुआ है, लेकिन आधुनिक जीवनशैली कारक भी इसके विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। शुरुआती निदान और उचित उपचार लक्षणों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद कर सकते हैं।

गैर-सर्जिकल उपचार, विशेष रूप से भौतिक चिकित्सा और जीवनशैली में बदलाव, अधिकांश रोगियों के लिए प्रभावी होते हैं। हालांकि, गंभीर मामलों में या जब तंत्रिका संपीड़न होता है, तो सर्जरी एक आवश्यक विकल्प हो सकती है। निवारक उपाय अपनाना और अपनी गर्दन के स्वास्थ्य का ध्यान रखना इस स्थिति के जोखिम को कम करने में महत्वपूर्ण है। यदि आपको सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस के लक्षण अनुभव होते हैं, तो उचित निदान और उपचार योजना के लिए हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य पेशेवर से परामर्श करें।

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