नाखून के रोग
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नाखून के रोग

नाखून के रोग क्या है?

नाखून के रोग (Nail diseases) कई प्रकार के हो सकते हैं, जो नाखूनों की बनावट, रंग, मोटाई और वृद्धि को प्रभावित करते हैं। ये रोग संक्रमण, चोट, आनुवंशिकी या अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के कारण हो सकते हैं।

यहां नाखून के कुछ सामान्य रोग और स्थितियां दी गई हैं:

संक्रमण (Infections):

  • कवक संक्रमण (Onychomycosis): यह नाखूनों का सबसे आम संक्रमण है, जो कवक के कारण होता है। नाखून मोटे, भंगुर, पीले या सफेद हो सकते हैं।
  • जीवाणु संक्रमण (Paronychia): यह नाखून के आसपास की त्वचा का संक्रमण है, जो लालिमा, सूजन और दर्द का कारण बनता है। मवाद भी जमा हो सकता है।
  • वायरल संक्रमण (Herpetic Whitlow): यह उंगलियों या पैर की उंगलियों के नाखूनों के आसपास हरपीज सिम्प्लेक्स वायरस के कारण होने वाला संक्रमण है, जिससे दर्दनाक छाले पड़ते हैं।

चोट (Injury):

  • नाखून का उखड़ना (Avulsion): नाखून का आंशिक या पूर्ण रूप से त्वचा से अलग होना, आमतौर पर चोट के कारण।
  • सबंगुअल हेमाटोमा (Subungual Hematoma): नाखून के नीचे रक्त का जमाव, आमतौर पर चोट के कारण, जिससे काला या नीला निशान दिखाई देता है और दबाव महसूस होता है।
  • नाखून का मोटा होना (Onychauxis): बार-बार चोट लगने या कुछ चिकित्सीय स्थितियों के कारण नाखून का असामान्य रूप से मोटा होना।

अन्य रोग और स्थितियां:

  • अंतर्वर्धित नाखून (Ingrown Nail): नाखून का किनारा त्वचा में बढ़ना, जिससे दर्द, सूजन और संक्रमण हो सकता है। आमतौर पर पैर के अंगूठे में होता है।
  • नाखून का पीलापन (Yellow Nail Syndrome): यह एक दुर्लभ स्थिति है जिसमें नाखून मोटे, पीले रंग के हो जाते हैं और उनकी वृद्धि धीमी हो जाती है। यह अक्सर फेफड़ों की समस्याओं या लिम्फेटिक सिस्टम की समस्याओं से जुड़ा होता है।
  • नाखून का सफेद होना (Leukonychia): नाखूनों पर सफेद धब्बे या रेखाएं दिखाई देना। यह चोट, आनुवंशिकी या कुछ खनिजों की कमी के कारण हो सकता है।
  • नाखून का भंगुर होना (Onychorrhexis): नाखून आसानी से टूटना या छिलना। यह सूखापन, बार-बार पानी के संपर्क में आने या कुछ चिकित्सीय स्थितियों के कारण हो सकता है।
  • नाखून में गड्ढे पड़ना (Nail Pitting): नाखून की सतह पर छोटे-छोटे गड्ढे दिखाई देना। यह सोरायसिस, एक्जिमा या एलोपेसिया एरीटा जैसी स्थितियों से जुड़ा हो सकता है।
  • नाखून का चम्मच के आकार का होना (Koilonychia): नाखून का बीच से दब जाना और किनारे ऊपर की ओर मुड़ जाना, जिससे चम्मच जैसा आकार बनता है। यह आयरन की कमी (एनीमिया) से जुड़ा हो सकता है।
  • नाखून का क्लबिंग (Nail Clubbing): उंगलियों और पैर की उंगलियों के सिरे गोल और फूले हुए हो जाते हैं, और नाखून नीचे की ओर मुड़ जाते हैं। यह फेफड़ों या हृदय की समस्याओं से जुड़ा हो सकता है।
  • नाखून का बढ़ना बंद होना (Onycholysis): नाखून का बिस्तर से अलग होना, जिससे नाखून के नीचे सफेद या पीलापन दिखाई देता है। यह चोट, संक्रमण, थायरॉयड की समस्याओं या कुछ दवाओं के कारण हो सकता है।
  • टेरी के नाखून (Terry’s Nails): अधिकांश नाखून सफेद या हल्के रंग के दिखाई देते हैं, जिसमें सिरे पर एक संकीर्ण गुलाबी या भूरी पट्टी होती है। यह लीवर रोग, हृदय विफलता या मधुमेह से जुड़ा हो सकता है।
  • लिंडसे के नाखून (Lindsay’s Nails या Half-and-Half Nails): नाखून का आधा हिस्सा (आधार की ओर) सफेद और आधा हिस्सा (सिरे की ओर) गुलाबी या लाल-भूरा दिखाई देता है। यह गुर्दे की बीमारी से जुड़ा हो सकता है।
  • ब्यू की रेखाएं (Beau’s Lines): नाखूनों पर क्षैतिज रेखाएं दिखाई देना। यह बीमारी, चोट, तनाव या कीमोथेरेपी के कारण नाखून की वृद्धि में अस्थायी रुकावट के कारण हो सकता है।

नाखून के रोग के कारण क्या हैं?

नाखून के रोग (Nail diseases) कई प्रकार के हो सकते हैं, जो नाखूनों की बनावट, रंग, मोटाई और वृद्धि को प्रभावित करते हैं। ये रोग संक्रमण, चोट, आनुवंशिकी या अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के कारण हो सकते हैं।

यहां नाखून के कुछ सामान्य रोग और स्थितियां दी गई हैं:

संक्रमण (Infections):

  • कवक संक्रमण (Onychomycosis): यह नाखूनों का सबसे आम संक्रमण है, जो कवक के कारण होता है। नाखून मोटे, भंगुर, पीले या सफेद हो सकते हैं।
  • जीवाणु संक्रमण (Paronychia): यह नाखून के आसपास की त्वचा का संक्रमण है, जो लालिमा, सूजन और दर्द का कारण बनता है। मवाद भी जमा हो सकता है।
  • वायरल संक्रमण (Herpetic Whitlow): यह उंगलियों या पैर की उंगलियों के नाखूनों के आसपास हरपीज सिम्प्लेक्स वायरस के कारण होने वाला संक्रमण है, जिससे दर्दनाक छाले पड़ते हैं।

चोट (Injury):

  • नाखून का उखड़ना (Avulsion): नाखून का आंशिक या पूर्ण रूप से त्वचा से अलग होना, आमतौर पर चोट के कारण।
  • सबंगुअल हेमाटोमा (Subungual Hematoma): नाखून के नीचे रक्त का जमाव, आमतौर पर चोट के कारण, जिससे काला या नीला निशान दिखाई देता है और दबाव महसूस होता है।
  • नाखून का मोटा होना (Onychauxis): बार-बार चोट लगने या कुछ चिकित्सीय स्थितियों के कारण नाखून का असामान्य रूप से मोटा होना।

अन्य रोग और स्थितियां:

  • अंतर्वर्धित नाखून (Ingrown Nail): नाखून का किनारा त्वचा में बढ़ना, जिससे दर्द, सूजन और संक्रमण हो सकता है। आमतौर पर पैर के अंगूठे में होता है।
  • नाखून का पीलापन (Yellow Nail Syndrome): यह एक दुर्लभ स्थिति है जिसमें नाखून मोटे, पीले रंग के हो जाते हैं और उनकी वृद्धि धीमी हो जाती है। यह अक्सर फेफड़ों की समस्याओं या लिम्फेटिक सिस्टम की समस्याओं से जुड़ा होता है।
  • नाखून का सफेद होना (Leukonychia): नाखूनों पर सफेद धब्बे या रेखाएं दिखाई देना। यह चोट, आनुवंशिकी या कुछ खनिजों की कमी के कारण हो सकता है।
  • नाखून का भंगुर होना (Onychorrhexis): नाखून आसानी से टूटना या छिलना। यह सूखापन, बार-बार पानी के संपर्क में आने या कुछ चिकित्सीय स्थितियों के कारण हो सकता है।
  • नाखून में गड्ढे पड़ना (Nail Pitting): नाखून की सतह पर छोटे-छोटे गड्ढे दिखाई देना। यह सोरायसिस, एक्जिमा या एलोपेसिया एरीटा जैसी स्थितियों से जुड़ा हो सकता है।
  • नाखून का चम्मच के आकार का होना (Koilonychia): नाखून का बीच से दब जाना और किनारे ऊपर की ओर मुड़ जाना, जिससे चम्मच जैसा आकार बनता है। यह आयरन की कमी (एनीमिया) से जुड़ा हो सकता है।
  • नाखून का क्लबिंग (Nail Clubbing): उंगलियों और पैर की उंगलियों के सिरे गोल और फूले हुए हो जाते हैं, और नाखून नीचे की ओर मुड़ जाते हैं। यह फेफड़ों या हृदय की समस्याओं से जुड़ा हो सकता है।
  • नाखून का बढ़ना बंद होना (Onycholysis): नाखून का बिस्तर से अलग होना, जिससे नाखून के नीचे सफेद या पीलापन दिखाई देता है। यह चोट, संक्रमण, थायरॉयड की समस्याओं या कुछ दवाओं के कारण हो सकता है।
  • टेरी के नाखून (Terry’s Nails): अधिकांश नाखून सफेद या हल्के रंग के दिखाई देते हैं, जिसमें सिरे पर एक संकीर्ण गुलाबी या भूरी पट्टी होती है। यह लीवर रोग, हृदय विफलता या मधुमेह से जुड़ा हो सकता है।
  • लिंडसे के नाखून (Lindsay’s Nails या Half-and-Half Nails): नाखून का आधा हिस्सा (आधार की ओर) सफेद और आधा हिस्सा (सिरे की ओर) गुलाबी या लाल-भूरा दिखाई देता है। यह गुर्दे की बीमारी से जुड़ा हो सकता है।
  • ब्यू की रेखाएं (Beau’s Lines): नाखूनों पर क्षैतिज रेखाएं दिखाई देना। यह बीमारी, चोट, तनाव या कीमोथेरेपी के कारण नाखून की वृद्धि में अस्थायी रुकावट के कारण हो सकता है।

नाखून के रोग के संकेत और लक्षण क्या हैं?

नाखून के रोगों के संकेत और लक्षण नाखूनों की उपस्थिति में बदलाव के रूप में प्रकट होते हैं। ये परिवर्तन नाखून की बनावट, रंग, मोटाई, आकार और आसपास की त्वचा को प्रभावित कर सकते हैं। यहाँ कुछ सामान्य संकेत और लक्षण दिए गए हैं:

नाखून की बनावट में बदलाव:

  • मोटा होना: नाखून सामान्य से अधिक मोटे हो सकते हैं, खासकर कवक संक्रमण में।
  • पतला होना: नाखून असामान्य रूप से पतले और कमजोर हो सकते हैं, आसानी से टूट या मुड़ सकते हैं।
  • भंगुरता: नाखून आसानी से टूटना, छिलना या परतदार होना।
  • गड्ढे पड़ना (Pitting): नाखून की सतह पर छोटे-छोटे गड्ढे दिखाई देना।
  • रेखाएं:
    • ऊर्ध्वाधर रेखाएं (Longitudinal Ridges): नाखूनों पर ऊपर से नीचे की ओर रेखाएं दिखाई देना, जो उम्र बढ़ने के साथ आम हो सकता है लेकिन कुछ स्थितियों से भी जुड़ा हो सकता है।
    • क्षैतिज रेखाएं (Beau’s Lines): नाखूनों पर आड़ी रेखाएं दिखाई देना, जो बीमारी, चोट या तनाव के कारण हो सकता है।
  • नाखून का चम्मच के आकार का होना (Koilonychia): नाखून बीच से दब जाना और किनारे ऊपर की ओर मुड़ जाना।
  • नाखून का क्लबिंग (Nail Clubbing): उंगलियों और पैर की उंगलियों के सिरे गोल और फूले हुए हो जाते हैं, और नाखून नीचे की ओर मुड़ जाते हैं।

नाखून के रंग में बदलाव:

  • पीलापन: नाखून पीले रंग के हो सकते हैं, जो कवक संक्रमण या येलो नेल सिंड्रोम का संकेत हो सकता है।
  • सफेद धब्बे या रेखाएं (Leukonychia): नाखूनों पर सफेद निशान दिखाई देना।
  • काला या नीला रंग: आमतौर पर नाखून के नीचे रक्त जमा होने (सबंगुअल हेमाटोमा) के कारण होता है।
  • हरा रंग: जीवाणु संक्रमण (आमतौर पर स्यूडोमोनास) के कारण हो सकता है।
  • भूरा रंग: कुछ दवाओं या फंगल संक्रमण के कारण हो सकता है।
  • नाखून का अधिकांश भाग सफेद या हल्का रंग का होना, सिरे पर गुलाबी या भूरी पट्टी (Terry’s Nails)।
  • नाखून का आधा हिस्सा सफेद और आधा गुलाबी या लाल-भूरा होना (Lindsay’s Nails या Half-and-Half Nails)।

नाखून की मोटाई में बदलाव:

  • असामान्य रूप से मोटा होना (Onychauxis): चोट या कुछ चिकित्सीय स्थितियों के कारण।
  • पतला होना (Onycholysis के कारण): नाखून का बिस्तर से अलग होने पर पतला दिखाई दे सकता है।

नाखून के आकार में बदलाव:

  • चम्मच के आकार का होना (Koilonychia)।
  • क्लबिंग (Clubbing)।
  • नाखून का बढ़ना बंद होना (Onycholysis): नाखून का बिस्तर से अलग होना।

आसपास की त्वचा में लक्षण:

  • लालिमा: नाखून के आसपास की त्वचा लाल हो सकती है, खासकर संक्रमण (जैसे पैरोनिशिया) में।
  • सूजन: नाखून के आसपास सूजन आ सकती है।
  • दर्द: नाखून या आसपास की त्वचा में दर्द महसूस हो सकता है।
  • मवाद: जीवाणु संक्रमण में नाखून के आसपास मवाद जमा हो सकता है।
  • खुजली: कवक संक्रमण या एलर्जी के कारण नाखून के आसपास खुजली हो सकती है।
  • छाले: वायरल संक्रमण (हरपेटिक व्हिटलो) में नाखून के आसपास दर्दनाक छाले पड़ सकते हैं।

अन्य लक्षण:

  • नाखून का बिस्तर से अलग होना (Onycholysis): नाखून का त्वचा से अलग होना।
  • अंतर्वर्धित नाखून (Ingrown Nail): नाखून का किनारा त्वचा में बढ़ना, जिससे दर्द और सूजन होती है।
  • नाखून का उखड़ना (Avulsion): नाखून का आंशिक या पूर्ण रूप से त्वचा से अलग होना।

नाखून के रोग का खतरा किसे अधिक होता है?

नाखून के रोगों का खतरा विभिन्न कारकों के आधार पर अलग-अलग लोगों में अधिक हो सकता है। कुछ सामान्य कारक जो नाखून के रोगों के खतरे को बढ़ाते हैं, उनमें शामिल हैं:

संक्रमण के प्रति संवेदनशीलता:

  • कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली: एचआईवी/एड्स, मधुमेह, या इम्यूनोसप्रेसेंट दवाएं लेने वाले लोगों में फंगल और बैक्टीरियल नाखून संक्रमण का खतरा अधिक होता है।
  • खराब स्वच्छता: नियमित रूप से हाथ और पैर न धोना, नाखूनों को साफ न रखना संक्रमण के खतरे को बढ़ाता है।
  • सार्वजनिक स्थानों का उपयोग: सार्वजनिक स्विमिंग पूल, जिम के शॉवर और मैनीक्योर/पेडिक्योर सैलून जहां स्वच्छता का ध्यान न रखा जाता हो, फंगल संक्रमण के प्रसार का कारण बन सकते हैं।
  • नाखूनों में चोट: नाखूनों में बार-बार चोट लगना या नाखूनों का कटना संक्रमण के प्रवेश द्वार बन सकता है।

कुछ चिकित्सीय स्थितियां:

  • सोरायसिस: यह त्वचा की स्थिति अक्सर नाखूनों को भी प्रभावित करती है, जिससे नाखून में गड्ढे पड़ना, मोटा होना और रंग बदलना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
  • एक्जिमा (Atopic Dermatitis): एक्जिमा से पीड़ित लोगों में नाखूनों के आसपास की त्वचा में सूजन और सूखापन हो सकता है, जिससे नाखून प्रभावित हो सकते हैं।
  • लाइकेन प्लेनस: यह त्वचा और श्लेष्मा झिल्लियों को प्रभावित करने वाली स्थिति नाखूनों में बदलाव ला सकती है।
  • थायरॉयड रोग: थायरॉयड की समस्याएं नाखूनों की वृद्धि और बनावट को प्रभावित कर सकती हैं।
  • मधुमेह: मधुमेह वाले लोगों में फंगल और बैक्टीरियल नाखून संक्रमण का खतरा अधिक होता है और संक्रमण ठीक होने में अधिक समय लग सकता है।
  • संचार संबंधी समस्याएं: खराब रक्त परिसंचरण वाले लोगों में नाखून के रोग विकसित होने का खतरा अधिक हो सकता है।
  • आयरन की कमी (एनीमिया): यह कोइलॉनीचिया (चम्मच के आकार के नाखून) से जुड़ा हो सकता है।
  • गुर्दे की बीमारी: लिंडसे के नाखून (आधे-आधे नाखून) गुर्दे की बीमारी से जुड़े हो सकते हैं।
  • लीवर रोग: टेरी के नाखून लीवर रोग से जुड़े हो सकते हैं।

जीवनशैली और आदतें:

  • बार-बार पानी के संपर्क में आना: जो लोग अपने हाथों को बार-बार पानी में डालते हैं (जैसे कि सफाईकर्मी, तैराक), उनमें नाखून नरम हो सकते हैं और संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।
  • तंग जूते पहनना: तंग जूते पहनने से पैर के नाखूनों पर दबाव पड़ सकता है, जिससे अंतर्वर्धित नाखून और अन्य समस्याएं हो सकती हैं।
  • कृत्रिम नाखून और जेल पॉलिश का बार-बार उपयोग: ये नाखूनों को कमजोर कर सकते हैं और संक्रमण के विकास के लिए अनुकूल वातावरण बना सकते हैं।
  • नाखूनों को काटना या चबाना: यह नाखूनों और आसपास की त्वचा को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।

आयु और आनुवंशिकी:

  • बढ़ती उम्र: उम्र बढ़ने के साथ नाखून मोटे और भंगुर हो सकते हैं, जिससे फंगल संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
  • आनुवंशिकी: कुछ नाखून रोग आनुवंशिक रूप से चले आ सकते हैं।

नाखून के रोग से कौन सी बीमारियां जुड़ी हैं?

नाखून के रोग स्वयं में बीमारियां हैं, लेकिन वे कई अन्य अंतर्निहित चिकित्सीय स्थितियों से जुड़े हो सकते हैं या उनके लक्षण के रूप में प्रकट हो सकते हैं। नाखूनों में दिखने वाले बदलाव शरीर के अन्य हिस्सों में स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत दे सकते हैं। यहाँ कुछ बीमारियाँ दी गई हैं जो नाखून के रोगों से जुड़ी हो सकती हैं:

त्वचा संबंधी रोग:

  • सोरायसिस: नाखूनों में गड्ढे पड़ना, मोटा होना, रंग बदलना और नाखून का बिस्तर से अलग होना सोरायसिस के आम लक्षण हैं।
  • एक्जिमा (Atopic Dermatitis): नाखूनों के आसपास की त्वचा में सूजन और सूखापन नाखूनों को प्रभावित कर सकता है, जिससे वे मोटे, भंगुर या धारीदार हो सकते हैं।
  • लाइकेन प्लेनस: यह त्वचा और श्लेष्मा झिल्लियों को प्रभावित करने वाली स्थिति नाखूनों के पतले होने, रिज बनने, और नाखून का बिस्तर से अलग होने का कारण बन सकती है।
  • एलोपेसिया एरीटा: इस ऑटोइम्यून बीमारी में बालों के झड़ने के साथ-साथ नाखूनों में छोटे-छोटे गड्ढे भी पड़ सकते हैं।

प्रणालीगत रोग (Systemic Diseases):

  • थायरॉयड रोग (हाइपोथायरायडिज्म और हाइपरथायरायडिज्म): थायरॉयड की समस्याएं नाखूनों की वृद्धि, मोटाई और भंगुरता को प्रभावित कर सकती हैं। हाइपोथायरायडिज्म से नाखून मोटे और धीरे बढ़ने वाले हो सकते हैं, जबकि हाइपरथायरायडिज्म से नाखून पतले और तेजी से बढ़ने वाले हो सकते हैं।
  • मधुमेह (Diabetes Mellitus): मधुमेह वाले लोगों में फंगल और बैक्टीरियल नाखून संक्रमण का खतरा अधिक होता है और संक्रमण ठीक होने में अधिक समय लग सकता है। नाखूनों में पीलापन भी देखा जा सकता है।
  • संचार संबंधी रोग (Peripheral Vascular Disease): खराब रक्त परिसंचरण नाखूनों की वृद्धि को धीमा कर सकता है और उन्हें मोटा या भंगुर बना सकता है। नाखूनों का रंग भी बदल सकता है।
  • गुर्दे की बीमारी (Kidney Disease): लिंडसे के नाखून (नाखून का आधा हिस्सा सफेद और आधा गुलाबी या लाल-भूरा) गुर्दे की बीमारी से जुड़े हो सकते हैं।
  • लीवर रोग (Liver Disease): टेरी के नाखून (अधिकांश नाखून सफेद या हल्के रंग के, सिरे पर गुलाबी या भूरी पट्टी) लीवर रोग से जुड़े हो सकते हैं। नाखूनों का पीलापन भी लीवर की समस्याओं का संकेत हो सकता है।
  • हृदय रोग (Heart Disease): नाखून का क्लबिंग (उंगलियों और नाखूनों का गोल और फूला हुआ होना) कुछ हृदय रोगों से जुड़ा हो सकता है।
  • फेफड़ों के रोग (Lung Disease): नाखून का क्लबिंग फेफड़ों के कैंसर, सिस्टिक फाइब्रोसिस और अन्य फेफड़ों की बीमारियों से जुड़ा हो सकता है। येलो नेल सिंड्रोम भी फेफड़ों की समस्याओं से जुड़ा हो सकता है।
  • आयरन की कमी (Iron Deficiency Anemia): कोइलॉनीचिया (चम्मच के आकार के नाखून) आयरन की कमी का एक क्लासिक संकेत है।
  • विटामिन और खनिज की कमी: कुछ विटामिन (जैसे बायोटिन) और खनिजों (जैसे जिंक) की कमी नाखूनों की सेहत को प्रभावित कर सकती है, जिससे वे भंगुर या कमजोर हो सकते हैं।

संक्रामक रोग:

  • कवक संक्रमण (Onychomycosis): यह स्वयं एक रोग है, लेकिन कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों में यह अधिक गंभीर हो सकता है।
  • जीवाणु संक्रमण (Paronychia): यह नाखून के आसपास की त्वचा का संक्रमण है और कभी-कभी शरीर के अन्य हिस्सों में संक्रमण का कारण बन सकता है यदि इलाज न किया जाए।
  • वायरल संक्रमण (Herpetic Whitlow): यह एक विशिष्ट वायरल संक्रमण है जो नाखूनों को प्रभावित करता है।

आनुवंशिक स्थितियां:

  • कुछ आनुवंशिक स्थितियां नाखूनों की बनावट और वृद्धि को प्रभावित कर सकती हैं।

नाखून के रोग का निदान कैसे करें?

नाखून के रोगों का निदान आमतौर पर एक त्वचा विशेषज्ञ (डर्मेटोलॉजिस्ट) द्वारा किया जाता है। निदान प्रक्रिया में कई चरण शामिल हो सकते हैं:

1. चिकित्सा इतिहास और शारीरिक परीक्षा:

  • चिकित्सा इतिहास: डॉक्टर आपसे आपके नाखूनों में दिखने वाले बदलावों के बारे में विस्तार से पूछेंगे, जिसमें शामिल हैं:
    • लक्षण कब शुरू हुए?
    • लक्षण कैसे विकसित हुए?
    • क्या आपको कोई दर्द, खुजली या अन्य असुविधा महसूस हो रही है?
    • क्या आपके परिवार में किसी को नाखून की समस्या है?
    • क्या आपको कोई अन्य ज्ञात चिकित्सीय स्थितियां हैं (जैसे सोरायसिस, मधुमेह, थायरॉयड रोग)?
    • आप कौन सी दवाएं ले रहे हैं?
    • आपकी जीवनशैली और आदतें क्या हैं (जैसे बार-बार पानी के संपर्क में आना, कृत्रिम नाखूनों का उपयोग)?
  • शारीरिक परीक्षा: डॉक्टर आपके नाखूनों और आसपास की त्वचा की ध्यान से जांच करेंगे। वे नाखूनों का रंग, बनावट, मोटाई, आकार और नाखून के बिस्तर से जुड़ाव देखेंगे। वे उंगलियों और पैर की उंगलियों की भी जांच कर सकते हैं।

2. नाखून की खुरचन और बायोप्सी:

  • नाखून की खुरचन (Nail Scraping): यदि कवक संक्रमण का संदेह होता है, तो डॉक्टर नाखून की सतह या नाखून के नीचे से थोड़ी मात्रा में सामग्री खुरच कर निकाल सकते हैं। इस नमूने को माइक्रोस्कोप के तहत जांचा जाता है या कवक की पहचान के लिए कल्चर किया जाता है।
  • नाखून की बायोप्सी (Nail Biopsy): कुछ मामलों में, विशेष रूप से जब निदान अनिश्चित हो या किसी गंभीर अंतर्निहित स्थिति का संदेह हो, तो नाखून या नाखून के बिस्तर से एक छोटा सा ऊतक नमूना शल्य चिकित्सा द्वारा निकाला जा सकता है। इस नमूने को माइक्रोस्कोप के तहत जांचा जाता है ताकि विशिष्ट नाखून रोग की पहचान की जा सके।

3. अन्य प्रयोगशाला परीक्षण:

  • रक्त परीक्षण: कुछ मामलों में, अंतर्निहित चिकित्सीय स्थितियों की जांच के लिए रक्त परीक्षण किए जा सकते हैं जो नाखून के रोगों से जुड़ी हो सकती हैं (जैसे थायरॉयड फंक्शन टेस्ट, आयरन स्तर, रक्त शर्करा स्तर)।
  • एलर्जी परीक्षण: यदि एलर्जी के कारण नाखून की समस्याएं होने का संदेह होता है, तो एलर्जी परीक्षण किया जा सकता है।

4. इमेजिंग परीक्षण (दुर्लभ):

  • कुछ दुर्लभ मामलों में, यदि नाखून के नीचे कोई असामान्य वृद्धि या संरचनात्मक समस्या का संदेह होता है, तो एक्स-रे या अन्य इमेजिंग परीक्षण किए जा सकते हैं।

निदान प्रक्रिया में लगने वाला समय:

निदान प्रक्रिया में लगने वाला समय नाखून की समस्या के प्रकार और जटिलता पर निर्भर करता है। कुछ मामलों में, शारीरिक परीक्षा के आधार पर तुरंत निदान किया जा सकता है। अन्य मामलों में, प्रयोगशाला परीक्षणों के परिणाम आने में कुछ दिन या सप्ताह लग सकते हैं।

महत्वपूर्ण बातें:

  • स्व-निदान से बचें और हमेशा सटीक निदान के लिए त्वचा विशेषज्ञ से सलाह लें।
  • डॉक्टर को अपनी सभी चिकित्सा इतिहास और लक्षणों के बारे में विस्तार से बताएं।
  • डॉक्टर द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करें और सभी आवश्यक परीक्षण करवाएं।

एक सटीक निदान उचित उपचार योजना बनाने और नाखून के रोगों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए महत्वपूर्ण है।

नाखून के रोग का इलाज क्या है?

नाखून के रोगों का इलाज रोग के प्रकार, उसकी गंभीरता और अंतर्निहित कारण पर निर्भर करता है। यहाँ कुछ सामान्य उपचार विधियाँ दी गई हैं:

संक्रमण का इलाज:

  • कवक संक्रमण (Onychomycosis):
    • सामयिक एंटीफंगल दवाएं: हल्के संक्रमण के लिए एंटीफंगल क्रीम, लोशन या पेंट का उपयोग किया जा सकता है। इन्हें नाखूनों और आसपास की त्वचा पर लगाया जाता है।
    • मौखिक एंटीफंगल दवाएं: अधिक गंभीर या व्यापक संक्रमण के लिए डॉक्टर मौखिक एंटीफंगल दवाएं (जैसे टेरबिनाफाइन, इट्राकोनाजोल, फ्लुकोनाजोल) लिख सकते हैं। इन दवाओं को कई हफ्तों या महीनों तक लेना पड़ सकता है।
    • नाखून काटना या फाइल करना: संक्रमित नाखून की ऊपरी परत को नियमित रूप से काटना या फाइल करना दवाइयों को बेहतर ढंग से प्रवेश करने में मदद कर सकता है।
    • लेजर थेरेपी: कुछ प्रकार के फंगल नाखून संक्रमण के इलाज के लिए लेजर थेरेपी का उपयोग किया जा सकता है।
  • जीवाणु संक्रमण (Paronychia):
    • गर्म पानी में भिगोना: हल्के संक्रमण में दिन में कई बार गर्म पानी में उंगली या पैर की उंगली को भिगोना मदद कर सकता है।
    • सामयिक एंटीबायोटिक क्रीम: यदि संक्रमण हल्का है, तो डॉक्टर सामयिक एंटीबायोटिक क्रीम लिख सकते हैं।
    • मौखिक एंटीबायोटिक दवाएं: अधिक गंभीर संक्रमण के लिए मौखिक एंटीबायोटिक दवाओं की आवश्यकता हो सकती है।
    • चीरा और निकासी: यदि मवाद जमा हो गया है, तो डॉक्टर उसे निकालने के लिए एक छोटा सा चीरा लगा सकते हैं।
  • वायरल संक्रमण (Herpetic Whitlow):
    • एंटीवायरल दवाएं: मौखिक या सामयिक एंटीवायरल दवाएं (जैसे एसाइक्लोविर) वायरस के प्रसार को कम करने और लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती हैं।

चोट का इलाज:

  • नाखून का उखड़ना (Avulsion): छोटे उखड़े हुए हिस्से को साफ रखा जाता है और नए नाखून के बढ़ने का इंतजार किया जाता है। पूरी तरह से उखड़े हुए नाखून के मामले में, डॉक्टर सलाह दे सकते हैं कि नाखून के बिस्तर को सुरक्षित रखने के लिए कुछ समय के लिए पट्टी बांधी जाए।
  • सबंगुअल हेमाटोमा (Subungual Hematoma): यदि दर्द बहुत अधिक है, तो डॉक्टर नाखून में एक छोटा सा छेद करके रक्त को निकाल सकते हैं, जिससे दबाव कम हो जाता है।
  • नाखून का मोटा होना (Onychauxis): प्रभावित नाखून को नियमित रूप से फाइल करना या विशेष उपकरणों से पतला करना मदद कर सकता है। अंतर्निहित कारण का इलाज करना भी महत्वपूर्ण है।

अन्य रोगों और स्थितियों का इलाज:

  • अंतर्वर्धित नाखून (Ingrown Nail):
    • घरेलू देखभाल: गर्म पानी में भिगोना, नाखून के नीचे साफ कपास का छोटा टुकड़ा रखना ताकि वह त्वचा से ऊपर उठे।
    • चिकित्सा उपचार: गंभीर मामलों में, डॉक्टर नाखून के किनारे के उस हिस्से को हटा सकते हैं जो त्वचा में बढ़ रहा है।
  • नाखून का पीलापन (Yellow Nail Syndrome): इस स्थिति का कोई विशिष्ट इलाज नहीं है, लेकिन अंतर्निहित फेफड़ों या लिम्फेटिक समस्याओं का इलाज लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है।
  • नाखून का सफेद होना (Leukonychia): यदि कारण मामूली है (जैसे चोट), तो कोई विशेष उपचार की आवश्यकता नहीं होती है। यदि यह किसी अंतर्निहित स्थिति के कारण है, तो उस स्थिति का इलाज करना महत्वपूर्ण है।
  • नाखून का भंगुर होना (Onychorrhexis): नाखूनों को मॉइस्चराइज रखना, बार-बार पानी के संपर्क से बचना और कठोर रसायनों से बचाव करना मदद कर सकता है। बायोटिन सप्लीमेंट कुछ लोगों के लिए फायदेमंद हो सकता है।
  • नाखून में गड्ढे पड़ना (Nail Pitting): इसका इलाज अंतर्निहित स्थिति (जैसे सोरायसिस) के प्रबंधन पर केंद्रित होता है। सामयिक या मौखिक दवाएं निर्धारित की जा सकती हैं।
  • नाखून का चम्मच के आकार का होना (Koilonychia): आयरन की कमी का इलाज करना (आयरन सप्लीमेंट लेना) आमतौर पर नाखून को सामान्य करने में मदद करता है।
  • नाखून का क्लबिंग (Nail Clubbing): यह अक्सर अंतर्निहित हृदय या फेफड़ों की बीमारी का संकेत होता है। उस बीमारी का इलाज करना महत्वपूर्ण है।
  • नाखून का बढ़ना बंद होना (Onycholysis): कारण की पहचान करना और उसका इलाज करना महत्वपूर्ण है। नाखूनों को छोटा रखना और उन्हें चोट से बचाना मदद कर सकता है।
  • टेरी के नाखून और लिंडसे के नाखून: ये अंतर्निहित चिकित्सीय स्थितियों के संकेत हैं, और उन स्थितियों का प्रबंधन करना महत्वपूर्ण है।
  • ब्यू की रेखाएं (Beau’s Lines): आमतौर पर नाखून के बढ़ने के साथ ये रेखाएं अपने आप गायब हो जाती हैं। अंतर्निहित कारण का इलाज करना महत्वपूर्ण है।

सामान्य देखभाल के सुझाव:

  • अपने नाखूनों को साफ और सूखा रखें।
  • नाखूनों को सीधा काटें और किनारों को थोड़ा गोल करें।
  • नाखूनों को बहुत छोटा न काटें।
  • कठोर रसायनों के संपर्क से बचें।
  • नाखूनों को चबाने या आसपास की त्वचा को कुरेदने से बचें।
  • मैनीक्योर और पेडीक्योर करवाते समय स्वच्छ उपकरणों का उपयोग सुनिश्चित करें।

नाखून के रोग का घरेलू इलाज क्या है?

नाखून के रोगों के लिए कुछ घरेलू उपचार लक्षणों को कम करने या मामूली समस्याओं को प्रबंधित करने में मदद कर सकते हैं, लेकिन यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि गंभीर या लगातार नाखून रोगों के लिए पेशेवर चिकित्सा सलाह और उपचार आवश्यक है। घरेलू उपचार चिकित्सा उपचार का विकल्प नहीं हैं, खासकर यदि संक्रमण या अंतर्निहित चिकित्सीय स्थिति का संदेह हो।

यहाँ कुछ सामान्य घरेलू उपचार दिए गए हैं:

सामान्य देखभाल और स्वच्छता:

  • नाखूनों को साफ और सूखा रखें: यह संक्रमण को रोकने और फैलने से रोकने के लिए महत्वपूर्ण है।
  • नाखूनों को छोटा रखें: लंबे नाखूनों में गंदगी और कीटाणु जमा होने की संभावना अधिक होती है।
  • नाखूनों को सीधा काटें: अंतर्वर्धित नाखूनों को रोकने के लिए नाखूनों को सीधा काटें और किनारों को थोड़ा गोल करें।
  • तंग जूते से बचें: तंग जूते पैरों के नाखूनों पर दबाव डाल सकते हैं और समस्याओं का कारण बन सकते हैं।
  • सांस लेने योग्य मोजे पहनें: यह पैरों को सूखा रखने में मदद करता है, जिससे फंगल संक्रमण का खतरा कम होता है।

विशिष्ट समस्याओं के लिए संभावित घरेलू उपचार:

  • कवक संक्रमण (हल्के मामले):
    • टी ट्री ऑयल: इसमें एंटीफंगल गुण होते हैं। इसे प्रभावित नाखूनों पर दिन में दो बार लगाया जा सकता है।
    • सफेद सिरका: इसमें एंटीफंगल गुण होते हैं। नाखूनों को दिन में 15-20 मिनट के लिए पानी और सफेद सिरके के मिश्रण में भिगोया जा सकता है (1 भाग सिरका, 2 भाग पानी)।
    • बेकिंग सोडा: कुछ लोगों को बेकिंग सोडा के पेस्ट को लगाने या पानी में मिलाकर भिगोने से राहत मिलती है।
    • लहसुन का तेल: इसमें एंटीफंगल गुण होते हैं। इसे प्रभावित नाखूनों पर लगाया जा सकता है।
  • जीवाणु संक्रमण (हल्के पैरोनिशिया):
    • गर्म पानी में भिगोना: दिन में कई बार 10-15 मिनट के लिए गर्म पानी में उंगली या पैर की उंगली को भिगोना सूजन और दर्द को कम करने में मदद कर सकता है।
  • नाखून का भंगुर होना:
    • मॉइस्चराइजिंग: नाखूनों और आसपास की त्वचा पर पेट्रोलियम जेली या नारियल का तेल जैसे मॉइस्चराइजर लगाएं।
    • जैतून का तेल: नाखूनों में जैतून के तेल की मालिश करने से उन्हें पोषण मिल सकता है।
  • अंतर्वर्धित नाखून (हल्के मामले):
    • गर्म पानी में भिगोना: दिन में कई बार गर्म पानी में पैर को भिगोएं।
    • नाखून के नीचे कपास रखना: नहाने के बाद, नाखून के किनारे के नीचे साफ कपास का एक छोटा टुकड़ा धीरे से रखें ताकि वह त्वचा से ऊपर उठे। यह नाखून को त्वचा में और बढ़ने से रोकने में मदद कर सकता है।
  • नाखून में चोट:
    • बर्फ लगाना: चोट लगने के तुरंत बाद बर्फ लगाने से सूजन और दर्द कम हो सकता है।

सावधानियां:

  • यदि आपके लक्षण गंभीर हैं, फैल रहे हैं, या सुधार नहीं हो रहे हैं, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें।
  • यदि आपको मधुमेह या कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली है, तो किसी भी घरेलू उपचार को आजमाने से पहले डॉक्टर से सलाह लें, खासकर संक्रमण के लिए।
  • घरेलू उपचार फंगल नाखून संक्रमण जैसे जिद्दी संक्रमणों को पूरी तरह से ठीक करने में प्रभावी नहीं हो सकते हैं।
  • एलर्जी की प्रतिक्रियाओं पर ध्यान दें। यदि आपको किसी घरेलू उपचार से जलन या अन्य प्रतिक्रिया होती है, तो उसका उपयोग बंद कर दें।

नाखून के रोग में क्या खाएं और क्या न खाएं?

नाखून के रोगों के इलाज में सीधे तौर पर कोई विशिष्ट आहार नहीं है जो बीमारियों को ठीक कर सके। हालांकि, स्वस्थ आहार खाना नाखूनों के स्वास्थ्य और विकास के लिए महत्वपूर्ण है और कुछ पोषक तत्वों की कमी को दूर करने में मदद कर सकता है जो नाखून की समस्याओं से जुड़े हो सकते हैं।

क्या खाएं (नाखूनों के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण पोषक तत्व):

  • प्रोटीन: नाखून केराटिन नामक प्रोटीन से बने होते हैं। पर्याप्त प्रोटीन का सेवन मजबूत और स्वस्थ नाखूनों के विकास के लिए आवश्यक है।
    • स्रोत: मांस, मछली, अंडे, डेयरी उत्पाद, फलियां, टोफू, नट्स और बीज।
  • बायोटिन (विटामिन बी7): यह विटामिन केराटिन उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है और भंगुर नाखूनों को मजबूत करने में मदद कर सकता है।
    • स्रोत: अंडे की जर्दी, नट्स (जैसे बादाम, मूंगफली), बीज (जैसे सूरजमुखी के बीज), शकरकंद, प्याज, ओट्स।
  • आयरन: आयरन की कमी से कोइलॉनीचिया (चम्मच के आकार के नाखून) और नाखूनों का पतलापन हो सकता है।
    • स्रोत: लाल मांस, मुर्गी, मछली, हरी पत्तेदार सब्जियां (पालक), फलियां, सूखे मेवे, फोर्टिफाइड अनाज।
  • जिंक: जिंक स्वस्थ नाखून विकास और मरम्मत के लिए आवश्यक है। जिंक की कमी से नाखूनों पर सफेद धब्बे, धीमी वृद्धि और भंगुरता हो सकती है।
    • स्रोत: मांस, मुर्गी, समुद्री भोजन, कद्दू के बीज, सूरजमुखी के बीज, फलियां, नट्स।
  • विटामिन सी: यह कोलेजन उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है, जो नाखूनों के स्वास्थ्य के लिए भी जरूरी है। यह एंटीऑक्सीडेंट के रूप में भी काम करता है।
    • स्रोत: खट्टे फल (संतरा, नींबू, अंगूर), बेरीज, शिमला मिर्च, ब्रोकोली, टमाटर।
  • विटामिन ई: यह एक एंटीऑक्सीडेंट है जो नाखूनों को क्षति से बचाने में मदद कर सकता है।
    • स्रोत: नट्स (जैसे बादाम), बीज (जैसे सूरजमुखी के बीज), वनस्पति तेल (जैसे सूरजमुखी का तेल), हरी पत्तेदार सब्जियां।
  • ओमेगा-3 फैटी एसिड: ये स्वस्थ वसा नाखूनों को मॉइस्चराइज रखने और सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं।
    • स्रोत: वसायुक्त मछली (जैसे सैल्मन, मैकेरल), अलसी के बीज, चिया सीड्स, अखरोट।
  • पानी: हाइड्रेटेड रहना नाखूनों को स्वस्थ और मजबूत रखने के लिए महत्वपूर्ण है। पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं।

क्या न खाएं (जो नाखूनों के स्वास्थ्य को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है):

  • अत्यधिक प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ: इनमें अक्सर पोषक तत्वों की कमी होती है और ये समग्र स्वास्थ्य को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकते हैं, जिससे नाखूनों का स्वास्थ्य भी प्रभावित हो सकता है।
  • अत्यधिक चीनी: अत्यधिक चीनी का सेवन सूजन को बढ़ा सकता है, जो नाखूनों के स्वास्थ्य पर अप्रत्यक्ष रूप से नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
  • एलर्जी वाले खाद्य पदार्थ: यदि आपको किसी खाद्य पदार्थ से एलर्जी है, तो उसका सेवन करने से बचें, क्योंकि एलर्जी की प्रतिक्रियाएं त्वचा और नाखूनों को प्रभावित कर सकती हैं।
  • अत्यधिक शराब: शराब शरीर को डिहाइड्रेट कर सकती है और पोषक तत्वों के अवशोषण में बाधा डाल सकती है, जिससे नाखूनों का स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है।

विशिष्ट रोगों के लिए आहार संबंधी विचार:

  • कवक संक्रमण: हालांकि कोई विशिष्ट आहार कवक संक्रमण को ठीक नहीं करता है, एक स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रणाली संक्रमण से लड़ने में मदद कर सकती है। चीनी और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का सेवन कम करना फंगल विकास को कम करने में मदद कर सकता है।
  • सोरायसिस: सूजन-रोधी आहार, जिसमें फल, सब्जियां, ओमेगा-3 फैटी एसिड और एंटीऑक्सीडेंट शामिल हों, सोरायसिस के लक्षणों को प्रबंधित करने में मदद कर सकता है, जिसमें नाखून सोरायसिस भी शामिल है।

महत्वपूर्ण बातें:

  • कोई विशिष्ट “नाखून रोग आहार” नहीं है। स्वस्थ और संतुलित आहार समग्र स्वास्थ्य और नाखूनों के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है।
  • यदि आपको किसी विशिष्ट पोषक तत्व की कमी का संदेह है, तो रक्त परीक्षण के माध्यम से इसकी पुष्टि के लिए डॉक्टर से सलाह लें और आवश्यकतानुसार सप्लीमेंट लें।
  • यदि आपको नाखून में कोई गंभीर या लगातार समस्या है, तो सटीक निदान और उचित उपचार के लिए त्वचा विशेषज्ञ से सलाह लें। आहार अकेले नाखून रोगों का इलाज नहीं कर सकता है।

नाखून के रोग के जोखिम को कैसे कम करें?

नाखून के रोगों के जोखिम को कम करने के लिए आप कई प्रभावी कदम उठा सकते हैं, जिनमें अच्छी स्वच्छता, उचित नाखून देखभाल और कुछ आदतों से बचना शामिल है। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण उपाय दिए गए हैं:

अच्छी स्वच्छता बनाए रखें:

  • नियमित रूप से हाथ और पैर धोएं: दिन में कई बार, खासकर भोजन से पहले और बाद में, और सार्वजनिक स्थानों से आने के बाद अपने हाथों और पैरों को साबुन और पानी से अच्छी तरह धोएं।
  • नाखूनों को साफ रखें: नाखूनों के नीचे की गंदगी को साफ करने के लिए नेल ब्रश का उपयोग करें।
  • अपने निजी देखभाल की वस्तुओं को साझा न करें: नेल कटर, फाइलें, तौलिए और जूते जैसी व्यक्तिगत वस्तुओं को दूसरों के साथ साझा करने से बचें ताकि संक्रमण फैलने का खतरा कम हो सके।
  • सार्वजनिक स्थानों पर सावधानी बरतें: सार्वजनिक स्विमिंग पूल, जिम के शॉवर और लॉकर रूम में चप्पल या सैंडल पहनें ताकि फंगल संक्रमण से बचाव हो सके।

उचित नाखून देखभाल करें:

  • नाखूनों को सीधा काटें: अंतर्वर्धित नाखूनों को रोकने के लिए नाखूनों को सीधा काटें और किनारों को थोड़ा गोल करें।
  • नाखूनों को बहुत छोटा न काटें: यह आसपास की त्वचा को नुकसान पहुंचा सकता है और संक्रमण का खतरा बढ़ा सकता है।
  • नाखूनों को मॉइस्चराइज करें: नाखूनों और आसपास की त्वचा को सूखापन से बचाने के लिए नियमित रूप से मॉइस्चराइजर लगाएं, खासकर धोने के बाद।
  • क्यूटिकल्स को न काटें या धकेलें: क्यूटिकल्स नाखूनों को संक्रमण से बचाने में मदद करते हैं। उन्हें काटने या बहुत अधिक धकेलने से संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।
  • सौम्य नाखून देखभाल उत्पादों का उपयोग करें: कठोर रसायनों वाले नेल पॉलिश रिमूवर और अन्य उत्पादों का उपयोग करने से बचें, क्योंकि ये नाखूनों को कमजोर कर सकते हैं।
  • नाखूनों को सांस लेने दें: यदि आप नियमित रूप से नेल पॉलिश या कृत्रिम नाखूनों का उपयोग करते हैं, तो बीच-बीच में नाखूनों को सांस लेने का समय दें।
  • मैनीक्योर और पेडीक्योर के लिए प्रतिष्ठित सैलून चुनें: सुनिश्चित करें कि सैलून स्वच्छ उपकरणों का उपयोग करते हैं और स्वच्छता के उच्च मानकों का पालन करते हैं। अपने खुद के उपकरण ले जाना भी एक अच्छा विचार हो सकता है।

कुछ आदतों से बचें:

  • नाखून चबाना (Onychophagia): यह नाखूनों और आसपास की त्वचा को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
  • नाखूनों के आसपास की त्वचा को कुरेदना या काटना: इससे भी संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।
  • तंग और गैर-हवादार जूते पहनना: यह पैरों में नमी बनाए रख सकता है, जिससे फंगल संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। सांस लेने योग्य जूते और मोजे पहनें।
  • लंबे समय तक पानी के संपर्क में रहना: यदि आपके हाथ लंबे समय तक पानी में रहते हैं, तो दस्ताने पहनें।

स्वास्थ्य और जीवनशैली:

  • स्वस्थ आहार लें: पर्याप्त प्रोटीन, बायोटिन, आयरन, जिंक और अन्य आवश्यक पोषक तत्वों का सेवन स्वस्थ नाखून विकास के लिए महत्वपूर्ण है।
  • हाइड्रेटेड रहें: पर्याप्त मात्रा में पानी पीना नाखूनों को स्वस्थ रखने में मदद करता है।
  • अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत रखें: एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं, जिसमें पर्याप्त नींद, नियमित व्यायाम और तनाव प्रबंधन शामिल हो। एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली संक्रमण से लड़ने में मदद करती है।
  • अपनी अंतर्निहित चिकित्सीय स्थितियों को प्रबंधित करें: यदि आपको मधुमेह, सोरायसिस या थायरॉयड जैसी कोई चिकित्सीय स्थिति है, तो उसका उचित प्रबंधन नाखूनों के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करेगा।

सारांश

नाखून के रोग नाखूनों की बनावट, रंग, मोटाई या वृद्धि में बदलाव लाते हैं, जो संक्रमण, चोट, आनुवंशिकी या अन्य बीमारियों से जुड़े हो सकते हैं। सामान्य लक्षणों में मोटापन, पतलापन, भंगुरता, रंग बदलना, गड्ढे पड़ना या रेखाएं शामिल हैं। जोखिम कारकों में कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली, खराब स्वच्छता, कुछ चिकित्सीय स्थितियां और कुछ आदतें शामिल हैं।

निदान शारीरिक परीक्षा और नाखून की खुरचन या बायोप्सी से किया जाता है। इलाज रोग के प्रकार पर निर्भर करता है और इसमें सामयिक या मौखिक दवाएं, सर्जरी या घरेलू देखभाल शामिल हो सकती है। जोखिम कम करने के लिए अच्छी स्वच्छता, उचित नाखून देखभाल और स्वस्थ जीवनशैली महत्वपूर्ण हैं।

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