कंधे की हड्डी का खिसकना

कंधे की हड्डी का खिसकना

कंधे की हड्डी का खिसकना क्या है?

कंधे की हड्डी का खिसकना, जिसे कंधे का उतरना या कंधे का खिसकना भी कहा जाता है, तब होता है जब आपकी ऊपरी बांह की हड्डी (ह्यूमरस) आपके कंधे के ब्लेड (स्कैपुला) के सॉकेट (ग्लेनॉइड) से बाहर निकल जाती है। यह एक दर्दनाक चोट है जो आमतौर पर अचानक झटके या घूमने वाली गति के कारण होती है।

सरल शब्दों में कहें तो, आपका कंधा एक बॉल-एंड-सॉकेट जोड़ है। ऊपरी बांह की हड्डी का गोल सिरा (बॉल) कंधे के ब्लेड में एक उथले सॉकेट में फिट बैठता है। जब कंधा खिसकता है, तो यह “बॉल” इस “सॉकेट” से बाहर निकल जाती है।

कंधे के खिसकने के तीन मुख्य प्रकार हैं, जो इस बात पर निर्भर करते हैं कि ह्यूमरस का सिरा सॉकेट से किस दिशा में निकलता है:

  • एंटीरियर डिसलोकेशन (Anterior Dislocation): यह सबसे आम प्रकार है, जिसमें ह्यूमरस का सिरा आगे की ओर खिसकता है। यह अक्सर तब होता है जब बांह बाहर की ओर मुड़ी हुई होती है और उस पर बल लगता है, जैसे कि किसी चीज पर गिरने पर।
  • पोस्टीरियर डिसलोकेशन (Posterior Dislocation): इस प्रकार में ह्यूमरस का सिरा पीछे की ओर खिसकता है। यह बिजली के झटके, दौरे या सीधे कंधे पर लगने वाले बल के कारण हो सकता है। यह कम आम है।
  • इंफीरियर डिसलोकेशन (Inferior Dislocation): यह सबसे दुर्लभ प्रकार है, जिसमें ह्यूमरस का सिरा नीचे की ओर खिसकता है। इसके लिए आमतौर पर हाथ को ऊपर की ओर खींचने जैसे गंभीर बल की आवश्यकता होती है।

कंधे की हड्डी के खिसकना का कारण क्या हैं?

कंधे की हड्डी का खिसकना (कंधे का उतरना) आमतौर पर निम्नलिखित कारणों से होता है:

  • खेलों की चोटें (Sports injuries): कॉन्टैक्ट स्पोर्ट्स जैसे फुटबॉल, हॉकी और रग्बी में कंधे का खिसकना आम है। इसके अलावा, ऐसे खेल जिनमें गिरने की संभावना होती है, जैसे डाउनहिल स्कीइंग, जिम्नास्टिक और वॉलीबॉल में भी यह हो सकता है।
  • दुर्घटनाएं (Accidents): मोटर वाहन दुर्घटनाओं में कंधे पर लगने वाला सीधा झटका कंधे को खिसका सकता है।
  • गिरना (Falls): सीढ़ी से गिरने या फिसलने जैसे असामान्य तरीके से गिरने पर कंधे पर दबाव पड़ने से वह खिसक सकता है।
  • दौरे और बिजली के झटके (Seizures and electric shocks): ये मांसपेशियों में अचानक और शक्तिशाली संकुचन पैदा कर सकते हैं, जिससे बांह अपनी जगह से हट सकती है और कंधा खिसक सकता है।
  • अत्यधिक घुमाव (Extreme rotation): कंधे के जोड़ का अत्यधिक घुमाव ऊपरी बांह की हड्डी के सिरे को सॉकेट से बाहर निकाल सकता है।
  • जन्मजात ढीलापन (Congenital laxity): कुछ लोगों में जन्म से ही कंधे के लिगामेंट्स ढीले होते हैं, जिससे उन्हें कंधे के खिसकने का खतरा अधिक होता है।
  • पिछली खिसकन (Previous dislocation): एक बार कंधा खिसकने के बाद, दोबारा खिसकने का खतरा बढ़ जाता है, खासकर अगर प्रारंभिक चोट गंभीर थी या ठीक से ठीक नहीं हुई थी।

कंधे की हड्डी खिसकने के संकेत और लक्षण क्या हैं?

कंधे की हड्डी खिसकने के मुख्य संकेत और लक्षण इस प्रकार हैं:

  • तीव्र दर्द: यह खिसकने का सबसे आम और तत्काल लक्षण है।
  • कंधे का विकृत दिखना: कंधा अपनी सामान्य गोल आकृति खो देता है।
  • सूजन और खरोंच: खिसकने के आसपास के ऊतकों में सूजन और खरोंच आ सकती है।
  • बांह को हिलाने में असमर्थता: दर्द और जोड़ की असामान्य स्थिति के कारण बांह को हिलाना मुश्किल होता है।
  • सुन्नता और झुनझुनी: कंधे के आसपास की नसें दबने से बांह और हाथ में सुन्नता या झुनझुनी महसूस हो सकती है।
  • मांसपेशियों में ऐंठन: कंधे के आसपास की मांसपेशियां अकड़ सकती हैं।
  • कंधे का लॉक हो जाना: ऐसा महसूस हो सकता है कि कंधा एक असामान्य स्थिति में जम गया है।

कंधे की हड्डी खिसकने का खतरा किसे अधिक होता है?

कंधे की हड्डी खिसकने का खतरा कुछ खास लोगों में अधिक होता है, जिनमें शामिल हैं:

  • एथलीट (Athletes): खासकर वे जो कॉन्टैक्ट स्पोर्ट्स (जैसे फुटबॉल, रग्बी, हॉकी) या ऐसे खेल खेलते हैं जिनमें गिरने का खतरा होता है (जैसे जिम्नास्टिक, स्कीइंग, वॉलीबॉल)। इन खेलों में लगने वाली सीधी टक्कर या गलत तरीके से गिरने से कंधे पर अत्यधिक दबाव पड़ सकता है।
  • पुरुष (Men): अध्ययनों से पता चला है कि महिलाओं की तुलना में पुरुषों में कंधे का खिसकना अधिक आम है, खासकर युवावस्था और शुरुआती वयस्कता में।
  • 15 से 30 वर्ष की आयु के लोग (People between 15 and 30 years old): यह आयु वर्ग अक्सर अधिक सक्रिय होता है और खेलों या अन्य गतिविधियों में शामिल होता है जिससे कंधे पर चोट लगने का खतरा बढ़ जाता है।
  • जिन्हें पहले भी कंधा खिसका हो (Anyone who has previously dislocated their shoulder): एक बार कंधा खिसकने के बाद, कंधे के आसपास के लिगामेंट्स और अन्य ऊतक कमजोर हो सकते हैं, जिससे भविष्य में दोबारा खिसकने का खतरा काफी बढ़ जाता है। कुछ अनुमानों के अनुसार, पहली बार कंधा खिसकने वाले 20 वर्ष से कम आयु के लोगों में दोबारा खिसकने की दर 90% तक हो सकती है।
  • जन्मजात ढीलेपन वाले लोग (People with congenital laxity): कुछ लोगों में जन्म से ही कंधे के लिगामेंट्स अधिक ढीले होते हैं, जिससे कंधा अस्थिर होता है और खिसकने की संभावना बढ़ जाती है।
  • बार-बार ऊपर की ओर हाथ घुमाने वाली गतिविधियाँ करने वाले लोग (People performing repetitive overhead movements): कुछ खेल (जैसे तैराकी, बेसबॉल, वॉलीबॉल) या काम जिनमें बार-बार कंधे को ऊपर की ओर घुमाना शामिल होता है, कंधे के आसपास के लिगामेंट्स को कमजोर कर सकते हैं और अस्थिरता बढ़ा सकते हैं।
  • बड़ी उम्र के लोग (Older adults): हालांकि युवा वयस्कों में आघात के कारण कंधे का खिसकना अधिक आम है, बड़ी उम्र के लोगों में गिरने के कारण भी यह हो सकता है। इसके अलावा, उम्र के साथ कंधे के आसपास के ऊतक कमजोर हो जाते हैं, जिससे खिसकने का खतरा बढ़ सकता है।

कंधे की हड्डी खिसकने से कौन सी बीमारियां जुड़ी हैं?

कंधे की हड्डी खिसकने (कंधे का उतरना) से सीधे तौर पर कोई “बीमारी” जुड़ी नहीं है, बल्कि यह एक प्रकार की चोट है। हालांकि, कंधे के खिसकने के कारण या परिणाम स्वरूप कुछ अन्य स्थितियां और जटिलताएं विकसित हो सकती हैं:

कंधे के खिसकने के कारण जुड़ी स्थितियां:

  • जन्मजात ढीलापन (Congenital Laxity): कुछ लोगों में जन्म से ही कंधे के आसपास के लिगामेंट्स अधिक ढीले होते हैं, जो उन्हें कंधे के खिसकने के प्रति अधिक संवेदनशील बनाते हैं। यह कोई बीमारी नहीं है, बल्कि एक शारीरिक विशेषता है।
  • कुछ आनुवंशिक सिंड्रोम (Certain Genetic Syndromes): कुछ दुर्लभ आनुवंशिक स्थितियां जोड़ों में सामान्य से अधिक ढीलापन पैदा कर सकती हैं, जिससे कंधे के खिसकने का खतरा बढ़ सकता है।

कंधे के खिसकने के परिणामस्वरूप होने वाली जटिलताएं (जिन्हें अक्सर “बीमारियों” के रूप में वर्णित नहीं किया जाता है, लेकिन स्वास्थ्य समस्याएं हैं):

  • कंधे की अस्थिरता (Shoulder Instability): एक बार कंधा खिसकने के बाद, खासकर अगर लिगामेंट्स और अन्य ऊतक ठीक से नहीं भरते हैं, तो कंधा बार-बार खिसकने (आवर्तक खिसकना) या आंशिक रूप से अपनी जगह से हटने (सब्लक्सेशन) के प्रति अधिक प्रवण हो सकता है। इसे क्रोनिक शोल्डर इंस्टेबिलिटी (Chronic Shoulder Instability) कहा जाता है।
  • लिगामेंट और टेंडन में खिंचाव या फटना (Stretched or Torn Ligaments and Tendons): कंधे के खिसकने के दौरान, कंधे के जोड़ को सहारा देने वाले लिगामेंट्स (जो हड्डियों को हड्डियों से जोड़ते हैं) और टेंडन्स (जो मांसपेशियों को हड्डियों से जोड़ते हैं) खिंच या फट सकते हैं।
  • रोटेटर कफ की चोटें (Rotator Cuff Injuries) विशेष रूप से बड़ी उम्र के लोगों में कंधे के खिसकने के साथ आम हैं।
  • नसों में क्षति (Nerve Damage): खिसकने के दौरान कंधे के आसपास की नसें, विशेष रूप से एक्सिलरी नर्व (Axillary Nerve) दब सकती है या खिंच सकती है, जिससे बांह में कमजोरी, सुन्नता या झुनझुनी हो सकती है।
  • रक्त वाहिकाओं में क्षति (Blood Vessel Damage): दुर्लभ मामलों में, कंधे के खिसकने से आसपास की रक्त वाहिकाएं क्षतिग्रस्त हो सकती हैं।
  • हड्डी का फ्रैक्चर (Bone Fracture): खिसकने के साथ कंधे की हड्डियों (जैसे ह्यूमरस या ग्लेनॉइड) में फ्रैक्चर हो सकता है। एक सामान्य फ्रैक्चर जो खिसकने के साथ हो सकता है वह है हिल-सैक्स लीजन (Hill-Sachs Lesion), जो ह्यूमरस के ऊपरी सिरे पर एक गड्ढा जैसा होता है।
  • लैब्रल टियर (Labral Tear): ग्लेनॉइड के चारों ओर उपास्थि का एक छल्ला होता है जिसे लैब्रूम कहा जाता है। कंधे के खिसकने से यह फट सकता है, जिसे बैंकार्ट लीजन (Bankart Lesion) भी कहा जाता है, खासकर एंटीरियर डिसलोकेशन में। लैब्रल टियर से कंधे में दर्द और अस्थिरता हो सकती है।
  • पोस्ट-ट्रॉमेटिक आर्थराइटिस (Post-traumatic Arthritis): बार-बार होने वाले कंधे के खिसकने से कंधे के जोड़ में उपास्थि क्षतिग्रस्त हो सकती है, जिससे बाद में ऑस्टियोआर्थराइटिस (Osteoarthritis) विकसित हो सकता है।
  • फ्रोजन शोल्डर (Adhesive Capsulitis): कंधे के खिसकने के बाद लंबे समय तक स्थिरीकरण के कारण कभी-कभी कंधे का जोड़ कठोर और दर्दनाक हो जाता है, जिसे फ्रोजन शोल्डर कहा जाता है।

कंधे की हड्डी खिसकने का निदान कैसे करें?

कंधे की हड्डी खिसकने (कंधे का उतरना) का निदान आमतौर पर निम्नलिखित चरणों के माध्यम से किया जाता है:

  1. शारीरिक परीक्षण (Physical Examination): डॉक्टर सबसे पहले आपकी चोट के बारे में पूछेंगे, जिसमें यह कैसे हुई और आपके लक्षण क्या हैं, यह शामिल है। फिर वे आपके कंधे का सावधानीपूर्वक परीक्षण करेंगे। वे निम्नलिखित चीजें देख सकते हैं:
    • विकृति (Deformity): खिसका हुआ कंधा अपनी सामान्य गोल आकार खो देता है और अजीब तरह से बाहर निकला हुआ या चपटा दिख सकता है।
    • सूजन और खरोंच (Swelling and Bruising): खिसकने के आसपास सूजन और खरोंच मौजूद हो सकती है।
    • स्पर्श करने पर दर्द (Tenderness to Palpation): प्रभावित क्षेत्र को छूने पर आपको तेज दर्द महसूस हो सकता है।
    • गति की सीमित सीमा (Limited Range of Motion): आप अपनी बांह को हिलाने में असमर्थ हो सकते हैं या हिलाने पर बहुत दर्द महसूस कर सकते हैं।
    • तंत्रिका संबंधी परीक्षण (Neurological Examination): डॉक्टर आपकी बांह और हाथ में सुन्नता, झुनझुनी या कमजोरी की जांच कर सकते हैं, जो तंत्रिका क्षति का संकेत दे सकता है।
    • नाड़ी की जांच (Pulse Check): वे यह सुनिश्चित करने के लिए आपकी कलाई में नाड़ी की जांच करेंगे कि खिसकने से रक्त प्रवाह प्रभावित नहीं हुआ है।
  2. एक्स-रे (X-ray): कंधे के खिसकने के निदान की पुष्टि करने और किसी भी संबंधित फ्रैक्चर (हड्डी टूटना) को देखने के लिए एक्स-रे सबसे महत्वपूर्ण इमेजिंग परीक्षण है। एक्स-रे यह दिखाएगा कि ऊपरी बांह की हड्डी (ह्यूमरस) कंधे के ब्लेड (स्कैपुला) के सॉकेट (ग्लेनॉइड) से बाहर है या नहीं। डॉक्टर आमतौर पर विभिन्न कोणों से एक्स-रे लेंगे ताकि खिसकने की दिशा (एंटीरियर, पोस्टीरियर या इंफीरियर) का पता चल सके और किसी भी फ्रैक्चर की पहचान की जा सके।

आमतौर पर, शारीरिक परीक्षण और एक्स-रे कंधे के खिसकने का निदान करने के लिए पर्याप्त होते हैं। हालांकि, कुछ मामलों में, विशेष रूप से आवर्तक खिसकने या जटिल चोटों के संदेह होने पर, अतिरिक्त इमेजिंग परीक्षणों की आवश्यकता हो सकती है:

  1. एमआरआई (MRI – मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग): एमआरआई नरम ऊतकों, जैसे लिगामेंट्स, टेंडन्स और लैब्रूम (कंधे के सॉकेट के आसपास उपास्थि का छल्ला) की विस्तृत तस्वीरें प्रदान करता है। इसका उपयोग लिगामेंट टियर, लैब्रल टियर या रोटेटर कफ की चोटों जैसी संबंधित चोटों का आकलन करने के लिए किया जा सकता है, जो कंधे के खिसकने के साथ हो सकती हैं।
  2. सीटी स्कैन (CT Scan – कंप्यूटेड टोमोग्राफी): सीटी स्कैन हड्डियों की क्रॉस-सेक्शनल तस्वीरें प्रदान करता है। इसका उपयोग जटिल फ्रैक्चर का बेहतर मूल्यांकन करने के लिए किया जा सकता है जो एक्स-रे पर स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं दे सकते हैं, खासकर खिसकने के साथ।

कंधे की हड्डी खिसकने का इलाज क्या है?

अहमदाबाद में कंधे की हड्डी खिसकने (कंधे का उतरना) का इलाज मुख्य रूप से निम्नलिखित चरणों में किया जाता है:

  1. रिडक्शन (Reduction): यह खिसकी हुई हड्डी को वापस कंधे के सॉकेट (ग्लेनॉइड) में डालने की प्रक्रिया है। यह आमतौर पर एक डॉक्टर द्वारा किया जाता है और इसके लिए दर्द प्रबंधन और मांसपेशियों को आराम देने वाली दवाओं की आवश्यकता हो सकती है ताकि मांसपेशियों को आराम दिया जा सके और दर्द कम हो सके। रिडक्शन की कई तकनीकें हैं, और डॉक्टर आपकी विशेष स्थिति के अनुसार सबसे उपयुक्त तकनीक का चयन करेंगे। रिडक्शन के बाद आपको तुरंत दर्द में राहत महसूस होनी चाहिए।
  2. स्थिरीकरण (Immobilization): रिडक्शन के बाद, कंधे को ठीक होने के लिए स्थिर रखना महत्वपूर्ण है। इसके लिए आमतौर पर एक स्लिंग या शोल्डर इमोबिलाइजर का उपयोग किया जाता है। स्थिरीकरण की अवधि खिसकने की गंभीरता और क्या यह पहली बार हुआ है या आवर्तक है, इस पर निर्भर करती है। आमतौर पर, स्थिरीकरण 3 से 6 सप्ताह तक चलता है।
  3. दर्द प्रबंधन (Pain Management): रिडक्शन के बाद भी आपको कुछ दिनों तक दर्द महसूस हो सकता है। डॉक्टर दर्द को नियंत्रित करने के लिए दर्द निवारक दवाएं (जैसे इबुप्रोफेन, नेप्रोक्सन या अधिक गंभीर दर्द के लिए अल्पकालिक ओपिओइड) लिख सकते हैं। बर्फ लगाने से भी सूजन और दर्द कम करने में मदद मिल सकती है।
  4. पुनर्वास (Rehabilitation – फिजियोथेरेपी): स्थिरीकरण की अवधि के बाद, कंधे की ताकत, गति की पूरी श्रृंखला और स्थिरता को बहाल करने के लिए पुनर्वास या फिजियोथेरेपी शुरू करना महत्वपूर्ण है। एक फिजियोथेरेपिस्ट आपको विशिष्ट व्यायाम सिखाएगा जो धीरे-धीरे कंधे के आसपास की मांसपेशियों को मजबूत करेंगे और गति की सीमा में सुधार करेंगे। पुनर्वास में आमतौर पर शामिल हैं:
    • कोमल गति व्यायाम (Gentle range-of-motion exercises): धीरे-धीरे कंधे को विभिन्न दिशाओं में हिलाना ताकि जकड़न को कम किया जा सके।
    • स्ट्रेचिंग व्यायाम (Stretching exercises): कंधे के आसपास की मांसपेशियों और लिगामेंट्स को लचीला बनाने के लिए।
    • मजबूती व्यायाम (Strengthening exercises): रोटेटर कफ और कंधे के ब्लेड की मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए, जो कंधे को स्थिर करने में मदद करते हैं।
    • प्रोप्रियोसेप्शन व्यायाम (Proprioception exercises): आपके कंधे को अंतरिक्ष में अपनी स्थिति को महसूस करने और नियंत्रित करने की क्षमता में सुधार करने के लिए।
  5. सर्जरी (Surgery): कंधे के खिसकने के लिए आमतौर पर सर्जरी की आवश्यकता नहीं होती है, खासकर पहली बार होने वाले खिसकने के लिए। हालांकि, सर्जरी की सिफारिश की जा सकती है यदि:
    • बार-बार खिसकना (Recurrent dislocations): यदि कंधा बार-बार खिसकता है, तो अस्थिरता को ठीक करने और भविष्य के खिसकने के जोखिम को कम करने के लिए सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है।
    • संबंधित चोटें (Associated injuries): यदि खिसकने के साथ कंधे के जोड़ में महत्वपूर्ण लिगामेंट टियर, लैब्रल टियर या फ्रैक्चर जैसी अन्य चोटें हैं जिन्हें ठीक करने के लिए सर्जरी की आवश्यकता होती है।
    • गैर-सर्जिकल उपचार में विफलता (Failure of non-surgical treatment): दुर्लभ मामलों में, यदि पुनर्वास के बावजूद कंधे में लगातार अस्थिरता और दर्द बना रहता है, तो सर्जरी पर विचार किया जा सकता है।

कंधे की हड्डी खिसकने का फिजियोथेरेपी उपचार क्या है?

कंधे की हड्डी खिसकने (कंधे का उतरना) के बाद फिजियोथेरेपी उपचार एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है ताकि कंधे की ताकत, गति की पूरी श्रृंखला और स्थिरता को बहाल किया जा सके और भविष्य में दोबारा खिसकने के जोखिम को कम किया जा सके। फिजियोथेरेपी उपचार आमतौर पर कई चरणों में प्रगति करता है और व्यक्तिगत जरूरतों के अनुसार अनुकूलित किया जाता है।

यहाँ कंधे की हड्डी खिसकने के लिए सामान्य फिजियोथेरेपी उपचार के चरण और तकनीकें दी गई हैं:

चरण 1: प्रारंभिक चरण (दर्द और सूजन नियंत्रण)

  • दर्द प्रबंधन: फिजियोथेरेपिस्ट आपको दर्द कम करने के तरीके सिखाएंगे, जैसे कि बर्फ लगाना, आराम करना और दर्द निवारक दवाओं का सही उपयोग करना।
  • कोमल गति व्यायाम (Gentle Range of Motion Exercises): स्थिरीकरण (स्लिंग पहनने) के दौरान भी, फिजियोथेरेपिस्ट आपको कंधे और कोहनी के आसपास की अन्य जोड़ों की कोमल हरकतें सिखा सकते हैं ताकि जकड़न को रोका जा सके और रक्त परिसंचरण को बनाए रखा जा सके। इसमें पेंडुलम व्यायाम (शरीर को आगे झुकाकर बांह को धीरे-धीरे आगे-पीछे और गोलाकार घुमाना) शामिल हो सकता है।

चरण 2: गति की सीमा को बहाल करना (Restoring Range of Motion)

स्थिरीकरण की अवधि समाप्त होने के बाद, फिजियोथेरेपी का मुख्य लक्ष्य धीरे-धीरे कंधे की गति की पूरी श्रृंखला को वापस लाना होता है। इसमें शामिल हो सकते हैं:

  • सहायक गति व्यायाम (Assisted Range of Motion Exercises): आप अपनी स्वस्थ बांह या किसी उपकरण (जैसे छड़ी) का उपयोग करके प्रभावित बांह को धीरे-धीरे हिलाएंगे।
  • सक्रिय गति व्यायाम (Active Range of Motion Exercises): आप अपनी मांसपेशियों का उपयोग करके अपने कंधे को स्वयं हिलाएंगे, लेकिन दर्द की सीमा के भीतर।
  • स्ट्रेचिंग व्यायाम (Stretching Exercises): कंधे के कैप्सूल और आसपास की मांसपेशियों को धीरे-धीरे खींचना ताकि जकड़न को कम किया जा सके और लचीलापन बढ़ाया जा सके। फिजियोथेरेपिस्ट आपको विभिन्न प्रकार के स्ट्रेच सिखाएंगे।

चरण 3: ताकत बढ़ाना (Strengthening)

जब आप दर्द के बिना अपनी बांह को अच्छी तरह से हिलाने में सक्षम हो जाते हैं, तो फिजियोथेरेपी का ध्यान कंधे के आसपास की मांसपेशियों को मजबूत करने पर केंद्रित होता है, खासकर रोटेटर कफ मांसपेशियों (जो कंधे को स्थिर करने में महत्वपूर्ण हैं) और कंधे के ब्लेड (स्कैपुला) की मांसपेशियों पर। इसमें शामिल हो सकते हैं:

  • आइसोमेट्रिक व्यायाम (Isometric Exercises): मांसपेशियों को बिना जोड़ को हिलाए तनाव देना।
  • थैराबैंड या हल्के वज़न का उपयोग करके व्यायाम (Exercises using Therabands or light weights): धीरे-धीरे प्रतिरोध जोड़ना ताकि मांसपेशियों की ताकत बढ़ाई जा सके। इसमें बाहरी रोटेशन, आंतरिक रोटेशन, एबडक्शन, फ्लेक्सन और एक्सटेंशन जैसे व्यायाम शामिल हो सकते हैं।
  • प्रोग्रेसिव रेजिस्टेंस ट्रेनिंग (Progressive Resistance Training): जैसे-जैसे आपकी ताकत बढ़ती है, प्रतिरोध को धीरे-धीरे बढ़ाया जाएगा।

चरण 4: स्थिरता और प्रोप्रियोसेप्शन में सुधार (Improving Stability and Proprioception)

प्रोप्रियोसेप्शन आपके शरीर की अंतरिक्ष में अपनी स्थिति को महसूस करने की क्षमता है। कंधे की स्थिरता और कार्य को बहाल करने के लिए यह महत्वपूर्ण है। फिजियोथेरेपी में शामिल हो सकते हैं:

  • भार वहन व्यायाम (Weight-bearing exercises): धीरे-धीरे अपने हाथ पर भार डालना (जब दर्द कम हो जाए)।
  • स्थिरता बोर्ड या संतुलन उपकरणों का उपयोग करना (Using stability boards or balance devices): संतुलन और समन्वय में सुधार करना।
  • विशिष्ट प्रोप्रियोसेप्टिव व्यायाम (Specific proprioceptive exercises): ऐसे व्यायाम जो आपके कंधे को विभिन्न स्थितियों में स्थिर रखने की क्षमता को चुनौती देते हैं।

चरण 5: कार्यात्मक और खेल-विशिष्ट प्रशिक्षण (Functional and Sport-Specific Training)

यदि आप एक एथलीट हैं या ऐसी गतिविधियाँ करते हैं जिनके लिए आपके कंधे की पूरी कार्यक्षमता की आवश्यकता होती है, तो फिजियोथेरेपिस्ट आपको धीरे-धीरे उन गतिविधियों को सुरक्षित रूप से फिर से शुरू करने के लिए मार्गदर्शन करेंगे। इसमें विशिष्ट आंदोलनों और तकनीकों का अभ्यास करना शामिल हो सकता है।

पूरी प्रक्रिया के दौरान:

  • मूल्यांकन और निगरानी: फिजियोथेरेपिस्ट आपकी प्रगति का नियमित रूप से मूल्यांकन करेंगे और आपकी उपचार योजना को आवश्यकतानुसार समायोजित करेंगे।
  • शिक्षा: वे आपको अपनी स्थिति, उचित व्यायाम तकनीक और भविष्य में चोटों से बचने के तरीकों के बारे में शिक्षित करेंगे।
  • घरेलू व्यायाम कार्यक्रम: फिजियोथेरेपिस्ट आपको घर पर करने के लिए एक व्यायाम कार्यक्रम देंगे ताकि आप अपनी प्रगति को जारी रख सकें।

कंधे की हड्डी खिसकने का घरेलू इलाज क्या है?

कंधे की हड्डी खिसकने (कंधे का उतरना) के लिए कुछ चीजें हैं जो आप घर पर तुरंत कर सकते हैं, लेकिन यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि कंधे के खिसकने का कोई वास्तविक “घरेलू इलाज” नहीं है। इसका मतलब है कि आप स्वयं हड्डी को वापस सॉकेट में नहीं डाल सकते हैं, और ऐसा करने का प्रयास खतरनाक हो सकता है और आगे की चोट का कारण बन सकता है।

घर पर आप जो प्राथमिक चीजें कर सकते हैं (चिकित्सा सहायता लेने से पहले):

  • अपनी बांह को हिलाने से बचें: खिसके हुए कंधे को स्थिर रखें और किसी भी प्रकार की हरकत से बचें। अपनी बांह को सहारा देने के लिए आप एक स्लिंग (यदि आपके पास है) या अपनी शर्ट या कपड़े के टुकड़े का उपयोग कर सकते हैं।
  • बर्फ लगाएं: प्रभावित क्षेत्र पर बर्फ लगाने से दर्द और सूजन को कम करने में मदद मिल सकती है। बर्फ को सीधे त्वचा पर न लगाएं; इसे तौलिये में लपेटकर 15-20 मिनट के लिए हर कुछ घंटों में लगाएं।
  • दर्द निवारक दवाएं लें (यदि आवश्यक हो): यदि आपके पास ओवर-द-काउंटर दर्द निवारक दवाएं जैसे इबुप्रोफेन या नेप्रोक्सन हैं, तो आप दर्द को कम करने के लिए उन्हें ले सकते हैं। लेबल पर दिए गए निर्देशों का पालन करें।
  • आराम करें: जितना हो सके आराम करें और कंधे पर कोई दबाव न डालें।

यह बिल्कुल न करें:

  • खुद से हड्डी को वापस सॉकेट में डालने की कोशिश न करें: यह बहुत खतरनाक हो सकता है और नसों, रक्त वाहिकाओं और आसपास के ऊतकों को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है। केवल प्रशिक्षित चिकित्सा पेशेवर ही सुरक्षित रूप से कंधे को वापस जगह पर ला सकते हैं।
  • कंधे को ज़बरदस्ती हिलाने की कोशिश न करें: इससे दर्द और चोट बढ़ सकती है।

तत्काल चिकित्सा सहायता लें:

कंधे के खिसकने पर सबसे महत्वपूर्ण “घरेलू इलाज” तुरंत चिकित्सा सहायता लेना है। आपको जल्द से जल्द डॉक्टर या अस्पताल जाना चाहिए ताकि वे खिसकी हुई हड्डी को सुरक्षित रूप से वापस सॉकेट में डाल सकें (रिडक्शन)।

चिकित्सा उपचार के बाद घर पर देखभाल:

चिकित्सा उपचार (रिडक्शन और स्थिरीकरण) के बाद, आप घर पर अपनी रिकवरी में सहायता के लिए निम्नलिखित कदम उठा सकते हैं (हमेशा अपने डॉक्टर या फिजियोथेरेपिस्ट के निर्देशों का पालन करें):

  • निर्देशानुसार स्लिंग पहनें: आपके डॉक्टर आपको एक निश्चित अवधि के लिए स्लिंग पहनने का निर्देश देंगे। इसे निर्धारित समय तक पहनना महत्वपूर्ण है ताकि कंधा ठीक हो सके।
  • बर्फ लगाना जारी रखें: डॉक्टर की सलाह के अनुसार, सूजन और दर्द को कम करने के लिए नियमित रूप से बर्फ लगाएं।
  • निर्धारित दर्द निवारक दवाएं लें: यदि डॉक्टर ने आपको दर्द निवारक दवाएं दी हैं, तो उन्हें निर्देशानुसार लें।
  • फिजियोथेरेपी निर्देशों का पालन करें: जब आपका डॉक्टर आपको फिजियोथेरेपी शुरू करने की सलाह दे, तो अपने फिजियोथेरेपिस्ट के निर्देशों का सावधानीपूर्वक पालन करें और घर पर दिए गए व्यायाम नियमित रूप से करें। यह कंधे की ताकत, गति और स्थिरता को बहाल करने के लिए महत्वपूर्ण है।
  • भारी सामान उठाने से बचें: जब तक आपका डॉक्टर आपको इसकी अनुमति न दे, तब तक भारी सामान न उठाएं या अपने प्रभावित कंधे पर दबाव न डालें।
  • कंधे को अत्यधिक हिलाने से बचें: शुरुआती रिकवरी अवधि के दौरान कंधे को अचानक या ज़ोरदार आंदोलनों से बचाएं।
  • अपने शरीर को सुनें: यदि कोई गतिविधि दर्दनाक लगती है, तो उसे रोक दें और अपने डॉक्टर या फिजियोथेरेपिस्ट से सलाह लें।

कंधे की हड्डी खिसकने में क्या खाएं और क्या न खाएं?

कंधे की हड्डी खिसकने के बाद, आपके शरीर को ठीक होने और ताकत वापस पाने के लिए उचित पोषण महत्वपूर्ण है। कोई विशेष आहार नहीं है जो सीधे तौर पर खिसके हुए कंधे का “इलाज” करे, लेकिन कुछ खाद्य पदार्थ उपचार प्रक्रिया का समर्थन कर सकते हैं, जबकि अन्य सूजन को बढ़ा सकते हैं या रिकवरी में बाधा डाल सकते हैं।

क्या खाएं:

  • प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ: प्रोटीन ऊतकों की मरम्मत और मांसपेशियों के पुनर्निर्माण के लिए आवश्यक है। अपने आहार में चिकन, मछली, अंडे, टोफू, बीन्स और दालें जैसे लीन प्रोटीन स्रोत शामिल करें।
  • एंटी-इंफ्लेमेटरी खाद्य पदार्थ: सूजन को कम करने में मदद करने वाले खाद्य पदार्थों पर ध्यान दें, जैसे कि:
    • फल और सब्जियां (विशेषकर जामुन, पत्तेदार साग, और रंगीन सब्जियां)।
    • ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर मछली (जैसे सैल्मन, मैकेरल)।
    • नट्स और बीज (जैसे अखरोट, चिया सीड्स, अलसी)।
    • जैतून का तेल।
    • हल्दी और अदरक जैसे मसाले।
  • विटामिन और खनिज युक्त खाद्य पदार्थ: विटामिन सी (खट्टे फल, स्ट्रॉबेरी, शिमला मिर्च), विटामिन ई (नट्स, बीज, वनस्पति तेल), जिंक (मांस, मुर्गी, फलियां, नट्स), और कैल्शियम (डेयरी उत्पाद, पत्तेदार हरी सब्जियां, फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थ) जैसे पोषक तत्व ऊतक की मरम्मत और समग्र स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं।
  • फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ: फल, सब्जियां और साबुत अनाज कब्ज को रोकने में मदद करते हैं, जो दर्द की दवाओं का एक सामान्य दुष्प्रभाव हो सकता है।
  • पर्याप्त पानी: हाइड्रेटेड रहना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पोषक तत्वों के परिवहन और अपशिष्ट उत्पादों को हटाने में मदद करता है।

क्या न खाएं या सीमित करें:

  • प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ: ये खाद्य पदार्थ अक्सर अस्वास्थ्यकर वसा, अतिरिक्त सोडियम और कृत्रिम योजक से भरपूर होते हैं, जो सूजन को बढ़ा सकते हैं और उपचार प्रक्रिया में बाधा डाल सकते हैं।
  • उच्च सोडियम वाले खाद्य पदार्थ: अत्यधिक सोडियम शरीर में पानी के प्रतिधारण का कारण बन सकता है, जिससे सूजन बढ़ सकती है। नमकीन स्नैक्स, प्रसंस्कृत मांस और डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों से बचें।
  • अतिरिक्त शर्करा: शर्करा युक्त खाद्य पदार्थ और पेय सूजन को बढ़ावा दे सकते हैं और वजन बढ़ाने में योगदान कर सकते हैं, जो रिकवरी को धीमा कर सकता है।
  • अस्वास्थ्यकर वसा: तले हुए खाद्य पदार्थों और उच्च वसा वाले डेयरी उत्पादों में पाए जाने वाले संतृप्त और ट्रांस वसा सूजन को बढ़ा सकते हैं। स्वस्थ वसा चुनें।
  • शराब: शराब उपचार प्रक्रिया को धीमा कर सकती है और कुछ दवाओं के साथ परस्पर क्रिया कर सकती है। इससे बचें।
  • कैफीन: अत्यधिक कैफीन निर्जलीकरण का कारण बन सकता है, जो उपचार के लिए हानिकारक हो सकता है। इसे सीमित करें।
  • नाइटशेड सब्जियां (कुछ लोगों के लिए): कुछ लोगों में टमाटर, आलू, बैंगन और मिर्च जैसी नाइटशेड सब्जियां सूजन को बढ़ा सकती हैं। यदि आपको संदेह है कि ये आपके लक्षणों को खराब कर रहे हैं, तो अस्थायी रूप से इनसे बचने पर विचार करें।

कंधे की हड्डी खिसकने के जोखिम को कैसे कम करें?

कंधे की हड्डी खिसकने (कंधे का उतरना) के जोखिम को कम करने के लिए आप कई सावधानियां बरत सकते हैं, खासकर यदि आप ऐसे कारकों से अवगत हैं जो आपको इस चोट के प्रति अधिक संवेदनशील बना सकते हैं:

खेलों और गतिविधियों के दौरान:

  • उचित सुरक्षात्मक उपकरण पहनें: कॉन्टैक्ट स्पोर्ट्स (जैसे फुटबॉल, हॉकी, रग्बी) या ऐसे खेल जिनमें गिरने का खतरा होता है (जैसे स्केटबोर्डिंग, स्कीइंग, जिम्नास्टिक) खेलते समय हमेशा उचित सुरक्षात्मक गियर पहनें, जिसमें शोल्डर पैड शामिल हो सकते हैं।
  • वार्म-अप और स्ट्रेचिंग: किसी भी शारीरिक गतिविधि से पहले अपनी कंधे की मांसपेशियों को ठीक से वार्म-अप करें और स्ट्रेच करें। यह मांसपेशियों को तैयार करने और चोट के जोखिम को कम करने में मदद करता है।
  • सही तकनीक का उपयोग करें: खेल या गतिविधियों में भाग लेते समय उचित तकनीकों का उपयोग करना सीखें ताकि कंधे पर अनावश्यक दबाव न पड़े।
  • दर्द को नज़रअंदाज़ न करें: यदि आपको खेलते समय या गतिविधि के दौरान कंधे में दर्द महसूस होता है, तो तुरंत रुकें। दर्द को नज़रअंदाज़ करने से गंभीर चोट लग सकती है।
  • धीरे-धीरे गतिविधि बढ़ाएं: यदि आप कोई नई गतिविधि शुरू कर रहे हैं या लंबे समय के बाद वापस आ रहे हैं, तो धीरे-धीरे तीव्रता और अवधि बढ़ाएं ताकि आपके कंधे को अनुकूल होने का समय मिल सके।

सामान्य सावधानियां:

  • गिरने से बचें: घर और कार्यस्थल पर ऐसी स्थितियों से बचें जो गिरने का कारण बन सकती हैं, जैसे फिसलन वाली सतहें, ढीले कालीन या अव्यवस्था। अच्छी रोशनी का उपयोग करें और आवश्यकतानुसार सहायता के लिए उपकरणों (जैसे बेंत) का उपयोग करें।
  • भारी सामान उठाते समय सावधानी: भारी वस्तुओं को उठाते समय उचित तकनीक का उपयोग करें। अपनी पीठ को सीधा रखें और अपनी पैरों की मांसपेशियों का उपयोग करें, कंधे पर ज़ोर न डालें।
  • अत्यधिक घुमाव से बचें: कंधे के जोड़ पर अत्यधिक दबाव डालने वाले अचानक या ज़ोरदार घुमावों से बचें।
  • अपनी सीमाओं को जानें: ऐसी गतिविधियों से बचें जो आपकी शारीरिक क्षमताओं से परे हों या जिनमें आपके कंधे पर अत्यधिक तनाव आने की संभावना हो।

यदि आपको पहले भी कंधा खिसका हो:

  • फिजियोथेरेपी जारी रखें: यदि आपको पहले कंधा खिसका है, तो भविष्य में दोबारा खिसकने के जोखिम को कम करने के लिए अपने फिजियोथेरेपिस्ट द्वारा सुझाए गए व्यायामों को नियमित रूप से करते रहें। ये व्यायाम आपके कंधे के आसपास की मांसपेशियों को मजबूत करने और स्थिरता में सुधार करने में मदद करते हैं।
  • कंधे को सहारा देने वाले उपकरण: कुछ मामलों में, डॉक्टर या फिजियोथेरेपिस्ट खेल या ज़ोरदार गतिविधियों के दौरान अतिरिक्त सहायता के लिए एक विशेष शोल्डर ब्रेस पहनने की सलाह दे सकते हैं।
  • कंधे को कमजोर स्थितियों से बचाएं: उन गतिविधियों और स्थितियों से अवगत रहें जिनमें आपका कंधा खिसकने की अधिक संभावना हो सकती है और उनसे बचें।

सारांश

कंधे की हड्डी का खिसकना तब होता है जब ऊपरी बांह की हड्डी कंधे के सॉकेट से बाहर निकल जाती है, आमतौर पर खेल की चोटों, दुर्घटनाओं या गिरने के कारण। इसके लक्षणों में तेज दर्द, कंधे का विकृत दिखना, सूजन और बांह को हिलाने में असमर्थता शामिल हैं। निदान शारीरिक परीक्षण और एक्स-रे द्वारा किया जाता है।

इलाज में खिसकी हुई हड्डी को वापस सॉकेट में डालना (रिडक्शन), कंधे को स्थिर करना (स्लिंग), दर्द प्रबंधन और पुनर्वास (फिजियोथेरेपी) शामिल है। कुछ मामलों में सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है, खासकर बार-बार खिसकने या संबंधित चोटों के लिए।

जोखिम को कम करने के लिए उचित सुरक्षात्मक उपकरण पहनना, वार्म-अप करना, सही तकनीक का उपयोग करना और गिरने से बचना महत्वपूर्ण है। यदि पहले कंधा खिसका हो, तो फिजियोथेरेपी जारी रखना और कंधे को कमजोर स्थितियों से बचाना महत्वपूर्ण है।

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