स्ट्रोक
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स्ट्रोक

स्ट्रोक क्या है?

स्ट्रोक, जिसे मस्तिष्काघात भी कहा जाता है, एक गंभीर चिकित्सा स्थिति है जो तब होती है जब मस्तिष्क के एक हिस्से में रक्त की आपूर्ति बाधित हो जाती है। यह रुकावट रक्त वाहिका के अवरुद्ध होने या फटने के कारण हो सकती है। मस्तिष्क की कोशिकाओं को जीवित रहने के लिए ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। जब रक्त की आपूर्ति बंद हो जाती है, तो मस्तिष्क की कोशिकाएं मरने लगती हैं।

स्ट्रोक के दो मुख्य प्रकार हैं:

  • इस्केमिक स्ट्रोक: यह सबसे आम प्रकार का स्ट्रोक है, जो मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह को अवरुद्ध करने वाले रक्त के थक्के के कारण होता है।
  • हेमोरेजिक स्ट्रोक: यह तब होता है जब मस्तिष्क में एक रक्त वाहिका फट जाती है, जिससे मस्तिष्क में रक्तस्राव होता है।

स्ट्रोक के लक्षण अचानक प्रकट होते हैं और इसमें शामिल हो सकते हैं:

  • शरीर के एक तरफ कमजोरी या सुन्नता
  • बोलने या समझने में कठिनाई
  • दृष्टि में समस्या
  • चक्कर आना या संतुलन खोना
  • गंभीर सिरदर्द

स्ट्रोक एक चिकित्सा आपातकाल है। यदि आपको या किसी और को स्ट्रोक के लक्षण दिखाई देते हैं, तो तुरंत चिकित्सा सहायता लें। शीघ्र उपचार मस्तिष्क क्षति को कम करने और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद कर सकता है।

स्ट्रोक के जोखिम कारकों में शामिल हैं:

  • उच्च रक्तचाप
  • उच्च कोलेस्ट्रॉल
  • धूम्रपान
  • मधुमेह
  • हृदय रोग
  • स्ट्रोक का पारिवारिक इतिहास

स्ट्रोक के कारण क्या हैं?

स्ट्रोक के कई कारण हो सकते हैं, जिन्हें दो मुख्य श्रेणियों में बांटा जा सकता है: इस्केमिक स्ट्रोक और हेमोरेजिक स्ट्रोक।

इस्केमिक स्ट्रोक के कारण:

  • एथेरोस्क्लेरोसिस: यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें धमनियों की दीवारों पर प्लाक (वसायुक्त जमा) बन जाता है। यह प्लाक रक्त के प्रवाह को अवरुद्ध कर सकता है या रक्त का थक्का बना सकता है, जिससे स्ट्रोक हो सकता है।
  • हृदय रोग: हृदय रोग, जैसे कि अलिंद फिब्रिलेशन (अनियमित हृदय गति), रक्त के थक्के बना सकते हैं जो मस्तिष्क में जाकर स्ट्रोक का कारण बन सकते हैं।
  • रक्त के थक्के: शरीर के अन्य हिस्सों में बनने वाले रक्त के थक्के मस्तिष्क में जाकर रक्त के प्रवाह को अवरुद्ध कर सकते हैं।
  • कैरोटिड धमनी रोग: कैरोटिड धमनियां गर्दन में स्थित होती हैं और मस्तिष्क को रक्त की आपूर्ति करती हैं। इन धमनियों का संकुचित होना स्ट्रोक का कारण बन सकता है।

हेमोरेजिक स्ट्रोक के कारण:

  • उच्च रक्तचाप: उच्च रक्तचाप धमनियों को कमजोर कर सकता है और उन्हें फटने का कारण बन सकता है।
  • एन्यूरिज्म: यह धमनी की दीवार में एक कमजोर स्थान होता है जो फूल सकता है और फट सकता है।
  • धमनीविस्फार (एवीएम): यह धमनियों और नसों का एक असामान्य गुच्छा होता है जो फट सकता है।
  • रक्तस्राव विकार: कुछ रक्तस्राव विकार मस्तिष्क में रक्तस्राव के खतरे को बढ़ा सकते हैं।

स्ट्रोक के अन्य जोखिम कारक:

  • धूम्रपान
  • मधुमेह
  • उच्च कोलेस्ट्रॉल
  • मोटापा
  • शारीरिक निष्क्रियता
  • स्ट्रोक का पारिवारिक इतिहास

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि स्ट्रोक के कई जोखिम कारकों को नियंत्रित किया जा सकता है। स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर, जैसे कि स्वस्थ आहार खाना, नियमित व्यायाम करना, धूम्रपान न करना और रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करना, आप स्ट्रोक के खतरे को कम कर सकते हैं।

स्ट्रोक के संकेत और लक्षण क्या हैं?

स्ट्रोक के संकेत और लक्षण अचानक प्रकट होते हैं और व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न हो सकते हैं। कुछ सामान्य संकेतों और लक्षणों में शामिल हैं:

चेहरे में बदलाव:

  • चेहरे का एक तरफ झुकना या सुन्न होना।
  • मुस्कुराने में कठिनाई।
  • मुंह या आंख का लटकना।

हाथों या पैरों में कमजोरी:

  • शरीर के एक तरफ अचानक कमजोरी या सुन्नता, खासकर हाथ या पैर में।
  • हाथों या पैरों को उठाने में कठिनाई।

बोलने में कठिनाई:

  • अस्पष्ट या लड़खड़ाती हुई वाणी।
  • शब्दों को समझने या व्यक्त करने में परेशानी।
  • बोलने में असमर्थता।

दृष्टि में समस्या:

  • एक या दोनों आंखों में धुंधलापन या दिखाई न देना।
  • दोहरी दृष्टि।
  • अचानक दृष्टि हानि।

अन्य लक्षण:

  • अचानक गंभीर सिरदर्द, खासकर यदि इसके साथ उल्टी, चक्कर आना या चेतना में बदलाव हो।
  • चक्कर आना, संतुलन खोना या चलने में कठिनाई।
  • उलझन या भ्रम।

स्ट्रोक के लक्षणों को याद रखने के लिए “FAST” शब्द का प्रयोग किया जा सकता है:

  • F (Face): चेहरा – क्या चेहरा एक तरफ झुक रहा है?
  • A (Arms): भुजाएँ – क्या एक भुजा कमजोर है या नीचे गिर रही है?
  • S (Speech): वाणी – क्या भाषण अस्पष्ट है?
  • T (Time): समय – यदि इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई देता है, तो तुरंत आपातकालीन सेवाओं को कॉल करें।

स्ट्रोक का खतरा किसे अधिक होता है?

स्ट्रोक का खतरा कई कारकों पर निर्भर करता है, और कुछ लोगों को दूसरों की तुलना में अधिक खतरा होता है। स्ट्रोक के कुछ प्रमुख जोखिम कारक इस प्रकार हैं:

गैर-परिवर्तनीय जोखिम कारक (जिन्हें बदला नहीं जा सकता):

  • आयु: आयु बढ़ने के साथ स्ट्रोक का खतरा बढ़ता जाता है।
  • लिंग: पुरुषों को महिलाओं की तुलना में स्ट्रोक का खतरा थोड़ा अधिक होता है, लेकिन महिलाओं में स्ट्रोक से मृत्यु होने की संभावना अधिक होती है।
  • पारिवारिक इतिहास: यदि आपके परिवार में किसी को स्ट्रोक हुआ है, तो आपको भी स्ट्रोक होने का खतरा अधिक होता है।
  • जातीयता: कुछ जातीय समूहों, जैसे कि अफ्रीकी अमेरिकियों, में स्ट्रोक का खतरा अधिक होता है।

परिवर्तनीय जोखिम कारक (जिन्हें बदला जा सकता है):

  • उच्च रक्तचाप: उच्च रक्तचाप स्ट्रोक का एक प्रमुख जोखिम कारक है।
  • उच्च कोलेस्ट्रॉल: उच्च कोलेस्ट्रॉल धमनियों में प्लाक का निर्माण कर सकता है, जिससे स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
  • धूम्रपान: धूम्रपान रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाता है और रक्त के थक्के बनने के खतरे को बढ़ाता है।
  • मधुमेह: मधुमेह रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है और स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा सकता है।
  • हृदय रोग: हृदय रोग, जैसे कि अलिंद फिब्रिलेशन, स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा सकता है।
  • मोटापा: मोटापा उच्च रक्तचाप, मधुमेह और हृदय रोग के खतरे को बढ़ाता है, जो सभी स्ट्रोक के जोखिम कारक हैं।
  • शारीरिक निष्क्रियता: नियमित व्यायाम न करने से स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
  • अत्यधिक शराब का सेवन: अत्यधिक शराब का सेवन रक्तचाप बढ़ा सकता है और स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा सकता है।

अन्य जोखिम कारक:

  • ट्रांसिएंट इस्केमिक अटैक (टीआईए): टीआईए, जिसे “मिनी-स्ट्रोक” भी कहा जाता है, भविष्य में स्ट्रोक के खतरे को बढ़ाता है।
  • कुछ चिकित्सीय स्थितियां: कुछ चिकित्सीय स्थितियां, जैसे कि स्लीप एपनिया और माइग्रेन, स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा सकती हैं।

स्ट्रोक से कौन सी बीमारियां जुड़ी हैं?

स्ट्रोक कई बीमारियों से जुड़ा हुआ है, जो या तो स्ट्रोक के कारण हो सकती हैं या स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकती हैं। यहाँ कुछ मुख्य बीमारियाँ दी गई हैं:

स्ट्रोक के कारण होने वाली बीमारियाँ:

  • डिस्फेजिया (निगलने में कठिनाई): स्ट्रोक के बाद कई लोगों को निगलने में कठिनाई होती है, जिससे निमोनिया और कुपोषण जैसी समस्याएँ हो सकती हैं।
  • अफेजिया (बोलने में कठिनाई): स्ट्रोक मस्तिष्क के उन क्षेत्रों को नुकसान पहुंचा सकता है जो भाषा को नियंत्रित करते हैं, जिससे बोलने, समझने या पढ़ने में कठिनाई हो सकती है।
  • हेमिप्लेजिया (शरीर के एक तरफ लकवा): स्ट्रोक के कारण शरीर के एक तरफ कमजोरी या लकवा हो सकता है, जिससे चलने, गतिविधियों को करने और दैनिक कार्यों को करने में कठिनाई हो सकती है।
  • अवसाद: स्ट्रोक के बाद कई लोग अवसाद का अनुभव करते हैं, जो उनके पुनर्वास को प्रभावित कर सकता है।
  • संज्ञानात्मक हानि: स्ट्रोक याददाश्त, ध्यान और समस्या-समाधान जैसी संज्ञानात्मक क्षमताओं को प्रभावित कर सकता है।
  • दर्द: स्ट्रोक के बाद कुछ लोगों को दर्द का अनुभव होता है, जैसे कि कंधे का दर्द या न्यूरोपैथिक दर्द।

स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ाने वाली बीमारियाँ:

  • उच्च रक्तचाप: उच्च रक्तचाप स्ट्रोक का एक प्रमुख जोखिम कारक है।
  • उच्च कोलेस्ट्रॉल: उच्च कोलेस्ट्रॉल धमनियों में प्लाक का निर्माण कर सकता है, जिससे स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
  • मधुमेह: मधुमेह रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है और स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा सकता है।
  • हृदय रोग: हृदय रोग, जैसे कि अलिंद फिब्रिलेशन, स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा सकता है।
  • स्लीप एपनिया: स्लीप एपनिया एक नींद विकार है जो स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा सकता है।
  • माइग्रेन: माइग्रेन से पीड़ित लोगों में स्ट्रोक का खतरा थोड़ा बढ़ जाता है।
  • कुछ रक्तस्राव विकार: कुछ रक्तस्राव विकार मस्तिष्क में रक्तस्राव के खतरे को बढ़ा सकते हैं।
  • टीआईए (ट्रांसिएंट इस्केमिक अटैक): टीआईए, जिसे “मिनी-स्ट्रोक” भी कहा जाता है, भविष्य में स्ट्रोक के खतरे को बढ़ाता है।

स्ट्रोक का निदान कैसे करें?

स्ट्रोक का निदान तेजी से और सटीक रूप से करना महत्वपूर्ण है ताकि मस्तिष्क क्षति को कम करने और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए तुरंत उपचार शुरू किया जा सके। स्ट्रोक का निदान करने के लिए डॉक्टर कई तरह के परीक्षण और प्रक्रियाओं का उपयोग करते हैं, जिनमें शामिल हैं:

शारीरिक परीक्षा:

  • डॉक्टर व्यक्ति के लक्षणों की जाँच करेंगे, जैसे कि चेहरे का झुकना, कमजोरी, बोलने में कठिनाई, और दृष्टि में समस्या।
  • वे व्यक्ति के रक्तचाप, हृदय गति और अन्य महत्वपूर्ण संकेतों की भी जाँच करेंगे।

न्यूरोलॉजिकल परीक्षा:

  • डॉक्टर व्यक्ति के मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र के कार्यों का आकलन करेंगे, जैसे कि संतुलन, समन्वय, सजगता, और संवेदी कार्य।

इमेजिंग परीक्षण:

  • सीटी स्कैन (कंप्यूटेड टोमोग्राफी): यह मस्तिष्क की विस्तृत छवियां बनाने के लिए एक्स-रे का उपयोग करता है और यह निर्धारित करने में मदद कर सकता है कि क्या स्ट्रोक रक्त के थक्के (इस्केमिक स्ट्रोक) या रक्तस्राव (हेमोरेजिक स्ट्रोक) के कारण हुआ है।
  • एमआरआई (चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग): यह मस्तिष्क की और भी विस्तृत छवियां बनाने के लिए शक्तिशाली मैग्नेट और रेडियो तरंगों का उपयोग करता है और स्ट्रोक के कारण हुई मस्तिष्क क्षति का पता लगाने में मदद कर सकता है।
  • सीटी एंजियोग्राफी या एमआर एंजियोग्राफी: ये परीक्षण मस्तिष्क में रक्त वाहिकाओं की छवियां बनाते हैं और रक्त के थक्के या अन्य रुकावटों का पता लगाने में मदद कर सकते हैं।
  • कैरोटिड अल्ट्रासाउंड: यह गर्दन में कैरोटिड धमनियों की छवियां बनाने के लिए ध्वनि तरंगों का उपयोग करता है और यह निर्धारित करने में मदद कर सकता है कि क्या वे संकुचित हैं या अवरुद्ध हैं।
  • इकोकार्डियोग्राम: यह हृदय की छवियां बनाने के लिए ध्वनि तरंगों का उपयोग करता है और यह निर्धारित करने में मदद कर सकता है कि क्या स्ट्रोक हृदय से मस्तिष्क में जाने वाले रक्त के थक्के के कारण हुआ है।

रक्त परीक्षण:

  • रक्त परीक्षण रक्त के थक्के, संक्रमण और अन्य स्थितियों का पता लगाने में मदद कर सकते हैं जो स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।

अन्य परीक्षण:

  • ईसीजी (इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम): यह हृदय की विद्युत गतिविधि को मापता है और अनियमित हृदय गति का पता लगाने में मदद कर सकता है, जो स्ट्रोक का कारण बन सकता है।

स्ट्रोक का इलाज क्या है?

स्ट्रोक का इलाज स्ट्रोक के प्रकार (इस्केमिक या हेमोरेजिक) और स्ट्रोक के बाद हुई क्षति की मात्रा पर निर्भर करता है। स्ट्रोक के इलाज के दो मुख्य लक्ष्य हैं:

  1. मस्तिष्क को और अधिक क्षति से बचाना।
  2. स्ट्रोक से बचे लोगों की विकलांगता को कम करना और उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना।

इस्केमिक स्ट्रोक का इलाज:

  • थ्रोम्बोलिटिक दवाएं: इन दवाओं का उपयोग रक्त के थक्के को घोलने के लिए किया जाता है जो मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह को अवरुद्ध कर रहे हैं। इन दवाओं को स्ट्रोक के लक्षण शुरू होने के कुछ घंटों के भीतर दिया जाना चाहिए।
  • थ्रोम्बेक्टोमी: यह एक सर्जिकल प्रक्रिया है जिसमें एक कैथेटर का उपयोग करके रक्त के थक्के को हटाया जाता है। यह प्रक्रिया बड़े रक्त के थक्के के लिए की जाती है जिन्हें थ्रोम्बोलिटिक दवाओं से नहीं घोला जा सकता है।
  • एंटीप्लेटलेट दवाएं: ये दवाएं रक्त के थक्के को बनने से रोकने में मदद करती हैं।
  • एंटीकोगुलेंट दवाएं: ये दवाएं रक्त को पतला करती हैं और रक्त के थक्के को बनने से रोकने में मदद करती हैं।

हेमोरेजिक स्ट्रोक का इलाज:

  • दबाव को नियंत्रित करना: हेमोरेजिक स्ट्रोक में, मस्तिष्क में रक्तस्राव के कारण दबाव बढ़ जाता है। इस दबाव को नियंत्रित करने के लिए दवाएं या सर्जरी का उपयोग किया जा सकता है।
  • सर्जरी: कुछ मामलों में, रक्तस्राव को रोकने या रक्त के थक्के को हटाने के लिए सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है।
  • रिहैबिलिटेशन: स्ट्रोक के बाद, कई लोगों को रिहैबिलिटेशन की आवश्यकता होती है। रिहैबिलिटेशन में शारीरिक थेरेपी, व्यावसायिक थेरेपी और भाषण थेरेपी शामिल हो सकती है।

स्ट्रोक के बाद रिहैबिलिटेशन:

  • स्ट्रोक से बचे लोगों को अपनी ताकत, गतिशीलता और स्वतंत्रता को वापस पाने में मदद करने के लिए रिहैबिलिटेशन महत्वपूर्ण है।
  • रिहैबिलिटेशन में भौतिक चिकित्सा, व्यावसायिक चिकित्सा और भाषण चिकित्सा शामिल हो सकती है।
  • रिहैबिलिटेशन स्ट्रोक के बाद जितनी जल्दी हो सके शुरू होना चाहिए।

स्ट्रोक के बाद, जीवनशैली में बदलाव करना भी महत्वपूर्ण है, जैसे कि स्वस्थ आहार खाना, नियमित व्यायाम करना, धूम्रपान न करना और रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करना। यह भविष्य में स्ट्रोक के खतरे को कम करने में मदद कर सकता है।

स्ट्रोक का फिजियोथेरेपी उपचार क्या है?

स्ट्रोक के बाद फिजियोथेरेपी उपचार एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिसका उद्देश्य रोगियों को उनकी खोई हुई शारीरिक क्षमताओं को पुनः प्राप्त करने और उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद करना है। स्ट्रोक के बाद फिजियोथेरेपी उपचार के कुछ मुख्य पहलू इस प्रकार हैं:

उद्देश्य:

  • गतिशीलता में सुधार: कमजोर मांसपेशियों को मजबूत करना, संतुलन और समन्वय में सुधार करना और चलने की क्षमता को बढ़ावा देना।
  • दर्द प्रबंधन: स्ट्रोक के बाद होने वाले दर्द को कम करना और मांसपेशियों की जकड़न को दूर करना।
  • कार्यात्मक स्वतंत्रता: दैनिक जीवन की गतिविधियों (ADLs) जैसे कि कपड़े पहनना, नहाना और खाना खाने की क्षमता को बढ़ाना।
  • न्यूरोप्लास्टिसिटी को बढ़ावा देना: मस्तिष्क की नई तंत्रिका कनेक्शन बनाने और चोट के बाद अनुकूलन करने की क्षमता को प्रोत्साहित करना।

उपचार के प्रकार:

  • व्यायाम: मांसपेशी की ताकत, लचीलापन और सहनशक्ति में सुधार के लिए लक्षित व्यायाम।
  • गतिशीलता प्रशिक्षण: चलने, बैठने और खड़े होने जैसे कार्यों को फिर से सीखने में मदद करना।
  • संतुलन और समन्वय अभ्यास: गिरने के जोखिम को कम करने और स्थिरता में सुधार करने के लिए व्यायाम।
  • कार्यात्मक गतिविधियाँ: दैनिक जीवन के कार्यों का अभ्यास करना, जैसे कि सीढ़ियाँ चढ़ना या वस्तुओं को पकड़ना।
  • मैनुअल थेरेपी: मांसपेशियों की जकड़न को दूर करने और गति की सीमा में सुधार करने के लिए हाथों से की जाने वाली तकनीकें।
  • तकनीकी सहायता: वॉकर, बेंत या ऑर्थोटिक्स जैसे सहायक उपकरणों का उपयोग करना।

फिजियोथेरेपी उपचार की प्रक्रिया:

  • मूल्यांकन: फिजियोथेरेपिस्ट रोगी की शारीरिक क्षमताओं, कमजोरियों और कार्यात्मक सीमाओं का आकलन करता है।
  • उपचार योजना: रोगी की विशिष्ट आवश्यकताओं और लक्ष्यों के आधार पर एक व्यक्तिगत उपचार योजना तैयार की जाती है।
  • उपचार सत्र: नियमित उपचार सत्रों में, फिजियोथेरेपिस्ट रोगी को व्यायाम और गतिविधियों में मार्गदर्शन करता है।
  • प्रगति की निगरानी: फिजियोथेरेपिस्ट उपचार की प्रगति का नियमित रूप से मूल्यांकन करता है और आवश्यकतानुसार योजना में बदलाव करता है।

फिजियोथेरेपी के लाभ:

  • शारीरिक क्षमताओं में सुधार
  • दर्द में कमी
  • कार्यात्मक स्वतंत्रता में वृद्धि
  • जीवन की गुणवत्ता में सुधार
  • आत्मविश्वास और मनोबल में वृद्धि

स्ट्रोक के बाद फिजियोथेरेपी उपचार एक लंबी प्रक्रिया हो सकती है, लेकिन यह रोगियों को उनकी खोई हुई क्षमताओं को पुनः प्राप्त करने और एक स्वतंत्र जीवन जीने में मदद कर सकती है।

स्ट्रोक में क्या खाएं और क्या न खाएं?

स्ट्रोक के बाद सही खान-पान रिकवरी के लिए बहुत जरूरी है। यहाँ बताया गया है कि स्ट्रोक के बाद क्या खाएं और क्या नहीं:

क्या खाएं:

  • फल और सब्जियां:
    • ये विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर होते हैं, जो मस्तिष्क के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं।
    • विशेष रूप से हरी पत्तेदार सब्जियां, जामुन, खट्टे फल और ब्रोकली जैसी क्रूसिफेरस सब्जियां फायदेमंद होती हैं।
  • लीन प्रोटीन:
    • चिकन, मछली, फलियां और टोफू जैसे लीन प्रोटीन मांसपेशियों की मरम्मत और विकास के लिए आवश्यक हैं।
    • पौधे-आधारित प्रोटीन को प्राथमिकता दें, क्योंकि पशु-आधारित प्रोटीन में संतृप्त वसा अधिक होती है।
  • साबुत अनाज:
    • साबुत अनाज फाइबर से भरपूर होते हैं, जो कोलेस्ट्रॉल को कम करने और रक्त प्रवाह को बेहतर बनाने में मदद करते हैं।
    • ओट्स, ब्राउन राइस और क्विनोआ जैसे साबुत अनाज खाएं।
  • स्वस्थ वसा:
    • जैतून का तेल, एवोकाडो और नट्स जैसे स्वस्थ वसा मस्तिष्क के स्वास्थ्य के लिए अच्छे होते हैं।
    • ये सूजन को कम करने और मस्तिष्क की कोशिकाओं की रक्षा करने में मदद करते हैं।
  • पानी:
    • पर्याप्त मात्रा में पानी पीना रक्त प्रवाह को बनाए रखने और निर्जलीकरण को रोकने के लिए महत्वपूर्ण है।

क्या न खाएं:

  • प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ:
    • प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों में अक्सर सोडियम, संतृप्त वसा और ट्रांस वसा की मात्रा अधिक होती है, जो स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा सकते हैं।
  • लाल मांस:
    • लाल मांस में संतृप्त वसा की मात्रा अधिक होती है, जो कोलेस्ट्रॉल को बढ़ा सकता है और रक्त प्रवाह को खराब कर सकता है।
  • तले हुए खाद्य पदार्थ:
    • तले हुए खाद्य पदार्थों में ट्रांस वसा की मात्रा अधिक होती है, जो धमनियों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
  • मीठे खाद्य पदार्थ और पेय:
    • अत्यधिक चीनी का सेवन मधुमेह और मोटापे के खतरे को बढ़ा सकता है, जो स्ट्रोक के जोखिम कारक हैं।
  • अत्यधिक नमक:
    • अत्यधिक नमक का सेवन रक्तचाप को बढ़ा सकता है, जो स्ट्रोक का एक प्रमुख जोखिम कारक है।
  • अत्यधिक शराब:
    • अत्यधिक शराब का सेवन रक्तचाप को बढ़ा सकता है और स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा सकता है।

अतिरिक्त सुझाव:

  • अपने डॉक्टर या आहार विशेषज्ञ से परामर्श करें, जो आपकी व्यक्तिगत आवश्यकताओं के अनुसार एक स्वस्थ आहार योजना बनाने में आपकी मदद कर सकते हैं।
  • धीरे-धीरे और लगातार बदलाव करें।
  • भोजन के छोटे, अधिक बार भोजन करें।
  • भोजन को अच्छी तरह से चबाएं, खास तौर से अगर निगलने में कठिनाई हो रही है।
  • भोजन तैयार करते समय कम नमक और स्वस्थ तेलों का उपयोग करें।

स्ट्रोक के जोखिम को कैसे कम करें?

स्ट्रोक के खतरे को कम करने के लिए आप अपनी जीवनशैली में कई बदलाव कर सकते हैं। यहाँ कुछ सुझाव दिए गए हैं:

1. स्वस्थ आहार लें:

  • फल, सब्जियां, साबुत अनाज और लीन प्रोटीन से भरपूर आहार खाएं।
  • संतृप्त वसा, ट्रांस वसा, कोलेस्ट्रॉल और सोडियम में उच्च खाद्य पदार्थों से बचें।
  • मीठे पेय और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का सेवन सीमित करें।

2. नियमित रूप से व्यायाम करें:

  • प्रति सप्ताह कम से कम 150 मिनट की मध्यम-तीव्रता वाला व्यायाम करें, जैसे कि तेज चलना, तैराकी या साइकिल चलाना।
  • प्रति सप्ताह कम से कम 2 दिन शक्ति प्रशिक्षण व्यायाम करें।

3. स्वस्थ वजन बनाए रखें:

  • यदि आपका वजन अधिक है या आप मोटापे से ग्रस्त हैं, तो वजन कम करने से स्ट्रोक का खतरा कम हो सकता है।

4. धूम्रपान न करें:

  • धूम्रपान रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाता है और रक्त के थक्के बनने के खतरे को बढ़ाता है।

5. शराब का सेवन सीमित करें:

  • यदि आप शराब पीते हैं, तो इसे सीमित मात्रा में करें। महिलाओं के लिए प्रति दिन एक पेय और पुरुषों के लिए प्रति दिन दो पेय तक सीमित करें।

6. अपने रक्तचाप को नियंत्रित करें:

  • उच्च रक्तचाप स्ट्रोक का एक प्रमुख जोखिम कारक है। अपने रक्तचाप की नियमित रूप से जाँच करवाएं और यदि आवश्यक हो तो इसे नियंत्रित करने के लिए कदम उठाएं।

7. अपने कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करें:

  • उच्च कोलेस्ट्रॉल धमनियों में प्लाक का निर्माण कर सकता है, जिससे स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। अपने कोलेस्ट्रॉल की नियमित रूप से जाँच करवाएं और यदि आवश्यक हो तो इसे नियंत्रित करने के लिए कदम उठाएं।

8. मधुमेह का प्रबंधन करें:

  • मधुमेह रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है और स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा सकता है। अपने रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने के लिए अपने डॉक्टर के निर्देशों का पालन करें।

9. हृदय रोग का प्रबंधन करें:

  • हृदय रोग, जैसे कि अलिंद फिब्रिलेशन, स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा सकता है। अपने हृदय रोग का प्रबंधन करने के लिए अपने डॉक्टर के निर्देशों का पालन करें।

10. नियमित रूप से डॉक्टर से मिलें:

  • अपने डॉक्टर से नियमित रूप से मिलें ताकि वे आपके स्ट्रोक के जोखिम का आकलन कर सकें और आवश्यक निवारक उपाय कर सकें।

सारांश

स्ट्रोक, जिसे मस्तिष्काघात भी कहा जाता है, एक गंभीर चिकित्सा स्थिति है जो तब होती है जब मस्तिष्क के एक हिस्से में रक्त की आपूर्ति बाधित हो जाती है। यह रुकावट रक्त वाहिका के अवरुद्ध होने या फटने के कारण हो सकती है। मस्तिष्क की कोशिकाओं को जीवित रहने के लिए ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। जब रक्त की आपूर्ति बंद हो जाती है, तो मस्तिष्क की कोशिकाएं मरने लगती हैं।

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