टाइप 2 मधुमेह

टाइप 2 मधुमेह

टाइप 2 मधुमेह एक पुरानी स्थिति है जिसमें शरीर या तो पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता है या इंसुलिन का प्रभावी ढंग से उपयोग नहीं कर पाता है। इसके कारण रक्त में ग्लूकोज (शर्करा) का स्तर बढ़ जाता है, जिससे समय के साथ गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जैसे कि हृदय रोग, गुर्दे की बीमारी, तंत्रिका क्षति और आंखों की समस्याएं।

टाइप 2 मधुमेह क्या है?

टाइप 2 मधुमेह एक ऐसी स्थिति है जिसमें आपका शरीर पर्याप्त इंसुलिन नहीं बनाता है या आपके शरीर की कोशिकाएं सामान्य रूप से इंसुलिन का जवाब नहीं देती हैं। इंसुलिन एक हार्मोन है जो आपके रक्त शर्करा (ग्लूकोज) के स्तर को नियंत्रित करता है। जब आपको टाइप 2 मधुमेह होता है, तो आपका रक्त शर्करा का स्तर बहुत अधिक हो सकता है।

टाइप 2 मधुमेह के सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:

  • अत्यधिक प्यास
  • बार-बार पेशाब आना
  • अत्यधिक भूख
  • अस्पष्टीकृत वजन घटाना
  • थकान
  • धुंधली दृष्टि
  • धीरे-धीरे ठीक होने वाले घाव
  • बार-बार संक्रमण

टाइप 2 मधुमेह के कई संभावित कारण हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • मोटापा या अधिक वजन होना
  • शारीरिक गतिविधि की कमी
  • पारिवारिक इतिहास
  • बढ़ती उम्र
  • कुछ जातीय समूह

टाइप 2 मधुमेह का कोई इलाज नहीं है, लेकिन इसे स्वस्थ जीवनशैली में बदलाव और दवाओं से प्रबंधित किया जा सकता है। स्वस्थ जीवनशैली में बदलाव में शामिल हैं:

  • स्वस्थ भोजन करना
  • नियमित रूप से व्यायाम करना
  • स्वस्थ वजन बनाए रखना

टाइप 2 मधुमेह के इलाज के लिए कई तरह की दवाएं उपलब्ध हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • मेटफॉर्मिन
  • सल्फोनीलुरिया
  • ग्लिटाजोन
  • एसजीएलटी2 इनहिबिटर
  • जीएलपी-1 रिसेप्टर एगोनिस्ट
  • इंसुलिन

टाइप 2 मधुमेह के कारण क्या हैं?

टाइप 2 मधुमेह कई कारकों के संयोजन के कारण होता है, जिनमें शामिल हैं:

  • इंसुलिन प्रतिरोध: यह टाइप 2 मधुमेह का मुख्य कारण है। इंसुलिन एक हार्मोन है जो आपके अग्न्याशय द्वारा बनाया जाता है और यह आपके शरीर की कोशिकाओं को आपके रक्त से ग्लूकोज (चीनी) लेने और ऊर्जा के लिए उपयोग करने में मदद करता है। इंसुलिन प्रतिरोध में, आपकी कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति सामान्य रूप से प्रतिक्रिया नहीं करती हैं, इसलिए आपके रक्त में ग्लूकोज का निर्माण होता है। आपका अग्न्याशय अधिक इंसुलिन बनाकर इसकी भरपाई करने की कोशिश करता है, लेकिन अंततः यह पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पाता है ताकि आपके रक्त शर्करा का स्तर सामान्य रहे।
  • पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन न होना: समय के साथ, उच्च रक्त शर्करा का स्तर अग्न्याशय में इंसुलिन बनाने वाली बीटा कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है। इससे अग्न्याशय पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पाता है ताकि रक्त शर्करा का स्तर नियंत्रित रहे।
  • आनुवंशिकी: टाइप 2 मधुमेह विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है यदि आपके माता-पिता, भाई-बहन या अन्य करीबी रिश्तेदार को यह बीमारी है। कई अलग-अलग जीन हैं जो टाइप 2 मधुमेह के खतरे को बढ़ा सकते हैं।
  • मोटापा या अधिक वजन होना: अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त होने से इंसुलिन प्रतिरोध विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है। पेट के आसपास जमा वसा विशेष रूप से हानिकारक होती है।
  • शारीरिक निष्क्रियता: जो लोग शारीरिक रूप से सक्रिय नहीं होते हैं उनमें टाइप 2 मधुमेह विकसित होने का खतरा अधिक होता है। व्यायाम आपके शरीर को इंसुलिन के प्रति अधिक संवेदनशील बनाने में मदद करता है।
  • बढ़ती उम्र: उम्र बढ़ने के साथ टाइप 2 मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है, खासकर 45 वर्ष के बाद।
  • कुछ जातीय समूह: कुछ जातीय समूहों के लोगों में टाइप 2 मधुमेह विकसित होने का खतरा अधिक होता है, जिनमें अफ्रीकी अमेरिकी, हिस्पैनिक, अमेरिकी भारतीय और एशियाई अमेरिकी शामिल हैं।
  • प्रीडायबिटीज: प्रीडायबिटीज एक ऐसी स्थिति है जिसमें आपका रक्त शर्करा का स्तर सामान्य से अधिक होता है, लेकिन इतना अधिक नहीं होता कि उसे मधुमेह कहा जा सके। यदि प्रीडायबिटीज का इलाज न किया जाए, तो यह अक्सर टाइप 2 मधुमेह में विकसित हो जाता है।
  • गर्भावधि मधुमेह: जिन महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान गर्भावधि मधुमेह होता है, उनमें बाद में टाइप 2 मधुमेह विकसित होने का खतरा अधिक होता है।
  • पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस): पीसीओएस वाली महिलाओं में इंसुलिन प्रतिरोध विकसित होने का खतरा अधिक होता है, जिससे टाइप 2 मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है।

टाइप 2 मधुमेह के संकेत और लक्षण क्या हैं?

टाइप 2 मधुमेह के संकेत और लक्षण धीरे-धीरे विकसित हो सकते हैं, और कई लोगों में तो शुरुआती अवस्था में कोई ध्यान देने योग्य लक्षण नहीं होते हैं। यही कारण है कि कई लोगों को तब तक पता नहीं चलता कि उन्हें मधुमेह है जब तक कि जटिलताएं विकसित न हो जाएं। हालांकि, कुछ सामान्य संकेत और लक्षण हैं जिन पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है:

सामान्य लक्षण:

  • अत्यधिक प्यास (पॉलीडिप्सिया): आपको सामान्य से ज़्यादा प्यास लग सकती है, भले ही आपने खूब पानी पिया हो।
  • बार-बार पेशाब आना (पॉलीरिया): खासकर रात में आपको बार-बार पेशाब करने की आवश्यकता महसूस हो सकती है।
  • अत्यधिक भूख (पॉलीफैगिया): आपको सामान्य से ज़्यादा भूख लग सकती है, भले ही आपने अभी-अभी खाना खाया हो।
  • अस्पष्टीकृत वजन घटाना: बिना किसी कोशिश के आपका वजन कम हो सकता है।
  • थकान: आप सामान्य से ज़्यादा थका हुआ और सुस्त महसूस कर सकते हैं।
  • धुंधली दृष्टि: आपकी दृष्टि अस्थायी रूप से धुंधली हो सकती है।
  • धीरे-धीरे ठीक होने वाले घाव: छोटे कट, खरोंच या फफोले सामान्य से ज़्यादा धीरे-धीरे ठीक हो सकते हैं।
  • बार-बार संक्रमण: आपको त्वचा संक्रमण, मूत्र मार्ग संक्रमण (यूटीआई) या खमीर संक्रमण जैसे संक्रमण बार-बार हो सकते हैं।

अन्य संभावित लक्षण:

  • त्वचा में खुजली: खासकर जननांग क्षेत्र में।
  • हाथों या पैरों में सुन्नता या झुनझुनी: यह तंत्रिका क्षति (न्यूरोपैथी) का संकेत हो सकता है।
  • गर्दन और बगल में काले धब्बे (एकांथोसिस नाइग्रिकन्स): यह इंसुलिन प्रतिरोध का संकेत हो सकता है।

टाइप 2 मधुमेह का खतरा किसे अधिक होता है?

टाइप 2 मधुमेह का खतरा कई कारकों के संयोजन से बढ़ता है। कुछ जोखिम कारक ऐसे हैं जिन्हें बदला नहीं जा सकता है, जबकि कुछ को जीवनशैली में बदलाव करके प्रबंधित किया जा सकता है। यहाँ उन लोगों की सूची दी गई है जिन्हें टाइप 2 मधुमेह का खतरा अधिक होता है:

गैर-परिवर्तनीय जोखिम कारक (जिन्हें बदला नहीं जा सकता):

  • पारिवारिक इतिहास: यदि आपके माता-पिता, भाई-बहन या अन्य करीबी रिश्तेदार को टाइप 2 मधुमेह है, तो आपको यह बीमारी होने का खतरा अधिक होता है। यह आनुवंशिक प्रवृत्ति के कारण होता है।
  • बढ़ती उम्र: उम्र बढ़ने के साथ टाइप 2 मधुमेह का खतरा बढ़ता जाता है, खासकर 45 वर्ष की आयु के बाद।
  • जातीयता: कुछ जातीय समूहों के लोगों में टाइप 2 मधुमेह विकसित होने का खतरा अधिक होता है, जिनमें शामिल हैं:
    • अफ्रीकी अमेरिकी
    • हिस्पैनिक/लैटिनो अमेरिकी
    • अमेरिकी भारतीय (विशेष रूप से दक्षिण-पश्चिमी जनजातियाँ)
    • एशियाई अमेरिकी (विशेष रूप से दक्षिण एशियाई)
    • प्रशांत द्वीप वासी

परिवर्तनीय जोखिम कारक (जिन्हें बदला जा सकता है):

  • मोटापा या अधिक वजन: अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त होने से इंसुलिन प्रतिरोध विकसित होने का खतरा बहुत बढ़ जाता है। पेट के आसपास जमा वसा विशेष रूप से जोखिम भरा होता है।
  • शारीरिक निष्क्रियता: जो लोग नियमित रूप से शारीरिक गतिविधि नहीं करते हैं, उनमें टाइप 2 मधुमेह विकसित होने की संभावना अधिक होती है। व्यायाम आपके शरीर को इंसुलिन के प्रति अधिक संवेदनशील बनाने में मदद करता है।
  • अस्वस्थ आहार: उच्च वसा, उच्च कैलोरी और कम फाइबर वाला आहार टाइप 2 मधुमेह के खतरे को बढ़ा सकता है।
  • प्रीडायबिटीज: जिन लोगों में प्रीडायबिटीज (रक्त शर्करा का स्तर सामान्य से अधिक लेकिन मधुमेह के स्तर से कम) होता है, उनमें टाइप 2 मधुमेह विकसित होने का खतरा बहुत अधिक होता है।
  • गर्भावधि मधुमेह का इतिहास: जिन महिलाओं को अपनी गर्भावस्था के दौरान गर्भावधि मधुमेह (गर्भावस्था के दौरान होने वाला मधुमेह) हुआ था, उनमें बाद में टाइप 2 मधुमेह विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है।
  • पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस): पीसीओएस वाली महिलाओं में इंसुलिन प्रतिरोध आम है, जिससे टाइप 2 मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है।
  • उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर): उच्च रक्तचाप वाले लोगों में टाइप 2 मधुमेह विकसित होने का खतरा अधिक होता है।
  • असामान्य कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड का स्तर: उच्च एलडीएल (“खराब”) कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड का स्तर, और कम एचडीएल (“अच्छा”) कोलेस्ट्रॉल का स्तर टाइप 2 मधुमेह के खतरे को बढ़ा सकता है।

टाइप 2 मधुमेह से कौन सी बीमारियां जुड़ी हैं?

टाइप 2 मधुमेह कई अन्य बीमारियों और स्वास्थ्य समस्याओं के बढ़ते जोखिम से जुड़ा हुआ है। लंबे समय तक उच्च रक्त शर्करा का स्तर आपके शरीर के विभिन्न अंगों और प्रणालियों को नुकसान पहुंचा सकता है। टाइप 2 मधुमेह से जुड़ी कुछ प्रमुख बीमारियां और जटिलताएं इस प्रकार हैं:

हृदय और रक्त वाहिका रोग:

  • हृदय रोग (कोरोनरी धमनी रोग): मधुमेह धमनियों को संकुचित और कठोर कर सकता है (एथेरोस्क्लेरोसिस), जिससे हृदय में रक्त का प्रवाह कम हो जाता है और सीने में दर्द (एनजाइना), दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है।
  • स्ट्रोक: मधुमेह मस्तिष्क में रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाकर स्ट्रोक के खतरे को बढ़ाता है।
  • उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन): मधुमेह और उच्च रक्तचाप अक्सर एक साथ होते हैं और हृदय रोग और स्ट्रोक के जोखिम को और बढ़ाते हैं।
  • परिधीय धमनी रोग (पीएडी): मधुमेह पैरों और हाथों में रक्त वाहिकाओं को संकुचित कर सकता है, जिससे दर्द, सुन्नता और संक्रमण हो सकता है। गंभीर मामलों में, इससे अंग विच्छेदन की आवश्यकता हो सकती है।

तंत्रिका क्षति (न्यूरोपैथी):

  • उच्च रक्त शर्करा नसों को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे सुन्नता, झुनझुनी, दर्द और कमजोरी हो सकती है। यह अक्सर पैरों और हाथों में शुरू होता है।
  • स्वायत्त न्यूरोपैथी: यह पाचन, हृदय गति, रक्तचाप, मूत्राशय और आंत्र कार्यों और यौन क्रिया जैसे अनैच्छिक शारीरिक कार्यों को नियंत्रित करने वाली नसों को प्रभावित कर सकता है।

गुर्दे की बीमारी (नेफ्रोपैथी):

  • मधुमेह गुर्दे में छोटी रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे गुर्दे की कार्यक्षमता कम हो जाती है और अंततः गुर्दे की विफलता हो सकती है।

आंखों की समस्याएं (रेटिनोपैथी):

  • मधुमेह आंखों की रेटिना में रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे दृष्टि धुंधली हो सकती है, और अनुपचारित रहने पर अंधापन भी हो सकता है। मधुमेह मोतियाबिंद और ग्लूकोमा के खतरे को भी बढ़ाता है।

पैरों की समस्याएं:

  • तंत्रिका क्षति और खराब रक्त परिसंचरण के कारण, मधुमेह वाले लोगों में पैरों की समस्याएं जैसे कि छाले, संक्रमण और गैंग्रीन विकसित होने का खतरा अधिक होता है, जिससे अंग विच्छेदन की आवश्यकता हो सकती है।

त्वचा की समस्याएं:

  • मधुमेह वाले लोगों को जीवाणु और फंगल संक्रमण सहित विभिन्न त्वचा समस्याओं का खतरा अधिक होता है।

श्रवण हानि:

  • अध्ययनों से पता चला है कि मधुमेह श्रवण हानि के बढ़ते जोखिम से जुड़ा हो सकता है।

मस्तिष्क संबंधी समस्याएं:

  • टाइप 2 मधुमेह अल्जाइमर रोग और अन्य प्रकार के डिमेंशिया के बढ़ते जोखिम से जुड़ा हुआ है।

मसूड़ों की बीमारी (पीरियडोंटाइटिस):

  • मधुमेह मसूड़ों के संक्रमण और हड्डी के नुकसान के खतरे को बढ़ाता है।

गैर-अल्कोहल फैटी लिवर रोग (एनएएफएलडी):

  • टाइप 2 मधुमेह वाले कई लोगों में एनएएफएलडी भी होता है, एक ऐसी स्थिति जिसमें यकृत में अतिरिक्त वसा जमा हो जाती है।

टाइप 2 मधुमेह का निदान कैसे करें?

टाइप 2 मधुमेह का निदान आमतौर पर रक्त परीक्षणों के माध्यम से किया जाता है जो आपके रक्त शर्करा (ग्लूकोज) के स्तर को मापते हैं। निदान के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले मुख्य परीक्षण इस प्रकार हैं:

  1. ए1सी (ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन) परीक्षण: यह परीक्षण पिछले 2-3 महीनों में आपके औसत रक्त शर्करा के स्तर को मापता है। यह दर्शाता है कि आपके लाल रक्त कोशिकाओं से कितना ग्लूकोज जुड़ा हुआ है। आपको इस परीक्षण के लिए उपवास करने की आवश्यकता नहीं है।
    • सामान्य: 5.7% से कम
    • प्रीडायबिटीज: 5.7% से 6.4%
    • मधुमेह: 6.5% या उससे अधिक (दो अलग-अलग परीक्षणों पर पुष्टि की जानी चाहिए)
  2. उपवास रक्त शर्करा परीक्षण (फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज): यह परीक्षण रात भर (कम से कम 8 घंटे) उपवास के बाद आपके रक्त शर्करा के स्तर को मापता है।
    • सामान्य: 100 मिलीग्राम/डीएल (5.6 mmol/L) से कम
    • प्रीडायबिटीज: 100 से 125 मिलीग्राम/डीएल (5.6 से 6.9 mmol/L)
    • मधुमेह: 126 मिलीग्राम/डीएल (7.0 mmol/L) या उससे अधिक (दो अलग-अलग परीक्षणों पर पुष्टि की जानी चाहिए)
  3. मौखिक ग्लूकोज सहिष्णुता परीक्षण (ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट – OGTT): इस परीक्षण के लिए, आप रात भर उपवास करते हैं, फिर आपके उपवास रक्त शर्करा का स्तर मापा जाता है। इसके बाद, आप एक मीठा तरल पीते हैं जिसमें ग्लूकोज होता है, और अगले दो घंटों में समय-समय पर आपके रक्त शर्करा के स्तर को मापा जाता है।
    • सामान्य: 2 घंटे के बाद 140 मिलीग्राम/डीएल (7.8 mmol/L) से कम
    • प्रीडायबिटीज: 2 घंटे के बाद 140 से 199 मिलीग्राम/डीएल (7.8 से 11.0 mmol/L)
    • मधुमेह: 2 घंटे के बाद 200 मिलीग्राम/डीएल (11.1 mmol/L) या उससे अधिक
  4. यादृच्छिक रक्त शर्करा परीक्षण (रैंडम प्लाज्मा ग्लूकोज): यह परीक्षण दिन के किसी भी समय किया जा सकता है, भले ही आपने कब खाया हो। यदि आपके मधुमेह के लक्षण हैं, तो 200 मिलीग्राम/डीएल (11.1 mmol/L) या उससे अधिक का स्तर मधुमेह का सुझाव दे सकता है। निदान की पुष्टि के लिए अन्य परीक्षणों की आवश्यकता होगी।

टाइप 2 मधुमेह का इलाज क्या है?

टाइप 2 मधुमेह का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन इसे प्रभावी ढंग से प्रबंधित किया जा सकता है ताकि रक्त शर्करा के स्तर को स्वस्थ सीमा के भीतर रखा जा सके और जटिलताओं के जोखिम को कम किया जा सके। उपचार में आमतौर पर जीवनशैली में बदलाव और दवाएं शामिल होती हैं, और अक्सर दोनों का संयोजन आवश्यक होता है।

जीवनशैली में बदलाव:

  • स्वस्थ भोजन: एक संतुलित आहार खाना महत्वपूर्ण है जो फल, सब्जियां, साबुत अनाज, दुबला प्रोटीन और स्वस्थ वसा से भरपूर हो। प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों, शर्करा युक्त पेय और अस्वास्थ्यकर वसा का सेवन सीमित करना चाहिए। आहार योजना बनाने में मदद के लिए एक पंजीकृत आहार विशेषज्ञ उपयोगी हो सकता है।
  • नियमित व्यायाम: नियमित शारीरिक गतिविधि आपके रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने, इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार करने और हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करती है। सप्ताह के अधिकांश दिनों में कम से कम 30 मिनट मध्यम-तीव्रता वाला व्यायाम करने का लक्ष्य रखें। इसमें तेज चलना, तैरना, साइकिल चलाना या नृत्य करना शामिल हो सकता है।
  • स्वस्थ वजन बनाए रखना: यदि आप अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त हैं, तो थोड़ा सा वजन कम करना भी आपके रक्त शर्करा के स्तर, रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल में सुधार कर सकता है। धीरे-धीरे और लगातार वजन कम करने का लक्ष्य रखें।
  • तनाव प्रबंधन: तनाव आपके रक्त शर्करा के स्तर को प्रभावित कर सकता है। योग, ध्यान या शौक जैसी तनाव कम करने वाली गतिविधियों को अपनी दिनचर्या में शामिल करना सहायक हो सकता है।
  • धूम्रपान छोड़ना: यदि आप धूम्रपान करते हैं, तो छोड़ना आपके समग्र स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है और मधुमेह की जटिलताओं के जोखिम को कम करता है।

दवाएं:

यदि जीवनशैली में बदलाव अकेले आपके रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं, तो आपके डॉक्टर दवाएं लिख सकते हैं। टाइप 2 मधुमेह के इलाज के लिए कई प्रकार की दवाएं उपलब्ध हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • मेटफॉर्मिन: यह आमतौर पर निर्धारित की जाने वाली पहली दवा है। यह यकृत द्वारा उत्पादित ग्लूकोज की मात्रा को कम करके और आपके शरीर की कोशिकाओं को इंसुलिन के प्रति अधिक संवेदनशील बनाकर काम करती है।
  • सल्फोनीलुरिया (जैसे ग्लिपीजाइड, ग्लिमेपाइराइड): ये दवाएं आपके अग्न्याशय को अधिक इंसुलिन बनाने के लिए उत्तेजित करती हैं।
  • मेग्लिटिनाइड्स (जैसे रेपाग्लिनाइड, नाटेग्लिनाइड): ये सल्फोनीलुरिया के समान काम करते हैं लेकिन इनका प्रभाव कम समय तक रहता है और भोजन से पहले लिया जाता है।
  • थियाजोलिडिनेडियोन्स (ग्लिटाज़ोन) (जैसे पियोग्लिटाज़ोन, रोसिग्लिटाज़ोन): ये दवाएं आपके शरीर की कोशिकाओं को इंसुलिन के प्रति अधिक संवेदनशील बनाती हैं।
  • डीपीपी-4 इनहिबिटर (जैसे सिटाग्लिप्टिन, सैक्साग्लिप्टिन): ये दवाएं उन हार्मोनों को अवरुद्ध करके काम करती हैं जो रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ाते हैं, और अग्न्याशय को अधिक इंसुलिन जारी करने में मदद करते हैं।
  • एसजीएलटी2 इनहिबिटर (जैसे कैनाग्लिफ्लोज़िन, डैपाग्लिफ्लोज़िन): ये दवाएं आपके गुर्दे को आपके मूत्र में अतिरिक्त ग्लूकोज निकालने में मदद करती हैं। इनके हृदय और गुर्दे के स्वास्थ्य पर भी लाभकारी प्रभाव पाए गए हैं।
  • जीएलपी-1 रिसेप्टर एगोनिस्ट (जैसे लिराग्लूटाइड, सेमाग्लूटाइड): ये इंजेक्टेबल दवाएं हैं जो आंतों के हार्मोन की क्रिया की नकल करती हैं जो इंसुलिन रिलीज को उत्तेजित करती हैं, ग्लूकोज उत्पादन को कम करती हैं और भूख को कम करती हैं। इनके हृदय स्वास्थ्य पर भी लाभकारी प्रभाव पाए गए हैं।
  • इंसुलिन: कुछ लोगों को अपने रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने के लिए इंसुलिन इंजेक्शन की आवश्यकता हो सकती है। टाइप 2 मधुमेह वाले लोगों में इंसुलिन का उपयोग तब किया जाता है जब अन्य दवाएं पर्याप्त प्रभावी नहीं होती हैं।

आपके लिए सबसे अच्छी दवा या दवाओं का संयोजन आपके व्यक्तिगत स्वास्थ्य आवश्यकताओं और रक्त शर्करा के स्तर के आधार पर आपके डॉक्टर द्वारा निर्धारित किया जाएगा।

नियमित निगरानी:

अपने मधुमेह का प्रभावी ढंग से प्रबंधन करने के लिए नियमित रूप से अपने रक्त शर्करा के स्तर की निगरानी करना महत्वपूर्ण है। आपके डॉक्टर आपको बताएंगे कि आपको कितनी बार अपने रक्त शर्करा की जांच करनी चाहिए और आपके लक्ष्य रक्त शर्करा का स्तर क्या होना चाहिए।

नियमित चिकित्सा जांच:

अपनी स्वास्थ्य सेवा टीम के साथ नियमित रूप से अपॉइंटमेंट लेना महत्वपूर्ण है ताकि आपकी मधुमेह का प्रबंधन किया जा सके और जटिलताओं के लिए जांच की जा सके। इसमें आपके ए1सी स्तर की नियमित जांच, आंखों की जांच, गुर्दे की कार्यक्षमता की जांच और पैरों की जांच शामिल हो सकती है।

टाइप 2 मधुमेह के प्रबंधन के लिए एक सक्रिय दृष्टिकोण अपनाना महत्वपूर्ण है। स्वस्थ जीवनशैली विकल्पों को अपनाकर, अपनी दवाएं निर्धारित अनुसार लेकर और अपनी स्वास्थ्य सेवा टीम के साथ मिलकर काम करके, आप स्वस्थ और सक्रिय जीवन जी सकते हैं और मधुमेह से जुड़ी जटिलताओं के जोखिम को कम कर सकते हैं।

टाइप 2 मधुमेह का घरेलू इलाज क्या है?

टाइप 2 मधुमेह के प्रबंधन में घरेलू उपचार एक सहायक भूमिका निभा सकते हैं, लेकिन यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि वे चिकित्सा उपचार का विकल्प नहीं हैं। घरेलू उपचार का उद्देश्य रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने, इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार करने और समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मदद करना है। हमेशा किसी भी घरेलू उपचार को आजमाने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें, खासकर यदि आप पहले से ही दवाएं ले रहे हैं।

यहाँ कुछ घरेलू उपचार दिए गए हैं जो टाइप 2 मधुमेह के प्रबंधन में सहायक हो सकते हैं:

आहार संबंधी बदलाव:

  • उच्च फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ: अपने आहार में अधिक घुलनशील और अघुलनशील फाइबर शामिल करें। यह रक्त शर्करा के स्तर को स्थिर करने, पाचन में सुधार करने और तृप्ति की भावना को बढ़ाने में मदद करता है। अच्छे स्रोतों में फल, सब्जियां, साबुत अनाज, दालें और नट्स शामिल हैं।
  • कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) वाले खाद्य पदार्थ: ऐसे खाद्य पदार्थों का चयन करें जो धीरे-धीरे ग्लूकोज छोड़ते हैं और रक्त शर्करा में अचानक वृद्धि को रोकते हैं। इनमें अधिकांश फल और सब्जियां, साबुत अनाज और फलियां शामिल हैं।
  • भाग नियंत्रण: प्रत्येक भोजन में अपने भोजन के आकार पर ध्यान दें ताकि कैलोरी और कार्बोहाइड्रेट का सेवन नियंत्रित रहे। छोटे और बार-बार भोजन करना भी रक्त शर्करा के स्तर को स्थिर रखने में मदद कर सकता है।
  • पर्याप्त पानी पीना: निर्जलीकरण रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ा सकता है। पूरे दिन खूब पानी पिएं। शर्करा युक्त पेय पदार्थों से बचें।

जीवनशैली में बदलाव:

  • नियमित व्यायाम: जैसा कि पहले भी बताया गया है, नियमित शारीरिक गतिविधि इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार करती है और रक्त शर्करा के स्तर को कम करने में मदद करती है। प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट मध्यम-तीव्रता वाला व्यायाम करने का लक्ष्य रखें।
  • पर्याप्त नींद: पर्याप्त नींद लेना आपके रक्त शर्करा के स्तर और समग्र स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। हर रात 7-8 घंटे की गुणवत्ता वाली नींद लेने का लक्ष्य रखें।
  • तनाव प्रबंधन: योग, ध्यान, गहरी सांस लेने के व्यायाम या अपनी पसंदीदा शौक में शामिल होकर तनाव को प्रबंधित करें। उच्च तनाव रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ा सकता है।
  • धूम्रपान और शराब से बचें: ये दोनों आपके रक्त शर्करा के नियंत्रण और समग्र स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।

पारंपरिक और हर्बल उपचार (सावधानी के साथ):

कुछ पारंपरिक और हर्बल उपचार हैं जिनका उपयोग कुछ लोगों द्वारा टाइप 2 मधुमेह के प्रबंधन के लिए किया जाता है। हालांकि, इनमें से कई उपचारों पर वैज्ञानिक शोध सीमित है, और वे आपकी दवाओं के साथ परस्पर क्रिया कर सकते हैं। इसलिए, इन्हें आजमाने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें। कुछ उदाहरणों में शामिल हैं:

  • मेथी के दाने: कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि मेथी के दाने रक्त शर्करा के स्तर को कम करने में मदद कर सकते हैं। इन्हें रात भर भिगोकर सुबह खाली पेट खाया जा सकता है या भोजन में शामिल किया जा सकता है।
  • दालचीनी: कुछ शोध बताते हैं कि दालचीनी इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार कर सकती है। इसे चाय में मिलाकर या भोजन पर छिड़क कर इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • करेला: करेले का रस या सब्जी का सेवन कुछ लोगों में रक्त शर्करा के स्तर को कम करने में मदद कर सकता है। हालांकि, इसका स्वाद कड़वा होता है।
  • जामुन के पत्ते: जामुन के पत्तों का उपयोग पारंपरिक रूप से रक्त शर्करा को नियंत्रित करने के लिए किया जाता रहा है। इसकी चाय पी जा सकती है।
  • ग्रीन टी: ग्रीन टी में एंटीऑक्सिडेंट होते हैं जो समग्र स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकते हैं और कुछ अध्ययनों में रक्त शर्करा नियंत्रण में संभावित लाभ दिखाया गया है।
  • एलोवेरा: एलोवेरा जूस का सेवन कुछ लोगों में रक्त शर्करा के स्तर को कम करने में मदद कर सकता है।

महत्वपूर्ण बातें:

  • अपने डॉक्टर से सलाह लें: किसी भी घरेलू उपचार को शुरू करने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर से बात करें, खासकर यदि आप दवाएं ले रहे हैं।
  • चिकित्सा उपचार को न छोड़ें: घरेलू उपचार को अपने निर्धारित चिकित्सा उपचार के पूरक के रूप में इस्तेमाल करें, न कि विकल्प के रूप में।
  • नियमित निगरानी: अपने रक्त शर्करा के स्तर की नियमित रूप से निगरानी करते रहें ताकि यह पता चल सके कि कोई भी घरेलू उपचार आपके लिए काम कर रहा है या नहीं।
  • अति न करें: किसी भी घरेलू उपचार की अत्यधिक मात्रा में सेवन न करें, क्योंकि इससे दुष्प्रभाव हो सकते हैं।
  • वैज्ञानिक प्रमाण की कमी: ध्यान रखें कि कई घरेलू उपचारों पर वैज्ञानिक शोध सीमित है।

टाइप 2 मधुमेह में क्या खाएं और क्या न खाएं?

टाइप 2 मधुमेह के प्रबंधन के लिए सही भोजन का चुनाव महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सीधे आपके रक्त शर्करा के स्तर को प्रभावित करता है। यहां एक विस्तृत गाइड दी गई है कि टाइप 2 मधुमेह में क्या खाएं और क्या न खाएं:

क्या खाएं (Eat These):

  • गैर-स्टार्च वाली सब्जियां: ये फाइबर, विटामिन और खनिजों से भरपूर होती हैं और इनमें कैलोरी और कार्बोहाइड्रेट कम होते हैं। इन्हें भरपूर मात्रा में खाएं:
    • पत्तेदार साग (पालक, मेथी, केल, सलाद)
    • ब्रोकोली, फूलगोभी, पत्तागोभी
    • गाजर
    • खीरा
    • शिमला मिर्च
    • प्याज
    • टमाटर
    • मशरूम
    • बैंगन
    • भिंडी
    • हरी बीन्स
  • साबुत अनाज: ये धीरे-धीरे पचते हैं और रक्त शर्करा के स्तर में अचानक वृद्धि को रोकते हैं। फाइबर से भरपूर होते हैं:
    • साबुत गेहूं की रोटी और पास्ता
    • ओट्स (बिना चीनी मिलाए)
    • क्विनोआ
    • बाजरा
    • जौ
    • ब्राउन राइस
  • फल (moderation में): फल प्राकृतिक शर्करा युक्त होते हैं, इसलिए इन्हें सीमित मात्रा में खाना चाहिए। कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) वाले फलों को प्राथमिकता दें:
    • बेरीज (ब्लूबेरी, स्ट्रॉबेरी, रसभरी)
    • सेब
    • नाशपाती
    • संतरा
    • अंगूर (कम मात्रा में)
    • चेरी
    • कीवी
  • दुबला प्रोटीन: यह आपको भरा हुआ महसूस कराता है और रक्त शर्करा के स्तर पर कम प्रभाव डालता है:
    • बिना त्वचा वाला चिकन और टर्की
    • मछली (विशेष रूप से ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त जैसे सैल्मन, मैकेरल, सार्डिन)
    • टोफू और अन्य सोया उत्पाद
    • दालें (बीन्स, दाल, चना)
    • कम वसा वाला पनीर और दही
    • अंडे (moderation में)
  • स्वस्थ वसा (moderation में): ये हृदय स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं लेकिन कैलोरी में उच्च होते हैं, इसलिए सीमित मात्रा में सेवन करें:
    • एवोकैडो
    • नट्स (बादाम, अखरोट, मूंगफली)
    • बीज (चिया सीड्स, अलसी के बीज)
    • जैतून का तेल
  • कम वसा वाले डेयरी उत्पाद (moderation में):
    • बिना चीनी वाला दही
    • कम वसा वाला दूध

क्या न खाएं (Avoid These):

  • शर्करा युक्त पेय: ये रक्त शर्करा के स्तर में तेजी से वृद्धि करते हैं और इनमें कैलोरी भी अधिक होती है:
    • सोडा
    • जूस (यहां तक कि 100% फल का रस भी सीमित मात्रा में)
    • मीठी चाय और कॉफी
    • स्पोर्ट्स ड्रिंक्स
    • एनर्जी ड्रिंक्स
  • परिष्कृत अनाज: इनमें फाइबर कम होता है और ये जल्दी पचकर रक्त शर्करा बढ़ाते हैं:
    • सफेद ब्रेड
    • सफेद पास्ता
    • सफेद चावल
    • नाश्ता अनाज (चीनी युक्त)
    • मैदा से बने उत्पाद (जैसे बिस्कुट, पेस्ट्री)
  • प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ: इनमें अक्सर अस्वास्थ्यकर वसा, अतिरिक्त नमक और चीनी होती है:
    • फास्ट फूड
    • प्रोसेस्ड स्नैक्स (जैसे चिप्स, पटाखे)
    • प्रोसेस्ड मांस (जैसे सॉसेज, हॉट डॉग)
    • तैयार भोजन
  • उच्च वसा वाले डेयरी उत्पाद: इनमें संतृप्त वसा अधिक होती है जो हृदय स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है:
    • फुल फैट दूध
    • फुल फैट पनीर
    • आइसक्रीम
    • क्रीम
  • मीठे स्नैक्स और डेसर्ट: इनमें चीनी और अस्वास्थ्यकर वसा अधिक होती है:
    • कैंडी
    • केक
    • कुकीज
    • पेस्ट्री
    • गुलाब जामुन, जलेबी, आदि (पारंपरिक भारतीय मिठाइयां)
  • उच्च संतृप्त और ट्रांस वसा वाले खाद्य पदार्थ: ये हृदय रोग के खतरे को बढ़ाते हैं:
    • तले हुए खाद्य पदार्थ
    • पाम ऑयल और नारियल का तेल (सीमित मात्रा में)
    • मार्जरीन (ट्रांस वसा युक्त)

अतिरिक्त सुझाव:

  • भाग नियंत्रण: अपने भोजन के आकार पर ध्यान दें। छोटे और बार-बार भोजन करना रक्त शर्करा के स्तर को स्थिर रखने में मदद कर सकता है।
  • भोजन का समय: नियमित समय पर भोजन करें और भोजन न छोड़ें।
  • लेबल पढ़ना: खाद्य उत्पादों के पोषण लेबल को ध्यान से पढ़ें ताकि चीनी, वसा और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा जान सकें।
  • खाना पकाने के तरीके: तलने के बजाय बेकिंग, ग्रिलिंग या भाप में पकाने जैसे स्वस्थ तरीकों का उपयोग करें।
  • हाइड्रेटेड रहें: पूरे दिन खूब पानी पिएं।
  • व्यक्तिगत योजना: एक पंजीकृत आहार विशेषज्ञ से सलाह लें जो आपकी व्यक्तिगत आवश्यकताओं और पसंद के अनुसार एक भोजन योजना बनाने में मदद कर सके।

टाइप 2 मधुमेह के जोखिम को कैसे कम करें?

टाइप 2 मधुमेह के जोखिम को कम करने के लिए आप कई प्रभावी कदम उठा सकते हैं, खासकर यदि आपके पास जोखिम कारक हैं जैसे कि मोटापा, पारिवारिक इतिहास या प्रीडायबिटीज। जीवनशैली में बदलाव करके आप इस बीमारी के विकास को काफी हद तक रोक सकते हैं या विलंबित कर सकते हैं। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण रणनीतियाँ दी गई हैं:

1. स्वस्थ वजन बनाए रखें:

  • यदि आपका वजन अधिक है या आप मोटापे से ग्रस्त हैं, तो वजन कम करना टाइप 2 मधुमेह के खतरे को काफी कम कर सकता है।
  • यहां तक कि आपके शरीर के वजन का 5-7% कम करना भी महत्वपूर्ण लाभ दिखा सकता है।
  • धीरे-धीरे और लगातार वजन कम करने का लक्ष्य रखें (प्रति सप्ताह 0.5-1 किलोग्राम)।

2. स्वस्थ आहार अपनाएं:

  • फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ: अपने आहार में फल, सब्जियां, साबुत अनाज और फलियां शामिल करें। फाइबर रक्त शर्करा के स्तर को स्थिर करने और तृप्ति की भावना को बढ़ाने में मदद करता है।
  • कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) वाले खाद्य पदार्थ: ऐसे खाद्य पदार्थों का चयन करें जो धीरे-धीरे ग्लूकोज छोड़ते हैं।
  • कम वसा और कम कैलोरी वाला आहार: प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों, शर्करा युक्त पेय और अस्वास्थ्यकर वसा का सेवन सीमित करें।
  • भाग नियंत्रण: प्रत्येक भोजन में अपने भोजन के आकार पर ध्यान दें।
  • हाइड्रेटेड रहें: खूब पानी पिएं और शर्करा युक्त पेय पदार्थों से बचें।

3. नियमित रूप से व्यायाम करें:

  • सप्ताह के अधिकांश दिनों में कम से कम 30 मिनट मध्यम-तीव्रता वाला व्यायाम करने का लक्ष्य रखें। इसमें तेज चलना, तैरना, साइकिल चलाना या नृत्य करना शामिल हो सकता है।
  • नियमित शारीरिक गतिविधि इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार करती है और रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करती है।
  • शक्ति प्रशिक्षण (weight training) भी मांसपेशियों को बनाने और इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार करने में मदद कर सकता है।

4. पर्याप्त नींद लें:

  • हर रात 7-8 घंटे की गुणवत्ता वाली नींद लेने का लक्ष्य रखें।
  • नींद की कमी इंसुलिन प्रतिरोध और रक्त शर्करा के स्तर को प्रभावित कर सकती है।

5. तनाव का प्रबंधन करें:

  • तनाव आपके रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ा सकता है। योग, ध्यान, गहरी सांस लेने के व्यायाम या अपनी पसंदीदा शौक में शामिल होकर तनाव को प्रबंधित करें।

6. धूम्रपान छोड़ें:

  • धूम्रपान इंसुलिन प्रतिरोध को बढ़ा सकता है और टाइप 2 मधुमेह के खतरे को बढ़ा सकता है, साथ ही हृदय रोग और अन्य जटिलताओं के जोखिम को भी बढ़ाता है।

7. शराब का सेवन सीमित करें:

  • अत्यधिक शराब का सेवन आपके रक्त शर्करा के स्तर को अस्थिर कर सकता है और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है।

8. नियमित जांच करवाएं:

  • यदि आपको टाइप 2 मधुमेह के जोखिम कारक हैं, तो अपने डॉक्टर से नियमित रूप से जांच करवाएं।
  • यदि आपको प्रीडायबिटीज है, तो अपने डॉक्टर की सलाह का पालन करें और जीवनशैली में बदलाव करके इसे टाइप 2 मधुमेह में विकसित होने से रोकने के लिए कदम उठाएं। कुछ मामलों में, डॉक्टर दवाएं भी लिख सकते हैं।

9. पारिवारिक इतिहास के बारे में जागरूक रहें:

  • यदि आपके परिवार में मधुमेह का इतिहास है, तो आप अपने जोखिम को कम करने के लिए और भी अधिक सक्रिय कदम उठा सकते हैं।

10. गर्भावस्था में मधुमेह (गर्भावधि मधुमेह) का प्रबंधन:

  • यदि आपको गर्भावस्था के दौरान गर्भावधि मधुमेह हुआ था, तो आपको बाद में टाइप 2 मधुमेह विकसित होने का खतरा अधिक होता है। स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर आप इस जोखिम को कम कर सकती हैं।

सारांश

टाइप 2 मधुमेह एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर या तो पर्याप्त इंसुलिन नहीं बनाता है या कोशिकाएं इंसुलिन का ठीक से उपयोग नहीं कर पाती हैं, जिससे रक्त शर्करा का स्तर बढ़ जाता है। इसके लक्षणों में अत्यधिक प्यास, बार-बार पेशाब आना, अत्यधिक भूख, अस्पष्टीकृत वजन घटना और थकान शामिल हैं। मोटापा, शारीरिक निष्क्रियता, पारिवारिक इतिहास और बढ़ती उम्र इसके प्रमुख कारण हैं। टाइप 2 मधुमेह हृदय रोग, तंत्रिका क्षति, गुर्दे की बीमारी और आंखों की समस्याओं जैसी कई बीमारियों से जुड़ा है।

इसका निदान रक्त परीक्षणों (ए1सी, उपवास रक्त शर्करा, मौखिक ग्लूकोज सहिष्णुता परीक्षण) से किया जाता है। इलाज में स्वस्थ भोजन, नियमित व्यायाम, स्वस्थ वजन बनाए रखना और आवश्यकतानुसार दवाएं (जैसे मेटफॉर्मिन, सल्फोनीलुरिया, इंसुलिन) शामिल हैं। घरेलू उपचार जैसे उच्च फाइबर युक्त भोजन, नियमित व्यायाम और तनाव प्रबंधन सहायक हो सकते हैं, लेकिन चिकित्सा उपचार का विकल्प नहीं हैं।

टाइप 2 मधुमेह के खतरे को स्वस्थ वजन बनाए रखकर, स्वस्थ आहार अपनाकर, नियमित रूप से व्यायाम करके, पर्याप्त नींद लेकर और तनाव का प्रबंधन करके कम किया जा सकता है। जोखिम कारकों वाले लोगों के लिए नियमित जांच महत्वपूर्ण है।

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