हाइपरथायरायडिज्म

हाइपरथायरायडिज्म

हाइपरथायरायडिज्म क्या है?

हाइपरथायरायडिज्म एक ऐसी स्थिति है जिसमें थायरॉयड ग्रंथि बहुत अधिक थायराइड हार्मोन का उत्पादन करती है। थायराइड हार्मोन आपके शरीर के चयापचय को नियंत्रित करते हैं, जो आपके शरीर की ऊर्जा का उपयोग करने की प्रक्रिया है। जब थायरॉयड ग्रंथि अति सक्रिय होती है, तो यह बहुत अधिक हार्मोन का उत्पादन करती है, जिससे आपके शरीर के चयापचय में तेजी आती है।

हाइपरथायरायडिज्म के कारण:

  • ग्रेव्स रोग: यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है जो थायरॉयड ग्रंथि को उत्तेजित करती है।
  • थायराइड नोड्यूल्स: ये थायरॉयड ग्रंथि पर गांठ होते हैं जो अतिरिक्त हार्मोन का उत्पादन कर सकते हैं।
  • थायरायडिटिस: यह थायरॉयड ग्रंथि की सूजन है जो अस्थायी रूप से हार्मोन के स्तर को बढ़ा सकती है।
  • अत्यधिक आयोडीन का सेवन: बहुत अधिक आयोडीन का सेवन थायरॉयड ग्रंथि को अति सक्रिय कर सकता है।

हाइपरथायरायडिज्म के लक्षण:

  • तेज धड़कन
  • घबराहट या चिड़चिड़ापन
  • पसीना आना
  • गर्मी के प्रति संवेदनशीलता
  • वजन घटना
  • भूख में वृद्धि
  • नींद में कठिनाई
  • थकान
  • मांसपेशियों में कमजोरी
  • हाथों में कंपन
  • आंत्र आंदोलनों में वृद्धि
  • थायरॉइड ग्रंथि का बढ़ना (गण्डमाला)

हाइपरथायरायडिज्म का निदान:

  • रक्त परीक्षण: थायराइड हार्मोन (टी3 और टी4) और थायराइड-उत्तेजक हार्मोन (टीएसएच) के स्तर को मापने के लिए रक्त परीक्षण किया जाता है।
  • थायराइड स्कैन: यह थायरॉयड ग्रंथि की छवि बनाने के लिए रेडियोधर्मी आयोडीन का उपयोग करता है।
  • अल्ट्रासाउंड: यह थायरॉयड ग्रंथि की छवि बनाने के लिए ध्वनि तरंगों का उपयोग करता है।

हाइपरथायरायडिज्म का उपचार:

  • एंटीथायरॉइड दवाएं: ये दवाएं थायरॉयड ग्रंथि को हार्मोन का उत्पादन करने से रोकती हैं।
  • रेडियोधर्मी आयोडीन थेरेपी: यह थायरॉयड ग्रंथि को नष्ट करने के लिए रेडियोधर्मी आयोडीन का उपयोग करता है।
  • सर्जरी: थायरॉयड ग्रंथि को हटाने के लिए सर्जरी की जा सकती है।

हाइपरथायरायडिज्म के कारण क्या हैं?

हाइपरथायरायडिज्म थायरॉयड ग्रंथि की एक स्थिति है, जिसमें थायरॉयड ग्रंथि बहुत अधिक थायराइड हार्मोन का उत्पादन करती है। यह निम्नलिखित कारणों से हो सकता है:

  • ग्रेव्स रोग: यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली थायरॉयड ग्रंथि पर हमला करती है और इसे अत्यधिक थायराइड हार्मोन का उत्पादन करने के लिए उत्तेजित करती है। यह हाइपरथायरायडिज्म का सबसे आम कारण है।
  • थायरॉइड नोड्यूल्स: ये थायरॉयड ग्रंथि पर गांठ होते हैं जो अतिरिक्त थायराइड हार्मोन का उत्पादन कर सकते हैं।
  • थायरायडिटिस: यह थायरॉयड ग्रंथि की सूजन है, जो अस्थायी रूप से हार्मोन के स्तर को बढ़ा सकती है।
  • अत्यधिक आयोडीन का सेवन: बहुत अधिक आयोडीन का सेवन थायरॉयड ग्रंथि को अति सक्रिय कर सकता है।
  • अत्यधिक थायराइड हार्मोन का सेवन: थायराइड हार्मोन की दवाओं का अत्यधिक सेवन भी हाइपरथायरायडिज्म का कारण बन सकता है।
  • पिट्यूटरी ग्रंथि की समस्या: पिट्यूटरी ग्रंथि थायराइड ग्रंथि को नियंत्रित करती है। पिट्यूटरी ग्रंथि की कुछ समस्याएं थायराइड ग्रंथि को अत्यधिक थायराइड हार्मोन का उत्पादन करने के लिए उत्तेजित कर सकती हैं।
  • थायरॉयड कैंसर: दुर्लभ मामलों में, थायरॉयड कैंसर भी हाइपरथायरायडिज्म का कारण बन सकता है।

हाइपरथायरायडिज्म के कारण अंतर्निहित कारण के आधार पर भिन्न हो सकते हैं। यदि आपको हाइपरथायरायडिज्म के लक्षण हैं, तो डॉक्टर से परामर्श करना महत्वपूर्ण है। वे आपके लक्षणों का निदान कर सकते हैं और आपके लिए सबसे अच्छा उपचार योजना विकसित कर सकते हैं।

हाइपरथायरायडिज्म के संकेत और लक्षण क्या हैं?

हाइपरथायरायडिज्म के संकेत और लक्षण व्यक्ति-दर-व्यक्ति अलग-अलग हो सकते हैं, और कुछ लोगों में कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं। यहाँ कुछ सामान्य संकेत और लक्षण दिए गए हैं:

शारीरिक लक्षण:

  • तेज धड़कन: हृदय गति में वृद्धि, जो घबराहट या सीने में धड़कन के रूप में महसूस हो सकती है।
  • वजन घटना: भूख बढ़ने के बावजूद अनजाने में वजन कम होना।
  • पसीना आना: सामान्य से अधिक पसीना आना, खासकर रात में।
  • गर्मी के प्रति संवेदनशीलता: गर्मी के प्रति असहिष्णुता, जिससे अधिक पसीना और बेचैनी हो सकती है।
  • थकान: कमजोरी और थकान महसूस होना, खासकर मांसपेशियों में।
  • हाथों में कंपन: हाथों में अनियंत्रित कंपन या कांपना।
  • नींद में कठिनाई: अनिद्रा या सोने में परेशानी।
  • आंत्र आंदोलनों में वृद्धि: दस्त या बार-बार मल त्याग।
  • थायरॉइड ग्रंथि का बढ़ना (गण्डमाला): गर्दन में सूजन या गांठ महसूस होना।
  • आंखों की समस्याएं: ग्रेव्स रोग वाले लोगों में आंखों का उभार, लालिमा, जलन या दृष्टि में परिवर्तन हो सकता है।

मानसिक और भावनात्मक लक्षण:

  • घबराहट और चिंता: चिड़चिड़ापन, बेचैनी या घबराहट महसूस होना।
  • मूड में बदलाव: चिड़चिड़ापन, गुस्सा या भावनात्मक अस्थिरता।
  • ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई: ध्यान केंद्रित करने में परेशानी या मानसिक स्पष्टता की कमी।

अन्य लक्षण:

  • मांसपेशियों में कमजोरी: खासकर ऊपरी बाहों और जांघों में।
  • बालों का पतला होना: बालों का झड़ना या पतला होना।
  • त्वचा में बदलाव: पतली, चिकनी या गर्म त्वचा।

विशेष लक्षण:

  • ग्रेव्स रोग: यह हाइपरथायरायडिज्म का सबसे आम कारण है और इसमें आंखों की समस्याएं (ऑप्थाल्मोपैथी), त्वचा में बदलाव (डर्मोपैथी) और गण्डमाला जैसे अतिरिक्त लक्षण हो सकते हैं।

हाइपरथायरायडिज्म का खतरा किसे अधिक होता है?

हाइपरथायरायडिज्म का खतरा कुछ लोगों में अधिक होता है। यहाँ कुछ कारक दिए गए हैं जो हाइपरथायरायडिज्म के खतरे को बढ़ाते हैं:

  • लिंग: महिलाओं में पुरुषों की तुलना में हाइपरथायरायडिज्म विकसित होने की संभावना अधिक होती है।
  • उम्र: 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में हाइपरथायरायडिज्म का खतरा अधिक होता है।
  • पारिवारिक इतिहास: यदि आपके परिवार में किसी को थायरॉयड की समस्या है, तो आपको हाइपरथायरायडिज्म होने का खतरा अधिक होता है।
  • ऑटोइम्यून बीमारियां: ग्रेव्स रोग जैसी ऑटोइम्यून बीमारियों वाले लोगों में हाइपरथायरायडिज्म विकसित होने का खतरा अधिक होता है।
  • आयोडीन का अत्यधिक सेवन: बहुत अधिक आयोडीन का सेवन थायरॉयड ग्रंथि को अति सक्रिय कर सकता है।
  • कुछ दवाएं: कुछ दवाएं, जैसे कि लिथियम और एमियोडेरोन, हाइपरथायरायडिज्म का कारण बन सकती हैं।
  • गर्भावस्था: गर्भावस्था के दौरान हार्मोनल परिवर्तन थायरॉयड ग्रंथि को प्रभावित कर सकते हैं।
  • धूम्रपान: धूम्रपान हाइपरथायरायडिज्म के खतरे को बढ़ा सकता है।
  • तनाव: अत्यधिक तनाव थायरॉयड ग्रंथि को प्रभावित कर सकता है।

हाइपरथायरायडिज्म से कौन सी बीमारियां जुड़ी हैं?

हाइपरथायरायडिज्म, जिसमें थायरॉयड ग्रंथि अत्यधिक थायराइड हार्मोन का उत्पादन करती है, कई स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़ा हुआ है। यहाँ कुछ बीमारियाँ दी गई हैं जो हाइपरथायरायडिज्म से जुड़ी हो सकती हैं:

  • ग्रेव्स रोग:
    • यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है जो हाइपरथायरायडिज्म का सबसे आम कारण है।
    • यह आंखों की समस्याओं (ऑप्थाल्मोपैथी), त्वचा में बदलाव (डर्मोपैथी) और गण्डमाला का कारण बन सकता है।
  • हृदय संबंधी समस्याएं:
    • हाइपरथायरायडिज्म हृदय गति को बढ़ा सकता है, जिससे धड़कन, अतालता (अनियमित दिल की धड़कन) और दिल की विफलता जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
  • ऑस्टियोपोरोसिस:
    • अत्यधिक थायराइड हार्मोन हड्डियों के घनत्व को कम कर सकता है, जिससे ऑस्टियोपोरोसिस और फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है।
  • आंखों की समस्याएं:
    • ग्रेव्स रोग वाले लोगों में आंखों का उभार, लालिमा, जलन या दृष्टि में परिवर्तन हो सकता है।
  • त्वचा की समस्याएं:
    • त्वचा में बदलाव, जैसे कि पतली, चिकनी या गर्म त्वचा, हाइपरथायरायडिज्म से जुड़ा हो सकता है।
  • मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं:
    • हाइपरथायरायडिज्म चिंता, चिड़चिड़ापन, मूड में बदलाव और नींद में कठिनाई जैसी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है।
  • गर्भावस्था संबंधी समस्याएं:
    • गर्भावस्था के दौरान अनुपचारित हाइपरथायरायडिज्म समय से पहले जन्म, गर्भपात और अन्य जटिलताओं का खतरा बढ़ा सकता है।

हाइपरथायरायडिज्म का निदान कैसे करें?

हाइपरथायरायडिज्म का निदान करने के लिए डॉक्टर विभिन्न परीक्षणों का उपयोग करते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • शारीरिक परीक्षण:
    • डॉक्टर आपकी गर्दन की जांच करेंगे और थायरॉइड ग्रंथि में किसी भी तरह की वृद्धि या गांठ का पता लगाएंगे।
    • वे आपकी आंखों की भी जांच करेंगे, क्योंकि ग्रेव्स रोग में आंखों से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं।
    • आपकी हृदय गति और रक्तचाप की जांच भी की जाएगी।
  • रक्त परीक्षण:
    • यह हाइपरथायरायडिज्म का निदान करने का सबसे आम तरीका है।
    • रक्त परीक्षण थायराइड हार्मोन (टी3 और टी4) और थायराइड-उत्तेजक हार्मोन (टीएसएच) के स्तर को मापता है।
    • हाइपरथायरायडिज्म में, टी3 और टी4 का स्तर आमतौर पर अधिक होता है, और टीएसएच का स्तर कम होता है।
  • थायराइड स्कैन:
    • यह परीक्षण थायरॉयड ग्रंथि की छवि बनाने के लिए रेडियोधर्मी आयोडीन का उपयोग करता है।
    • यह डॉक्टरों को थायरॉइड नोड्यूल्स या अन्य असामान्यताओं का पता लगाने में मदद कर सकता है।
  • अल्ट्रासाउंड:
    • यह परीक्षण थायरॉयड ग्रंथि की छवि बनाने के लिए ध्वनि तरंगों का उपयोग करता है।
    • यह थायरॉइड नोड्यूल्स या अन्य असामान्यताओं का पता लगाने में मदद कर सकता है।
  • थायराइड एंटीबॉडी परीक्षण:
    • यह परीक्षण रक्त में एंटीबॉडी की उपस्थिति का पता लगाता है जो थायरॉयड ग्रंथि पर हमला करते हैं।
    • यह ग्रेव्स रोग का निदान करने में मदद कर सकता है।

हाइपरथायरायडिज्म का इलाज क्या है?

हाइपरथायरायडिज्म का उपचार अंतर्निहित कारण और लक्षणों की गंभीरता पर निर्भर करता है। यहाँ कुछ सामान्य उपचार विकल्प दिए गए हैं:

  • एंटीथायरॉइड दवाएं:
    • ये दवाएं थायरॉयड ग्रंथि को थायराइड हार्मोन का उत्पादन करने से रोकती हैं।
    • मेथिमाज़ोल और प्रोपाइलथियोरासिल (PTU) सबसे आम एंटीथायरॉइड दवाएं हैं।
    • इन दवाओं को आमतौर पर कुछ हफ्तों से लेकर महीनों तक लिया जाता है, जब तक कि थायराइड हार्मोन का स्तर सामान्य नहीं हो जाता।
  • रेडियोधर्मी आयोडीन थेरेपी:
    • यह थेरेपी थायरॉयड ग्रंथि को नष्ट करने के लिए रेडियोधर्मी आयोडीन का उपयोग करती है।
    • रेडियोधर्मी आयोडीन को मुंह से लिया जाता है और थायरॉयड ग्रंथि द्वारा अवशोषित किया जाता है।
    • यह थेरेपी आमतौर पर एक आउट पेशेंट प्रक्रिया है, जिसका मतलब है कि आपको अस्पताल में रात भर रहने की आवश्यकता नहीं होगी।
  • सर्जरी (थायरोइडेक्टॉमी):
    • कुछ मामलों में, थायरॉयड ग्रंथि को हटाने के लिए सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है।
    • यह आमतौर पर तब किया जाता है जब एंटीथायरॉइड दवाएं या रेडियोधर्मी आयोडीन थेरेपी प्रभावी नहीं होती हैं या जब थायरॉयड ग्रंथि बहुत बड़ी होती है।
  • बीटा-ब्लॉकर्स:
    • ये दवाएं थायराइड हार्मोन के प्रभावों को कम करने में मदद करती हैं, जैसे कि तेज धड़कन, कंपन और चिंता।
    • ये हाइपरथायरायडिज्म का इलाज नहीं करते हैं, लेकिन वे लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं।

उपचार के दौरान ध्यान देने योग्य बातें:

  • हाइपरथायरायडिज्म के उपचार के दौरान, नियमित रूप से थायराइड हार्मोन के स्तर की निगरानी करना महत्वपूर्ण है।
  • कुछ उपचारों के दुष्प्रभाव हो सकते हैं, इसलिए अपने डॉक्टर के साथ किसी भी चिंता पर चर्चा करें।
  • यदि आप गर्भवती हैं या स्तनपान करा रही हैं, तो अपने डॉक्टर को बताएं, क्योंकि कुछ उपचार आपके बच्चे को प्रभावित कर सकते हैं।

यदि आपको हाइपरथायरायडिज्म का निदान किया गया है, तो अपने डॉक्टर के साथ मिलकर एक उपचार योजना विकसित करें जो आपके लिए सबसे उपयुक्त हो।

हाइपरथायरायडिज्म का घरेलू इलाज क्या है?

हाइपरथायरायडिज्म एक गंभीर स्थिति है जिसके लिए चिकित्सा उपचार की आवश्यकता होती है। घरेलू उपचार लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं, लेकिन वे पेशेवर चिकित्सा उपचार का विकल्प नहीं हैं। यहाँ कुछ घरेलू उपचार दिए गए हैं:

  • आहार में बदलाव:
    • आयोडीन युक्त खाद्य पदार्थों से बचें: समुद्री शैवाल, आयोडीन युक्त नमक और कुछ समुद्री भोजन।
    • क्रूसिफेरस सब्जियां खाएं: ब्रोकोली, फूलगोभी, केल और पत्तागोभी।
    • कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थ खाएं: डेयरी उत्पाद, बादाम और हरी पत्तेदार सब्जियां।
  • तनाव कम करें:
    • तनाव थायराइड हार्मोन के स्तर को बढ़ा सकता है।
    • योग, ध्यान या गहरी सांस लेने जैसी विश्राम तकनीकों का अभ्यास करें।
    • पर्याप्त नींद लें।
  • हर्बल उपचार:
    • कुछ जड़ी-बूटियाँ, जैसे कि नींबू बाम और मदरवॉर्ट, थायराइड हार्मोन के स्तर को कम करने में मदद कर सकती हैं।
    • हालांकि, हर्बल उपचारों का उपयोग करने से पहले अपने डॉक्टर से बात करें, क्योंकि वे दवाओं के साथ परस्पर क्रिया कर सकते हैं।
  • अन्य घरेलू उपचार:
    • नियमित व्यायाम करें।
    • पर्याप्त पानी पिएं।
    • धूम्रपान और शराब से बचें।

सावधानियां:

  • यदि आपको हाइपरथायरायडिज्म का निदान किया गया है, तो डॉक्टर से परामर्श करना महत्वपूर्ण है।
  • घरेलू उपचार लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं, लेकिन वे चिकित्सा उपचार का विकल्प नहीं हैं।
  • किसी भी नए घरेलू उपचार को शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से बात करें।

हाइपरथायरायडिज्म में क्या खाएं और क्या न खाएं?

हाइपरथायरायडिज्म में कुछ खाद्य पदार्थ थायराइड हार्मोन के उत्पादन को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए, कुछ खाद्य पदार्थों का सेवन कम करना या उनसे बचना महत्वपूर्ण है।

क्या खाएं:

  • कम आयोडीन वाले खाद्य पदार्थ: आयोडीन थायराइड हार्मोन के उत्पादन को बढ़ाता है, इसलिए कम आयोडीन वाले खाद्य पदार्थ खाने चाहिए। जैसे कि:
    • आयोडीन रहित नमक
    • ताजे फल और सब्जियां (क्रूसिफेरस सब्जियां जैसे ब्रोकोली, फूलगोभी, पत्तागोभी, और केल)
    • शहद
  • कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थ: हाइपरथायरायडिज्म हड्डियों को कमजोर कर सकता है, इसलिए कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थ महत्वपूर्ण हैं। जैसे कि:
    • दूध और डेयरी उत्पाद
    • हरी पत्तेदार सब्जियां
    • बादाम
  • सेलेनियम युक्त खाद्य पदार्थ: सेलेनियम थायराइड हार्मोन के संतुलन में मदद कर सकता है। जैसे कि:
    • अंडे
    • ब्राजील नट्स
    • मछली
  • विटामिन डी युक्त खाद्य पदार्थ: विटामिन डी कैल्शियम के अवशोषण में मदद करता है। जैसे कि:
    • मछली
    • अंडे
    • फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थ

क्या न खाएं:

  • आयोडीन युक्त खाद्य पदार्थ: थायराइड हार्मोन के उत्पादन को बढ़ाते हैं, इसलिए इनसे बचना चाहिए। जैसे कि:
    • आयोडीन युक्त नमक
    • समुद्री भोजन (जैसे कि शेलफिश और समुद्री शैवाल)
    • डेयरी उत्पाद
  • कैफीन: कैफीन हाइपरथायरायडिज्म के लक्षणों को बढ़ा सकता है, जैसे कि घबराहट और हृदय गति में वृद्धि।
  • अत्यधिक चीनी: चीनी ऊर्जा के स्तर को अस्थिर कर सकती है और थायराइड के लक्षणों को बढ़ा सकती है।
  • प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ: प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों में अक्सर एडिटिव्स होते हैं जो थायराइड के लक्षणों को बढ़ा सकते हैं।
  • ग्लूटेन: कुछ लोगों में, ग्लूटेन हाइपरथायरायडिज्म के लक्षणों को बढ़ा सकता है।
  • सोया उत्पाद: सोया थायराइड हार्मोन के अवशोषण में बाधा डाल सकता है।

अतिरिक्त सुझाव:

  • अपने डॉक्टर या आहार विशेषज्ञ से परामर्श करें।
  • संतुलित आहार खाएं।
  • पर्याप्त पानी पिएं।
  • नियमित रूप से व्यायाम करें।

हाइपरथायरायडिज्म के जोखिम को कैसे कम करें?

हाइपरथायरायडिज्म के खतरे को पूरी तरह से कम करना संभव नहीं है, लेकिन कुछ उपाय करके इसके विकास के जोखिम को कम किया जा सकता है:

  • आयोडीन का सेवन सीमित करें:
    • अत्यधिक आयोडीन का सेवन थायरॉयड ग्रंथि को अति सक्रिय कर सकता है।
    • आयोडीन युक्त नमक, समुद्री शैवाल और कुछ समुद्री भोजन का सेवन सीमित करें।
    • आयोडीन की खुराक लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लें।
  • तनाव का प्रबंधन करें:
    • तनाव थायरॉयड ग्रंथि को प्रभावित कर सकता है।
    • योग, ध्यान या गहरी सांस लेने जैसी विश्राम तकनीकों का अभ्यास करें।
    • पर्याप्त नींद लें।
  • धूम्रपान से बचें:
    • धूम्रपान हाइपरथायरायडिज्म के खतरे को बढ़ा सकता है।
  • स्वस्थ जीवनशैली बनाए रखें:
  • नियमित जांच करवाएं:
    • यदि आपको थायरॉयड की समस्या का पारिवारिक इतिहास है, तो नियमित रूप से थायरॉयड की जांच करवाएं।
    • यदि आपको हाइपरथायरायडिज्म के लक्षण दिखाई देते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें।
  • दवाओं का सावधानीपूर्वक उपयोग करें:
    • कुछ दवाएं थायरॉयड ग्रंथि को प्रभावित कर सकती हैं।
    • कोई भी नई दवा शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से बात करें।

सारांश

हाइपरथायरायडिज्म एक ऐसी स्थिति है जिसमें थायरॉयड ग्रंथि बहुत अधिक थायराइड हार्मोन का उत्पादन करती है। इससे तेज धड़कन, वजन घटना, घबराहट, पसीना आना और नींद की समस्या जैसे लक्षण हो सकते हैं। ग्रेव्स रोग, थायरॉयड नोड्यूल्स, थायरायडिटिस और अत्यधिक आयोडीन का सेवन इसके मुख्य कारण हैं।

निदान रक्त परीक्षण, थायरॉइड स्कैन और अल्ट्रासाउंड के माध्यम से किया जाता है। उपचार में एंटीथायरॉइड दवाएं, रेडियोधर्मी आयोडीन थेरेपी या सर्जरी शामिल हैं। घरेलू उपचार लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं, लेकिन पेशेवर चिकित्सा उपचार की आवश्यकता होती है। आयोडीन का सेवन सीमित करके, तनाव का प्रबंधन करके और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर इसके खतरे को कम किया जा सकता है।

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