कॉन्ड्रोमलेशिया पटेला
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कॉन्ड्रोमलेशिया पटेला

कॉन्ड्रोमलेशिया पटेला क्या हैं?

कॉन्ड्रोमलेशिया पटेला एक ऐसी स्थिति है जिसमें घुटने की टोपी (पटेला) के नीचे उपास्थि नरम और खराब हो जाती है। उपास्थि एक चिकना ऊतक है जो हड्डियों के सिरों को ढकता है और उन्हें एक दूसरे के खिलाफ आसानी से फिसलने में मदद करता है। जब उपास्थि खराब हो जाती है, तो यह दर्द, सूजन और अकड़न पैदा कर सकती है।

कॉन्ड्रोमलेशिया पटेला के सटीक कारण ज्ञात नहीं हैं, लेकिन कई कारक इसके विकास में योगदान कर सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • अत्यधिक उपयोग या गतिविधि: बार-बार या ज़ोरदार गतिविधि, जैसे दौड़ना, कूदना या सीढ़ियाँ चढ़ना, घुटने की टोपी पर दबाव डाल सकता है और उपास्थि को खराब कर सकता है।
  • घुटने की चोट: घुटने पर सीधा आघात या मोच उपास्थि को नुकसान पहुंचा सकती है।
  • मांसपेशियों की कमजोरी या असंतुलन: जांघ की मांसपेशियों (क्वाड्रिसेप्स) की कमजोरी या असंतुलन घुटने की टोपी को ठीक से ट्रैक करने से रोक सकता है, जिससे उपास्थि पर असामान्य दबाव पड़ता है।
  • पटेला का गलत संरेखण: यदि घुटने की टोपी खांचे में ठीक से संरेखित नहीं है, तो यह उपास्थि पर असमान दबाव डाल सकती है।
  • चपटे पैर: चपटे पैरों वाले लोगों में घुटने पर अधिक तनाव हो सकता है, जिससे कॉन्ड्रोमलेशिया पटेला का खतरा बढ़ जाता है।

कॉन्ड्रोमलेशिया पटेला के लक्षणों में शामिल हो सकते हैं:

  • घुटने के सामने दर्द, जो गतिविधि के साथ बढ़ सकता है
  • घुटने को मोड़ने या सीधा करने पर पीसने या चटकने की आवाज
  • घुटने में अकड़न
  • घुटने के आसपास सूजन

कॉन्ड्रोमलेशिया पटेला का निदान आमतौर पर शारीरिक परीक्षा और रोगी के लक्षणों के आधार पर किया जाता है। एक्स-रे आमतौर पर सामान्य होते हैं, लेकिन एमआरआई स्कैन उपास्थि की क्षति को दिखा सकता है।

कॉन्ड्रोमलेशिया पटेला का उपचार लक्षणों को कम करने और घुटने के कार्य में सुधार करने पर केंद्रित है। उपचार में शामिल हो सकते हैं:

  • आराम: दर्दनाक गतिविधियों से बचना और घुटने को आराम देना महत्वपूर्ण है।
  • बर्फ: सूजन और दर्द को कम करने के लिए दिन में कई बार घुटने पर बर्फ लगाएं।
  • दवाएं: दर्द और सूजन को कम करने के लिए ओवर-द-काउंटर दर्द निवारक (जैसे इबुप्रोफेन या नेप्रोक्सन) या डॉक्टर द्वारा निर्धारित दवाएं ली जा सकती हैं।
  • भौतिक चिकित्सा: भौतिक चिकित्सक क्वाड्रिसेप्स और हैमस्ट्रिंग मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए व्यायाम सिखा सकते हैं, जो घुटने की टोपी को स्थिर करने में मदद करते हैं। वे घुटने के लचीलेपन और गति की सीमा में सुधार के लिए स्ट्रेचिंग व्यायाम भी सिखा सकते हैं।
  • ब्रेसेस: घुटने की टोपी को सहारा देने और दर्द को कम करने के लिए नी ब्रेस पहना जा सकता है।
  • सर्जरी: शायद ही कभी, गंभीर मामलों में सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है ताकि क्षतिग्रस्त उपास्थि को ठीक किया जा सके या घुटने की टोपी के संरेखण में सुधार किया जा सके।

कॉन्ड्रोमलेशिया पटेला के कारण क्या हैं?

कॉन्ड्रोमलेशिया के कई संभावित कारण हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • अत्यधिक उपयोग या गतिविधि: बार-बार या ज़ोरदार गतिविधि, जैसे दौड़ना, कूदना या सीढ़ियाँ चढ़ना, घुटने की टोपी पर दबाव डाल सकता है और उपास्थि को खराब कर सकता है। इसे अक्सर “धावक का घुटना” कहा जाता है।
  • घुटने की चोट: घुटने पर सीधा आघात या मोच उपास्थि को नुकसान पहुंचा सकती है। इसमें पटेला का अव्यवस्था या फ्रैक्चर शामिल है।
  • पटेला का गलत संरेखण (Patellar maltracking): यदि घुटने की टोपी (पटेला) खांचे में ठीक से संरेखित नहीं है, तो यह उपास्थि पर असमान दबाव डाल सकती है। यह जन्मजात हो सकता है या मांसपेशियों की कमजोरी या असंतुलन के कारण हो सकता है।
  • मांसपेशियों की कमजोरी या असंतुलन: जांघ की मांसपेशियों (क्वाड्रिसेप्स) की कमजोरी या असंतुलन, विशेष रूप से वास्टस मेडियालिस ओब्लिकस (VMO) मांसपेशी की कमजोरी, घुटने की टोपी को ठीक से ट्रैक करने से रोक सकता है, जिससे उपास्थि पर असामान्य दबाव पड़ता है।
  • शारीरिक बनावट:
    • उच्च क्यू-एंगल: यह कोण जांघ की मांसपेशियों के खिंचाव और पटेला टेंडन के खिंचाव के बीच का माप है। एक असामान्य रूप से उच्च कोण पटेला पर पार्श्व खिंचाव का संकेत दे सकता है। महिलाओं में आमतौर पर पुरुषों की तुलना में अधिक क्यू-एंगल होता है, जिससे वे इस स्थिति के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकती हैं।
    • पटेला अल्टा या बाजा: घुटने की टोपी की असामान्य रूप से उच्च (अल्टा) या निम्न (बाजा) स्थिति भी कॉन्ड्रोमलेशिया में योगदान कर सकती है।
    • चपटे पैर (Pes planus): चपटे पैरों वाले लोगों में घुटने पर अधिक तनाव हो सकता है, जिससे कॉन्ड्रोमलेशिया पटेला का खतरा बढ़ जाता है।
  • आयु: किशोरों और युवा वयस्कों में यह स्थिति अधिक आम है, संभवतः विकास के दौरान मांसपेशियों और हड्डियों के तेजी से विकास के कारण अस्थायी मांसपेशी असंतुलन के कारण। वृद्ध लोगों में, यह उपास्थि के सामान्य पहनने और आंसू का हिस्सा हो सकता है।
  • लिंग: महिलाओं में पुरुषों की तुलना में कॉन्ड्रोमलेशिया पटेला विकसित होने की संभावना अधिक होती है। इसका कारण उनकी शारीरिक बनावट (चौड़ी श्रोणि, कम मांसपेशी द्रव्यमान) हो सकता है, जो घुटने की टोपी पर अधिक पार्श्व दबाव डाल सकती है।
  • पिछली सर्जरी: घुटने की सर्जरी, विशेष रूप से पूर्वकाल क्रूसिएट लिगामेंट (ACL) की मरम्मत के लिए पटेला टेंडन ग्राफ्ट का उपयोग करने वाली सर्जरी, पटेलाफेमोरल दर्द के खतरे को बढ़ा सकती है।

कॉन्ड्रोमलेशिया पटेला के संकेत और लक्षण क्या हैं?

कॉन्ड्रोमलेशिया के संकेत और लक्षण व्यक्ति से व्यक्ति में भिन्न हो सकते हैं और उनकी गंभीरता भी अलग-अलग हो सकती है। हालांकि, कुछ सामान्य संकेत और लक्षण इस प्रकार हैं:

मुख्य लक्षण:

  • घुटने के सामने दर्द: यह सबसे आम लक्षण है। दर्द आमतौर पर घुटने की टोपी (पटेला) के आसपास या उसके नीचे महसूस होता है।
  • गतिविधि से दर्द का बढ़ना: दर्द अक्सर उन गतिविधियों से बढ़ जाता है जिनमें घुटने पर दबाव पड़ता है, जैसे:
    • दौड़ना
    • कूदना
    • सीढ़ियाँ चढ़ना या उतरना
    • लंबे समय तक बैठना (जिसे “थिएटर साइन” भी कहा जाता है क्योंकि सिनेमाघरों में बैठने के बाद दर्द महसूस हो सकता है)
    • स्क्वैट्स या लंजेस करना
  • लंबे समय तक बैठने के बाद अकड़न: लंबे समय तक एक ही स्थिति में बैठने के बाद घुटने में अकड़न महसूस हो सकती है, जो चलने या हिलने-डुलने पर कम हो जाती है।

अन्य संभावित लक्षण:

  • पीसने या चटकने की आवाज (Crepitus): घुटने को मोड़ने या सीधा करने पर पीसने, चटकने या रगड़ने जैसी आवाज सुनाई या महसूस हो सकती है। यह हमेशा दर्दनाक नहीं होता है, लेकिन यह उपास्थि की सतह के खुरदरे होने का संकेत दे सकता है।
  • घुटने में कमजोरी या अस्थिरता की भावना: कुछ लोगों को ऐसा महसूस हो सकता है कि उनका घुटना “दे रहा है” या अस्थिर है।
  • घुटने के आसपास सूजन: गतिविधि के बाद या लंबे समय तक खड़े रहने के बाद घुटने के आसपास हल्की सूजन हो सकती है।
  • घुटने को मोड़ने या सीधा करने में कठिनाई: दर्द और अकड़न के कारण घुटने को पूरी तरह से मोड़ने या सीधा करने में परेशानी हो सकती है।
  • दबाव संवेदनशीलता: घुटने की टोपी पर दबाव डालने पर दर्द महसूस हो सकता है।

कॉन्ड्रोमलेशिया पटेला का खतरा किसे अधिक होता है?

कॉन्ड्रोमलेशिया का खतरा कुछ खास लोगों में अधिक होता है। इनमें शामिल हैं:

  • किशोर और युवा वयस्क: बढ़ते हुए बच्चों और किशोरों में हड्डियों और मांसपेशियों का विकास तेजी से होता है, जिससे अस्थायी रूप से मांसपेशियों में असंतुलन हो सकता है और घुटने की टोपी पर अधिक दबाव पड़ सकता है।
  • महिलाएं: महिलाओं में पुरुषों की तुलना में कॉन्ड्रोमलेशिया पटेला होने की संभावना अधिक होती है। इसका कारण उनकी शारीरिक बनावट हो सकती है, जैसे कि चौड़ी श्रोणि, जो घुटने की टोपी पर अधिक पार्श्व (साइड) दबाव डाल सकती है। इसके अलावा, महिलाओं में पुरुषों की तुलना में कम मांसपेशी द्रव्यमान होता है, जो घुटने को स्थिर करने में कम मदद कर सकता है।
  • एथलीट और सक्रिय लोग: जो लोग दौड़ने, कूदने या बार-बार घुटने मोड़ने वाली गतिविधियों में शामिल होते हैं, उनमें घुटने की टोपी पर बार-बार तनाव आने के कारण कॉन्ड्रोमलेशिया का खतरा बढ़ जाता है। इसे अक्सर “धावक का घुटना” भी कहा जाता है।
  • चपटे पैर वाले लोग: चपटे पैरों के कारण चलने या खड़े होने पर घुटने पर अधिक तनाव आ सकता है, जिससे कॉन्ड्रोमलेशिया का खतरा बढ़ जाता है।
  • घुटने की पिछली चोट वाले लोग: जिन लोगों को पहले घुटने की चोट लगी है, जैसे कि घुटने का खिसकना या लिगामेंट का टूटना, उनमें कॉन्ड्रोमलेशिया विकसित होने का खतरा अधिक होता है।
  • घुटने का गलत संरेखण वाले लोग: यदि घुटने की टोपी खांचे में ठीक से संरेखित नहीं है, तो यह उपास्थि पर असमान दबाव डाल सकती है, जिससे कॉन्ड्रोमलेशिया हो सकता है। यह जन्मजात हो सकता है या मांसपेशियों की कमजोरी के कारण हो सकता है।
  • क्वाड्रिसेप्स या हैमस्ट्रिंग की कमजोर मांसपेशियां वाले लोग: जांघ के आगे (क्वाड्रिसेप्स) या पीछे (हैमस्ट्रिंग) की मांसपेशियों की कमजोरी या असंतुलन घुटने की टोपी को ठीक से ट्रैक करने से रोक सकता है, जिससे उपास्थि पर असामान्य दबाव पड़ता है।
  • अधिक वजन वाले या मोटापे से ग्रस्त लोग: अतिरिक्त वजन घुटनों पर अधिक दबाव डालता है, जिससे उपास्थि का क्षरण बढ़ सकता है।
  • आर्थराइटिस वाले लोग: कॉन्ड्रोमलेशिया पटेला घुटने में आर्थराइटिस का प्रारंभिक लक्षण हो सकता है।

कॉन्ड्रोमलेशिया पटेला से कौन सी बीमारियां जुड़ी हैं?

कॉन्ड्रोमलेशिया पटेला (Chondromalacia Patella) सीधे तौर पर कोई बीमारी नहीं है, बल्कि एक ऐसी स्थिति है जिसमें घुटने की टोपी (पटेला) के नीचे उपास्थि नरम और खराब हो जाती है। हालांकि, यह स्थिति कुछ अन्य बीमारियों और समस्याओं से जुड़ी हो सकती है या उनके विकास के जोखिम को बढ़ा सकती है:

घुटने से संबंधित बीमारियां और स्थितियां:

  • पटेलाफेमोरल पेन सिंड्रोम (Patellofemoral Pain Syndrome – PFPS): कॉन्ड्रोमलेशिया पटेला अक्सर PFPS के साथ जुड़ा होता है। PFPS एक व्यापक शब्द है जिसका उपयोग घुटने के सामने और आसपास के दर्द का वर्णन करने के लिए किया जाता है, जिसमें कॉन्ड्रोमलेशिया भी एक संभावित कारण हो सकता है। हालांकि, PFPS के अन्य कारण भी हो सकते हैं, जैसे मांसपेशियों में कमजोरी या असंतुलन, और पटेला का गलत संरेखण। कुछ डॉक्टर शुरुआती कॉन्ड्रोमलेशिया के मामलों में दर्द को PFPS के रूप में संदर्भित कर सकते हैं जब तक कि उपास्थि क्षति की पुष्टि न हो जाए।
  • घुटने का ऑस्टियोआर्थराइटिस (Knee Osteoarthritis): लंबे समय तक या गंभीर कॉन्ड्रोमलेशिया पटेला घुटने के जोड़ में ऑस्टियोआर्थराइटिस के विकास के जोखिम को बढ़ा सकता है, खासकर पटेला और फीमर (जांघ की हड्डी) के बीच के जोड़ में। उपास्थि का क्षरण हड्डियों को एक-दूसरे से रगड़ने का कारण बन सकता है, जो ऑस्टियोआर्थराइटिस की विशेषता है।
  • पटेला का बार-बार खिसकना (Recurrent Patellar Subluxation or Dislocation): यदि कॉन्ड्रोमलेशिया पटेला पटेला के गलत संरेखण या अस्थिरता के कारण होता है, तो व्यक्ति को बार-बार पटेला खिसकने का अनुभव हो सकता है।
  • सिनोवाइटिस (Synovitis): घुटने के जोड़ की झिल्ली में सूजन कॉन्ड्रोमलेशिया के कारण हो सकती है, जिससे दर्द और सूजन बढ़ सकती है।
  • प्लािका सिंड्रोम (Plica Syndrome): प्लािका घुटने के जोड़ में ऊतक की एक सिलवट होती है। कुछ मामलों में, कॉन्ड्रोमलेशिया के कारण प्लािका में जलन और सूजन हो सकती है, जिससे दर्द होता है।

अन्य संबंधित कारक और स्थितियां:

  • मांसपेशियों में कमजोरी या असंतुलन: क्वाड्रिसेप्स (जांघ के सामने की मांसपेशियां) और हैमस्ट्रिंग (जांघ के पीछे की मांसपेशियां) में कमजोरी या असंतुलन पटेला के गलत संरेखण और कॉन्ड्रोमलेशिया के विकास में योगदान कर सकता है।
  • पैर की समस्याएं (जैसे चपटे पैर): पैर की संरचना संबंधी समस्याएं चलने के तरीके को बदल सकती हैं और घुटने पर अतिरिक्त तनाव डाल सकती हैं, जिससे कॉन्ड्रोमलेशिया का खतरा बढ़ सकता है।
  • शरीर का गलत संरेखण: कूल्हे, पैर या टखने के गलत संरेखण से घुटने पर असामान्य दबाव पड़ सकता है।
  • अत्यधिक वजन या मोटापा: अतिरिक्त वजन घुटने के जोड़ों पर अधिक दबाव डालता है, जिससे उपास्थि का क्षरण तेज हो सकता है।

कॉन्ड्रोमलेशिया पटेला का निदान कैसे करें?

कॉन्ड्रोमलेशिया पटेला का निदान आमतौर पर एक शारीरिक परीक्षा और आपके लक्षणों के विस्तृत इतिहास के आधार पर किया जाता है। इमेजिंग परीक्षण भी निदान की पुष्टि करने और अन्य संभावित कारणों को दूर करने में मदद कर सकते हैं। निदान प्रक्रिया में निम्नलिखित चरण शामिल हो सकते हैं:

1. चिकित्सा इतिहास और लक्षण:

  • आपका डॉक्टर आपके घुटने के दर्द के बारे में विस्तार से पूछेगा, जिसमें शामिल हैं:
    • दर्द कब शुरू हुआ?
    • दर्द कहाँ महसूस होता है? (आमतौर पर घुटने के सामने या घुटने की टोपी के आसपास)
    • दर्द की प्रकृति कैसी है? (तेज, सुस्त, धड़कता हुआ आदि)
    • कौन सी गतिविधियां दर्द को बढ़ाती हैं? (दौड़ना, कूदना, सीढ़ियाँ चढ़ना, लंबे समय तक बैठना आदि)
    • क्या आपको कोई अकड़न, चटकने की आवाज या अस्थिरता महसूस होती है?
    • क्या आपको पहले कोई घुटने की चोट लगी है?
    • आपकी गतिविधि का स्तर क्या है?

2. शारीरिक परीक्षा:

  • आपका डॉक्टर आपके घुटने की सावधानीपूर्वक जांच करेगा, जिसमें शामिल हैं:
    • दृश्य निरीक्षण: सूजन, विकृति या मांसपेशियों की बर्बादी की जांच करना।
    • स्पर्श (Palpation): घुटने की टोपी और आसपास के ऊतकों को छूकर दर्द या कोमलता के क्षेत्रों की पहचान करना। वे घुटने की टोपी को हिलाकर यह भी महसूस कर सकते हैं कि क्या यह खांचे में आसानी से चलती है।
    • गति की सीमा का आकलन: आपके घुटने को मोड़ने और सीधा करने की क्षमता की जांच करना।
    • पटेला ग्लाइड टेस्ट: डॉक्टर आपकी जांघ की मांसपेशियों को आराम देते हुए आपकी घुटने की टोपी को अगल-बगल से धीरे-धीरे हिलाएंगे ताकि यह देखा जा सके कि यह कितनी आसानी से चलती है और क्या कोई दर्द होता है।
    • एप्रेहेंशन टेस्ट: यदि पटेला अस्थिरता का संदेह है, तो डॉक्टर आपकी घुटने की टोपी को बाहर की ओर धकेलेंगे ताकि यह देखा जा सके कि क्या आपको ऐसा लगता है कि यह खिसकने वाली है।
    • मांसपेशियों की ताकत का आकलन: आपकी क्वाड्रिसेप्स और हैमस्ट्रिंग मांसपेशियों की ताकत का परीक्षण करना।
    • अन्य जोड़ों की जांच: कूल्हे और टखने की समस्याओं को दूर करने के लिए उनकी भी जांच की जा सकती है जो घुटने के दर्द में योगदान कर सकती हैं।

3. इमेजिंग परीक्षण:

  • आमतौर पर, कॉन्ड्रोमलेशिया का निदान करने के लिए एक्स-रे पर्याप्त नहीं होते हैं क्योंकि वे उपास्थि को नहीं दिखाते हैं। हालांकि, वे अन्य समस्याओं जैसे फ्रैक्चर या ऑस्टियोआर्थराइटिस को दूर करने के लिए किए जा सकते हैं।
  • चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग (MRI): MRI स्कैन उपास्थि और अन्य नरम ऊतकों की विस्तृत छवियां प्रदान करते हैं। यह कॉन्ड्रोमलेशिया की गंभीरता और उपास्थि क्षति की सीमा को दिखाने में सबसे उपयोगी इमेजिंग परीक्षण है।
  • कंप्यूटेड टोमोग्राफी (CT) स्कैन: CT स्कैन हड्डियों की विस्तृत क्रॉस-सेक्शनल छवियां प्रदान करते हैं, लेकिन वे उपास्थि को MRI जितना अच्छी तरह से नहीं दिखाते हैं। वे जटिल हड्डी की समस्याओं का आकलन करने में सहायक हो सकते हैं।

4. आर्थ्रोस्कोपी (शायद ही कभी):

  • कुछ दुर्लभ मामलों में, जहां निदान अनिश्चित है या अन्य समस्याओं का संदेह है, एक आर्थ्रोस्कोपी की जा सकती है। यह एक न्यूनतम इनवेसिव सर्जिकल प्रक्रिया है जिसमें एक छोटा कैमरा (आर्थ्रोस्कोप) एक छोटे चीरे के माध्यम से घुटने के जोड़ में डाला जाता है। यह डॉक्टर को सीधे उपास्थि की सतह को देखने और किसी भी क्षति का आकलन करने की अनुमति देता है। हालांकि, निदान के लिए आमतौर पर इसकी आवश्यकता नहीं होती है।

कॉन्ड्रोमलेशिया पटेला का इलाज क्या है?

कॉन्ड्रोमलेशिया पटेला के इलाज का मुख्य लक्ष्य दर्द को कम करना, सूजन को कम करना और घुटने के कार्य में सुधार करना है। उपचार आमतौर पर गैर-सर्जिकल तरीकों से शुरू होता है, और सर्जरी केवल दुर्लभ और गंभीर मामलों में ही आवश्यक होती है। उपचार योजना व्यक्ति की स्थिति की गंभीरता और लक्षणों पर निर्भर करती है।

गैर-सर्जिकल उपचार:

  • आराम: दर्दनाक गतिविधियों से बचना और घुटने को आराम देना महत्वपूर्ण है ताकि सूजन कम हो सके और उपास्थि को ठीक होने का मौका मिले।
  • बर्फ: सूजन और दर्द को कम करने के लिए दिन में कई बार (15-20 मिनट के लिए) घुटने पर बर्फ लगाएं। बर्फ को सीधे त्वचा पर लगाने से बचें; हमेशा एक कपड़े में लपेटें।
  • दवाएं:
    • ओवर-द-काउंटर दर्द निवारक: इबुप्रोफेन (Advil, Motrin) या नेप्रोक्सन (Aleve) जैसे गैर-स्टेरायडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (NSAIDs) दर्द और सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं।
    • डॉक्टर द्वारा निर्धारित दवाएं: यदि ओवर-द-काउंटर दवाएं पर्याप्त नहीं हैं, तो आपका डॉक्टर मजबूत NSAIDs या अन्य दर्द निवारक दवाएं लिख सकता है।
  • भौतिक चिकित्सा (Physical Therapy): भौतिक चिकित्सा कॉन्ड्रोमलेशिया के इलाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। एक भौतिक चिकित्सक आपको निम्नलिखित में मदद कर सकता है:
    • मजबूती व्यायाम: क्वाड्रिसेप्स (विशेष रूप से वास्टस मेडियालिस ओब्लिकस – VMO), हैमस्ट्रिंग, ग्लूट्स और कोर मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए व्यायाम सिखाना। मजबूत मांसपेशियां घुटने की टोपी को स्थिर करने और उस पर पड़ने वाले तनाव को कम करने में मदद करती हैं।
    • स्ट्रेचिंग व्यायाम: घुटने और आसपास की मांसपेशियों के लचीलेपन में सुधार के लिए स्ट्रेचिंग व्यायाम सिखाना। टाइट मांसपेशियां घुटने की टोपी पर असामान्य दबाव डाल सकती हैं।
    • पटेला मोबिलाइजेशन तकनीकें: भौतिक चिकित्सक घुटने की टोपी को धीरे-धीरे हिलाकर उसके संरेखण और गति में सुधार कर सकते हैं।
    • बायोमैकेनिक्स का मूल्यांकन और सुधार: चलने, दौड़ने या कूदने के दौरान आपके शरीर के यांत्रिकी का आकलन करना और किसी भी समस्या को ठीक करने के लिए मार्गदर्शन देना जो घुटने पर तनाव डाल सकती है।
    • दर्द प्रबंधन तकनीकें: बर्फ, गर्मी, अल्ट्रासाउंड या ट्रांसक्यूटेनियस इलेक्ट्रिकल नर्व स्टिमुलेशन (TENS) जैसी तकनीकों का उपयोग करके दर्द को कम करना।
  • नी ब्रेस (Knee Brace): कुछ मामलों में, एक नी ब्रेस घुटने की टोपी को सहारा देने और दर्द को कम करने में मदद कर सकता है। एक पटेला टेंडन स्ट्रैप या एक साधारण नी स्लीव सहायक हो सकती है। आपका डॉक्टर या भौतिक चिकित्सक आपको सही प्रकार के ब्रेस के बारे में सलाह दे सकता है।
  • ऑर्थोटिक्स (Orthotics): यदि चपटे पैर या अन्य पैर की समस्याएं कॉन्ड्रोमलेशिया में योगदान कर रही हैं, तो कस्टम या ओवर-द-काउंटर आर्च सपोर्ट (ऑर्थोटिक्स) पैरों के संरेखण को बेहतर बनाने और घुटने पर तनाव को कम करने में मदद कर सकते हैं।
  • कोर्टिकोस्टेरॉइड इंजेक्शन: कुछ मामलों में, दर्द और सूजन को कम करने के लिए घुटने के जोड़ में कॉर्टिकोस्टेरॉइड इंजेक्ट किया जा सकता है। हालांकि, ये इंजेक्शन दीर्घकालिक समाधान नहीं हैं और इनका उपयोग सावधानी से किया जाता है।
  • विस्कोसप्लीमेंटेशन इंजेक्शन: ऑस्टियोआर्थराइटिस से जुड़े कॉन्ड्रोमलेशिया के मामलों में, हाइलूरोनिक एसिड इंजेक्शन (विस्कोसप्लीमेंटेशन) घुटने के जोड़ को चिकनाई देने और दर्द को कम करने में मदद कर सकते हैं।

सर्जिकल उपचार:

सर्जरी आमतौर पर तभी विचार की जाती है जब गैर-सर्जिकल उपचार कई महीनों तक लक्षणों को कम करने में विफल रहते हैं और स्थिति गंभीर हो। सर्जिकल विकल्पों में शामिल हो सकते हैं:

  • आर्थ्रोस्कोपिक सर्जरी: एक छोटे कैमरे और उपकरणों का उपयोग करके घुटने के जोड़ के अंदर किया जाता है। इसमें शामिल हो सकते हैं:
    • डीब्रिडमेंट (Debridement): क्षतिग्रस्त उपास्थि को चिकना करना या ढीले टुकड़ों को हटाना।
    • लेटरल रिलीज (Lateral Release): यदि घुटने की टोपी बहुत अधिक बाहर की ओर खिंच रही है, तो लेटरल रेटिनैकुलम (घुटने की टोपी के बाहर के ऊतक) को काटकर दबाव को कम किया जा सकता है। हालांकि, यह प्रक्रिया अब कम आम है क्योंकि यह कभी-कभी अस्थिरता का कारण बन सकती है।
  • ओपन सर्जरी: गंभीर मामलों में, घुटने की टोपी के संरेखण को ठीक करने या उपास्थि को ठीक करने के लिए ओपन सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है। उदाहरण के लिए, टिबियल ट्यूबरकल ट्रांसफर एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें टिबिया (शिनबोन) पर उस जगह को स्थानांतरित किया जाता है जहां पटेला टेंडन जुड़ता है ताकि घुटने की टोपी के संरेखण में सुधार हो सके।
  • उपास्थि मरम्मत प्रक्रियाएं: कुछ नई सर्जिकल तकनीकें क्षतिग्रस्त उपास्थि की मरम्मत या प्रतिस्थापित करने का लक्ष्य रखती हैं, जैसे कि माइक्रोफ्रैक्चर, ऑटोलॉगस चोंड्रोसाइट इम्प्लांटेशन (ACI) या ओस्टियोकॉन्ड्रल ऑटोग्राफ्ट ट्रांसप्लांटेशन (OATs)। ये प्रक्रियाएं सभी के लिए उपयुक्त नहीं हैं और आमतौर पर विशिष्ट प्रकार की उपास्थि क्षति के लिए आरक्षित हैं।

कॉन्ड्रोमलेशिया पटेला का घरेलू इलाज क्या है?

कॉन्ड्रोमलेशिया पटेला के लिए कई घरेलू उपचार हैं जो दर्द और सूजन को कम करने और लक्षणों को प्रबंधित करने में मदद कर सकते हैं। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये उपचार चिकित्सा देखभाल का विकल्प नहीं हैं और यदि आपके लक्षण गंभीर हैं या बने रहते हैं तो आपको डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

यहां कुछ घरेलू उपचार दिए गए हैं जो सहायक हो सकते हैं:

1. आराम (Rest):

  • दर्दनाक गतिविधियों से बचें जो आपके घुटने पर दबाव डालती हैं, जैसे दौड़ना, कूदना, सीढ़ियाँ चढ़ना या लंबे समय तक खड़े रहना।
  • अपने घुटने को आराम दें, खासकर दर्द बढ़ने पर।

2. बर्फ (Ice):

  • सूजन और दर्द को कम करने के लिए दिन में कई बार (15-20 मिनट के लिए) अपने घुटने पर बर्फ लगाएं।
  • बर्फ को सीधे त्वचा पर न लगाएं; इसे हमेशा एक पतले कपड़े में लपेटें।

3. संपीड़न (Compression):

  • सूजन को कम करने के लिए अपने घुटने के चारों ओर एक इलास्टिक बैंडेज लपेटें। बैंडेज बहुत तंग नहीं होनी चाहिए, क्योंकि इससे रक्त प्रवाह बाधित हो सकता है।

4. ऊंचाई (Elevation):

  • जब आप बैठे या लेटे हों तो अपने घुटने को हृदय स्तर से ऊपर उठाएं। यह सूजन को कम करने में मदद करता है।

5. ओवर-द-काउंटर दर्द निवारक (Over-the-Counter Pain Relievers):

  • इबुप्रोफेन (Advil, Motrin) या नेप्रोक्सन (Aleve) जैसे गैर-स्टेरायडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (NSAIDs) दर्द और सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं। लेबल पर दिए गए निर्देशों का पालन करें।

6. कोमल व्यायाम और स्ट्रेचिंग (Gentle Exercises and Stretching):

  • जब दर्द कम हो जाए, तो कोमल व्यायाम करना शुरू करें जो आपके घुटने के आसपास की मांसपेशियों को मजबूत करने और लचीलेपन में सुधार करने में मदद करें। इसमें क्वाड्रिसेप्स सेट, हैमस्ट्रिंग कर्ल और सीधी पैर लिफ्ट शामिल हो सकते हैं।
  • अपने क्वाड्रिसेप्स, हैमस्ट्रिंग और काफ मांसपेशियों को धीरे-धीरे स्ट्रेच करें। किसी भी ऐसे स्ट्रेच से बचें जिससे दर्द बढ़े।
  • किसी भी व्यायाम को करने से पहले अपने डॉक्टर या भौतिक चिकित्सक से सलाह लेना महत्वपूर्ण है।

7. वजन प्रबंधन (Weight Management):

  • यदि आपका वजन अधिक है या आप मोटापे से ग्रस्त हैं, तो वजन कम करने से आपके घुटनों पर पड़ने वाला दबाव कम हो सकता है और लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है।

8. सहायक जूते (Supportive Shoes):

  • अच्छे आर्च सपोर्ट वाले आरामदायक जूते पहनें। उच्च हील्स या फ्लैट जूते से बचें जिनमें पर्याप्त कुशनिंग न हो।

9. गतिविधि संशोधन (Activity Modification):

  • उन गतिविधियों से बचें जो आपके घुटने के दर्द को बढ़ाती हैं। यदि आप व्यायाम करते हैं, तो कम प्रभाव वाली गतिविधियों जैसे तैराकी या साइकिल चलाना पर स्विच करने पर विचार करें।

10. हीट थेरेपी (Heat Therapy):

  • कभी-कभी, बर्फ के बाद या पुरानी अकड़न के लिए गर्मी लगाने से मांसपेशियों को आराम मिल सकता है और दर्द कम हो सकता है। आप गर्म पानी की बोतल या हीटिंग पैड का उपयोग कर सकते हैं।

सावधानियां:

  • यदि आपके लक्षण गंभीर हैं, अचानक शुरू हुए हैं, या घरेलू उपचार से सुधार नहीं हो रहा है, तो डॉक्टर से सलाह लें।
  • यदि आपको बुखार, लालिमा या गर्मी जैसे संक्रमण के लक्षण दिखाई देते हैं, तो तुरंत चिकित्सा सहायता लें।
  • किसी भी नए व्यायाम कार्यक्रम को शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर या भौतिक चिकित्सक से सलाह लें।

कॉन्ड्रोमलेशिया में पटेला क्या खाएं और क्या न खाएं?

कॉन्ड्रोमलेशिया पटेला के लिए कोई विशिष्ट आहार योजना नहीं है जो सीधे तौर पर स्थिति को ठीक कर सके। हालांकि, कुछ खाद्य पदार्थ सूजन को कम करने और जोड़ों के स्वास्थ्य का समर्थन करने में मदद कर सकते हैं, जबकि कुछ खाद्य पदार्थ सूजन को बढ़ा सकते हैं या वजन बढ़ाने में योगदान कर सकते हैं, जिससे घुटनों पर अतिरिक्त दबाव पड़ सकता है।

क्या खाएं:

  • एंटी-इंफ्लेमेटरी खाद्य पदार्थ: ऐसे खाद्य पदार्थ जो सूजन को कम करने में मदद करते हैं, आपके समग्र स्वास्थ्य और जोड़ों के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकते हैं:
    • ओमेगा-3 फैटी एसिड: वसायुक्त मछली (जैसे सैल्मन, मैकेरल, सार्डिन), अलसी के बीज, चिया बीज, अखरोट। ये सूजन को कम करने में मदद करते हैं।
    • फल और सब्जियां: विभिन्न प्रकार के रंगीन फल और सब्जियां एंटीऑक्सिडेंट और फाइटोकेमिकल्स से भरपूर होते हैं जो सूजन से लड़ने में मदद करते हैं। विशेष रूप से जामुन (ब्लूबेरी, स्ट्रॉबेरी), चेरी, पत्तेदार साग (पालक, केल), ब्रोकली और शिमला मिर्च फायदेमंद हो सकते हैं।
    • हल्दी: इस मसाले में करक्यूमिन नामक एक शक्तिशाली एंटी-इंफ्लेमेटरी यौगिक होता है। इसे अपने भोजन में शामिल करें या हल्दी की चाय पिएं।
    • अदरक: इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी होते हैं। इसे भोजन में शामिल करें या अदरक की चाय पिएं।
    • जैतून का तेल: स्वस्थ मोनोअनसैचुरेटेड वसा का एक अच्छा स्रोत है और इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं।
    • नट्स और सीड्स: बादाम, अखरोट, कद्दू के बीज और सूरजमुखी के बीज स्वस्थ वसा, प्रोटीन और एंटीऑक्सिडेंट प्रदान करते हैं।
  • जोड़ों के स्वास्थ्य के लिए सहायक खाद्य पदार्थ:
    • प्रोटीन: मांसपेशियों की मरम्मत और रखरखाव के लिए आवश्यक है, जो घुटने को सहारा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। दुबला मांस, मुर्गी पालन, मछली, अंडे, फलियां और टोफू अच्छे स्रोत हैं।
    • विटामिन सी: कोलेजन उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है, जो उपास्थि का एक महत्वपूर्ण घटक है। खट्टे फल, ब्रोकली, शिमला मिर्च और स्ट्रॉबेरी विटामिन सी के अच्छे स्रोत हैं।
    • विटामिन डी: हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है और सूजन को कम करने में भी भूमिका निभा सकता है। वसायुक्त मछली, फोर्टिफाइड डेयरी उत्पाद और धूप विटामिन डी के स्रोत हैं। यदि आपके विटामिन डी का स्तर कम है तो आपका डॉक्टर सप्लीमेंट की सिफारिश कर सकता है।
    • कैल्शियम: हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। डेयरी उत्पाद, पत्तेदार साग और फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थ कैल्शियम के अच्छे स्रोत हैं।
  • हाइड्रेशन: पर्याप्त मात्रा में पानी पीना जोड़ों को चिकनाई देने और समग्र स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है।

क्या न खाएं:

  • प्रो-इंफ्लेमेटरी खाद्य पदार्थ: ये खाद्य पदार्थ शरीर में सूजन को बढ़ा सकते हैं और लक्षणों को खराब कर सकते हैं:
    • प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ: इनमें अक्सर अस्वास्थ्यकर वसा, अतिरिक्त चीनी और कृत्रिम तत्व होते हैं जो सूजन को बढ़ावा दे सकते हैं।
    • अतिरिक्त चीनी: मीठे पेय, कैंडी, बेक्ड सामान और प्रसंस्कृत स्नैक्स में उच्च मात्रा में चीनी सूजन को बढ़ा सकती है और वजन बढ़ाने में योगदान कर सकती है।
    • अस्वास्थ्यकर वसा: ट्रांस वसा (आंशिक रूप से हाइड्रोजनीकृत तेल) और अत्यधिक मात्रा में संतृप्त वसा (लाल मांस, पूर्ण वसा वाले डेयरी उत्पाद) सूजन को बढ़ा सकते हैं।
    • परिष्कृत कार्बोहाइड्रेट: सफेद ब्रेड, पास्ता और चावल जैसे खाद्य पदार्थ रक्त शर्करा के स्तर में तेजी से वृद्धि कर सकते हैं और सूजन को बढ़ावा दे सकते हैं।
    • अत्यधिक मात्रा में ओमेगा-6 फैटी एसिड: जबकि कुछ ओमेगा-6 फैटी एसिड आवश्यक हैं, मकई के तेल, सूरजमुखी के तेल और सोयाबीन के तेल में उनकी अत्यधिक मात्रा ओमेगा-3 और ओमेगा-6 के संतुलन को बिगाड़ सकती है और सूजन को बढ़ावा दे सकती है।
  • वजन बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थ (अत्यधिक मात्रा में): अत्यधिक कैलोरी वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करने से वजन बढ़ सकता है, जिससे घुटनों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है और कॉन्ड्रोमलेशिया के लक्षण खराब हो सकते हैं। संतुलित मात्रा में स्वस्थ भोजन करना महत्वपूर्ण है।

अतिरिक्त सुझाव:

  • संतुलित आहार लें: विभिन्न प्रकार के पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करें।
  • भाग नियंत्रण का अभ्यास करें: स्वस्थ वजन बनाए रखने के लिए भोजन की मात्रा पर ध्यान दें।
  • प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का सेवन सीमित करें: ताजे, संपूर्ण खाद्य पदार्थों को प्राथमिकता दें।
  • अपने शरीर को सुनें: देखें कि कुछ खाद्य पदार्थ आपके लक्षणों को कैसे प्रभावित करते हैं और उसके अनुसार अपने आहार में समायोजन करें।

कॉन्ड्रोमलेशिया पटेला के जोखिम को कैसे कम करें?

कॉन्ड्रोमलेशिया पटेला के जोखिम को पूरी तरह से समाप्त करना संभव नहीं हो सकता है, खासकर यदि आपके कुछ अंतर्निहित जोखिम कारक हैं। हालांकि, कुछ कदम उठाकर आप इस स्थिति के विकसित होने या बढ़ने की संभावना को काफी हद तक कम कर सकते हैं:

1. मांसपेशियों को मजबूत करें:

  • क्वाड्रिसेप्स (जांघ के सामने की मांसपेशियां): विशेष रूप से वास्टस मेडियालिस ओब्लिकस (VMO) को मजबूत करने पर ध्यान दें, जो घुटने की टोपी को सही ढंग से ट्रैक करने में मदद करता है।
  • हैमस्ट्रिंग (जांघ के पीछे की मांसपेशियां): क्वाड्रिसेप्स के साथ संतुलन बनाए रखने के लिए इन्हें मजबूत करें।
  • ग्लूट्स (कूल्हे की मांसपेशियां): मजबूत ग्लूट्स आपके पैरों और घुटनों को स्थिर करने में मदद करते हैं।
  • कोर मांसपेशियां: एक मजबूत कोर आपके पूरे शरीर को स्थिर करता है और घुटनों पर अनावश्यक तनाव को कम करता है।
  • नियमित रूप से इन मांसपेशियों को लक्षित करने वाले व्यायाम करें। आप एक भौतिक चिकित्सक से उचित व्यायाम और तकनीकें सीख सकते हैं।

2. मांसपेशियों के लचीलेपन में सुधार करें:

  • नियमित रूप से क्वाड्रिसेप्स, हैमस्ट्रिंग, काफ और हिप फ्लेक्सर्स को स्ट्रेच करें। टाइट मांसपेशियां घुटने की टोपी पर असामान्य दबाव डाल सकती हैं।
  • प्रत्येक व्यायाम के बाद और अलग से भी स्ट्रेचिंग करें।

3. उचित व्यायाम तकनीक का पालन करें:

  • सुनिश्चित करें कि आप व्यायाम करते समय सही फॉर्म का उपयोग कर रहे हैं, खासकर स्क्वैट्स, लंजेस और दौड़ने जैसी गतिविधियों के दौरान।
  • यदि आप कोई नया व्यायाम शुरू कर रहे हैं, तो धीरे-धीरे शुरुआत करें और धीरे-धीरे तीव्रता और अवधि बढ़ाएं।
  • यदि आपको व्यायाम के दौरान घुटने में दर्द होता है, तो तुरंत रुकें।

4. अत्यधिक उपयोग से बचें:

  • यदि आप ऐसी गतिविधियों में शामिल हैं जो आपके घुटनों पर बहुत अधिक तनाव डालती हैं, तो अपनी गतिविधि के स्तर को धीरे-धीरे बढ़ाएं और अपने शरीर को आराम करने का समय दें।
  • यदि आपको दर्द महसूस होता है, तो गतिविधि को कम करें या बदल दें।

5. सहायक जूते पहनें:

  • अच्छे आर्च सपोर्ट और कुशनिंग वाले आरामदायक जूते पहनें, खासकर व्यायाम करते समय।
  • उच्च हील्स या फ्लैट जूते से बचें जिनमें पर्याप्त सपोर्ट न हो।
  • यदि आपके चपटे पैर हैं, तो आर्च सपोर्ट वाले ऑर्थोटिक्स का उपयोग करने पर विचार करें।

6. स्वस्थ वजन बनाए रखें:

  • अतिरिक्त वजन आपके घुटनों पर अधिक दबाव डालता है, जिससे कॉन्ड्रोमलेशिया का खतरा बढ़ जाता है। संतुलित आहार खाकर और नियमित रूप से व्यायाम करके स्वस्थ वजन बनाए रखें।

7. घुटने की चोटों से बचें:

  • खेल खेलते समय या अन्य गतिविधियों में भाग लेते समय उचित सुरक्षात्मक उपकरण (जैसे नी पैड) पहनें।
  • अचानक आंदोलनों या अत्यधिक मरोड़ने से बचें जो आपके घुटने को घायल कर सकते हैं।

8. अपने शरीर को सुनें:

  • यदि आपको घुटने में दर्द या बेचैनी महसूस होती है, तो इसे अनदेखा न करें। दर्द को बढ़ाने वाली गतिविधियों से बचें और यदि लक्षण बने रहते हैं तो डॉक्टर से सलाह लें। शुरुआती चरणों में समस्याओं का समाधान करने से उन्हें और खराब होने से रोकने में मदद मिल सकती है।

9. यदि आवश्यक हो तो ब्रेसेस या सपोर्ट का उपयोग करें:

  • यदि आप ऐसी गतिविधियों में भाग लेते हैं जो आपके घुटनों पर तनाव डालती हैं, तो आपका डॉक्टर या भौतिक चिकित्सक आपको सहायक नी ब्रेस पहनने की सलाह दे सकता है।

सारांश

कॉन्ड्रोमलेशिया पटेला एक ऐसी स्थिति है जिसमें घुटने की टोपी (पटेला) के नीचे की उपास्थि नरम और खराब हो जाती है, जिससे घुटने के सामने दर्द, अकड़न और चटकने जैसी आवाजें आ सकती हैं। इसके कारणों में अत्यधिक उपयोग, घुटने की चोट, पटेला का गलत संरेखण, मांसपेशियों की कमजोरी और शारीरिक बनावट शामिल हैं।

इसका खतरा किशोरों, महिलाओं, एथलीटों, चपटे पैर वाले लोगों और पिछली घुटने की चोट वाले लोगों में अधिक होता है। यह पटेलाफेमोरल पेन सिंड्रोम और घुटने के ऑस्टियोआर्थराइटिस जैसी बीमारियों से जुड़ा हो सकता है।

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