बहरापन

बहरापन

बहरापन क्या है?

बहरापन सुनने की क्षमता में कमी या हानि को कहते हैं। यह हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकता है, और एक या दोनों कानों को प्रभावित कर सकता है। बहरेपन के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • उम्र: जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं, हमारी सुनने की क्षमता स्वाभाविक रूप से कम हो जाती है।
  • शोर: तेज शोर के संपर्क में आने से सुनने की क्षमता को नुकसान पहुंच सकता है।
  • संक्रमण: कान के संक्रमण से सुनने की क्षमता में अस्थायी या स्थायी नुकसान हो सकता है।
  • आनुवंशिकी: कुछ लोगों को बहरापन विरासत में मिलता है।
  • दवाएं: कुछ दवाएं सुनने की क्षमता को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
  • चोट: सिर या कान में चोट लगने से सुनने की क्षमता में कमी आ सकती है।
  • अन्य चिकित्सा स्थितियां: मधुमेह, उच्च रक्तचाप और हृदय रोग जैसी स्थितियां सुनने की क्षमता को प्रभावित कर सकती हैं।

बहरेपन के लक्षण:

  • दूसरों की बातों को समझने में कठिनाई
  • टीवी या रेडियो की आवाज को बहुत तेज करना
  • फोन पर बातचीत करने में कठिनाई
  • पीछे से आने वाली आवाजों को सुनने में कठिनाई
  • कानों में बजने की आवाज (टिनिटस)

बहरेपन का इलाज:

बहरेपन का कोई इलाज नहीं है, लेकिन कई उपचार उपलब्ध हैं जो सुनने की क्षमता में सुधार करने में मदद कर सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • श्रवण यंत्र: श्रवण यंत्र छोटे उपकरण होते हैं जिन्हें कानों में पहना जाता है और जो आवाज़ों को बढ़ाते हैं।
  • कर्णावत प्रत्यारोपण: कर्णावत प्रत्यारोपण शल्य चिकित्सा द्वारा प्रत्यारोपित उपकरण होते हैं जो गंभीर बहरेपन वाले लोगों के लिए ध्वनि को उत्तेजित करते हैं।
  • दवाएं: कुछ दवाएं कान के संक्रमण या अन्य चिकित्सा स्थितियों के कारण होने वाले बहरेपन का इलाज कर सकती हैं।
  • स्पीच थेरेपी: स्पीच थेरेपी लोगों को सुनने की हानि के साथ संवाद करने के लिए सिखाती है।

बहरापन कितने प्रकार का होता है?

बहरापन मुख्य रूप से तीन प्रकार का होता है:

  • चालक बहरापन (कंडक्टिव हियरिंग लॉस):
    • यह तब होता है जब ध्वनि तरंगें बाहरी या मध्य कान से आंतरिक कान तक ठीक से नहीं पहुंच पाती हैं।
    • इसके कारण कान का मैल जमा होना, कान में संक्रमण, या कान के पर्दे में छेद हो सकता है।
  • संवेदी-तंत्रिकीय बहरापन (सेंसरीनुरल हियरिंग लॉस):
    • यह आंतरिक कान या श्रवण तंत्रिका में क्षति के कारण होता है।
    • यह उम्र, शोर के संपर्क में आना, या कुछ बीमारियों के कारण हो सकता है।
  • मिश्रित बहरापन (मिक्सड हियरिंग लॉस):
    • यह चालक और संवेदी-तंत्रिकीय बहरेपन का संयोजन है।
    • इसका मतलब है कि बाहरी या मध्य कान के साथ-साथ आंतरिक कान या श्रवण तंत्रिका में भी क्षति हो सकती है।

इसके अलावा, बहरेपन को गंभीरता के आधार पर भी वर्गीकृत किया जा सकता है:

  • हल्का बहरापन:
    • इसमें व्यक्ति को कुछ ध्वनियाँ सुनने में कठिनाई होती है, खासकर शोरगुल वाले वातावरण में।
  • मध्यम बहरापन:
    • इसमें व्यक्ति को सामान्य बातचीत सुनने में कठिनाई होती है।
  • गंभीर बहरापन:
    • इसमें व्यक्ति को तेज आवाजें सुनने में भी कठिनाई होती है।
  • गहरा बहरापन:
    • इसमें व्यक्ति लगभग पूरी तरह से सुनने में असमर्थ होता है।

बहरेपन के कारण क्या हैं?

बहरेपन के कई कारण हो सकते हैं, जिन्हें हम मुख्य रूप से दो श्रेणियों में बाँट सकते हैं: जन्मजात और अर्जित।

जन्मजात बहरेपन के कारण:

  • आनुवंशिक कारण:
    • कुछ बच्चों में जन्म से ही बहरापन होता है, जो उनके माता-पिता से विरासत में मिलता है।
  • जन्म के समय जटिलताएँ:
    • जन्म के समय ऑक्सीजन की कमी, समय से पहले जन्म, या जन्म के समय संक्रमण जैसे कारक बच्चे के सुनने की क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं।
  • गर्भावस्था के दौरान संक्रमण:
    • गर्भावस्था के दौरान रूबेला, साइटोमेगालोवायरस, या टॉक्सोप्लाज्मोसिस जैसे संक्रमण बच्चे में बहरेपन का कारण बन सकते हैं।

अर्जित बहरेपन के कारण:

  • उम्र बढ़ना:
    • जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं, हमारी सुनने की क्षमता स्वाभाविक रूप से कम हो जाती है।
  • शोर के संपर्क में आना:
    • लंबे समय तक तेज शोर के संपर्क में रहने से आंतरिक कान की कोशिकाओं को नुकसान पहुंच सकता है, जिससे बहरापन हो सकता है।
  • कान में संक्रमण:
    • कान में संक्रमण, जैसे कि ओटिटिस मीडिया, सुनने की क्षमता को अस्थायी या स्थायी रूप से प्रभावित कर सकता है।
  • दवाएँ:
    • कुछ दवाएँ, जैसे कि कुछ एंटीबायोटिक्स और कीमोथेरेपी दवाएँ, सुनने की क्षमता को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
  • चोट:
    • सिर या कान में चोट लगने से सुनने की क्षमता में कमी आ सकती है।
  • बीमारियाँ:
    • कुछ बीमारियाँ, जैसे कि मेनियर रोग, मल्टीपल स्केलेरोसिस, और मधुमेह, सुनने की क्षमता को प्रभावित कर सकती हैं।
  • कान में मैल का जमाव:
    • कान में मैल के जमा होने से भी सुनने में समस्या हो सकती है।
  • ट्यूमर:
    • कुछ मामलों में, कान या मस्तिष्क में ट्यूमर भी बहरेपन का कारण बन सकते हैं।

बहरेपन के संकेत और लक्षण क्या हैं?

बहरेपन के संकेत और लक्षण व्यक्ति के बहरेपन की गंभीरता और प्रकार के आधार पर भिन्न हो सकते हैं। यहां कुछ सामान्य संकेत और लक्षण दिए गए हैं:

सामान्य संकेत और लक्षण:

  • बातचीत में कठिनाई:
    • दूसरों की बातों को समझने में परेशानी होना, खासकर शोरगुल वाले वातावरण में।
    • बार-बार लोगों से अपनी बात दोहराने के लिए कहना।
    • फोन पर बातचीत करने में कठिनाई होना।
    • टीवी या रेडियो की आवाज को बहुत तेज रखना।
  • अन्य ध्वनियों को सुनने में कठिनाई:
    • डोरबेल, फोन की घंटी या अलार्म जैसी ऊंची आवाजें सुनने में परेशानी होना।
    • पक्षियों के चहचहाने या पानी के बहने जैसी धीमी आवाजें सुनने में परेशानी होना।
  • कानों में बजना (टिनिटस):
    • कानों में बजने, भनभनाने या सीटी बजने जैसी आवाजें आना।
  • कानों में भरापन महसूस होना:
    • कानों में दबाव या भरापन महसूस होना।
  • अन्य लक्षण:
    • चक्कर आना या संतुलन खोना।
    • थकान या तनाव महसूस करना, खासकर बातचीत के बाद।
    • बच्चों मे आवाज सुनकर प्रतिक्रिया ना देना।
    • बच्चों का बात देर से शुरू करना।
    • बच्चों का स्कूल में ध्यान ना लगाना।

बहरेपन के प्रकार के आधार पर लक्षण:

  • चालक बहरापन (Conductive hearing loss):
    • आवाजें दबी हुई या मफल्ड सुनाई देती हैं।
    • कानों में दर्द या भरापन महसूस हो सकता है।
  • संवेदी-तंत्रिका बहरापन (Sensorineural hearing loss):
    • आवाजें विकृत या अस्पष्ट सुनाई देती हैं।
    • उच्च-आवृत्ति वाली आवाजें सुनने में कठिनाई हो सकती है।
    • टिनिटस आम है।

यदि आपको या आपके किसी जानने वाले को बहरेपन के कोई भी लक्षण दिखाई देते हैं, तो डॉक्टर से परामर्श करना महत्वपूर्ण है।

बहरेपन का खतरा अधिक किसे है?

बहरेपन का खतरा कई कारकों पर निर्भर करता है, और कुछ लोगों को दूसरों की तुलना में अधिक जोखिम होता है। यहाँ कुछ समूह दिए गए हैं जिनमें बहरेपन का खतरा अधिक होता है:

  • वृद्ध लोग:
    • उम्र के साथ, आंतरिक कान में गिरावट आती है, जिससे उम्र से संबंधित श्रवण हानि हो सकती है।
  • शोर के संपर्क में आने वाले लोग:
    • जो लोग निर्माण स्थलों, कारखानों, या संगीत कार्यक्रमों जैसे तेज शोर वाले वातावरण में काम करते हैं, उन्हें शोर-प्रेरित श्रवण हानि का खतरा होता है।
  • आनुवंशिक प्रवृत्ति वाले लोग:
    • यदि आपके परिवार में बहरेपन का इतिहास है, तो आपको भी बहरेपन का खतरा अधिक हो सकता है।
  • कुछ बीमारियों वाले लोग:
    • मधुमेह, हृदय रोग, और कुछ ऑटोइम्यून बीमारियां श्रवण हानि के खतरे को बढ़ा सकती हैं।
  • कुछ दवाओं का सेवन करने वाले लोग:
    • कुछ दवाएं, जैसे कि कुछ एंटीबायोटिक्स और कीमोथेरेपी दवाएं, कानों को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
  • धूम्रपान करने वाले लोग:
    • धूम्रपान रक्त वाहिकाओं को संकुचित कर सकता है, जिससे आंतरिक कान में रक्त का प्रवाह कम हो जाता है और श्रवण हानि का खतरा बढ़ जाता है।
  • बच्चों में जोखिम:
    • जिन बच्चों का जन्म समय से पहले हुआ है, या जिनका जन्म के समय वजन कम है, उन्हें श्रवण हानि का खतरा अधिक होता है।
    • गर्भावस्था के दौरान संक्रमण, जैसे कि रूबेला, साइटोमेगालोवायरस, या टॉक्सोप्लाज्मोसिस, बच्चे में बहरेपन का कारण बन सकता है।

यदि आपको लगता है कि आप बहरेपन के खतरे में हैं, तो डॉक्टर से बात करना महत्वपूर्ण है। वे आपकी सुनने की क्षमता का आकलन कर सकते हैं और आपको जोखिम को कम करने के तरीके बता सकते हैं।

बहरेपन से कौन सी बीमारियाँ जुड़ी हैं?

बहरेपन के साथ कई बीमारियाँ जुड़ी हो सकती हैं, जिनमें शामिल हैं:

आंतरिक कान से संबंधित बीमारियाँ:

  • मेनिएर रोग:
    • यह आंतरिक कान का एक विकार है जो चक्कर आना, टिनिटस और सुनने की हानि का कारण बनता है।
  • ओटोस्क्लेरोसिस:
    • यह मध्य कान की हड्डियों की एक असामान्य वृद्धि है, जो सुनने की हानि का कारण बनती है।
  • ध्वनिक न्यूरोमा:
    • यह श्रवण तंत्रिका पर एक गैर-कैंसरयुक्त ट्यूमर है, जो सुनने की हानि, टिनिटस और चक्कर आने का कारण बन सकता है।

अन्य संबंधित बीमारियाँ:

  • मधुमेह:
    • उच्च रक्त शर्करा स्तर आंतरिक कान की छोटी रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे सुनने की हानि हो सकती है।
  • हृदय रोग:
    • हृदय रोग के कारण आंतरिक कान में रक्त का प्रवाह कम हो सकता है, जिससे सुनने की हानि हो सकती है।
  • उच्च रक्तचाप:
    • उच्च रक्तचाप आंतरिक कान में रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे सुनने की हानि हो सकती है।
  • ऑटोइम्यून बीमारियाँ:
    • कुछ ऑटोइम्यून बीमारियाँ, जैसे कि ल्यूपस और रुमेटीइड गठिया, आंतरिक कान को प्रभावित कर सकती हैं और सुनने की हानि का कारण बन सकती हैं।
  • मेनिन्जाइटिस:
    • यह मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के आसपास के झिल्लियों का संक्रमण है, जो सुनने की हानि का कारण बन सकता है।
  • टिनिटस:
    • यह कानों में बजने या अन्य ध्वनियों का अनुभव है, जो अक्सर सुनने की हानि के साथ होता है।
  • थायरॉइड की समस्या:
    • थायरॉइड की समस्या भी बहरेपन का कारण बन सकती है।
  • कुछ संक्रमण:
    • जैसे कि रूबेला, साइटोमेगालोवायरस और टॉक्सोप्लाज्मोसिस।

बहरेपन का निदान कैसे करें?

बहरेपन का निदान करने के लिए कई परीक्षण उपलब्ध हैं। डॉक्टर आपकी सुनने की क्षमता का आकलन करने और बहरेपन के कारण का पता लगाने के लिए इनमें से कुछ परीक्षणों का उपयोग कर सकते हैं।

1. शारीरिक परीक्षण:

  • डॉक्टर आपके कानों की जांच करेंगे ताकि यह पता चल सके कि क्या कान में मैल जमा है, संक्रमण है, या कोई अन्य समस्या है।
  • वे आपके चिकित्सा इतिहास के बारे में भी पूछेंगे, जिसमें आपके परिवार में बहरेपन का इतिहास, आपके द्वारा ली जा रही दवाएं और कोई अन्य चिकित्सा स्थितियां शामिल हैं।

2. श्रवण परीक्षण:

  • ऑडियोमेट्री: यह सबसे आम श्रवण परीक्षण है। इसमें, आपको हेडफ़ोन पहनने और विभिन्न आवृत्तियों और तीव्रता की ध्वनियों को सुनने के लिए कहा जाएगा। आप जब भी कोई ध्वनि सुनते हैं, तो आपको एक बटन दबाना होगा।
  • टिम्पैनोमेट्री: यह परीक्षण मध्य कान में दबाव को मापता है। यह पता लगाने में मदद कर सकता है कि क्या आपके मध्य कान में कोई समस्या है, जैसे कि संक्रमण या द्रव का निर्माण।
  • ध्वनिक रिफ्लेक्स परीक्षण: यह परीक्षण मध्य कान में मांसपेशियों की प्रतिक्रिया को तेज आवाज में मापता है। यह पता लगाने में मदद कर सकता है कि क्या श्रवण तंत्रिका में कोई समस्या है।
  • ओटोअकॉस्टिक उत्सर्जन (OAE) परीक्षण: यह परीक्षण आंतरिक कान में कोशिकाओं द्वारा उत्पादित ध्वनियों को मापता है। यह नवजात शिशुओं और छोटे बच्चों में श्रवण हानि का पता लगाने के लिए उपयोगी है।
  • श्रवण ब्रेनस्टेम प्रतिक्रिया (ABR) परीक्षण: यह परीक्षण मस्तिष्क की प्रतिक्रिया को ध्वनियों में मापता है। यह शिशुओं और छोटे बच्चों में श्रवण हानि का पता लगाने के लिए भी उपयोगी है।

3. अन्य परीक्षण:

  • यदि डॉक्टर को संदेह है कि आपके बहरेपन का कारण कोई चिकित्सा स्थिति है, तो वे अन्य परीक्षणों का आदेश दे सकते हैं, जैसे कि रक्त परीक्षण, एमआरआई या सीटी स्कैन।

डॉक्टर से कब मिलें:

यदि आपको निम्नलिखित में से कोई भी लक्षण अनुभव होता है, तो डॉक्टर से मिलना महत्वपूर्ण है:

  • दूसरों की बातों को समझने में कठिनाई
  • टीवी या रेडियो की आवाज को बहुत तेज करना
  • फोन पर बातचीत करने में कठिनाई
  • कानों में बजना (टिनिटस)
  • चक्कर आना
  • कान में दर्द या दबाव

बहरेपन का इलाज क्या है?

बहरेपन का इलाज बहरेपन के कारण और प्रकार पर निर्भर करता है। यहाँ कुछ सामान्य उपचार दिए गए हैं:

1. श्रवण यंत्र (हियरिंग एड्स):

  • यह छोटे उपकरण होते हैं जिन्हें कानों में पहना जाता है और जो आवाज़ों को बढ़ाते हैं।
  • यह हल्के से मध्यम बहरेपन वाले लोगों के लिए उपयोगी होते हैं।
  • विभिन्न प्रकार के श्रवण यंत्र उपलब्ध हैं, इसलिए डॉक्टर आपको यह चुनने में मदद कर सकते हैं कि आपके लिए कौन सा सबसे अच्छा है।

2. कर्णावत प्रत्यारोपण (कोक्लियर इम्प्लांट्स):

  • यह शल्य चिकित्सा द्वारा प्रत्यारोपित उपकरण होते हैं जो गंभीर बहरेपन वाले लोगों के लिए ध्वनि को उत्तेजित करते हैं।
  • यह उन लोगों के लिए एक विकल्प है जो श्रवण यंत्रों से लाभ नहीं उठा पाते हैं।

3. दवाएँ:

  • कुछ दवाएँ कान के संक्रमण या अन्य चिकित्सा स्थितियों के कारण होने वाले बहरेपन का इलाज कर सकती हैं।

4. सर्जरी:

  • कुछ मामलों में, बहरेपन के कारण को ठीक करने के लिए सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है, जैसे कि ओटोस्क्लेरोसिस या ध्वनिक न्यूरोमा।

5. स्पीच थेरेपी:

  • यह लोगों को सुनने की हानि के साथ संवाद करने के लिए सिखाती है।
  • यह उन लोगों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है जिन्होंने हाल ही में अपनी सुनने की क्षमता खो दी है।

6. जीवनशैली में बदलाव:

  • तेज शोर से बचें।
  • अपने कानों को संक्रमण से बचाएं।
  • स्वस्थ आहार खाएं और नियमित रूप से व्यायाम करें।

डॉक्टर से कब मिलें:

यदि आपको सुनने में कठिनाई हो रही है, तो डॉक्टर से मिलना महत्वपूर्ण है। वे आपकी सुनने की क्षमता का आकलन कर सकते हैं और आपके लिए सर्वोत्तम उपचार की सिफारिश कर सकते हैं।

बहरेपन का आयुर्वेदिक उपचार क्या है?

आयुर्वेद में बहरेपन के उपचार के लिए कई तरीकों का वर्णन किया गया है, जो बहरेपन के अंतर्निहित कारण और व्यक्ति के समग्र स्वास्थ्य पर निर्भर करते हैं। यहाँ कुछ सामान्य आयुर्वेदिक उपचार दिए गए हैं:

1. कर्ण पुरण:

  • यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें औषधीय तेलों, जैसे कि तिल का तेल, सरसों का तेल, या बादाम का तेल, को कानों में डाला जाता है।
  • यह कान के नहर को चिकनाई देने, सूजन को कम करने और सुनने की क्षमता में सुधार करने में मदद करता है।

2. कर्ण धूपन:

  • यह एक आयुर्वेदिक प्रक्रिया है जो कान की विभिन्न बीमारियों जैसे कान में खुजली, कान में दर्द, फंगल संक्रमण आदि के इलाज में फायदेमंद है।
  • यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें औषधीय जड़ी बूटियों, जैसे कि गुग्गुल, लोबान, या नीम के पत्तों, को जलाया जाता है और धुएं को कानों में निर्देशित किया जाता है।
  • यह कान के नहर को साफ करने, संक्रमण को दूर करने और सुनने की क्षमता में सुधार करने में मदद करता है।

3. नस्य:

  • यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें औषधीय तेलों या पाउडर को नाक में डाला जाता है।
  • यह सिर और गर्दन में रक्त के प्रवाह को बेहतर बनाने, तंत्रिका तंत्र को उत्तेजित करने और सुनने की क्षमता में सुधार करने में मदद करता है।

4. आयुर्वेदिक जड़ी बूटियाँ:

  • कुछ आयुर्वेदिक जड़ी बूटियाँ, जैसे कि अश्वगंधा, ब्राह्मी, और शतावरी, सुनने की क्षमता में सुधार करने में मदद कर सकती हैं।
  • इन जड़ी बूटियों का उपयोग विभिन्न रूपों में किया जा सकता है, जैसे कि पाउडर, गोलियां, या काढ़े।

5. आहार और जीवनशैली में परिवर्तन:

  • आयुर्वेद में, बहरेपन को वात दोष के असंतुलन से जोड़ा जाता है।
  • इसलिए, वात दोष को शांत करने वाले खाद्य पदार्थों, जैसे कि गर्म और नम खाद्य पदार्थों, का सेवन करना महत्वपूर्ण है।
  • इसके अलावा, तनाव को कम करने और पर्याप्त नींद लेने से भी सुनने की क्षमता में सुधार हो सकता है।

6. पंचकर्म चिकित्सा:

  • पंचकर्म चिकित्सा आयुर्वेदिक उपचारों की एक श्रृंखला है जो शरीर को शुद्ध करने और विषहरण करने में मदद करती है।
  • कुछ पंचकर्म उपचार, जैसे कि शिरोधारा और बस्ती, सुनने की क्षमता में सुधार करने में मदद कर सकते हैं।

महत्वपूर्ण नोट:

  • बहरेपन के लिए किसी भी आयुर्वेदिक उपचार को आजमाने से पहले एक योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करना महत्वपूर्ण है।
  • वे आपकी स्थिति का आकलन कर सकते हैं और आपके लिए सबसे उपयुक्त उपचार योजना की सिफारिश कर सकते हैं।

बहरेपन का घरेलू उपचार क्या है?

बहरेपन के लिए कुछ घरेलू उपचार हैं जो लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं, लेकिन यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि वे चिकित्सा उपचार का विकल्प नहीं हैं। यदि आपको बहरेपन के लक्षण अनुभव हो रहे हैं, तो डॉक्टर से परामर्श करना महत्वपूर्ण है।

यहाँ कुछ घरेलू उपचार दिए गए हैं:

  • लहसुन का तेल:
    • लहसुन में एंटीबायोटिक गुण होते हैं, जो कान के संक्रमण से लड़ने में मदद कर सकते हैं।
    • लहसुन के तेल की कुछ बूंदों को गर्म करके कान में डालें।
  • प्याज का रस:
    • प्याज में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो कान में सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं।
    • प्याज के रस की कुछ बूंदों को गर्म करके कान में डालें।
  • सरसों का तेल:
    • सरसों का तेल कान के मैल को नरम करने और कान के नहर को साफ करने में मदद कर सकता है।
    • सरसों के तेल की कुछ बूंदों को गर्म करके कान में डालें।
  • अदरक:
    • अदरक में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो कान में सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं।
    • अदरक के रस की कुछ बूंदों को गर्म करके कान में डालें।
  • तुलसी:
    • तुलसी में एंटीबायोटिक और एंटीसेप्टिक गुण होते हैं, जो कान के संक्रमण से लड़ने में मदद कर सकते हैं।
    • तुलसी के पत्तों के रस की कुछ बूंदों को गर्म करके कान में डालें।
  • नीम का तेल:
    • नीम के तेल में एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण होते हैं। इसलिए, यह कान के संक्रमण से लड़ने में मदद कर सकता है।
    • नीम के तेल की कुछ बूंदों को गर्म करके कान में डालें।

अन्य सुझाव:

  • शोर से बचें: तेज शोर के संपर्क में आने से बचें, क्योंकि इससे सुनने की क्षमता और खराब हो सकती है।
  • स्वस्थ आहार लें: स्वस्थ आहार खाने से आपके समग्र स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है, जिसमें आपके कानों का स्वास्थ्य भी शामिल है।
  • तनाव कम करें: तनाव सुनने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है, इसलिए तनाव कम करने के तरीके खोजें, जैसे कि योग या ध्यान।
  • कानों को साफ रखें: अपने कानों को साफ रखें, लेकिन सावधान रहें कि ईयरबड्स या अन्य वस्तुओं को कान के नहर में न डालें, क्योंकि इससे नुकसान हो सकता है।

सावधानियां:

  • किसी भी घरेलू उपचार को आजमाने से पहले डॉक्टर से सलाह लें, खासकर यदि आपको कान में दर्द, खून बहना या अन्य लक्षण हों।
  • यदि आपको कान में संक्रमण है, तो घरेलू उपचारों से बचें और तुरंत डॉक्टर से मिलें।

बहरापन के खतरे को कैसे कम करें?

बहरापन के खतरे को कम करने के लिए आप इन बातों का ध्यान रख सकते हैं:

  • तेज आवाज से बचें:
    • तेज संगीत, ट्रैफिक शोर और औद्योगिक शोर जैसे तेज आवाज के संपर्क में आने से बचें।
    • यदि आप शोरगुल वाले वातावरण में काम करते हैं, तो इयरप्लग या ईयर मफ जैसे सुरक्षात्मक उपकरण पहनें।
    • हेडफ़ोन या ईयरबड्स का उपयोग करते समय वॉल्यूम को सुरक्षित स्तर पर रखें।
  • नियमित रूप से कान की जांच कराएं:
    • नियमित रूप से अपने डॉक्टर से कान की जांच कराएं, खासकर यदि आपके परिवार में बहरेपन का इतिहास है या यदि आपको सुनने में कोई समस्या हो रही है।
    • शुरुआती पहचान और उपचार से बहरेपन को बढ़ने से रोका जा सकता है।
  • स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं:
    • स्वस्थ आहार खाएं और नियमित रूप से व्यायाम करें।
    • धूम्रपान और अत्यधिक शराब के सेवन से बचें।
    • उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसी स्थितियों का प्रबंधन करें, क्योंकि ये बहरेपन के खतरे को बढ़ा सकते हैं।
  • कानों को साफ रखें:
    • कानों को साफ रखने के लिए, बाहरी कान को एक मुलायम कपड़े से धीरे से साफ करें।
    • कान के अंदर रुई के फाहे या अन्य वस्तुएं न डालें, क्योंकि इससे कान के पर्दे को नुकसान पहुंच सकता है।
  • कुछ दवाओं से बचें:
    • कुछ दवाओं के दुष्प्रभाव से बहरापन होने का खतरा रहता है, इसलिए डॉक्टर की सलाह से ही दवाई लें।
  • बच्चों के कानों का ध्यान रखें:
    • बच्चों को तेज आवाज से बचाएं।
    • बच्चों के कानों में संक्रमण होने पर तुरंत डॉक्टर से इलाज कराएं।
  • डायबिटीज और बीपी को कंट्रोल में रखें:
    • डायबिटीज और बीपी बढ़ने से भी बहरेपन का खतरा बढ़ जाता है, इसलिए इसे कंट्रोल में रखें।
  • 60:60 के नियम का पालन करें:
    • ईयरफोन में संगीत सुनते समय 60% से ज्यादा आवाज में न सुनें और 60 मिनट से ज्यादा न सुनें।

सारांश:

बहरापन के खतरे को कम करने के लिए, तेज आवाज से बचें, नियमित रूप से कान की जांच कराएं, स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं, कानों को साफ रखें, कुछ दवाओं से बचें, बच्चों के कानों का ध्यान रखें, डायबिटीज और बीपी को कंट्रोल में रखें, और 60:60 के नियम का पालन करें।

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