पीलिया

पीलिया

पीलिया क्या है?

पीलिया, जिसे कामला भी कहा जाता है, एक ऐसी स्थिति है जिसमें त्वचा, आंखों का सफेद भाग और श्लेष्मा झिल्ली पीले रंग की हो जाती हैं। यह स्थिति खून में बिलीरुबिन नामक पीले-नारंगी पित्त वर्णक के अधिक जमा होने के कारण होती है।

  • लिवर की समस्याएं:
    • हेपेटाइटिस (वायरल, एल्कोहलिक, या ऑटोइम्यून)
    • सिरोसिस
    • लिवर कैंसर
    • गिल्बर्ट सिंड्रोम (एक आनुवंशिक स्थिति)
  • पित्त नली की रुकावट:
    • पित्त पथरी
    • पित्त नली का कैंसर
    • अग्नाशय का कैंसर
  • लाल रक्त कोशिकाओं का अत्यधिक विनाश (हेमोलिटिक एनीमिया):
    • सिकल सेल एनीमिया
    • ग्लूकोज-6-फॉस्फेट डिहाइड्रोजनेज (G6PD) की कमी
    • थैलेसीमिया
  • नवजात पीलिया:
    • नवजात शिशुओं में, लिवर पूरी तरह से विकसित नहीं होता है, जिससे बिलीरुबिन का स्तर बढ़ सकता है।

पीलिया के लक्षण:

  • त्वचा और आंखों का पीला होना
  • गहरा मूत्र
  • हल्का रंग का मल
  • थकान
  • पेट दर्द
  • खुजली

पीलिया का निदान:

  • शारीरिक परीक्षण
  • रक्त परीक्षण (बिलीरुबिन स्तर, लिवर फंक्शन टेस्ट)
  • इमेजिंग परीक्षण (अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन, एमआरआई)
  • लिवर बायोप्सी (कुछ मामलों में)

पीलिया का उपचार:

पीलिया का उपचार अंतर्निहित कारण पर निर्भर करता है।

  • लिवर की समस्याओं के लिए: दवाओं, जीवनशैली में बदलाव या लिवर प्रत्यारोपण की आवश्यकता हो सकती है।
  • पित्त नली की रुकावट के लिए: सर्जरी या एंडोस्कोपिक प्रक्रियाओं की आवश्यकता हो सकती है।
  • हेमोलिटिक एनीमिया के लिए: दवाओं या रक्त आधान की आवश्यकता हो सकती है।
  • नवजात पीलिया के लिए: फोटोथेरेपी या रक्त आधान की आवश्यकता हो सकती है।

सावधानियां:

  • यदि आपको पीलिया के लक्षण दिखाई देते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श करें।
  • स्व-उपचार से बचें, क्योंकि यह स्थिति गंभीर हो सकती है।
  • शराब का सेवन सीमित करें और स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं।

पीलिया के कारण क्या हैं?

पीलिया, जिसे कामला भी कहा जाता है, एक ऐसी स्थिति है जिसमें त्वचा, आंखों का सफेद भाग और श्लेष्मा झिल्ली पीले रंग की हो जाती हैं। यह स्थिति खून में बिलीरुबिन नामक पीले-नारंगी पित्त वर्णक के अधिक जमा होने के कारण होती है। पीलिया विभिन्न कारणों से हो सकता है, जिनमें शामिल हैं:

लिवर की समस्याएं:

  • हेपेटाइटिस (वायरल, एल्कोहलिक, या ऑटोइम्यून): लिवर में सूजन, जो बिलीरुबिन को संसाधित करने की क्षमता को कम कर देती है।
  • सिरोसिस: लिवर में घाव, जो लिवर के कार्य को बाधित करता है।
  • लिवर कैंसर: लिवर में ट्यूमर, जो बिलीरुबिन के प्रवाह को अवरुद्ध कर सकता है।
  • गिल्बर्ट सिंड्रोम (एक आनुवंशिक स्थिति): एक आनुवंशिक विकार जो बिलीरुबिन के चयापचय को प्रभावित करता है।

पित्त नली की रुकावट:

  • पित्त पथरी: पित्त नली में पथरी, जो पित्त के प्रवाह को अवरुद्ध करती है।
  • पित्त नली का कैंसर: पित्त नली में ट्यूमर, जो पित्त के प्रवाह को अवरुद्ध करता है।
  • अग्नाशय का कैंसर: अग्नाशय में ट्यूमर, जो पित्त नली पर दबाव डाल सकता है।

लाल रक्त कोशिकाओं का अत्यधिक विनाश (हेमोलिटिक एनीमिया):

  • सिकल सेल एनीमिया: एक आनुवंशिक विकार जो लाल रक्त कोशिकाओं को असामान्य रूप से आकार देता है।
  • ग्लूकोज-6-फॉस्फेट डिहाइड्रोजनेज (G6PD) की कमी: एक आनुवंशिक विकार जो लाल रक्त कोशिकाओं को टूटने के लिए अतिसंवेदनशील बनाता है।
  • थैलेसीमिया: एक आनुवंशिक विकार जो लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन को प्रभावित करता है।

नवजात पीलिया:

  • नवजात शिशुओं में, लिवर पूरी तरह से विकसित नहीं होता है, जिससे बिलीरुबिन का स्तर बढ़ सकता है।

अन्य कारण:

  • कुछ दवाएं
  • कुछ संक्रमण
  • विल्सन रोग
  • स्व – प्रतिरक्षा रोग

अगर आपको पीलिया के लक्षण दिखाई देते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श करें।

पीलिया के संकेत और लक्षण क्या हैं?

पीलिया के मुख्य संकेत और लक्षण हैं:

  • त्वचा और आँखों का पीलापन: यह पीलिया का सबसे प्रमुख लक्षण है। त्वचा, आंखों का सफेद हिस्सा (श्वेतपटल) और श्लेष्मा झिल्ली पीले रंग की हो जाती हैं।
  • गहरे रंग का मूत्र: बिलीरुबिन के बढ़ने से मूत्र का रंग गहरा पीला या भूरा हो सकता है।
  • हल्के रंग का मल: मल का रंग मिट्टी के रंग का या हल्का पीला हो सकता है।
  • थकान और कमजोरी: पीलिया से पीड़ित व्यक्ति को अत्यधिक थकान और कमजोरी महसूस हो सकती है।
  • पेट में दर्द: कुछ मामलों में, पेट में दर्द या बेचैनी हो सकती है।
  • खुजली: त्वचा में खुजली हो सकती है, खासकर जब बिलीरुबिन का स्तर बहुत अधिक हो।
  • भूख में कमी: पीलिया के कारण भूख कम लग सकती है या बिल्कुल भी न लग सकती है।
  • मतली और उल्टी: कुछ लोगों को मतली और उल्टी भी हो सकती है।
  • बुखार: कुछ मामलों में, पीलिया के साथ बुखार भी हो सकता है।
  • सिरदर्द: कुछ लोगों को सिरदर्द का अनुभव हो सकता है।

पीलिया का खतरा किसे अधिक होता है?

पीलिया किसी को भी हो सकता है, लेकिन कुछ लोगों में इसका खतरा अधिक होता है। इनमें शामिल हैं:

  • नवजात शिशु:
    • नवजात शिशुओं में पीलिया का खतरा अधिक होता है, क्योंकि उनके लिवर पूरी तरह से विकसित नहीं होते हैं और लाल रक्त कोशिकाएं तेजी से टूटती हैं।
  • लिवर की बीमारी वाले लोग:
    • हेपेटाइटिस, सिरोसिस या लिवर कैंसर जैसी लिवर की बीमारियों वाले लोगों में पीलिया का खतरा अधिक होता है।
  • पित्त नली की बीमारी वाले लोग:
    • पित्त पथरी या पित्त नली के कैंसर जैसी पित्त नली की बीमारियों वाले लोगों में पीलिया का खतरा अधिक होता है।
  • हेमोलिटिक एनीमिया वाले लोग:
    • सिकल सेल एनीमिया या थैलेसीमिया जैसी हेमोलिटिक एनीमिया वाले लोगों में पीलिया का खतरा अधिक होता है।
  • कुछ दवाओं का सेवन करने वाले लोग:
    • कुछ दवाएं लिवर को नुकसान पहुंचा सकती हैं और पीलिया का कारण बन सकती हैं।
  • अत्यधिक शराब का सेवन करने वाले लोग:
    • अत्यधिक शराब का सेवन लिवर को नुकसान पहुंचा सकता है और पीलिया का कारण बन सकता है।
  • वायरल संक्रमण के संपर्क में आने वाले लोग:
    • हेपेटाइटिस ए, बी, या सी जैसे वायरल संक्रमण के संपर्क में आने वाले लोगों में पीलिया का खतरा अधिक होता है।
  • जीर्ण रोग वाले लोग:
    • कुछ जीर्ण रोग भी पीलिया के खतरे को बढ़ाते हैं।

यदि आपको पीलिया के लक्षणों के बारे में कोई चिंता है, तो डॉक्टर से बात करना महत्वपूर्ण है।

पीलिया से कौन सी बीमारियां जुड़ी हैं?

पीलिया एक लक्षण है, बीमारी नहीं। यह शरीर में बिलीरुबिन नामक पदार्थ के बढ़ने के कारण होता है, जो कई बीमारियों का संकेत हो सकता है। पीलिया से जुड़ी कुछ प्रमुख बीमारियां इस प्रकार हैं:

लिवर से जुड़ी बीमारियां:

  • हेपेटाइटिस: यह लिवर में सूजन पैदा करने वाला एक वायरल संक्रमण है।
  • सिरोसिस: यह लिवर में घाव का निशान है, जो लिवर के काम करने की क्षमता को कम कर देता है।
  • लिवर कैंसर: लिवर में असामान्य कोशिकाओं का विकास।
  • गिल्बर्ट सिंड्रोम: एक आनुवंशिक विकार जो बिलीरुबिन के चयापचय को प्रभावित करता है।

पित्ताशय और पित्त नलिकाओं से जुड़ी बीमारियां:

  • पित्त पथरी: पित्ताशय में पथरी का बनना, जो पित्त के प्रवाह को अवरुद्ध कर सकती है।
  • पित्त नली का कैंसर: पित्त नलिकाओं में ट्यूमर का विकास।
  • अग्नाशय का कैंसर: अग्न्याशय में ट्यूमर का विकास, जो पित्त नली पर दबाव डाल सकता है।

रक्त से जुड़ी बीमारियां:

  • हेमोलिटिक एनीमिया: लाल रक्त कोशिकाओं का असामान्य रूप से टूटना।
  • सिकल सेल एनीमिया: एक आनुवंशिक रक्त विकार।
  • थैलेसीमिया: एक आनुवंशिक रक्त विकार।
  • ग्लूकोज-6-फॉस्फेट डिहाइड्रोजनेज (G6PD) की कमी: एक आनुवंशिक विकार।

नवजात शिशुओं में:

  • नवजात शिशुओं में पीलिया तब हो सकता है जब उनका लिवर पूरी तरह से विकसित नहीं होता है, या जब उनके रक्त प्रकार मां के रक्त प्रकार से असंगत होते हैं।

अन्य कारण:

  • कुछ दवाएं।
  • कुछ संक्रमण।
  • विल्सन रोग।
  • स्व – प्रतिरक्षा रोग।

पीलिया का निदान कैसे करें?

पीलिया का निदान कई चरणों में किया जाता है, जिसमें शारीरिक परीक्षण, रक्त परीक्षण और इमेजिंग परीक्षण शामिल हैं। यहाँ एक विस्तृत विवरण दिया गया है:

1. शारीरिक परीक्षण:

  • डॉक्टर आपकी त्वचा और आंखों के पीलेपन की जांच करेंगे।
  • वे आपके पेट को भी छूकर देखेंगे कि क्या लिवर या पित्ताशय में कोई सूजन या असामान्यता है।
  • वे आपके चिकित्सा इतिहास के बारे में भी पूछेंगे, जिसमें आपके लक्षण, दवाएं और कोई भी अंतर्निहित स्वास्थ्य स्थितियां शामिल हैं।

2. रक्त परीक्षण:

  • रक्त परीक्षण पीलिया के निदान में सबसे महत्वपूर्ण कदम है।
  • ये परीक्षण आपके रक्त में बिलीरुबिन के स्तर को मापते हैं।
  • वे लिवर फंक्शन टेस्ट (LFT) भी करते हैं, जो लिवर के स्वास्थ्य का आकलन करते हैं।
  • अन्य रक्त परीक्षणों में पूर्ण रक्त गणना (CBC) और हेपेटाइटिस परीक्षण शामिल हो सकते हैं।

3. इमेजिंग परीक्षण:

  • यदि रक्त परीक्षणों से पीलिया का कारण स्पष्ट नहीं होता है, तो इमेजिंग परीक्षणों की आवश्यकता हो सकती है।
  • अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन या एमआरआई जैसे परीक्षण लिवर, पित्ताशय और पित्त नलिकाओं की तस्वीरें प्रदान करते हैं।
  • ये परीक्षण पित्त पथरी, ट्यूमर या अन्य रुकावटों का पता लगाने में मदद कर सकते हैं।
  • कुछ मामलों में, लिवर बायोप्सी की आवश्यकता हो सकती है, जिसमें लिवर से ऊतक का एक छोटा सा नमूना लिया जाता है और जांच के लिए भेजा जाता है।

पीलिया के निदान में शामिल कुछ विशिष्ट परीक्षण इस प्रकार हैं:

  • बिलीरुबिन परीक्षण: यह परीक्षण आपके रक्त में बिलीरुबिन के स्तर को मापता है।
  • लिवर फंक्शन टेस्ट (LFT): ये परीक्षण लिवर के स्वास्थ्य का आकलन करते हैं, जिसमें एंजाइम और प्रोटीन के स्तर को मापना शामिल है।
  • अल्ट्रासाउंड: यह परीक्षण लिवर, पित्ताशय और पित्त नलिकाओं की तस्वीरें बनाने के लिए ध्वनि तरंगों का उपयोग करता है।
  • सीटी स्कैन: यह परीक्षण लिवर, पित्ताशय और पित्त नलिकाओं की विस्तृत तस्वीरें बनाने के लिए एक्स-रे का उपयोग करता है।
  • एमआरआई: यह परीक्षण लिवर, पित्ताशय और पित्त नलिकाओं की विस्तृत तस्वीरें बनाने के लिए चुंबकीय क्षेत्र और रेडियो तरंगों का उपयोग करता है।
  • लिवर बायोप्सी: यह परीक्षण लिवर से ऊतक का एक छोटा सा नमूना लेता है और जांच के लिए भेजा जाता है।

पीलिया का निदान अंतर्निहित कारण की पहचान करने के लिए महत्वपूर्ण है। सही निदान के साथ, उचित उपचार शुरू किया जा सकता है।

पीलिया का इलाज क्या है?

पीलिया का इलाज अंतर्निहित कारण पर निर्भर करता है। यहाँ कुछ सामान्य उपचार दिए गए हैं:

1. लिवर की समस्याओं के लिए उपचार:

  • हेपेटाइटिस: वायरल हेपेटाइटिस के लिए एंटीवायरल दवाएं दी जा सकती हैं। ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस के लिए इम्यूनोसप्रेसेंट दवाओं की आवश्यकता हो सकती है।
  • सिरोसिस: सिरोसिस के लिए कोई इलाज नहीं है, लेकिन लक्षणों को प्रबंधित करने और जटिलताओं को रोकने के लिए उपचार उपलब्ध हैं।
  • लिवर कैंसर: लिवर कैंसर के लिए सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी या लिवर प्रत्यारोपण की आवश्यकता हो सकती है।
  • गिल्बर्ट सिंड्रोम: गिल्बर्ट सिंड्रोम के लिए आमतौर पर उपचार की आवश्यकता नहीं होती है।

2. पित्त नली की रुकावट के लिए उपचार:

  • पित्त पथरी: पित्त पथरी को हटाने के लिए सर्जरी या एंडोस्कोपिक प्रक्रियाओं की आवश्यकता हो सकती है।
  • पित्त नली का कैंसर: पित्त नली के कैंसर के लिए सर्जरी, कीमोथेरेपी या रेडियोथेरेपी की आवश्यकता हो सकती है।
  • अग्नाशय का कैंसर: अग्नाशय के कैंसर के लिए सर्जरी, कीमोथेरेपी या रेडियोथेरेपी की आवश्यकता हो सकती है।

3. हेमोलिटिक एनीमिया के लिए उपचार:

  • सिकल सेल एनीमिया: सिकल सेल एनीमिया के लिए दर्द निवारक, रक्त आधान या बोन मैरो ट्रांसप्लांट की आवश्यकता हो सकती है।
  • ग्लूकोज-6-फॉस्फेट डिहाइड्रोजनेज (G6PD) की कमी: G6PD की कमी के लिए ट्रिगर से बचना और सहायक देखभाल की आवश्यकता होती है।
  • थैलेसीमिया: थैलेसीमिया के लिए रक्त आधान या बोन मैरो ट्रांसप्लांट की आवश्यकता हो सकती है।

4. नवजात पीलिया के लिए उपचार:

  • फोटोथेरेपी: नवजात पीलिया के लिए फोटोथेरेपी सबसे आम उपचार है।
  • रक्त आधान: गंभीर मामलों में, रक्त आधान की आवश्यकता हो सकती है।

5. घरेलू उपचार और जीवनशैली में बदलाव:

  • आराम करें: पीलिया के दौरान आराम करना महत्वपूर्ण है।
  • स्वस्थ आहार लें: फल, सब्जियां और साबुत अनाज खाएं। वसायुक्त और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों से बचें।
  • खूब पानी पिएं: पानी बिलीरुबिन को बाहर निकालने में मदद करता है।
  • शराब से बचें: शराब लिवर को नुकसान पहुंचा सकती है।

डॉक्टर से परामर्श:

पीलिया का इलाज अंतर्निहित कारण पर निर्भर करता है। इसलिए, डॉक्टर से परामर्श करना और सही निदान औरउपचार योजना प्राप्त करना महत्वपूर्ण है।

पीलिया का घरेलू इलाज क्या है?

पीलिया के घरेलू उपचार सहायक हो सकते हैं, लेकिन यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि वे चिकित्सा उपचार का विकल्प नहीं हैं। पीलिया एक गंभीर स्थिति हो सकती है, इसलिए डॉक्टर से परामर्श करना और सही निदान और उपचार योजना प्राप्त करना महत्वपूर्ण है।

यहाँ कुछ घरेलू उपचार दिए गए हैं जो पीलिया में सहायक हो सकते हैं:

  1. गन्ने का रस: गन्ने का रस लिवर को स्वस्थ रखने में मदद करता है। दिन में 2-3 गिलास गन्ने का रस पिएं।
  2. मूली के पत्ते: मूली के पत्तों का रस लिवर को डिटॉक्सिफाई करने में मदद करता है। 1 कप मूली के पत्तों का रस दिन में 2 बार पिएं।
  3. नींबू: नींबू विटामिन सी से भरपूर होता है, जो लिवर को स्वस्थ रखने में मदद करता है। 1 गिलास पानी में 1 नींबू का रस मिलाकर दिन में 2-3 बार पिएं।
  4. टमाटर: टमाटर लाइकोपीन से भरपूर होता है, जो लिवर को स्वस्थ रखने में मदद करता है। 1 गिलास टमाटर का रस दिन में 2 बार पिएं।
  5. पालक: पालक आयरन से भरपूर होता है, जो लिवर को स्वस्थ रखने में मदद करता है। 1 कप पालक का रस दिन में 2 बार पिएं।
  6. आंवला: आंवला विटामिन सी से भरपूर होता है, जो लिवर को स्वस्थ रखने में मदद करता है। 1 चम्मच आंवला का रस दिन में 2 बार पिएं।
  7. पपीता: पपीता पाचन में मदद करता है और लिवर को स्वस्थ रखता है। रोजाना पपीता खाएं।
  8. तुलसी: तुलसी में एंटीवायरल और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, जो लिवर को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। रोजाना तुलसी के पत्तों का काढ़ा पिएं।
  9. छाछ: छाछ पाचन में मदद करता है और लिवर को स्वस्थ रखता है। रोजाना छाछ पिएं।
  10. पर्याप्त पानी पिएं: पानी शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। रोजाना 8-10 गिलास पानी पिएं।

जीवनशैली में बदलाव:

  • आराम करें: पीलिया के दौरान आराम करना महत्वपूर्ण है।
  • स्वस्थ आहार लें: फल, सब्जियां और साबुत अनाज खाएं। वसायुक्त और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों से बचें।
  • शराब से बचें: शराब लिवर को नुकसान पहुंचा सकती है।

सावधानियां:

  • किसी भी घरेलू उपचार को आजमाने से पहले डॉक्टर से सलाह लें।
  • यदि आपके लक्षण बिगड़ते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

पीलिया में क्या खाएं और क्या न खाएं?

पीलिया में आहार का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है, क्योंकि लिवर पर अतिरिक्त दबाव से बचने और उसे स्वस्थ रखने में मदद मिलती है।

पीलिया में क्या खाएं:

  • फल और सब्जियां:
    • फल: पपीता, अंगूर, नींबू, जामुन, सेब
    • सब्जियां: गाजर, मूली, चुकंदर, पालक, टमाटर, लौकी, तोरई
    • ये फल और सब्जियां एंटीऑक्सीडेंट और फाइबर से भरपूर होते हैं, जो लिवर को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।
  • साबुत अनाज:
    • ब्राउन राइस, ओट्स, जौ जैसे साबुत अनाज खाएं।
    • ये फाइबर से भरपूर होते हैं, जो पाचन में मदद करते हैं।
  • प्रोटीन:
    • दालें, टोफू, मछली, चिकन (बिना त्वचा के) जैसे प्रोटीन स्रोत खाएं।
    • ये लिवर को ठीक करने में मदद करते हैं।
  • तरल पदार्थ:
    • पानी, नारियल पानी, छाछ, फलों के रस (बिना चीनी के) भरपूर मात्रा में पिएं।
    • ये शरीर को हाइड्रेटेड रखने और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करते हैं।
  • हर्बल चाय:
    • अदरक, हल्दी, और नींबू जैसी हर्बल चाय पिएं।
    • ये लिवर को डिटॉक्सिफाई करने में मदद करते हैं।

पीलिया में क्या न खाएं:

  • वसायुक्त और तले हुए खाद्य पदार्थ:
    • ये लिवर पर अतिरिक्त दबाव डालते हैं और पाचन को मुश्किल बनाते हैं।
  • प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ:
    • इनमें हानिकारक रसायन और संरक्षक होते हैं, जो लिवर को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
  • मीठे खाद्य पदार्थ और पेय:
    • चीनी और मीठे पेय लिवर में वसा जमा कर सकते हैं।
  • शराब:
    • शराब लिवर के लिए बहुत हानिकारक है और पीलिया को और बढ़ा सकती है।
  • मसालेदार भोजन:
    • मसालेदार भोजन पाचन तंत्र को परेशान कर सकता है।
  • डेयरी उत्पाद:
    • उच्च वसा वाले डेयरी उत्पादों से बचें। कम वसा वाले डेयरी उत्पाद सीमित मात्रा में खाए जा सकते हैं।
  • रेड मीट:
    • रेड मीट पचने में मुश्किल होता है और लिवर पर अतिरिक्त दबाव डालता है।
  • कैफीन:
    • कॉफी और अन्य कैफीनयुक्त पेय लिवर को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
  • डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ:
    • इनमें संरक्षक और अन्य हानिकारक रसायन होते हैं।

अतिरिक्त सुझाव:

  • भोजन को छोटे-छोटे भागों में बांटकर खाएं।
  • भोजन को अच्छी तरह चबाकर खाएं।
  • खाना खाने के बाद तुरंत न सोएं।
  • तनाव कम करने के लिए योग या ध्यान करें।

महत्वपूर्ण नोट:

  • यह आहार योजना सामान्य जानकारी के लिए है।
  • अपनी व्यक्तिगत आवश्यकताओं के अनुसार आहार योजना बनाने के लिए डॉक्टर या आहार विशेषज्ञ से परामर्श करें।

पीलिया के जोखिम को कैसे कम करें?

पीलिया के जोखिम को कम करने के लिए, आपको लिवर को स्वस्थ रखने और हेपेटाइटिस जैसे संक्रमणों से बचने पर ध्यान देना चाहिए। यहाँ कुछ सुझाव दिए गए हैं:

1. हेपेटाइटिस से बचाव:

  • टीकाकरण: हेपेटाइटिस ए और बी के लिए टीकाकरण उपलब्ध है। टीकाकरण करवाएं।
  • सुरक्षित यौन संबंध: हेपेटाइटिस बी और सी यौन संपर्क से फैल सकते हैं। सुरक्षित यौन संबंध अपनाएं।
  • सुइयों से बचें: संक्रमित सुइयों के इस्तेमाल से बचें, खासकर नशीली दवाओं के सेवन के दौरान।
  • स्वच्छता: खाने से पहले और बाथरूम जाने के बाद हाथ धोएं।
  • दूषित भोजन और पानी से बचें: हेपेटाइटिस ए दूषित भोजन और पानी से फैल सकता है। स्वच्छ और सुरक्षित भोजन और पानी का सेवन करें।

2. लिवर को स्वस्थ रखें:

  • शराब से बचें या सीमित करें: शराब लिवर को नुकसान पहुंचा सकती है।
  • स्वस्थ आहार: फल, सब्जियां, साबुत अनाज और कम वसा वाले प्रोटीन से भरपूर आहार लें। वसायुक्त और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों से बचें।
  • वजन नियंत्रण: स्वस्थ वजन बनाए रखें। मोटापा लिवर की बीमारियों के खतरे को बढ़ाता है।
  • दवाओं का सावधानीपूर्वक उपयोग: कुछ दवाएं लिवर को नुकसान पहुंचा सकती हैं। डॉक्टर की सलाह के बिना कोई भी दवा न लें।
  • जहरीले रसायनों से बचें: कीटनाशकों और अन्य जहरीले रसायनों के संपर्क में आने से बचें।

3. अन्य जोखिम कारक:

  • रक्त आधान: यदि आपको रक्त आधान की आवश्यकता है, तो सुनिश्चित करें कि यह सुरक्षित और जांचा हुआ हो।
  • यात्रा: कुछ देशों में हेपेटाइटिस का खतरा अधिक होता है। यात्रा से पहले टीकाकरण और अन्य सावधानियों के बारे में अपने डॉक्टर से बात करें।

4. नियमित जांच:

  • यदि आपको लिवर की बीमारी का खतरा है, तो नियमित रूप से अपने डॉक्टर से जांच कराएं।
  • लिवर फंक्शन टेस्ट (LFT) लिवर के स्वास्थ्य का आकलन करने में मदद कर सकता है।

5. नवजात शिशु:

  • नवजात शिशुओं में पीलिया आम है, लेकिन गंभीर मामलों में उपचार की आवश्यकता हो सकती है।
  • यदि आपके बच्चे को पीलिया है, तो डॉक्टर से सलाह लें।

इन सावधानियों का पालन करके आप पीलिया के खतरे को काफी हद तक कम कर सकते हैं।

सारांश

पीलिया, जिसे कामला भी कहा जाता है, एक ऐसी स्थिति है जिसमें त्वचा, आंखों का सफेद भाग और श्लेष्मा झिल्ली पीले रंग की हो जाती हैं। यह खून में बिलीरुबिन नामक पीले-नारंगी पित्त वर्णक के अधिक जमा होने के कारण होती है।

पीलिया के मुख्य कारण:

  • लिवर की समस्याएं (जैसे हेपेटाइटिस, सिरोसिस, लिवर कैंसर)
  • पित्त नली की रुकावट (जैसे पित्त पथरी, पित्त नली का कैंसर)
  • लाल रक्त कोशिकाओं का अत्यधिक विनाश (जैसे हेमोलिटिक एनीमिया)
  • नवजात पीलिया

पीलिया के लक्षण:

  • त्वचा और आंखों का पीला होना
  • गहरा मूत्र
  • हल्का रंग का मल
  • थकान
  • पेट दर्द
  • खुजली

पीलिया का निदान:

  • शारीरिक परीक्षण
  • रक्त परीक्षण (बिलीरुबिन स्तर, लिवर फंक्शन टेस्ट)
  • इमेजिंग परीक्षण (अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन, एमआरआई)

पीलिया का उपचार:

पीलिया का उपचार अंतर्निहित कारण पर निर्भर करता है। कुछ सामान्य उपचारों में दवाएं, जीवनशैली में बदलाव, सर्जरी या एंडोस्कोपिक प्रक्रियाएं शामिल हैं।

पीलिया से बचाव:

  • हेपेटाइटिस से बचाव के लिए टीकाकरण करवाएं और सुरक्षित यौन संबंध अपनाएं।
  • लिवर को स्वस्थ रखने के लिए शराब से बचें, स्वस्थ आहार लें और वजन नियंत्रित रखें।
  • नियमित रूप से डॉक्टर से जांच कराएं।

घरेलू उपचार:

कुछ घरेलू उपचार पीलिया में सहायक हो सकते हैं, जैसे गन्ने का रस, मूली के पत्ते, नींबू, टमाटर, पालक, आंवला, पपीता, तुलसी, छाछ और पर्याप्त पानी पीना। लेकिन, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि घरेलू उपचार चिकित्सा उपचार का विकल्प नहीं हैं

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