मेनिनजाइटिस
मेनिनजाइटिस क्या है?
मेनिनजाइटिस मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को घेरने वाली सुरक्षात्मक झिल्लियों (मेनिंजेस) की सूजन है। यह सूजन आमतौर पर मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के आसपास के तरल पदार्थ के संक्रमण के कारण होती है।
मेनिनजाइटिस के कारण:
मेनिनजाइटिस विभिन्न प्रकार के संक्रमणों के कारण हो सकता है, जिनमें शामिल हैं:
- जीवाणु (बैक्टीरिया): यह मेनिनजाइटिस का सबसे गंभीर रूप है और इसके कारण स्थायी मस्तिष्क क्षति, सुनने की हानि, सीखने की अक्षमता या मृत्यु भी हो सकती है। सामान्य जीवाणु जो मेनिनजाइटिस का कारण बनते हैं उनमें स्ट्रेप्टोकोकस निमोनिया, नीसेरिया मेनिंगिटिडिस और हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा प्रकार बी शामिल हैं।
- विषाणु (वायरस): वायरल मेनिनजाइटिस जीवाणु मेनिनजाइटिस की तुलना में कम गंभीर होता है और अक्सर अपने आप ठीक हो जाता है। कई सामान्य वायरस वायरल मेनिनजाइटिस का कारण बन सकते हैं, जैसे कि एंटरोवायरस, हर्पीज सिम्प्लेक्स वायरस और कण्ठमाला का वायरस।
- कवक (फंगस): फंगल मेनिनजाइटिस दुर्लभ है और आमतौर पर कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों को प्रभावित करता है।
- परजीवी (पैरासाइट): परजीवी मेनिनजाइटिस भी दुर्लभ है और दूषित भोजन या पानी से परजीवियों के संपर्क में आने से हो सकता है।
मेनिनजाइटिस के लक्षण:
मेनिनजाइटिस के लक्षण कारण के आधार पर भिन्न हो सकते हैं, लेकिन सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:
- तेज बुखार
- तेज सिरदर्द
- गर्दन में अकड़न
- जी मिचलाना और उल्टी
- प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता (फोटोफोबिया)
- मानसिक स्थिति में बदलाव (जैसे भ्रम, सुस्ती)
- दौरे
शिशुओं में, लक्षण अधिक अस्पष्ट हो सकते हैं, जैसे कि चिड़चिड़ापन, खराब भोजन करना, सुस्ती औरFontanelle (सिर के ऊपरी भाग पर नरम स्थान) का फूलना।
मेनिनजाइटिस का निदान:
मेनिनजाइटिस का निदान आमतौर पर शारीरिक परीक्षा, चिकित्सा इतिहास और कुछ नैदानिक परीक्षणों के आधार पर किया जाता है, जिनमें शामिल हैं:
- लम्बर पंक्चर (स्पाइनल टैप): यह सबसे महत्वपूर्ण परीक्षण है और इसमें मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के आसपास के तरल पदार्थ (सेरेब्रोस्पाइनल फ्लुइड या सीएसएफ) का नमूना लेना शामिल है ताकि संक्रमण के संकेतों की जांच की जा सके।
- रक्त परीक्षण: रक्त के नमूने संक्रमण के लक्षणों की जांच के लिए लिए जा सकते हैं।
- इमेजिंग परीक्षण: कुछ मामलों में, मस्तिष्क की सूजन या अन्य जटिलताओं की जांच के लिए सीटी स्कैन या एमआरआई किया जा सकता है।
मेनिनजाइटिस के कारण क्या हैं?
मेनिनजाइटिस विभिन्न प्रकार के संक्रमणों के कारण हो सकता है, जिनमें शामिल हैं:
- जीवाणु (बैक्टीरिया): यह मेनिनजाइटिस का सबसे गंभीर रूप है। सामान्य जीवाणु जो मेनिनजाइटिस का कारण बनते हैं उनमें स्ट्रेप्टोकोकस निमोनिया, नीसेरिया मेनिंगिटिडिस, हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा प्रकार बी, ग्रुप बी स्ट्रेप्टोकोकस, लिस्टेरिया मोनोसाइटोजेन्स और ई. कोलाई शामिल हैं। ये बैक्टीरिया श्वसन स्रावों (जैसे खांसने या छींकने), लार या दूषित भोजन के माध्यम से फैल सकते हैं।
- विषाणु (वायरस): वायरल मेनिनजाइटिस जीवाणु मेनिनजाइटिस की तुलना में कम गंभीर होता है। कई सामान्य वायरस वायरल मेनिनजाइटिस का कारण बन सकते हैं, जैसे कि एंटरोवायरस (सबसे आम), हर्पीज सिम्प्लेक्स वायरस, कण्ठमाला का वायरस, खसरा वायरस, इन्फ्लूएंजा वायरस और वेस्ट नाइल वायरस। ये वायरस दूषित मल, श्वसन स्रावों या सीधे संपर्क के माध्यम से फैल सकते हैं।
- कवक (फंगस): फंगल मेनिनजाइटिस दुर्लभ है और आमतौर पर कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों को प्रभावित करता है। कुछ कवक जो मेनिनजाइटिस का कारण बन सकते हैं उनमें क्रिप्टोकोकस, हिस्टोप्लाज्मा, ब्लैस्टोमाइसिस और कोक्सीडियोइड्स शामिल हैं। ये कवक पर्यावरण में पाए जा सकते हैं और साँस लेने पर संक्रमण का कारण बन सकते हैं जो मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में फैल सकता है।
- परजीवी (पैरासाइट): परजीवी मेनिनजाइटिस भी दुर्लभ है और दूषित भोजन या पानी से परजीवियों के संपर्क में आने से हो सकता है। तीन मुख्य परजीवी जो मेनिनजाइटिस का कारण बन सकते हैं वे हैं एन्जियोस्ट्रॉन्गिलस कैंटोनेंसिस (चूहे का फेफड़ा कृमि), बेलीसैस्करिस प्रोसीओनिस (रैकून गोलकृमि) और ग्नाथोस्टोमा स्पिनिजरम। एक अन्य परजीवी, नाएग्लेरिया फाउलेरी (अमीबा), प्राथमिक अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस (पीएएम) नामक एक गंभीर प्रकार का मेनिनजाइटिस का कारण बन सकता है, जो आमतौर पर गर्म ताजे पानी में तैरने या गोता लगाने से फैलता है।
मेनिनजाइटिस के संकेत और लक्षण क्या हैं?
मेनिनजाइटिस के संकेत और लक्षण कारण और व्यक्ति की उम्र के आधार पर भिन्न हो सकते हैं।
शिशुओं में मेनिनजाइटिस के संकेत और लक्षण:
शिशुओं में मेनिनजाइटिस के लक्षण वयस्कों की तुलना में अधिक अस्पष्ट हो सकते हैं और इनमें शामिल हो सकते हैं:
- तेज बुखार या कभी-कभी कम तापमान
- लगातार रोना जो तेज हो सकता है और उठाने पर शांत न हो
- अत्यधिक नींद आना या सुस्ती और जागने में कठिनाई
- चिड़चिड़ापन
- खराब भोजन करना
- उल्टी
- शरीर का अकड़ जाना या ढीला पड़ जाना
- Fontanelle (सिर के ऊपरी भाग पर नरम स्थान) का फूलना
- दौरे
बच्चों और वयस्कों में मेनिनजाइटिस के संकेत और लक्षण:
बड़े बच्चों और वयस्कों में मेनिनजाइटिस के अधिक विशिष्ट लक्षण विकसित हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- तेज बुखार
- तेज सिरदर्द
- गर्दन में अकड़न (ठोड़ी को छाती तक लाने में कठिनाई)
- जी मिचलाना और उल्टी
- प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता (फोटोफोबिया)
- मानसिक स्थिति में बदलाव (जैसे भ्रम, भटकाव)
- दौरे
- सुस्ती या जागने में कठिनाई
- भूख न लगना
- कभी-कभी त्वचा पर चकत्ते (विशेष रूप से मेनिन्गोकोकल मेनिनजाइटिस में, यह छोटे लाल या बैंगनी धब्बों के रूप में शुरू हो सकता है जो दबाने पर फीका नहीं पड़ते हैं)
मेनिनजाइटिस का खतरा किसे अधिक होता है?
ऐसे कई कारक हैं जो किसी व्यक्ति में मेनिनजाइटिस के खतरे को बढ़ा सकते हैं:
आयु:
- शिशु: नवजात शिशुओं में जीवाणु मेनिनजाइटिस का खतरा सबसे अधिक होता है।
- छोटे बच्चे: 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में वायरल मेनिनजाइटिस अधिक आम है।
- किशोर और युवा वयस्क: 16 से 25 वर्ष की आयु के लोगों में मेनिन्गोकोकल मेनिनजाइटिस का खतरा बढ़ जाता है।
- वृद्ध वयस्क: 65 वर्ष से अधिक आयु के वयस्कों में कुछ प्रकार के जीवाणु मेनिनजाइटिस का खतरा बढ़ जाता है।
चिकित्सा स्थितियाँ:
- कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली: एचआईवी/एड्स, कैंसर, अंग प्रत्यारोपण या प्रतिरक्षादमनकारी दवाएं लेने वाले लोगों में मेनिनजाइटिस का खतरा अधिक होता है।
- प्लीहा की समस्या: जिन लोगों का प्लीहा नहीं है या जिनका प्लीहा ठीक से काम नहीं करता है (जैसे कि सिकल सेल रोग वाले लोग) उनमें कुछ प्रकार के जीवाणु संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है जो मेनिनजाइटिस का कारण बन सकते हैं।
- पूरक की कमी: प्रतिरक्षा प्रणाली में कुछ प्रोटीन (पूरक) की कमी वाले लोगों में मेनिन्गोकोकल मेनिनजाइटिस का खतरा बढ़ जाता है।
- सेरेब्रोस्पाइनल द्रव (सीएसएफ) का रिसाव: मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के आसपास के झिल्लियों में दरार होने से बैक्टीरिया के प्रवेश का खतरा बढ़ जाता है।
- क्रोनिक बीमारियाँ: कुछ पुरानी बीमारियाँ जैसे कि मधुमेह, गुर्दे की बीमारी और यकृत की बीमारी मेनिनजाइटिस के खतरे को बढ़ा सकती हैं।
- कोक्लियर इम्प्लांट: कुछ अध्ययनों से पता चला है कि कोक्लियर इम्प्लांट वाले बच्चों में मेनिनजाइटिस का थोड़ा बढ़ा हुआ खतरा हो सकता है।
पर्यावरणीय कारक:
- भीड़भाड़ वाली स्थितियाँ: कॉलेज के छात्रावासों, सैन्य बैरकों और डेकेयर केंद्रों जैसे भीड़भाड़ वाले स्थानों में रहने वाले लोगों में मेनिन्गोकोकल मेनिनजाइटिस फैलने का खतरा अधिक होता है।
- धूम्रपान: धूम्रपान करने वालों और सेकेंडहैंड धुएं के संपर्क में आने वालों में कुछ बैक्टीरिया नाक और गले में रहने की संभावना अधिक होती है जो मेनिनजाइटिस का कारण बन सकते हैं।
- यात्रा: उन क्षेत्रों की यात्रा करना जहाँ मेनिनजाइटिस आम है (जैसे कि उप-सहारा अफ्रीका का मेनिनजाइटिस बेल्ट) खतरे को बढ़ा सकता है।
मेनिनजाइटिस से कौन सी बीमारियां जुड़ी है?
मेनिनजाइटिस स्वयं एक बीमारी है, जो मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को घेरने वाली सुरक्षात्मक झिल्लियों (मेनिंजेस) की सूजन है। हालांकि, मेनिनजाइटिस के कारण बनने वाले संक्रमण या मेनिनजाइटिस की जटिलताओं के परिणामस्वरूप अन्य बीमारियां या स्थितियां जुड़ी हो सकती हैं:
मेनिनजाइटिस के कारण बनने वाले संक्रमण से जुड़ी बीमारियां:
- निमोनिया: स्ट्रेप्टोकोकस निमोनिया बैक्टीरिया मेनिनजाइटिस और निमोनिया दोनों का एक आम कारण है।
- सेप्टीसीमिया (रक्त विषाक्तता): मेनिन्गोकोकल बैक्टीरिया और अन्य बैक्टीरिया रक्तप्रवाह में प्रवेश कर सकते हैं और सेप्टीसीमिया का कारण बन सकते हैं, जो एक गंभीर और जानलेवा स्थिति है।
- कान का संक्रमण (ओटिटिस मीडिया) और साइनस संक्रमण (साइनसाइटिस): ये संक्रमण कभी-कभी बैक्टीरिया के मस्तिष्क और मेनिंजेस तक फैलने का कारण बन सकते हैं, जिससे मेनिनजाइटिस हो सकता है।
- तपेदिक (टीबी): माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस बैक्टीरिया तपेदिक का कारण बनता है, जो फेफड़ों को प्रभावित करने वाली एक बीमारी है, लेकिन यह मस्तिष्क और मेनिंजेस में भी फैलकर ट्यूबरकुलस मेनिनजाइटिस का कारण बन सकता है।
- जननांग हर्पीज, चिकनपॉक्स और दाद: हर्पीज सिम्प्लेक्स वायरस और वैरीसेला-जोस्टर वायरस जैसे कुछ वायरस वायरल मेनिनजाइटिस का कारण बन सकते हैं।
- कण्ठमाला, खसरा और इन्फ्लूएंजा: ये सामान्य वायरल बीमारियां कभी-कभी मेनिनजाइटिस से जुड़ी हो सकती हैं।
- एचआईवी/एड्स: कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों में फंगल मेनिनजाइटिस सहित कुछ प्रकार के मेनिनजाइटिस का खतरा बढ़ जाता है।
- खाद्य जनित बीमारियाँ: लिस्टेरिया मोनोसाइटोजेन्स जैसे बैक्टीरिया दूषित भोजन के माध्यम से फैल सकते हैं और मेनिनजाइटिस का कारण बन सकते हैं।
मेनिनजाइटिस की जटिलताओं से जुड़ी बीमारियां:
मेनिनजाइटिस के कारण होने वाली सूजन और संक्रमण मस्तिष्क और शरीर के अन्य हिस्सों को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिससे दीर्घकालिक जटिलताएं हो सकती हैं जिनमें शामिल हैं:
- बहरापन (श्रवण हानि): यह मेनिनजाइटिस की एक आम जटिलता है, खासकर जीवाणु मेनिनजाइटिस के बाद।
- दृष्टि समस्याएं: ऑप्टिक तंत्रिका या मस्तिष्क के उन हिस्सों को नुकसान हो सकता है जो दृष्टि को नियंत्रित करते हैं, जिससे दृष्टि हानि या अंधापन हो सकता है।
- सीखने की अक्षमताएं: मस्तिष्क क्षति स्मृति, एकाग्रता और सीखने की क्षमता को प्रभावित कर सकती है।
- मिर्गी (दौरे): मस्तिष्क की सूजन और निशान पड़ने से दौरे पड़ सकते हैं।
- हाइड्रोसिफ़ेलस (मस्तिष्क में पानी): मस्तिष्क में अतिरिक्त मस्तिष्कमेरु द्रव का जमाव हो सकता है, जिसके लिए शंट डालने की आवश्यकता हो सकती है।
- सेरेब्रल पाल्सी: गंभीर मस्तिष्क क्षति के कारण मांसपेशियों के नियंत्रण और समन्वय में समस्याएं हो सकती हैं।
- गुर्दे की विफलता: कुछ मामलों में, विशेष रूप से सेप्टीसीमिया से जुड़े जीवाणु मेनिनजाइटिस में गुर्दे क्षतिग्रस्त हो सकते हैं।
- शॉक: गंभीर संक्रमण से रक्तचाप खतरनाक स्तर तक गिर सकता है।
- अंग विच्छेदन: मेनिन्गोकोकल सेप्टीसीमिया में, गंभीर रक्त परिसंचरण समस्याओं के कारण अंगों को काटना पड़ सकता है।
- व्यवहार संबंधी समस्याएं: मस्तिष्क क्षति के कारण व्यक्तित्व परिवर्तन, चिड़चिड़ापन या ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई हो सकती है।
- संचार समस्याएं: भाषण और भाषा कौशल प्रभावित हो सकते हैं।
मेनिनजाइटिस का निदान कैसे करें?
मेनिनजाइटिस का निदान करने के लिए, डॉक्टर आमतौर पर निम्नलिखित चरणों का पालन करेंगे:
- शारीरिक परीक्षा: डॉक्टर बुखार, गर्दन में अकड़न और मानसिक स्थिति में बदलाव जैसे मेनिनजाइटिस के लक्षणों की जांच करेंगे। वे त्वचा पर चकत्ते भी देख सकते हैं, जो कुछ प्रकार के मेनिनजाइटिस में हो सकते हैं।
- चिकित्सा इतिहास: डॉक्टर आपसे आपके लक्षणों, चिकित्सा इतिहास और किसी भी संभावित जोखिम कारक के बारे में पूछेंगे।
- प्रयोगशाला परीक्षण:
- रक्त परीक्षण: ये परीक्षण संक्रमण के संकेतों और अन्य समस्याओं की जांच कर सकते हैं।
- रीढ़ की हड्डी में छेद (लम्बर पंक्चर): यह मेनिनजाइटिस के निदान के लिए सबसे महत्वपूर्ण परीक्षण है। डॉक्टर आपकी रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से से थोड़ी मात्रा में मस्तिष्कमेरु द्रव (सीएसएफ) निकालेंगे और संक्रमण या सूजन के संकेतों की जांच करेंगे। सीएसएफ में बैक्टीरिया या वायरस की पहचान करने के लिए कल्चर भी किया जा सकता है।
- इमेजिंग परीक्षण: कुछ मामलों में, डॉक्टर मस्तिष्क या रीढ़ की हड्डी की सूजन या अन्य समस्याओं की जांच के लिए सीटी स्कैन या एमआरआई स्कैन जैसे इमेजिंग परीक्षणों का आदेश दे सकते हैं। यह आमतौर पर लम्बर पंक्चर से पहले किया जाता है यदि मस्तिष्क में दबाव बढ़ने का संदेह हो।
मेनिनजाइटिस का घरेलू इलाज क्या है?
यदि आपको या आपके किसी परिचित को मेनिनजाइटिस के लक्षण हैं (जैसे तेज बुखार, गर्दन में अकड़न, तेज सिरदर्द, उल्टी, प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता, भ्रम), तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें या निकटतम अस्पताल जाएं।
डॉक्टर निदान करेंगे और मेनिनजाइटिस के प्रकार के आधार पर उचित उपचार शुरू करेंगे (जैसे जीवाणु मेनिनजाइटिस के लिए एंटीबायोटिक्स)।
घरेलू उपचार केवल लक्षणों को प्रबंधित करने और चिकित्सा उपचार के पूरक के रूप में इस्तेमाल किए जा सकते हैं, लेकिन वे मेनिनजाइटिस का इलाज नहीं करते हैं। यदि डॉक्टर द्वारा सलाह दी जाती है, तो कुछ चीजें जो आप घर पर कर सकते हैं:
- आराम करें: खूब आराम करना शरीर को संक्रमण से लड़ने में मदद करता है।
- खूब सारे तरल पदार्थ पिएं: निर्जलीकरण से बचने के लिए पानी, जूस या इलेक्ट्रोलाइट युक्त पेय पिएं।
- दर्द और बुखार के लिए दवाएं: डॉक्टर की सलाह के अनुसार ओवर-द-काउंटर दर्द निवारक और बुखार कम करने वाली दवाएं (जैसे पैरासिटामोल या इबुप्रोफेन) ली जा सकती हैं।
- शांत और अंधेरी जगह: तेज रोशनी और शोर लक्षणों को बढ़ा सकते हैं, इसलिए एक शांत और अंधेरी जगह पर आराम करें।
मेनिनजाइटिस में क्या खाएं और क्या न खाएं?
मेनिनजाइटिस होने पर कोई विशिष्ट आहार नहीं है जो सीधे तौर पर बीमारी का इलाज करे। उपचार मुख्य रूप से दवाइयों पर केंद्रित होता है जो संक्रमण के कारण पर निर्भर करती हैं। हालांकि, सही खानपान शरीर को ठीक होने में मदद कर सकता है और कुछ लक्षणों को प्रबंधित करने में सहायक हो सकता है।
क्या खाएं:
- खूब सारे तरल पदार्थ: निर्जलीकरण मेनिनजाइटिस की एक आम समस्या है, खासकर बुखार और उल्टी के कारण। इसलिए, खूब सारे तरल पदार्थ पीना महत्वपूर्ण है, जैसे:
- पानी
- स्पष्ट शोरबा
- इलेक्ट्रोलाइट युक्त पेय (जैसे ओआरएस घोल)
- पतला जूस
- हल्का और आसानी से पचने वाला भोजन: शुरुआती दिनों में, जब भूख कम हो सकती है या पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं, तो हल्का और आसानी से पचने वाला भोजन लेना बेहतर होता है, जैसे:
- खिचड़ी
- दलिया
- उबली हुई सब्जियां
- फल (विशेषकर नरम फल जैसे केला, पका हुआ पपीता)
- दही (प्रोबायोटिक्स पाचन में मदद कर सकते हैं)
- ऊर्जा युक्त भोजन: बीमारी से लड़ने और ताकत वापस पाने के लिए पर्याप्त कैलोरी और पोषक तत्वों का सेवन जरूरी है। धीरे-धीरे अपने आहार में पौष्टिक खाद्य पदार्थों को शामिल करें:
- अनाज (चावल, गेहूं)
- दालें और फलियां (प्रोटीन का अच्छा स्रोत)
- अंडे
- लीन प्रोटीन (जैसे मछली, चिकन)
- विटामिन और खनिजों से भरपूर भोजन: फल और सब्जियां विटामिन और खनिजों के अच्छे स्रोत हैं जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद करते हैं।
क्या न खाएं:
- भारी और मसालेदार भोजन: ये पाचन तंत्र पर दबाव डाल सकते हैं और उल्टी या पेट खराब होने की संभावना को बढ़ा सकते हैं।
- प्रसंस्कृत और जंक फूड: इनमें आमतौर पर पोषक तत्व कम होते हैं और ये शरीर की रिकवरी प्रक्रिया में बाधा डाल सकते हैं।
- उच्च वसा वाला भोजन: इन्हें पचाने में अधिक समय लगता है और ये बेचैनी पैदा कर सकते हैं।
- कैफीन और शराब: ये निर्जलीकरण को बढ़ा सकते हैं और दवाइयों के साथ इंटरैक्ट कर सकते हैं।
- कच्चे या अधपके खाद्य पदार्थ: कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों में संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।
मेनिनजाइटिस के जोखिम को कैसे कम करें?
मेनिनजाइटिस के खतरे को कम करने के लिए आप कई कदम उठा सकते हैं:
1. टीकाकरण:
- मेनिनजाइटिस के कुछ सामान्य जीवाणु कारणों के खिलाफ टीके उपलब्ध हैं। अपने और अपने बच्चों के लिए अनुशंसित टीकाकरण शेड्यूल के बारे में अपने डॉक्टर से बात करें। इनमें शामिल हो सकते हैं:
- मेनिंगोकोकल वैक्सीन (MenACWY और MenB): यह नीसेरिया मेनिंगिटिडिस नामक बैक्टीरिया के कारण होने वाले मेनिनजाइटिस से बचाता है। MenACWY वैक्सीन 4 प्रकार के बैक्टीरिया (A, C, W, और Y) से बचाता है, जबकि MenB वैक्सीन टाइप B से बचाता है। विभिन्न आयु समूहों और जोखिम कारकों के लिए अलग-अलग सिफारिशें हैं। आमतौर पर किशोरों और उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों के लिए इसकी सिफारिश की जाती है।
- न्यूमोकोकल वैक्सीन (PCV और PPSV): यह स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनिया नामक बैक्टीरिया के कारण होने वाले मेनिनजाइटिस और अन्य संक्रमणों से बचाता है। यह छोटे बच्चों और 65 वर्ष से अधिक उम्र के वयस्कों के लिए अनुशंसित है, साथ ही कुछ चिकित्सा स्थितियों वाले लोगों के लिए भी।
- Hib वैक्सीन: यह हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी बैक्टीरिया के कारण होने वाले मेनिनजाइटिस से बचाता है। यह आमतौर पर शिशुओं और छोटे बच्चों के लिए एक नियमित टीकाकरण है।
- MMR वैक्सीन: यह खसरा, कण्ठमाला और रूबेला से बचाता है। मेनिनजाइटिस कभी-कभी इन वायरल संक्रमणों की जटिलता के रूप में हो सकता है।
2. अच्छी स्वच्छता प्रथाएं:
- बार-बार हाथ धोएं: अपने हाथों को साबुन और पानी से कम से कम 20 सेकंड तक धोएं, खासकर भोजन करने से पहले, शौचालय का उपयोग करने के बाद, खांसने या छींकने के बाद और भीड़भाड़ वाली सार्वजनिक जगहों पर रहने के बाद।
- अपनी नाक और मुंह को ढकें: खांसते या छींकते समय अपनी नाक और मुंह को टिश्यू से ढकें। इस्तेमाल किए गए टिश्यू को तुरंत कचरे के डिब्बे में डालें और फिर अपने हाथ धोएं। यदि टिश्यू उपलब्ध नहीं है, तो अपनी कोहनी में खांसें या छींकें, अपने हाथों में नहीं।
- साझा करने से बचें: पेय पदार्थ, बर्तन, रूमाल, तौलिये और लिप बाम जैसी निजी वस्तुओं को दूसरों के साथ साझा न करें।
3. स्वस्थ जीवनशैली:
- पर्याप्त नींद लें: पर्याप्त आराम आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत रखने में मदद करता है।
- स्वस्थ आहार लें: फल, सब्जियां और साबुत अनाज से भरपूर संतुलित आहार लें।
- नियमित रूप से व्यायाम करें: नियमित शारीरिक गतिविधि आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा दे सकती है।
- तनाव का प्रबंधन करें: अत्यधिक तनाव आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर सकता है।
4. बीमार लोगों से बचें:
- यदि आप जानते हैं कि कोई व्यक्ति संक्रामक बीमारी से पीड़ित है, तो उनसे निकट संपर्क से बचें।
5. गर्भावस्था में सावधानी:
- गर्भवती महिलाओं को लिस्टेरिया संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए भोजन तैयार करने और खाने में सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि लिस्टेरिया मेनिनजाइटिस का कारण बन सकता है। इसमें अधपके मांस और बिना पाश्चुरीकृत डेयरी उत्पादों से बचना शामिल है।
सारांश
मेनिनजाइटिस मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के आसपास की सुरक्षात्मक झिल्लियों (मेनिंजेस) की सूजन है। यह बैक्टीरिया, वायरस, कवक या अन्य कारणों से हो सकता है।
निदान: मेनिनजाइटिस का निदान शारीरिक परीक्षा, चिकित्सा इतिहास, रक्त परीक्षण और सबसे महत्वपूर्ण रूप से रीढ़ की हड्डी के छेद (लम्बर पंक्चर) द्वारा मस्तिष्कमेरु द्रव (सीएसएफ) की जांच करके किया जाता है। कुछ मामलों में इमेजिंग परीक्षण (सीटी स्कैन या एमआरआई) भी किए जा सकते हैं।
उपचार: मेनिनजाइटिस का उपचार इसके कारण पर निर्भर करता है:
- जीवाणु मेनिनजाइटिस: एंटीबायोटिक दवाओं से तत्काल इलाज की आवश्यकता होती है।
- विषाणु मेनिनजाइटिस: आमतौर पर अपने आप ठीक हो जाता है, लक्षणों से राहत पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। कुछ मामलों में एंटीवायरल दवाएं दी जा सकती हैं।
- फंगल मेनिनजाइटिस: एंटीफंगल दवाओं से इलाज किया जाता है।
- अन्य प्रकार: अंतर्निहित कारण के आधार पर विशिष्ट उपचार दिया जाता है।
घरेलू इलाज: मेनिनजाइटिस का कोई प्रभावी घरेलू इलाज नहीं है। यह एक गंभीर चिकित्सा स्थिति है जिसके लिए तत्काल चिकित्सा ध्यान देने की आवश्यकता होती है। घरेलू उपाय केवल लक्षणों को प्रबंधित करने में मदद कर सकते हैं लेकिन इलाज नहीं कर सकते।
क्या खाएं और क्या न खाएं: कोई विशिष्ट आहार नहीं है, लेकिन खूब सारे तरल पदार्थ पीना और हल्का, आसानी से पचने वाला भोजन करना सहायक हो सकता है। भारी, मसालेदार और प्रसंस्कृत भोजन से बचना चाहिए।
जोखिम को कम कैसे करें:
- टीकाकरण (मेनिंगोकोकल, न्यूमोकोकल, Hib, MMR)।
- अच्छी स्वच्छता प्रथाएं (बार-बार हाथ धोना, खांसते/छींकते समय मुंह ढकना)।
- स्वस्थ जीवनशैली (पर्याप्त नींद, स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम)।
- बीमार लोगों से बचें।