गले में टांसिल
गले में टांसिल क्या हैं?
आपके गले में टांसिल (Tonsils) लसीका ऊतक (lymphoid tissue) के दो अंडाकार आकार के पिंड होते हैं जो आपके गले के पीछे, जीभ के दोनों ओर स्थित होते हैं। ये आपके ओरोफैरिंग्स (oropharynx) नामक क्षेत्र का हिस्सा हैं, जो आपके मुँह के पीछे और आपके गले के ऊपरी हिस्से का मध्य भाग होता है।
टांसिल आपके लसीका प्रणाली (lymphatic system) का हिस्सा हैं, जो आपके शरीर को संक्रमण से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
टांसिल के मुख्य कार्य इस प्रकार हैं:
- संक्रमण से बचाव: टांसिल आपके मुँह और नाक के माध्यम से शरीर में प्रवेश करने वाले बैक्टीरिया और वायरस जैसे हानिकारक सूक्ष्मजीवों को फँसाने में मदद करते हैं।
- एंटीबॉडी का उत्पादन: टांसिल में विशेष कोशिकाएं होती हैं जो इन सूक्ष्मजीवों के खिलाफ लड़ने के लिए एंटीबॉडी (antibodies) नामक प्रोटीन का उत्पादन करती हैं। यह आपके शरीर को भविष्य में उसी प्रकार के संक्रमण से बचाने में मदद करता है।
- प्रतिरक्षा प्रणाली का विकास: बचपन में, टांसिल प्रतिरक्षा प्रणाली को विकसित करने और मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे विभिन्न प्रकार के कीटाणुओं के संपर्क में आकर शरीर को उनके खिलाफ प्रतिरक्षा विकसित करने में मदद करते हैं।
हालांकि, टांसिल स्वयं भी संक्रमित हो सकते हैं, जिसे टांसिलिटिस (tonsillitis) कहा जाता है। यह एक आम बीमारी है जिसके लक्षणों में गले में खराश, निगलने में कठिनाई, बुखार और सूजे हुए टांसिल शामिल हैं।
संक्षेप में, टांसिल आपके गले के पीछे स्थित दो लसीका ऊतक के पिंड हैं जो आपके शरीर को संक्रमण से बचाने में मदद करते हैं।
गले में टांसिल के कारण क्या हैं?
गले में टांसिल (Tonsils) में सूजन और संक्रमण होने, जिसे टांसिलिटिस (Tonsillitis) कहा जाता है, के मुख्य कारण विभिन्न प्रकार के वायरस और बैक्टीरिया होते हैं।
सबसे आम कारण इस प्रकार हैं:
1. वायरल संक्रमण (Viral Infections):
- टांसिलिटिस का सबसे आम कारण वायरस होते हैं। कई अलग-अलग प्रकार के वायरस टांसिल में सूजन और संक्रमण पैदा कर सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- राइनोवायरस (Rhinovirus): यह सामान्य सर्दी का सबसे आम कारण है।
- इन्फ्लूएंजा वायरस (Influenza virus): यह फ्लू का कारण बनता है।
- एपस्टीन-बार वायरस (Epstein-Barr virus – EBV): यह मोनोन्यूक्लिओसिस (Mononucleosis), जिसे “किसिंग डिजीज” भी कहा जाता है, का कारण बनता है। टांसिलिटिस मोनोन्यूक्लिओसिस का एक सामान्य लक्षण है।
- एडेनोवायरस (Adenovirus): यह विभिन्न प्रकार के संक्रमणों का कारण बन सकता है, जिसमें सर्दी और गले में खराश शामिल हैं।
- हरपीज सिम्प्लेक्स वायरस (Herpes simplex virus – HSV): यह मुंह के छाले (cold sores) और जननांग हरपीज का कारण बनता है, लेकिन गले में भी संक्रमण कर सकता है।
- साइटोमेगालोवायरस (Cytomegalovirus – CMV): यह आमतौर पर स्वस्थ लोगों में हल्के या बिना लक्षणों वाला संक्रमण होता है, लेकिन कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों में समस्याएँ पैदा कर सकता है।
- कोक्ससैकीवायरस (Coxsackievirus): यह हाथ-पैर-मुंह की बीमारी (hand, foot, and mouth disease) और हर्पैंगिना (herpangina) जैसी बीमारियों का कारण बन सकता है, जिसमें गले में छाले और टांसिलिटिस शामिल हो सकते हैं।
2. बैक्टीरियल संक्रमण (Bacterial Infections):
- बैक्टीरिया भी टांसिलिटिस का कारण बन सकते हैं, हालांकि यह वायरल संक्रमण की तुलना में कम आम है। सबसे आम बैक्टीरियल कारण है:
- स्ट्रेप्टोकोकस पायोजेन्स (Streptococcus pyogenes): इसे ग्रुप ए स्ट्रेप (Group A Streptococcus – GAS) भी कहा जाता है। यह स्ट्रेप थ्रोट (Strep Throat) का मुख्य कारण है, जो एक प्रकार का बैक्टीरियल टांसिलिटिस है। स्ट्रेप थ्रोट का सही इलाज न होने पर गंभीर जटिलताएँ हो सकती हैं, जैसे कि रूमेटिक बुखार (rheumatic fever) और ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस (glomerulonephritis)।
संक्रमण कैसे फैलता है:
वायरस और बैक्टीरिया दोनों ही संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने या बात करने पर निकलने वाली छोटी बूंदों (respiratory droplets) के माध्यम से फैलते हैं। आप इन बूंदों को सांस लेने से या किसी दूषित सतह को छूने और फिर अपने मुंह या नाक को छूने से संक्रमित हो सकते हैं।
अन्य कारक जो टांसिलिटिस के खतरे को बढ़ा सकते हैं:
- निकट संपर्क: स्कूल, डेकेयर सेंटर या घर जैसे भीड़भाड़ वाले वातावरण में रहने वाले लोगों में संक्रमण फैलने का खतरा अधिक होता है।
- कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली: कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोग संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।
- युवा आयु: टांसिलिटिस बच्चों और किशोरों में अधिक आम है।
गले में टांसिल के संकेत और लक्षण क्या हैं?
गले में टांसिल (Tonsils) में सूजन और संक्रमण होने पर, जिसे टांसिलिटिस (Tonsillitis) कहा जाता है, कई संकेत और लक्षण दिखाई दे सकते हैं। ये लक्षण वायरल और बैक्टीरियल टांसिलिटिस दोनों में समान हो सकते हैं, हालांकि कुछ अंतर भी हो सकते हैं।
टांसिलिटिस के सामान्य संकेत और लक्षण:
- गले में खराश (Sore throat): यह टांसिलिटिस का सबसे आम और शुरुआती लक्षण है। गले में दर्द, खरोंच या जलन महसूस हो सकती है।
- निगलने में कठिनाई और दर्द (Painful and difficult swallowing – Dysphagia): सूजे हुए टांसिल के कारण निगलना मुश्किल और दर्दनाक हो सकता है। गंभीर मामलों में, लार निगलने में भी परेशानी हो सकती है।
- सूजे हुए और लाल टांसिल (Swollen and red tonsils): गले के पीछे देखने पर टांसिल सामान्य से बड़े और लाल दिखाई दे सकते हैं।
- टांसिल पर सफेद या पीले धब्बे या परत (White or yellow patches or coating on the tonsils – Exudate): यह बैक्टीरियल टांसिलिटिस (विशेषकर स्ट्रेप थ्रोट) का एक आम लक्षण है, लेकिन वायरल संक्रमण में भी हो सकता है। ये धब्बे मवाद या मृत कोशिकाओं के जमाव के कारण होते हैं।
- गर्दन में सूजी हुई लसीका ग्रंथियाँ (Swollen lymph nodes in the neck – Swollen glands): गले के दोनों ओर जबड़े के नीचे लसीका ग्रंथियाँ सूज सकती हैं और छूने पर नरम या दर्दनाक महसूस हो सकती हैं।
- बुखार (Fever): शरीर का तापमान बढ़ सकता है, खासकर बैक्टीरियल संक्रमण में बुखार तेज हो सकता है।
- सिरदर्द (Headache): सिर में दर्द महसूस हो सकता है।
- कान में दर्द (Ear pain): गले में सूजन के कारण कान में दर्द महसूस हो सकता है, जिसे संदर्भित दर्द (referred pain) कहते हैं।
- पेट दर्द (Stomach ache) और उल्टी (Vomiting): ये लक्षण बच्चों में अधिक आम हो सकते हैं, खासकर स्ट्रेप थ्रोट के साथ।
- आवाज में बदलाव (Change in voice): आवाज कर्कश या दबी हुई लग सकती है।
- मुंह से दुर्गंध (Bad breath – Halitosis): टांसिल में बैक्टीरिया और मवाद जमा होने के कारण मुंह से बदबू आ सकती है।
- सामान्य अस्वस्थता (General malaise): थकान, कमजोरी और बीमार महसूस होना।
वायरल टांसिलिटिस के कुछ अतिरिक्त लक्षण:
- खांसी (Cough)
- नाक बहना (Runny nose)
- आवाज बैठना (Hoarseness)
- आँखों में लालिमा (Conjunctivitis)
बैक्टीरियल टांसिलिटिस (विशेषकर स्ट्रेप थ्रोट) के कुछ अतिरिक्त लक्षण:
- अचानक और तेज गले में खराश
- निगलने पर तेज दर्द
- बुखार (अक्सर 101°F या उससे अधिक)
- सिरदर्द
- पेट दर्द और उल्टी (विशेषकर बच्चों में)
- शरीर पर छोटे, लाल दाने (स्कार्लेट फीवर – Scarlet fever)
गले में टांसिल का खतरा किसे अधिक होता है?
गले में टांसिलिटिस (Tonsillitis) होने का खतरा कुछ विशेष समूहों और परिस्थितियों में अधिक होता है:
- बच्चे और किशोर: टांसिलिटिस, खासकर बैक्टीरियल टांसिलिटिस (स्ट्रेप थ्रोट), बच्चों और किशोरों (5 से 15 वर्ष की आयु) में सबसे आम है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस आयु वर्ग के बच्चे अक्सर स्कूलों और डेकेयर सेंटरों जैसे करीबी संपर्क वाले वातावरण में होते हैं, जहाँ संक्रमण आसानी से फैल सकता है।
- निकट संपर्क वाले व्यक्ति: जो लोग भीड़भाड़ वाले वातावरण में रहते हैं या काम करते हैं, जैसे कि स्कूल के शिक्षक, डेकेयर कर्मचारी, या बड़े परिवारों के सदस्य, उनमें संक्रमण फैलने का खतरा अधिक होता है।
- कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले व्यक्ति: जिन लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है, वे वायरल और बैक्टीरियल संक्रमणों के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं, जिसमें टांसिलिटिस भी शामिल है। प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होने के कारण हो सकते हैं:
- एचआईवी/एड्स
- अंग प्रत्यारोपण के बाद इम्यूनोसप्रेसेंट दवाएं लेना
- कीमोथेरेपी या विकिरण थेरेपी कराना
- कुछ ऑटोइम्यून बीमारियां
- बार-बार गले के संक्रमण वाले व्यक्ति: कुछ लोगों में बार-बार गले में संक्रमण होने की प्रवृत्ति होती है, जिससे उन्हें बार-बार टांसिलिटिस होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके पीछे व्यक्तिगत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया या शारीरिक संरचना जैसे कारक हो सकते हैं।
- मौसम: वायरल संक्रमण, जो टांसिलिटिस का एक आम कारण है, सर्दियों और शुरुआती वसंत के महीनों में अधिक प्रचलित होते हैं। इसलिए, इस दौरान टांसिलिटिस का खतरा थोड़ा बढ़ सकता है।
- खराब स्वच्छता आदतें: नियमित रूप से हाथ न धोना और खराब स्वच्छता प्रथाएं संक्रमण फैलने के जोखिम को बढ़ा सकती हैं, जिससे टांसिलिटिस का खतरा भी बढ़ जाता है।
गले में टांसिल से कौन सी बीमारियां जुड़ी हैं?
गले में टांसिल (Tonsils) में संक्रमण (टांसिलिटिस) होने पर या उनकी संरचनात्मक असामान्यताओं के कारण कुछ अन्य बीमारियां या जटिलताएं जुड़ी हो सकती हैं:
टांसिलिटिस से जुड़ी बीमारियां और जटिलताएं:
- पेरिटॉन्सिलर एब्सेस (Peritonsillar Abscess): यह एक गंभीर जटिलता है जिसमें टांसिल के पीछे मवाद का संग्रह हो जाता है। इसके लक्षणों में एक तरफा तेज गले का दर्द, निगलने में बहुत कठिनाई, बोलने में तकलीफ (गर्म आलू जैसा स्वर), बुखार और गर्दन में सूजन शामिल हैं। इसका इलाज आमतौर पर मवाद को निकालना और एंटीबायोटिक्स देना होता है।
- रेटरोफेरिंजियल एब्सेस (Retropharyngeal Abscess): यह गले के पीछे की जगह में मवाद का संग्रह है। यह टांसिलिटिस या अन्य ऊपरी श्वसन तंत्र के संक्रमणों के कारण हो सकता है। इसके लक्षणों में गर्दन में दर्द और अकड़न, निगलने में कठिनाई, बुखार और सांस लेने में तकलीफ शामिल हो सकती है। यह एक गंभीर स्थिति है जिसके लिए तत्काल चिकित्सा ध्यान देने की आवश्यकता होती है।
- स्लीप एपनिया (Sleep Apnea): बढ़े हुए टांसिल, खासकर बच्चों में, रात में सांस लेने में बाधा डाल सकते हैं, जिससे स्लीप एपनिया हो सकता है। स्लीप एपनिया में नींद के दौरान बार-बार सांस रुकती और शुरू होती है, जिससे दिन में थकान, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
- रूमेटिक बुखार (Rheumatic Fever): यह स्ट्रेप्टोकोकल टांसिलिटिस (स्ट्रेप थ्रोट) का एक गंभीर जटिलता है जिसका अगर ठीक से इलाज न किया जाए तो हो सकता है। रूमेटिक बुखार हृदय, जोड़ों, मस्तिष्क और त्वचा को प्रभावित कर सकता है। इसके लक्षणों में बुखार, जोड़ों में दर्द और सूजन, थकान, और असामान्य हरकतें शामिल हो सकती हैं।
- पोस्ट-स्ट्रेप्टोकोकल ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस (Post-streptococcal Glomerulonephritis): यह भी स्ट्रेप्टोकोकल टांसिलिटिस की एक संभावित जटिलता है। यह गुर्दे को प्रभावित करता है और गुर्दे की सूजन और कार्य में कमी का कारण बन सकता है। लक्षणों में पेशाब में खून आना, सूजन (विशेषकर चेहरे और पैरों में) और उच्च रक्तचाप शामिल हो सकते हैं।
- स्कार्लेट फीवर (Scarlet Fever): यह स्ट्रेप्टोकोकल संक्रमण के कारण होने वाली एक बीमारी है जो अक्सर टांसिलिटिस के साथ होती है। इसके लक्षणों में तेज बुखार, गले में खराश और शरीर पर एक विशिष्ट लाल, खुरदरी दाने शामिल हैं।
- क्रोनिक टांसिलिटिस (Chronic Tonsillitis): बार-बार होने वाले टांसिलिटिस के संक्रमण से टांसिल में स्थायी सूजन और गड्ढे (crypts) बन सकते हैं जिनमें बैक्टीरिया और मलबे जमा हो सकते हैं, जिससे लगातार गले में खराश, मुंह से दुर्गंध और कभी-कभी टांसिल पत्थरों (tonsil stones) का निर्माण हो सकता है।
- टांसिल स्टोन्स (Tonsil Stones या Tonsilloliths): ये छोटे, सफेद या पीले रंग के जमाव होते हैं जो टांसिल के गड्ढों में बनते हैं। इनमें बैक्टीरिया, बलगम और मृत कोशिकाएं शामिल होती हैं। टांसिल स्टोन्स गले में खराश, मुंह से दुर्गंध और निगलने में हल्की परेशानी पैदा कर सकते हैं।
गले में टांसिल का निदान कैसे करें?
गले में टांसिल (Tonsils) में संक्रमण (टांसिलिटिस) का निदान आमतौर पर एक डॉक्टर द्वारा नैदानिक परीक्षा और आपके द्वारा बताए गए लक्षणों के आधार पर किया जाता है। निदान प्रक्रिया में निम्नलिखित चरण शामिल हो सकते हैं:
1. चिकित्सा इतिहास और लक्षणों की चर्चा:
- डॉक्टर आपसे आपके लक्षणों के बारे में पूछेंगे, जैसे कि गले में खराश कब से शुरू हुई, दर्द की तीव्रता, निगलने में कठिनाई, बुखार है या नहीं, और कोई अन्य संबंधित लक्षण (जैसे सिरदर्द, पेट दर्द, खांसी, नाक बहना)।
- वे आपके पिछले चिकित्सा इतिहास के बारे में भी पूछ सकते हैं, जिसमें पहले कभी गले में संक्रमण या टांसिलिटिस हुआ है या नहीं।
2. शारीरिक परीक्षा:
- डॉक्टर आपके गले की जांच करेंगे। इसमें शामिल है:
- गले का निरीक्षण: वे आपके गले के पीछे टांसिल के आकार, रंग और उपस्थिति को देखेंगे। वे सूजन, लालिमा और सफेद या पीले धब्बों या परत (एक्सयूडेट) की तलाश करेंगे।
- गर्दन की जांच: वे आपकी गर्दन को छूकर सूजी हुई लसीका ग्रंथियों (ग्लैंड्स) की जांच करेंगे।
- कान और नाक की जांच: कभी-कभी डॉक्टर कान और नाक की भी जांच कर सकते हैं ताकि अन्य संभावित कारणों या संबंधित संक्रमणों का पता चल सके।
3. स्ट्रेप टेस्ट (Strep Test):
- यदि डॉक्टर को बैक्टीरियल टांसिलिटिस (विशेषकर स्ट्रेप थ्रोट) का संदेह होता है, तो वे एक स्ट्रेप टेस्ट कर सकते हैं। यह टेस्ट ग्रुप ए स्ट्रेप्टोकोकस बैक्टीरिया की उपस्थिति की जांच करता है। दो मुख्य प्रकार के स्ट्रेप टेस्ट हैं:
- रैपिड स्ट्रेप टेस्ट (Rapid Strep Test): इसमें एक बाँझ स्वैब का उपयोग करके आपके गले के पिछले हिस्से और टांसिल से नमूना लिया जाता है। इस स्वैब को एक विशेष किट में डाला जाता है जो कुछ मिनटों में परिणाम दे सकता है। यदि रैपिड टेस्ट पॉजिटिव आता है, तो स्ट्रेप थ्रोट की पुष्टि हो जाती है।
- थ्रोट कल्चर (Throat Culture): यदि रैपिड स्ट्रेप टेस्ट नेगेटिव आता है, लेकिन डॉक्टर को अभी भी स्ट्रेप थ्रोट का संदेह है (विशेषकर बच्चों में), तो वे एक थ्रोट कल्चर भेज सकते हैं। इस प्रक्रिया में गले से लिया गया स्वैब एक पोषक माध्यम पर उगाया जाता है ताकि बैक्टीरिया को बढ़ने दिया जा सके। कल्चर के परिणाम आने में 24-48 घंटे लग सकते हैं, लेकिन यह रैपिड टेस्ट की तुलना में अधिक सटीक होता है।
4. अन्य परीक्षण (शायद ही कभी आवश्यक):
- वायरल टांसिलिटिस के लिए आमतौर पर किसी विशिष्ट परीक्षण की आवश्यकता नहीं होती है। निदान अक्सर लक्षणों और शारीरिक परीक्षा के आधार पर किया जाता है।
- मोनोन्यूक्लिओसिस (एपस्टीन-बार वायरस के कारण होने वाला संक्रमण) जैसे कुछ विशिष्ट वायरल संक्रमणों का संदेह होने पर डॉक्टर रक्त परीक्षण का आदेश दे सकते हैं।
गले में टांसिल का इलाज क्या है?
गले में टांसिल (Tonsils) में संक्रमण (टांसिलिटिस) का इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि संक्रमण का कारण क्या है – वायरस या बैक्टीरिया।
1. वायरल टांसिलिटिस का इलाज:
वायरल टांसिलिटिस के लिए कोई विशिष्ट दवा नहीं है। इलाज का मुख्य उद्देश्य लक्षणों को कम करना और शरीर को संक्रमण से लड़ने में मदद करना है। इसमें शामिल हैं:
- आराम: पर्याप्त आराम करना शरीर को ठीक होने में मदद करता है।
- तरल पदार्थ: खूब सारे तरल पदार्थ पिएं, जैसे पानी, जूस, शोरबा या हर्बल चाय। यह डिहाइड्रेशन को रोकता है और गले को नम रखता है।
- गर्म नमक के पानी से गरारे: दिन में कई बार गर्म नमक के पानी से गरारे करने से गले की खराश और सूजन कम हो सकती है। (आधा चम्मच नमक एक गिलास गुनगुने पानी में मिलाएं)।
- दर्द निवारक दवाएं: ओवर-द-काउंटर दर्द निवारक दवाएं, जैसे एसिटामिनोफेन (पैरासिटामोल) या इबुप्रोफेन, बुखार और गले के दर्द को कम करने में मदद कर सकती हैं। बच्चों को एस्पिरिन न दें, क्योंकि इससे रेये सिंड्रोम (Reye’s syndrome) का खतरा हो सकता है।
- लोजेंज और गले की स्प्रे: गले की लोजेंज (चूसने वाली गोलियां) और गले की स्प्रे गले की खराश से अस्थायी राहत प्रदान कर सकती हैं।
- ह्यूमिडिफायर: कमरे में ह्यूमिडिफायर का उपयोग करने से हवा में नमी बढ़ती है, जिससे गले की सूखापन और जलन कम हो सकती है।
- धूम्रपान और जलन पैदा करने वाली चीजों से बचें: धूम्रपान और अन्य जलन पैदा करने वाली चीजें गले की खराश को और बढ़ा सकती हैं।
वायरल टांसिलिटिस के लक्षण आमतौर पर 7-10 दिनों में अपने आप ठीक हो जाते हैं।
2. बैक्टीरियल टांसिलिटिस (स्ट्रेप थ्रोट) का इलाज:
बैक्टीरियल टांसिलिटिस, विशेष रूप से स्ट्रेप थ्रोट, का इलाज एंटीबायोटिक दवाओं से किया जाता है। एंटीबायोटिक दवाएं बैक्टीरिया को मारती हैं और संक्रमण को फैलने से रोकती हैं, साथ ही रूमेटिक बुखार और ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस जैसी गंभीर जटिलताओं के जोखिम को भी कम करती हैं।
- एंटीबायोटिक्स: डॉक्टर आमतौर पर पेनिसिलिन या एमोक्सिसिल जैसी एंटीबायोटिक दवाएं लिखते हैं, जिन्हें 10 दिनों तक मौखिक रूप से लेना होता है। यदि आपको पेनिसिलिन से एलर्जी है, तो अन्य एंटीबायोटिक विकल्प उपलब्ध हैं, जैसे एज़िथ्रोमाइसिन या क्लैरिथ्रोमाइसिन।
- एंटीबायोटिक दवाओं का पूरा कोर्स पूरा करें: भले ही आपके लक्षण कुछ दिनों में बेहतर महसूस हों, डॉक्टर द्वारा निर्धारित एंटीबायोटिक दवाओं का पूरा कोर्स पूरा करना महत्वपूर्ण है। ऐसा न करने से संक्रमण पूरी तरह से ठीक नहीं हो सकता है और एंटीबायोटिक प्रतिरोध विकसित होने का खतरा बढ़ सकता है।
- लक्षणों से राहत के लिए उपाय: वायरल टांसिलिटिस के लिए बताए गए आराम, तरल पदार्थ, गर्म नमक के पानी से गरारे और दर्द निवारक दवाएं बैक्टीरियल टांसिलिटिस के लक्षणों को कम करने में भी मदद कर सकती हैं।
सर्जिकल उपचार (टांसिलक्टॉमी):
कुछ मामलों में, डॉक्टर टांसिल को शल्य चिकित्सा द्वारा हटाने की सिफारिश कर सकते हैं, जिसे टांसिलक्टॉमी (Tonsillectomy) कहा जाता है। टांसिलक्टॉमी आमतौर पर निम्नलिखित स्थितियों में विचार किया जाता है:
- बार-बार होने वाला टांसिलिटिस: यदि किसी व्यक्ति को एक वर्ष में कई बार (जैसे 5-7 बार या उससे अधिक) टांसिलिटिस होता है जो दैनिक जीवन को प्रभावित करता है।
- स्लीप एपनिया: बढ़े हुए टांसिल के कारण सांस लेने में गंभीर समस्या (स्लीप एपनिया) होना।
- पेरिटॉन्सिलर एब्सेस: यदि पेरिटॉन्सिलर एब्सेस बार-बार होता है और एंटीबायोटिक दवाओं से ठीक नहीं होता है।
- अन्य जटिलताएं: दुर्लभ मामलों में, टांसिल के कारण अन्य जटिलताएं हो सकती हैं जिनके लिए सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है।
गले में टांसिल का घरेलू इलाज क्या है?
गले में टांसिल (Tonsils) में सूजन और खराश होने पर कुछ घरेलू उपचार लक्षणों को कम करने और आराम प्रदान करने में मदद कर सकते हैं। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये उपचार चिकित्सा सलाह या डॉक्टर द्वारा निर्धारित दवाओं का विकल्प नहीं हैं, खासकर यदि आपको बैक्टीरियल संक्रमण (जैसे स्ट्रेप थ्रोट) है। घरेलू उपचार वायरल टांसिलिटिस के लक्षणों को प्रबंधित करने में अधिक प्रभावी हो सकते हैं।
यहाँ कुछ सामान्य घरेलू उपचार दिए गए हैं:
1. गर्म नमक के पानी से गरारे:
- यह सबसे आम और प्रभावी घरेलू उपचारों में से एक है। एक गिलास गुनगुने पानी में आधा चम्मच नमक मिलाएं और दिन में कई बार (हर 2-3 घंटे में) गरारे करें। यह गले की सूजन और खराश को कम करने में मदद करता है।
2. खूब सारे तरल पदार्थ पिएं:
- पानी, हर्बल चाय (जैसे कैमोमाइल, अदरक, शहद और नींबू वाली चाय), पतला शोरबा, और साफ जूस पीने से गला नम रहता है और डिहाइड्रेशन से बचाव होता है। गर्म तरल पदार्थ गले को आराम पहुंचा सकते हैं।
3. शहद:
- शहद में प्राकृतिक एंटीबैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। इसे सीधे खाया जा सकता है या गर्म चाय या पानी में मिलाकर पिया जा सकता है। यह गले की खराश को शांत करने में मदद करता है।
4. अदरक:
- अदरक में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। अदरक की चाय पीने या अदरक के छोटे टुकड़े चबाने से गले की खराश में आराम मिल सकता है। आप अदरक को शहद और नींबू के साथ भी ले सकते हैं।
5. नींबू:
- नींबू में विटामिन सी होता है और यह गले के संक्रमण से लड़ने में मदद कर सकता है। गर्म पानी में नींबू का रस और शहद मिलाकर पीने से गले की खराश कम हो सकती है।
6. लहसुन:
- लहसुन में एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण होते हैं। कच्चे लहसुन की एक कली चबाने या लहसुन को भोजन में शामिल करने से संक्रमण से लड़ने में मदद मिल सकती है। हालांकि, इसका स्वाद तेज हो सकता है।
7. हल्दी:
- हल्दी में करक्यूमिन नामक एक यौगिक होता है जिसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। गर्म दूध या पानी में थोड़ी सी हल्दी मिलाकर पीने से गले की सूजन और दर्द कम हो सकता है। आप हल्दी और शहद का पेस्ट भी बना सकते हैं और इसे चाट सकते हैं।
8. भाप लेना:
- गर्म पानी के बर्तन के ऊपर झुककर या गर्म पानी से स्नान करके भाप लेने से गले की सूजन और कंजेशन कम हो सकता है। आप पानी में नीलगिरी (eucalyptus) या पुदीना (peppermint) के तेल की कुछ बूंदें भी मिला सकते हैं।
9. आराम:
- पर्याप्त आराम करना शरीर को संक्रमण से लड़ने और ठीक होने में मदद करता है।
10. ह्यूमिडिफायर का उपयोग:
- कमरे में ह्यूमिडिफायर का उपयोग करने से हवा में नमी बढ़ती है, जिससे गले की सूखापन और जलन कम हो सकती है।
सावधानियां:
- यदि आपके लक्षण गंभीर हैं: जैसे तेज बुखार, निगलने में बहुत कठिनाई, सांस लेने में तकलीफ, गर्दन में अकड़न या दाने, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। ये बैक्टीरियल संक्रमण या अन्य गंभीर स्थितियों के लक्षण हो सकते हैं जिनके लिए चिकित्सा उपचार की आवश्यकता होती है।
- बच्चों के लिए शहद: एक वर्ष से कम उम्र के बच्चों को शहद न दें क्योंकि इससे बोटुलिज़्म (botulism) का खतरा हो सकता है।
- एलर्जी: यदि आपको किसी भी घरेलू उपचार सामग्री से एलर्जी है तो उसका उपयोग न करें।
गले में टांसिल में क्या खाएं और क्या न खाएं?
गले में टांसिल (Tonsils) में सूजन और खराश होने पर कुछ खाद्य पदार्थों का सेवन आरामदायक हो सकता है, जबकि कुछ अन्य चीजें गले में जलन पैदा कर सकती हैं और लक्षणों को बढ़ा सकती हैं। यहाँ एक विस्तृत गाइड दी गई है कि गले में टांसिल की समस्या होने पर क्या खाएं और क्या न खाएं:
क्या खाएं (Comforting Foods):
- नरम और आसानी से निगलने वाले खाद्य पदार्थ:
- सूप: गुनगुना शोरबा (चिकन सूप, वेजिटेबल सूप) पौष्टिक होता है और निगलने में आसान होता है। यह हाइड्रेशन भी प्रदान करता है।
- दलिया और खिचड़ी: ये नरम और आसानी से पचने वाले होते हैं। आप इनमें थोड़ा सा घी या शहद मिला सकते हैं।
- दही: ठंडा और नरम दही गले को आराम पहुंचा सकता है। प्रोबायोटिक्स भी फायदेमंद हो सकते हैं।
- प्यूरी किए हुए फल और सब्जियां: मैश किए हुए आलू, केले, सेब की प्यूरी, उबली और मैश की हुई सब्जियां आसानी से निगली जा सकती हैं।
- अंडे: नरम उबले अंडे या स्क्रैम्बल अंडे प्रोटीन का अच्छा स्रोत हैं और निगलने में आसान होते हैं।
- टोफू: नरम टोफू भी प्रोटीन का एक अच्छा विकल्प है।
- स्मूदी: फल, दही और दूध या पानी से बनी स्मूदी पौष्टिक और निगलने में आसान होती है।
- ठंडे खाद्य पदार्थ:
- आइसक्रीम और शर्बत: ठंडे खाद्य पदार्थ गले को सुन्न करके दर्द से अस्थायी राहत दिला सकते हैं। हालांकि, ध्यान दें कि इनमें चीनी की मात्रा अधिक हो सकती है।
- ठंडा दही: पहले बताया गया है।
- ठंडी स्मूदी: पहले बताया गया है।
- गर्म तरल पदार्थ:
- हर्बल चाय: कैमोमाइल, अदरक, शहद और नींबू वाली चाय गले को शांत कर सकती है।
- गर्म पानी में शहद और नींबू: यह गले की खराश को आराम पहुंचाता है।
- हल्का गर्म शोरबा: पहले बताया गया है।
- अन्य आरामदायक चीजें:
- शहद: गले को कोट करता है और खराश से राहत दिलाता है।
- लोजेंज (चूसने वाली गोलियां): गले को नम रखती हैं और अस्थायी राहत प्रदान करती हैं।
क्या न खाएं (Irritating Foods):
- कठोर और खुरदुरे खाद्य पदार्थ: ये गले में रगड़ पैदा कर सकते हैं और दर्द बढ़ा सकते हैं।
- टोस्ट के सूखे टुकड़े
- क्रैकर
- नट्स और सीड्स
- कच्ची कठोर सब्जियां (जैसे गाजर, पत्तागोभी)
- ग्रेनोला
- अम्लीय खाद्य पदार्थ और पेय पदार्थ: ये गले में जलन पैदा कर सकते हैं।
- खट्टे फल (नींबू, संतरा, अंगूर) और उनके जूस
- टमाटर और टमाटर आधारित उत्पाद (सॉस, सूप)
- सोडा और कार्बोनेटेड ड्रिंक्स
- सिरका युक्त खाद्य पदार्थ (अचार, सलाद ड्रेसिंग)
- मसालेदार भोजन: मसाले गले में जलन पैदा कर सकते हैं और दर्द बढ़ा सकते हैं।
- मिर्च और मिर्च पाउडर वाले खाद्य पदार्थ
- करी
- मसालेदार सॉस
- अत्यधिक गर्म खाद्य पदार्थ और पेय पदार्थ: बहुत गर्म चीजें गले को और अधिक परेशान कर सकती हैं। हमेशा गुनगुने या हल्के गर्म तापमान वाले खाद्य पदार्थ और पेय पदार्थ चुनें।
- डेयरी उत्पाद (कुछ लोगों में): कुछ लोगों को लगता है कि डेयरी उत्पाद बलगम उत्पादन को बढ़ाते हैं, जिससे गले में और अधिक परेशानी हो सकती है। यदि आपको ऐसा महसूस होता है, तो इनका सेवन सीमित करें।
- प्रसंस्कृत और जंक फूड: इनमें अक्सर ऐसे तत्व होते हैं जो सूजन को बढ़ा सकते हैं और उपचार प्रक्रिया को धीमा कर सकते हैं।
अतिरिक्त सुझाव:
- छोटे और बार-बार भोजन करें: एक बार में ज्यादा खाने की बजाय छोटे-छोटे अंतराल पर भोजन करें।
- धीरे-धीरे चबाएं और निगलें: जल्दबाजी में खाने से गले पर दबाव पड़ सकता है।
- खूब पानी पिएं: हाइड्रेटेड रहना गले को नम रखने और बलगम को पतला करने में मदद करता है।
- अपनी प्रतिक्रिया पर ध्यान दें: हर व्यक्ति अलग होता है, इसलिए देखें कि कौन से खाद्य पदार्थ आपके गले को आराम पहुंचाते हैं और कौन से परेशान करते हैं।
गले में टांसिल के जोखिम को कैसे कम करें?
गले में टांसिल (Tonsils) में संक्रमण (टांसिलिटिस) के जोखिम को कम करने के लिए आप कई प्रभावी कदम उठा सकते हैं, जो मुख्य रूप से संक्रमण के प्रसार को रोकने और आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत रखने पर केंद्रित हैं। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण उपाय दिए गए हैं:
1. अच्छी स्वच्छता आदतें बनाए रखें:
- बार-बार हाथ धोएं: अपने हाथों को साबुन और पानी से कम से कम 20 सेकंड तक धोएं, खासकर खाने से पहले, खांसने या छींकने के बाद, और सार्वजनिक स्थानों पर रहने के बाद। अल्कोहल-आधारित हैंड सैनिटाइज़र का भी उपयोग किया जा सकता है जब साबुन और पानी उपलब्ध न हों।
- खांसते और छींकते समय मुंह और नाक ढकें: टिश्यू का उपयोग करें और उपयोग के बाद उसे तुरंत डिस्पोज करें। यदि टिश्यू उपलब्ध नहीं है, तो अपनी कोहनी के अंदरूनी हिस्से में खांसें या छींकें, अपने हाथों में नहीं।
- अपनी आँखें, नाक और मुंह छूने से बचें: आपके हाथ कीटाणुओं के संपर्क में आ सकते हैं, और उन्हें छूने से कीटाणु आपके शरीर में प्रवेश कर सकते हैं।
2. बीमार लोगों से दूरी बनाए रखें:
- यदि आप जानते हैं कि कोई व्यक्ति गले में खराश या अन्य संक्रामक बीमारियों से पीड़ित है, तो उनसे निकट संपर्क से बचें।
3. अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत रखें:
- स्वस्थ आहार लें: फल, सब्जियां, साबुत अनाज और लीन प्रोटीन से भरपूर संतुलित आहार आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत रखने में मदद करता है।
- पर्याप्त नींद लें: पर्याप्त नींद लेना आपके शरीर को ठीक होने और संक्रमण से लड़ने में मदद करता है। वयस्कों को आमतौर पर प्रति रात 7-9 घंटे की नींद की आवश्यकता होती है, और बच्चों और किशोरों को और भी अधिक।
- नियमित व्यायाम करें: मध्यम व्यायाम आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है।
- तनाव का प्रबंधन करें: अत्यधिक तनाव आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर सकता है। तनाव कम करने की तकनीकों का अभ्यास करें, जैसे योग, ध्यान या शौक में शामिल होना।
- पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं: हाइड्रेटेड रहना आपके समग्र स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है और आपके शरीर को संक्रमण से लड़ने में मदद करता है।
4. साझा वस्तुओं को साफ रखें:
- घर और कार्यस्थल पर अक्सर छुई जाने वाली सतहों (जैसे दरवाज़े के हैंडल, लाइट स्विच, काउंटरटॉप्स) को नियमित रूप से साफ और कीटाणुरहित करें।
- व्यक्तिगत वस्तुओं (जैसे बर्तन, कप, तौलिये) को दूसरों के साथ साझा करने से बचें।
5. धूम्रपान से बचें:
- धूम्रपान आपके श्वसन तंत्र को कमजोर करता है और संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील बनाता है। यह गले में जलन भी पैदा कर सकता है।
6. यदि आपको बार-बार टांसिलिटिस होता है तो डॉक्टर से सलाह लें:
- यदि आपको एक वर्ष में कई बार टांसिलिटिस होता है, तो अपने डॉक्टर से बात करें। वे अंतर्निहित कारणों का पता लगाने और भविष्य के संक्रमणों को रोकने के लिए रणनीतियों पर चर्चा कर सकते हैं, जिसमें कुछ मामलों में टांसिलक्टॉमी (टांसिल को हटाने की सर्जरी) भी शामिल है।
7. भीड़भाड़ वाली जगहों पर सावधानी बरतें:
- भीड़भाड़ वाली जगहों पर रहने पर अतिरिक्त सावधानी बरतें, खासकर फ्लू और सर्दी के मौसम में।
सारांश
गले में टांसिल लसीका ऊतक के पिंड हैं जो संक्रमण से बचाते हैं। टांसिलिटिस (सूजन) वायरस या बैक्टीरिया (आमतौर पर स्ट्रेप्टोकोकस) के कारण होता है, जिससे गले में खराश, निगलने में कठिनाई, बुखार और सूजे हुए टांसिल जैसे लक्षण होते हैं। निदान शारीरिक परीक्षा और स्ट्रेप टेस्ट से होता है। वायरल टांसिलिटिस का इलाज लक्षणों को कम करके और बैक्टीरियल का एंटीबायोटिक दवाओं से किया जाता है। बार-बार होने पर टांसिलक्टॉमी की जा सकती है। जोखिम कम करने के लिए अच्छी स्वच्छता, बीमारों से दूरी और स्वस्थ जीवनशैली महत्वपूर्ण है।