सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस क्या होता है?
सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस: एक संपूर्ण जानकारी
सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस (Cervical Spondylitis), जिसे सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस भी कहा जाता है, गर्दन की रीढ़ की हड्डी में होने वाली एक आम समस्या है। यह मुख्य रूप से उम्र बढ़ने के साथ होने वाले घिसाव और टूट-फूट (Degenerative changes) के कारण होती है। इसमें गर्दन की हड्डियों (कशेरुकाओं) और उनके बीच मौजूद कुशन जैसी डिस्क में बदलाव आते हैं, जिससे गर्दन में दर्द, अकड़न और कई अन्य लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं।
सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस क्या है?
हमारी गर्दन में सात कशेरुकाएं (vertebrae) होती हैं, जो एक के ऊपर एक रखी होती हैं। इनके बीच में डिस्क (Discs) होती हैं, जो शॉक एब्जॉर्बर का काम करती हैं और हड्डियों को एक-दूसरे से रगड़ने से बचाती हैं। उम्र के साथ, ये डिस्क सूखने लगती हैं, पतली हो जाती हैं और अपनी लोच खो देती हैं। इन सभी परिवर्तनों को ही सामूहिक रूप से सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस कहा जाता है।
सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस के कारण
सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस के मुख्य कारण इस प्रकार हैं:
- उम्र बढ़ना: यह सबसे आम कारण है। 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में यह समस्या अधिक देखने को मिलती है।
- डिस्क का सूखना और पतला होना: उम्र के साथ डिस्क में मौजूद पानी कम हो जाता है, जिससे वे अपनी लोच खो देती हैं और सिकुड़ जाती हैं।
- बोन स्पर (अतिरिक्त हड्डी का बढ़ना): डिस्क के खराब होने पर, शरीर क्षतिग्रस्त हिस्से को मजबूत करने की कोशिश में रीढ़ की हड्डियों पर अतिरिक्त हड्डी बना सकता है, जिसे बोन स्पर कहते हैं। ये बोन स्पर रीढ़ की हड्डी या नसों पर दबाव डाल सकते हैं।
- हर्नियेटेड डिस्क: डिस्क में दरार आने या उसके बाहर निकलने से भी रीढ़ की हड्डी या नसों पर दबाव पड़ सकता है।
- चोट: गर्दन पर लगी कोई पुरानी चोट भी इस समस्या को जन्म दे सकती है।
- खराब मुद्रा (Poor Posture): लंबे समय तक गलत मुद्रा में बैठना, जैसे कंप्यूटर पर काम करते समय या फोन देखते समय गर्दन को झुकाए रखना, इस समस्या को बढ़ा सकता है।
- बार-बार होने वाली हलचलें: कुछ पेशों में गर्दन को बार-बार हिलाने-डुलाने से भी यह समस्या हो सकती है।
सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस के लक्षण
सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस के लक्षण हल्के से गंभीर हो सकते हैं और व्यक्ति की स्थिति की गंभीरता पर निर्भर करते हैं। आम लक्षणों में शामिल हैं:
- गर्दन में दर्द और अकड़न: यह सबसे प्रमुख लक्षण है। दर्द आमतौर पर लंबे समय तक एक ही स्थिति में बैठने, सुबह उठने पर या ठंडे मौसम में बढ़ जाता है।
- सिर के पिछले हिस्से में दर्द (Occipital Headache): गर्दन की समस्याओं के कारण सिर के पिछले हिस्से में दर्द हो सकता है।
- कंधों, बाहों और हाथों तक फैलने वाला दर्द: यदि नसें प्रभावित होती हैं, तो दर्द गर्दन से कंधों, बाहों और हाथों तक फैल सकता है।
- हाथों या बाहों में सुन्नता या झुनझुनी (Tingling or Numbness): नसों पर दबाव के कारण हाथों और बाहों में सुन्नता, झनझनाहट या पिन-और-सुई जैसी सनसनी महसूस हो सकती है।
- मांसपेशियों में कमजोरी: हाथों और पैरों की मांसपेशियों में कमजोरी महसूस हो सकती है, जिससे चीजें पकड़ने या उठाने में मुश्किल हो सकती है।
- चलने में कठिनाई और संतुलन में कमी: यदि रीढ़ की हड्डी पर दबाव पड़ता है, तो चलने में अस्थिरता या संतुलन बनाए रखने में कठिनाई हो सकती है।
- चक्कर आना (Dizziness): सिर घुमाने पर हल्का-हल्का चक्कर आ सकता है।
- खांसी, छींकने या गर्दन की अन्य गतिविधियों से लक्षणों का बिगड़ना: इन गतिविधियों से दर्द और अन्य लक्षण बढ़ सकते हैं।
सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस का निदान
डॉक्टर लक्षणों के आधार पर और शारीरिक परीक्षण करके सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस का निदान करते हैं। निदान की पुष्टि के लिए कुछ परीक्षण किए जा सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- एक्स-रे (X-ray)
- एमआरआई (MRI): रीढ़ की हड्डी, नसों और डिस्क की विस्तृत छवियां प्रदान करता है, जिससे नसों पर दबाव का पता चलता है।
- सीटी स्कैन (CT Scan)
- मायलोग्राफी (Myelography): रीढ़ की हड्डी और नसों को देखने के लिए एक विशेष डाई का उपयोग किया जाता है।
- इलेक्ट्रोमायोग्राम (EMG) और नर्व कंडक्शन स्टडी (NCS): ये परीक्षण नसों और मांसपेशियों के कार्य का आकलन करते हैं।
सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस का उपचार
सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस के उपचार का लक्ष्य दर्द को कम करना, लक्षणों से राहत दिलाना और गर्दन की कार्यप्रणाली को बनाए रखना है। उपचार के विकल्प गंभीरता पर निर्भर करते हैं:
1. गैर-सर्जिकल उपचार (Non-surgical Treatment)
- दवाएं:
- दर्द निवारक: ओवर-द-काउंटर दर्द निवारक जैसे NSAIDs (इबुप्रोफेन, नेप्रोक्सन) दर्द और सूजन को कम करने में मदद करते हैं।
- मांसपेशियों को आराम देने वाली दवाएं।
- कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स: गंभीर दर्द और सूजन के लिए दिए जा सकते हैं, कभी-कभी इंजेक्शन के रूप में भी।
- एंटी-सीज़र दवाएं: यदि नस पर दबाव के कारण न्यूरोपैथिक दर्द हो रहा है, तो इनका उपयोग किया जा सकता है।
- फिजियोथेरेपी (Physiotherapy): यह उपचार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसमें गर्दन की मांसपेशियों को मजबूत करने, लचीलेपन में सुधार करने और मुद्रा को सही करने के लिए व्यायाम शामिल हैं। फिजियोथेरेपिस्ट गर्दन को खींचने और मजबूत करने के लिए विभिन्न तकनीकें सिखाते हैं।
- गर्मी या ठंडी सिकाई: दर्द और सूजन को कम करने के लिए प्रभावित क्षेत्र पर गर्म या ठंडी सिकाई का उपयोग किया जा सकता है।
- गर्दन का कॉलर (Neck Collar)
- जीवनशैली में बदलाव:
- सही मुद्रा: बैठते और सोते समय सही मुद्रा बनाए रखना बहुत महत्वपूर्ण है।
- विश्राम: पर्याप्त नींद और तनाव कम करना लक्षणों को प्रबंधित करने में मदद करता है।
- भारी वजन उठाने से बचें: ऐसी गतिविधियों से बचें जो गर्दन पर अधिक तनाव डालती हों।
2. सर्जिकल उपचार (Surgical Treatment)
सर्जरी का लक्ष्य रीढ़ की हड्डी या तंत्रिकाओं पर से दबाव हटाना होता है। कुछ सामान्य सर्जिकल प्रक्रियाएं हैं:
- डिसेक्टोमी (Discectomy): क्षतिग्रस्त डिस्क के हिस्से को हटाना।
- फ्यूजन (Fusion): दो या दो से अधिक कशेरुकाओं को स्थायी रूप से जोड़ना ताकि वे हिलें नहीं।
- लैमिनोप्लास्टी (Laminoplasty): रीढ़ की हड्डी के लिए जगह बनाने के लिए कशेरुका के पिछले हिस्से (लैमिना) को संशोधित करना।
सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस से बचाव
कुछ उपाय सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस के जोखिम को कम करने या उसके बढ़ने को रोकने में मदद कर सकते हैं:
- सही मुद्रा बनाए रखें: काम करते समय या बैठते समय अपनी गर्दन और पीठ को सीधा रखें।
- नियमित व्यायाम: गर्दन और कंधों की मांसपेशियों को मजबूत और लचीला बनाए रखने के लिए नियमित रूप से व्यायाम करें।
- बार-बार ब्रेक लें: यदि आप लंबे समय तक एक ही स्थिति में काम करते हैं, तो नियमित रूप से ब्रेक लें और अपनी गर्दन को स्ट्रेच करें।
- धूम्रपान छोड़ें: धूम्रपान डिस्क को नुकसान पहुंचा सकता है।
- स्वस्थ वजन बनाए रखें: स्वस्थ वजन रीढ़ पर अनावश्यक तनाव को कम करता है।
- सही तकिया और गद्दा: अपनी गर्दन को पर्याप्त सहारा देने वाला तकिया और गद्दे का उपयोग करें।
यदि आपको सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस के लक्षण महसूस होते हैं, तो उचित निदान और उपचार के लिए डॉक्टर से सलाह लेना महत्वपूर्ण है।