चिकन पॉक्स
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चिकन पॉक्स

चिकन पॉक्स क्या है?

चिकन पॉक्स, जिसे छोटी माता भी कहते हैं, एक संक्रामक रोग है जो वैरिसेला-जोस्टर वायरस (VZV) के कारण होता है। यह एक बहुत ही संक्रामक बीमारी है जो खांसने या छींकने से हवा के माध्यम से या सीधे संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलती है।

चिकन पॉक्स के लक्षण:

  • खुजली वाले दाने: चिकन पॉक्स का सबसे आम लक्षण है शरीर पर लाल, खुजली वाले दाने निकलना। ये दाने फफोले में बदल जाते हैं और फिर पपड़ी बन जाते हैं।
  • बुखार: चिकन पॉक्स से पीड़ित व्यक्ति को बुखार भी हो सकता है।
  • थकान: चिकन पॉक्स से पीड़ित व्यक्ति को थकान भी महसूस हो सकती है।
  • सिरदर्द: कुछ लोगों को चिकन पॉक्स के दौरान सिरदर्द भी हो सकता है।
  • भूख में कमी: चिकन पॉक्स से पीड़ित व्यक्ति को भूख कम लग सकती है।

चिकन पॉक्स का इलाज:

चिकन पॉक्स आमतौर पर अपने आप ठीक हो जाता है। हालांकि, कुछ दवाएं हैं जो लक्षणों को कम करने और जटिलताओं के जोखिम को कम करने में मदद कर सकती हैं।

  • एंटीवायरल दवाएं: एंटीवायरल दवाएं वायरस के विकास को धीमा कर सकती हैं और लक्षणों की गंभीरता को कम कर सकती हैं।
  • खुजली से राहत के लिए दवाएं: खुजली से राहत के लिए एंटीहिस्टामाइन जैसी दवाएं ली जा सकती हैं।
  • बुखार कम करने के लिए दवाएं: बुखार कम करने के लिए एसिटामिनोफेन या इबुप्रोफेन जैसी दवाएं ली जा सकती हैं।

चिकन पॉक्स से बचाव:

चिकन पॉक्स से बचाव का सबसे अच्छा तरीका है टीका लगवाना। चिकन पॉक्स का टीका बच्चों और वयस्कों दोनों के लिए उपलब्ध है।

चिकन पॉक्स के कारण क्या हैं?

चिकन पॉक्स, जिसे छोटी माता भी कहते हैं, वैरिसेला-जोस्टर वायरस (VZV) के कारण होता है। यह एक अत्यधिक संक्रामक वायरस है जो कई तरीकों से फैल सकता है:

  • हवा के माध्यम से:
    • संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने से निकलने वाली छोटी बूंदों के माध्यम से।
    • संक्रमित व्यक्ति के बात करने या हंसने से भी वायरस फैल सकता है।
  • सीधे संपर्क से:
    • संक्रमित व्यक्ति के फफोले से निकलने वाले तरल पदार्थ के सीधे संपर्क में आने से।
    • संक्रमित व्यक्ति के लार या बलगम के संपर्क में आने से।
  • अप्रत्यक्ष संपर्क से:
    • संक्रमित व्यक्ति द्वारा दूषित सतहों या वस्तुओं को छूने से।

जोखिम कारक:

  • टीकाकरण न कराना: जिन लोगों को चिकन पॉक्स का टीका नहीं लगा है, उनमें संक्रमण का खतरा अधिक होता है।
  • संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आना: चिकन पॉक्स से पीड़ित किसी व्यक्ति के निकट रहने से संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
  • कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली: कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों में चिकन पॉक्स होने का खतरा अधिक होता है।
  • बच्चे: 12 साल से कम उम्र के बच्चों में चिकन पॉक्स होने का खतरा अधिक होता है।

चिकन पॉक्स के संकेत और लक्षण क्या हैं?

चिकन पॉक्स, जिसे छोटी माता भी कहते हैं, एक संक्रामक रोग है जो वैरिसेला-जोस्टर वायरस (VZV) के कारण होता है। इसके कई संकेत और लक्षण होते हैं, जिनमें शामिल हैं:

शुरुआती लक्षण:

त्वचा पर दिखने वाले लक्षण:

  • दाने: चिकन पॉक्स का सबसे प्रमुख लक्षण है त्वचा पर लाल, खुजलीदार दाने निकलना। ये दाने आमतौर पर चेहरे, छाती और पीठ पर शुरू होते हैं और फिर पूरे शरीर में फैल जाते हैं।
  • फफोले: दाने कुछ ही समय में छोटे, तरल पदार्थ से भरे फफोलों में बदल जाते हैं।
  • पपड़ी: कुछ दिनों के बाद, फफोले फूट जाते हैं और उन पर पपड़ी जम जाती है।
  • लगातार बदलते दाने: चिकन पॉक्स के दानों की एक विशेषता यह है कि ये विभिन्न चरणों में होते हैं – कुछ दाने नए होते हैं, कुछ में फफोले बन रहे होते हैं, और कुछ पर पपड़ी जम रही होती है।

अन्य लक्षण:

  • खुजली: दाने बहुत खुजली वाले होते हैं, जिससे बेचैनी हो सकती है।
  • मुंह और गले में छाले: कुछ मामलों में, मुंह और गले में भी छाले हो सकते हैं।

लक्षणों की गंभीरता:

  • बच्चों में आमतौर पर हल्के लक्षण होते हैं।
  • वयस्कों में लक्षण अधिक गंभीर हो सकते हैं, और जटिलताओं का खतरा भी अधिक होता है।
  • जिन लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है, उनमें भी गंभीर लक्षण और जटिलताएं हो सकती हैं।

चिकन पॉक्स का खतरा किसे अधिक होता है?

चिकन पॉक्स, जिसे छोटी माता भी कहा जाता है, एक अत्यधिक संक्रामक बीमारी है जो वैरिसेला-जोस्टर वायरस (वीजेडवी) के कारण होती है। यह मुख्य रूप से बच्चों को प्रभावित करता है, लेकिन वयस्कों को भी हो सकता है। कुछ लोगों में चिकन पॉक्स विकसित होने का खतरा अधिक होता है, जिनमें शामिल हैं:

  • छोटे बच्चे: 12 साल से कम उम्र के बच्चे चिकन पॉक्स के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील होते हैं।
  • गर्भवती महिलाएं: गर्भवती महिलाओं में चिकन पॉक्स गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकता है, खासकर यदि वे गर्भावस्था के अंतिम तिमाही में संक्रमित हो जाती हैं।
  • कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोग: एचआईवी/एड्स, कैंसर या अंग प्रत्यारोपण वाले लोगों में चिकन पॉक्स के गंभीर मामले विकसित होने का खतरा अधिक होता है।
  • जिन लोगों को पहले चिकन पॉक्स नहीं हुआ है: जिन लोगों को पहले चिकन पॉक्स नहीं हुआ है या जिनका टीकाकरण नहीं हुआ है, उनमें संक्रमण का खतरा अधिक होता है।
  • जिन लोगों ने चिकन पॉक्स का टीका नहीं लगवाया है: जिन लोगों ने चिकनपॉक्स का टीका नहीं लगवाया है, उनमें जोखिम अधिक है। यह टीका बीमारी को रोकने में अत्यधिक प्रभावी है, और जिन लोगों को टीका लगाया गया है, लेकिन फिर भी चिकनपॉक्स हो जाता है, उनमें आमतौर पर हल्के लक्षण दिखाई देते हैं। 1  
  • जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है: कमजोर इम्यूनिटी वाले व्यक्तियों को अधिक होता है।
  • संक्रमित व्यक्ति के परिवार के सदस्यों को अधिक होता है: चिकन पॉक्स एक संक्रामक रोग है। इसलिए संक्रमित व्यक्ति के परिवार के सदस्यों को इसका खतरा अधिक होता है।

चिकन पॉक्स से कौन सी बीमारियां जुड़ी हैं?

चिकन पॉक्स, जिसे छोटी माता भी कहा जाता है, एक वायरल संक्रमण है जो वैरिकाला-जोस्टर वायरस (वीजेडवी) के कारण होता है। यह आमतौर पर एक हल्की बीमारी है, लेकिन यह कुछ जटिलताओं का कारण बन सकती है, विशेष रूप से कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों में। चिकन पॉक्स से जुड़ी कुछ बीमारियां इस प्रकार हैं:

  • त्वचा संक्रमण: चिकन पॉक्स के फफोले कभी-कभी बैक्टीरिया से संक्रमित हो सकते हैं, जिससे सेल्युलाइटिस या इम्पेटिगो जैसे संक्रमण हो सकते हैं।
  • निमोनिया: वयस्कों और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों में, चिकन पॉक्स निमोनिया का कारण बन सकता है, जो फेफड़ों का एक गंभीर संक्रमण है।
  • इंसेफेलाइटिस: दुर्लभ मामलों में, चिकन पॉक्स मस्तिष्क की सूजन (इंसेफेलाइटिस) का कारण बन सकता है, जो एक गंभीर और संभावित रूप से घातक स्थिति है।
  • रेय सिंड्रोम: एस्पिरिन लेने वाले बच्चों और किशोरों में चिकन पॉक्स रेय सिंड्रोम का कारण बन सकता है, जो एक दुर्लभ लेकिन गंभीर स्थिति है जो यकृत और मस्तिष्क को प्रभावित करती है।
  • दाद (शिंगल्स): चिकन पॉक्स से ठीक होने के बाद, वीजेडवी वायरस शरीर में निष्क्रिय रहता है। यह वायरस बाद में जीवन में फिर से सक्रिय हो सकता है और दाद का कारण बन सकता है, जो एक दर्दनाक त्वचा का संक्रमण है।

चिकन पॉक्स का निदान कैसे करें?

चिकन पॉक्स, जिसे छोटी माता भी कहा जाता है, एक अत्यधिक संक्रामक वायरल संक्रमण है जो वैरिकाला-जोस्टर वायरस (वीजेडवी) के कारण होता है। चिकन पॉक्स का निदान आमतौर पर नैदानिक लक्षणों और शारीरिक परीक्षण के आधार पर किया जाता है। यहां चिकन पॉक्स के निदान के कुछ तरीके दिए गए हैं:

  • नैदानिक लक्षण:
    • चिकन पॉक्स का सबसे विशिष्ट लक्षण खुजली वाले दाने हैं जो लाल धब्बे, तरल पदार्थ से भरे फफोले और पपड़ीदार घावों के रूप में दिखाई देते हैं।
    • दाने आमतौर पर चेहरे, छाती और पीठ पर शुरू होते हैं और फिर शरीर के बाकी हिस्सों में फैल जाते हैं।
    • अन्य लक्षणों में बुखार, थकान, सिरदर्द और भूख में कमी शामिल हो सकती है।
  • शारीरिक परीक्षण:
    • एक डॉक्टर दाने की उपस्थिति और विशेषताओं का निरीक्षण करके चिकन पॉक्स का निदान कर सकता है।
    • डॉक्टर अन्य लक्षणों की भी जांच करेगा, जैसे कि बुखार और बढ़े हुए लिम्फ नोड्स।
  • प्रयोगशाला परीक्षण:
    • दुर्लभ मामलों में, चिकन पॉक्स के निदान की पुष्टि के लिए प्रयोगशाला परीक्षणों की आवश्यकता हो सकती है।
    • इन परीक्षणों में वीजेडवी एंटीबॉडी के लिए रक्त परीक्षण या दाने से तरल पदार्थ का नमूना लेकर वायरस का पता लगाना शामिल हो सकता है।

चिकन पॉक्स का इलाज क्या है?

चिकन पॉक्स, जिसे छोटी माता भी कहा जाता है, एक अत्यधिक संक्रामक वायरल संक्रमण है जो वैरिकाला-जोस्टर वायरस (वीजेडवी) के कारण होता है। चिकन पॉक्स का कोई विशिष्ट इलाज नहीं है, लेकिन लक्षणों को कम करने और जटिलताओं को रोकने के लिए कई उपचार उपलब्ध हैं।

यहां चिकन पॉक्स के इलाज के कुछ तरीके दिए गए हैं:

  • लक्षणों से राहत:
    • खुजली को कम करने के लिए कैलामाइन लोशन या एंटीहिस्टामाइन क्रीम का उपयोग करें।
    • बुखार और दर्द को कम करने के लिए एसिटामिनोफेन (टाइलेनॉल) या इबुप्रोफेन जैसी ओवर-द-काउंटर दर्द निवारक दवाएं लें।
    • ठंडी सिकाई या गुनगुने स्नान से खुजली से राहत मिल सकती है।
  • एंटीवायरल दवाएं:
    • कुछ मामलों में, डॉक्टर एंटीवायरल दवाएं लिख सकते हैं, जैसे कि एसाइक्लोविर, जो वायरस के प्रसार को कम करने और लक्षणों की गंभीरता को कम करने में मदद कर सकती हैं।
    • एंटीवायरल दवाएं विशेष रूप से उन लोगों के लिए उपयोगी होती हैं जिन्हें गंभीर चिकन पॉक्स होने का खतरा होता है, जैसे कि कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोग या गर्भवती महिलाएं।
  • घरेलू उपचार:
    • ओटमील स्नान: कोलाइडल ओटमील से स्नान करने या गुनगुने नहाने के पानी में बारीक पिसा हुआ ओटमील मिलाने से चिकनपॉक्स के फफोले के कारण होने वाली खुजली और जलन को शांत करने में मदद मिल सकती है।
    • ठंडी पट्टी: खुजली वाली जगह पर ठंडी, नम पट्टी या कपड़ा लगाने से खुजली और परेशानी से राहत मिल सकती है।  
    • एलोवेरा जेल: प्रभावित क्षेत्रों पर शुद्ध एलोवेरा जेल लगाने से त्वचा को आराम मिल सकता है और उपचार को बढ़ावा मिल सकता है।
    • हाइड्रेटेड रहें: चिकनपॉक्स से पीड़ित व्यक्ति को हाइड्रेटेड रहने के लिए खूब सारे तरल पदार्थ पीने के लिए प्रोत्साहित करें। पानी, हर्बल चाय या पतला फलों का रस अच्छे विकल्प हो सकते हैं।  
  • जटिलताओं की रोकथाम:
    • बैक्टीरियल संक्रमण को रोकने के लिए फफोले को खरोंचने से बचें।
    • यदि आपको या आपके बच्चे को गंभीर लक्षण हैं, जैसे कि सांस लेने में कठिनाई या भ्रम, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
  • अलगाव और संगरोध:
    • चिकनपॉक्स से पीड़ित व्यक्तियों को दूसरों के साथ संपर्क से बचना चाहिए, खासकर उन लोगों के साथ जो गंभीर जटिलताओं के उच्च जोखिम में हैं, जब तक कि सभी छाले पूरी तरह से ठीक न हो जाएं, आमतौर पर दाने के पहली बार दिखाई देने के लगभग 5-7 दिन बाद।  

चिकन पॉक्स का घरेलू इलाज क्या है?

चिकन पॉक्स, जिसे छोटी माता भी कहा जाता है, एक अत्यधिक संक्रामक वायरल संक्रमण है जो वैरिकाला-जोस्टर वायरस (वीजेडवी) के कारण होता है। चिकन पॉक्स का कोई विशिष्ट इलाज नहीं है, लेकिन लक्षणों को कम करने और जटिलताओं को रोकने के लिए कई घरेलू उपचार उपलब्ध हैं।

यहां चिकन पॉक्स के घरेलू इलाज के कुछ तरीके दिए गए हैं:

  • खुजली से राहत:
    • कैलामाइन लोशन: यह लोशन खुजली को कम करने में मदद करता है। इसे दिन में कई बार प्रभावित क्षेत्रों पर लगाएं।
    • ओटमील स्नान: एक कप ओटमील को गुनगुने पानी में मिलाएं और 15-20 मिनट तक स्नान करें। यह खुजली को शांत करने में मदद करेगा।
    • ठंडी सिकाई: एक साफ कपड़े को ठंडे पानी में भिगोकर प्रभावित क्षेत्रों पर लगाएं। यह खुजली और सूजन को कम करने में मदद करेगा।
    • नीम के पत्ते: नीम के पत्तों को पानी में उबालकर उस पानी से नहाएं। नीम में एंटीवायरल गुण होते हैं जो वायरस के प्रसार को कम करने में मदद कर सकते हैं।
  • बुखार और दर्द से राहत:
    • गुनगुने पानी से स्नान करें: गुनगुने पानी से स्नान करने से बुखार और दर्द कम हो सकता है।
    • हाइड्रेटेड रहें: खूब पानी और तरल पदार्थ पिएं। यह बुखार को कम करने और निर्जलीकरण को रोकने में मदद करेगा।
    • आराम करें: पर्याप्त आराम करें। यह शरीर को वायरस से लड़ने में मदद करेगा।
  • अन्य घरेलू उपचार:
    • शहद: शहद में एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण होते हैं। यह फफोले को ठीक करने और संक्रमण को रोकने में मदद कर सकता है।
    • नारियल का तेल: नारियल के तेल में एंटीवायरल और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। यह खुजली और सूजन को कम करने में मदद कर सकता है।
    • एलोवेरा: एलोवेरा में एंटीइंफ्लेमेटरी और हीलिंग गुण होते हैं। यह फफोले को ठीक करने और त्वचा को शांत करने में मदद कर सकता है।
  • सावधानियां:
    • फफोले को खरोंचने से बचें: खरोंचने से संक्रमण हो सकता है और निशान पड़ सकते हैं।
    • ढीले कपड़े पहनें: तंग कपड़े पहनने से फफोले में जलन हो सकती है।
    • दूसरों के साथ निकट संपर्क से बचें: चिकन पॉक्स एक अत्यधिक संक्रामक बीमारी है, इसलिए दूसरों के साथ निकट संपर्क से बचें, खासकर गर्भवती महिलाओं, नवजात शिशुओं और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों के साथ।
    • डॉक्टर से सलाह लें: यदि आपको या आपके बच्चे को गंभीर लक्षण हैं, जैसे कि सांस लेने में कठिनाई या भ्रम, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

चिकन पॉक्स में क्या खाएं और क्या न खाएं?

चिकन पॉक्स, जिसे छोटी माता भी कहा जाता है, एक वायरल संक्रमण है जो वैरिकाला-जोस्टर वायरस (वीजेडवी) के कारण होता है। चिकन पॉक्स होने पर सही आहार लेना महत्वपूर्ण है। यहां कुछ खाद्य पदार्थों की सूची दी गई है जिन्हें आपको खाना चाहिए और उनसे बचना चाहिए:

क्या खाएं:

  • नरम और हल्का भोजन:
    • खिचड़ी
    • दलिया
    • उबली हुई सब्जियां
    • फल (केला, सेब)
  • तरल पदार्थ:
    • पानी
    • नारियल पानी
    • फलों का रस (खट्टे फलों को छोड़कर)
    • सूप
  • विटामिन और खनिज युक्त खाद्य पदार्थ:
    • हरी पत्तेदार सब्जियां
    • गाजर
    • अंडे
    • दालें

क्या न खाएं:

  • मसालेदार और तैलीय भोजन:
    • तले हुए खाद्य पदार्थ
    • मसालेदार करी
    • फास्ट फूड
  • खट्टे फल:
    • संतरा
    • नींबू
    • अंगूर
  • प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ:
    • चिप्स
    • कुकीज़
    • सोडा
  • गर्म भोजन:
    • गर्म भोजन से मुंह में छाले हो सकते हैं।
  • नमक वाले खाद्य पदार्थ:
    • ज्यादा नमक वाले खाद्य पदार्थ खाने से बचें।

अतिरिक्त सुझाव:

  • छोटे और बार-बार भोजन करें।
  • खूब पानी पिएं।
  • आराम करें और तनाव से बचें।
  • यदि आपको कोई चिंता है तो डॉक्टर से परामर्श करें।

चिकन पॉक्स के जोखिम को कैसे कम करें?

चिकन पॉक्स, जिसे वेरिसेला भी कहा जाता है, एक अत्यधिक संक्रामक बीमारी है जो वेरिसेला-जोस्टर वायरस (वीजेडवी) के कारण होती है। यह खुजली वाले फफोले, थकान और बुखार का कारण बनता है।

यहाँ कुछ तरीके दिए गए हैं जिनसे आप चिकन पॉक्स के खतरे को कम कर सकते हैं:

  • टीका लगवाएं: चिकन पॉक्स से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका टीकाकरण है। चिकन पॉक्स का टीका आमतौर पर दो खुराक में दिया जाता है: पहली खुराक 12-15 महीने की उम्र में और दूसरी खुराक 4-6 साल की उम्र में। जिन वयस्कों को कभी चिकन पॉक्स या टीका नहीं लगा है, उन्हें भी टीका लगवाने पर विचार करना चाहिए।  
  • अच्छी स्वच्छता का अभ्यास करें: अच्छी स्वच्छता का अभ्यास चिकन पॉक्स के प्रसार को कम करने में मदद कर सकता है। इसमें नियमित रूप से हाथ धोना, संक्रमित व्यक्तियों के साथ निकट संपर्क से बचना और वायरस से दूषित हो सकने वाली सतहों को कीटाणुरहित करना शामिल है।  
  • संक्रमित व्यक्तियों से बचें: चिकन पॉक्स वाले लोगों के संपर्क से बचें, खासकर जब वे सबसे अधिक संक्रामक हों (दाने निकलने से 1-2 दिन पहले और सभी फफोले पपड़ीदार होने तक)।
  • अपने बच्चे को टीका लगवाएं: यदि आपके बच्चे को चिकन पॉक्स नहीं हुआ है, तो उन्हें टीका लगवाएं। चिकन पॉक्स का टीका 12 महीने से अधिक उम्र के बच्चों के लिए अनुशंसित है।
  • यदि आप गर्भवती हैं तो अपने डॉक्टर से बात करें: यदि आप गर्भवती हैं और आपको कभी चिकन पॉक्स नहीं हुआ है, तो अपने डॉक्टर से बात करें। गर्भावस्था के दौरान चिकन पॉक्स होने से आपके बच्चे के लिए जटिलताएं हो सकती हैं।

सारांश

चिकन पॉक्स, जिसे वेरिसेला भी कहा जाता है, एक अत्यधिक संक्रामक बीमारी है जो वेरिसेला-जोस्टर वायरस (वीजेडवी) के कारण होती है। यह खुजली वाले फफोले, थकान और बुखार का कारण बनता है।

यहाँ कुछ तरीके दिए गए हैं जिनसे आप चिकन पॉक्स के खतरे को कम कर सकते हैं:

  • टीका लगवाएं: चिकन पॉक्स से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका टीकाकरण है। चिकन पॉक्स का टीका आमतौर पर दो खुराक में दिया जाता है: पहली खुराक 12-15 महीने की उम्र में और दूसरी खुराक 4-6 साल की उम्र में। जिन वयस्कों को कभी चिकन पॉक्स या टीका नहीं लगा है, उन्हें भी टीका लगवाने पर विचार करना चाहिए।
  • अच्छी स्वच्छता का अभ्यास करें: अच्छी स्वच्छता का अभ्यास चिकन पॉक्स के प्रसार को कम करने में मदद कर सकता है। इसमें नियमित रूप से हाथ धोना, संक्रमित व्यक्तियों के साथ निकट संपर्क से बचना और वायरस से दूषित हो सकने वाली सतहों को कीटाणुरहित करना शामिल है।
  • संक्रमित व्यक्तियों से बचें: चिकन पॉक्स वाले लोगों के संपर्क से बचें, खासकर जब वे सबसे अधिक संक्रामक हों (दाने निकलने से 1-2 दिन पहले और सभी फफोले पपड़ीदार होने तक)।
  • अपने बच्चे को टीका लगवाएं: यदि आपके बच्चे को चिकन पॉक्स नहीं हुआ है, तो उन्हें टीका लगवाएं। चिकन पॉक्स का टीका 12 महीने से अधिक उम्र के बच्चों के लिए अनुशंसित है।
  • यदि आप गर्भवती हैं तो अपने डॉक्टर से बात करें: यदि आप गर्भवती हैं और आपको कभी चिकन पॉक्स नहीं हुआ है, तो अपने डॉक्टर से बात करें। गर्भावस्था के दौरान चिकन पॉक्स होने से आपके बच्चे के लिए जटिलताएं हो सकती हैं।

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