खाँसी
खाँसी क्या है?
खाँसी एक सामान्य क्रिया है जो आपके गले या वायुमार्ग में जलन पैदा करने वाले किसी भी चीज से छुटकारा पाने में आपके शरीर की मदद करती है। यह शरीर की एक रक्षात्मक प्रतिक्रिया है जो फेफड़ों या गले में जलन पैदा करने वाली किसी भी चीज से छुटकारा पाने के लिए होती है।
खाँसी के प्रकार:
- तीव्र खाँसी: यह अचानक शुरू होती है और आमतौर पर 3 सप्ताह से कम समय तक रहती है।
- उप-तीव्र खाँसी: यह 3 से 8 सप्ताह तक रहती है।
- पुरानी खाँसी: यह 8 सप्ताह से अधिक समय तक रहती है।
खाँसी के कारण:
- सामान्य सर्दी या फ्लू
- एलर्जी
- अस्थमा
- ब्रोंकाइटिस
- निमोनिया
- धूम्रपान
- एसिड रिफ्लक्स
- कुछ दवाएं
- वायु प्रदूषण
- टी.बी.
- कोरोनावायरस
खाँसी के लक्षण:
- गले में खराश
- नाक बहना
- सीने में जकड़न
- सांस लेने में कठिनाई
- बुखार
- थकान
खाँसी के लिए घरेलू उपचार:
- शहद: शहद गले की खराश को शांत करने में मदद कर सकता है।
- अदरक: अदरक में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो खाँसी को कम करने में मदद कर सकते हैं।
- गुनगुना पानी: गुनगुना पानी पीने से गले की खराश कम हो सकती है।
- भाप: भाप लेने से बंद नाक और गले की खराश कम हो सकती है।
- नमक के पानी से गरारे: नमक के पानी से गरारे करने से गले की खराश कम हो सकती है।
खाँसी के कारण क्या हैं?
1. संक्रमण:
- सामान्य सर्दी या फ्लू: यह खाँसी का सबसे आम कारण है।
- ब्रोंकाइटिस: यह वायुमार्ग की सूजन है, जो खाँसी का कारण बन सकती है।
- निमोनिया: यह फेफड़ों का संक्रमण है, जो गंभीर खाँसी का कारण बन सकता है।
- साइनसाइटिस: यह साइनस का संक्रमण है, जो नाक बहने और खाँसी का कारण बन सकता है।
- टी.बी. (तपेदिक): यह एक गंभीर संक्रमण है, जो पुरानी खाँसी का कारण बन सकता है।
- कोरोनावायरस: कोविड-19 भी खाँसी का एक कारण है।
2. एलर्जी:
- एलर्जी राइनाइटिस: यह पराग, धूल या पालतू जानवरों की रूसी जैसी एलर्जी के कारण होती है।
- अस्थमा: यह वायुमार्ग की सूजन है, जो खाँसी, घरघराहट और सांस लेने में कठिनाई का कारण बन सकती है।
3. जलन:
- धूम्रपान: धूम्रपान वायुमार्ग को परेशान कर सकता है और खाँसी का कारण बन सकता है।
- वायु प्रदूषण: वायु प्रदूषण में मौजूद कण खाँसी का कारण बन सकते हैं।
- रासायनिक अड़चनें: कुछ रसायन खाँसी का कारण बन सकते हैं।
- एसिड रिफ्लक्स: पेट का एसिड ग्रासनली में वापस आने से खाँसी हो सकती है।
4. अन्य कारण:
- कुछ दवाएं: कुछ दवाएं खाँसी का कारण बन सकती हैं।
- पोस्टनासल ड्रिप: यह तब होता है जब नाक से बलगम गले के नीचे गिरता है, जिससे खाँसी होती है।
- क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी): यह फेफड़ों की बीमारी है, जो पुरानी खाँसी का कारण बन सकती है।
- फेफड़ों का कैंसर: यह एक गंभीर बीमारी है, जो पुरानी खाँसी का कारण बन सकती है।
खाँसी के संकेत और लक्षण क्या हैं?
खाँसी के संकेत और लक्षण खाँसी के कारण और गंभीरता पर निर्भर करते हैं। यहाँ कुछ सामान्य लक्षण दिए गए हैं:
- गले में खराश: खाँसी के कारण गले में जलन और खराश हो सकती है।
- नाक बहना: सर्दी या एलर्जी के कारण खाँसी होने पर नाक बह सकती है।
- सीने में जकड़न: ब्रोंकाइटिस या निमोनिया जैसी स्थितियों में सीने में जकड़न महसूस हो सकती है।
- सांस लेने में कठिनाई: गंभीर खाँसी के कारण सांस लेने में तकलीफ हो सकती है।
- बुखार: संक्रमण के कारण खाँसी होने पर बुखार आ सकता है।
- थकान: लगातार खाँसी से शरीर थक सकता है।
- बलगम: खाँसी के साथ बलगम निकल सकता है, जिसका रंग संक्रमण के प्रकार पर निर्भर करता है।
- घरघराहट: अस्थमा या ब्रोंकाइटिस के कारण खाँसी होने पर घरघराहट हो सकती है।
- उल्टी: तेज खाँसी के कारण उल्टी भी हो सकती है।
- सिरदर्द: कुछ मामलों में खाँसी के साथ सिरदर्द भी हो सकता है।
- शरीर में दर्द और ठंड लगना: खांसी के साथ साथ शरीर में दर्द और ठंड भी लग सकती है।
- साइनस में दर्द होना: खांसी के साथ साथ साइनस में भी दर्द होना।
खाँसी के प्रकार:
- सूखी खाँसी: यह खाँसी बलगम नहीं बनाती है।
- गीली खाँसी: यह खाँसी बलगम बनाती है।
खाँसी का खतरा किसे अधिक होता है?
खाँसी का खतरा कई लोगों को अधिक होता है, खासकर उन लोगों को जो निम्नलिखित जोखिम कारकों से ग्रस्त हैं:
- धूम्रपान करने वाले लोग: धूम्रपान फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है और संक्रमण के खतरे को बढ़ाता है।
- अस्थमा या सीओपीडी (क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) जैसी सांस की समस्याओं वाले लोग: इन स्थितियों से वायुमार्ग संवेदनशील हो जाते हैं, जिससे खाँसी होने की संभावना बढ़ जाती है।
- एलर्जी से पीड़ित लोग: एलर्जी वायुमार्ग को परेशान कर सकती है और खाँसी का कारण बन सकती है।
- प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर वाले लोग: कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली संक्रमण के खतरे को बढ़ाती है, जिससे खाँसी हो सकती है।
- छोटे बच्चे और बुजुर्ग: इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, जिससे उन्हें संक्रमण का खतरा अधिक होता है।
- रासायनिक अड़चनें के संपर्क में आने वाले लोग: जैसे की फैक्ट्रियों में काम करने वाले लोग, या ऐसे जगह जहाँ बहुत ज्यादा प्रदूषण होता है।
- एसिड भाटा से पीड़ित लोग: पेट का एसिड ग्रासनली में वापस आने से खाँसी हो सकती है।
खाँसी से कौन सी बीमारियां जुड़ी हैं?
खाँसी कई बीमारियों से जुड़ी हो सकती है, जिनमें शामिल हैं:
- श्वसन संक्रमण:
- सामान्य सर्दी और फ्लू
- ब्रोंकाइटिस
- निमोनिया
- साइनसाइटिस
- टी.बी. (तपेदिक)
- कोरोनावायरस (कोविड-19)
- एलर्जी:
- एलर्जी राइनाइटिस
- अस्थमा
- फेफड़ों की बीमारियाँ:
- क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी)
- फेफड़ों का कैंसर
- अन्य बीमारियाँ:
- एसिड रिफ्लक्स
- पोस्टनासल ड्रिप
खाँसी का निदान कैसे करें?
खाँसी का निदान करने के लिए डॉक्टर कई तरीकों का उपयोग कर सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- शारीरिक परीक्षण और चिकित्सा इतिहास:
- डॉक्टर आपके लक्षणों, चिकित्सा इतिहास और खाँसी की अवधि के बारे में पूछेंगे।
- वे आपके फेफड़ों और गले की जांच करेंगे।
- परीक्षण:
- एक्स-रे: यह फेफड़ों में संक्रमण या अन्य समस्याओं का पता लगाने में मदद कर सकता है।
- थूक परीक्षण: यह संक्रमण के कारण का पता लगाने में मदद कर सकता है।
- पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट: यह फेफड़ों के कार्य का आकलन करने में मदद कर सकता है।
- एलर्जी परीक्षण: यह एलर्जी के कारण खाँसी होने का पता लगाने में मदद कर सकता है।
- सीटी स्कैन: यह फेफड़ों और छाती की विस्तृत छवियां प्रदान कर सकता है।
- ब्रोन्कोस्कोपी: यह एक प्रक्रिया है जिसमें एक पतली ट्यूब को आपके गले के नीचे और फेफड़ों में डाला जाता है। यह डॉक्टर को वायुमार्ग को देखने और ऊतक का नमूना लेने की अनुमति देता है।
यहाँ कुछ अतिरिक्त जानकारी दी गई है:
- खाँसी का निदान आमतौर पर एक शारीरिक परीक्षण और चिकित्सा इतिहास के साथ किया जा सकता है।
- अन्य परीक्षणों की आवश्यकता केवल गंभीर या लगातार लक्षणों वाले मामलों में होती है।
खाँसी का इलाज क्या है?
खाँसी का इलाज खाँसी के कारण और गंभीरता पर निर्भर करता है। यहाँ कुछ सामान्य उपचार दिए गए हैं:
1. घरेलू उपचार:
- शहद: शहद गले की खराश को शांत करने में मदद कर सकता है।
- अदरक: अदरक में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो खाँसी को कम करने में मदद कर सकते हैं।
- गुनगुना पानी: गुनगुना पानी पीने से गले की खराश कम हो सकती है।
- भाप: भाप लेने से बंद नाक और गले की खराश कम हो सकती है।
- नमक के पानी से गरारे: नमक के पानी से गरारे करने से गले की खराश कम हो सकती है।
2. दवाएं:
- खाँसी की दवाई: यह खाँसी को दबाने में मदद कर सकती है।
- बलगम पतला करने वाली दवा: यह बलगम को पतला करने और खाँसी को आसान बनाने में मदद कर सकती है।
- एंटीहिस्टामाइन: यह एलर्जी के कारण होने वाली खाँसी को कम करने में मदद कर सकता है।
- एंटीबायोटिक्स: यदि खाँसी संक्रमण के कारण है, तो एंटीबायोटिक्स संक्रमण को ठीक करने में मदद करेंगे।
3. डॉक्टर से कब मिलें:
- यदि खाँसी गंभीर है या कुछ हफ्तों से अधिक समय तक बनी रहती है।
- यदि खाँसी के साथ तेज बुखार, सांस लेने में कठिनाई या खूनी बलगम है।
- यदि आपको कोई अंतर्निहित चिकित्सा स्थिति है जो खाँसी का कारण बन सकती है।
4. रोकथाम:
- अपने हाथों को बार-बार धोएं।
- बीमार लोगों के संपर्क में आने से बचें।
- धूम्रपान न करें।
- स्वस्थ आहार खाएं।
- पर्याप्त नींद लें।
अतिरिक्त सुझाव:
- पर्याप्त आराम करें।
- खूब पानी पिएं।
- हवा को नम रखें।
खाँसी के प्रकार के अनुसार उपचार:
- सूखी खाँसी: शहद, अदरक और गुनगुना पानी सूखी खाँसी के लिए फायदेमंद हो सकते हैं।
- गीली खाँसी: बलगम पतला करने वाली दवाएं गीली खाँसी के लिए फायदेमंद हो सकती हैं।
खाँसी का घरेलू इलाज क्या है?
खाँसी के लिए कई घरेलू उपचार उपलब्ध हैं जो हल्के से मध्यम लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं। यहाँ कुछ लोकप्रिय विकल्प दिए गए हैं:
- शहद:
- शहद गले की खराश को शांत करने में मदद कर सकता है।
- एक चम्मच शहद को गर्म पानी या चाय में मिलाकर पिएं।
- अदरक:
- अदरक में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो खाँसी को कम करने में मदद कर सकते हैं।
- अदरक की चाय पिएं या अदरक के छोटे टुकड़े चबाएं।
- गुनगुना पानी:
- गुनगुना पानी पीने से गले की खराश कम हो सकती है।
- नमक के पानी से गरारे करने से भी गले की खराश कम हो सकती है।
- भाप:
- भाप लेने से बंद नाक और गले की खराश कम हो सकती है।
- गर्म पानी के एक कटोरे में कुछ बूंदें नीलगिरी का तेल डालें और भाप लें।
- तुलसी:
- तुलसी में कई औषधीय गुण होते हैं, जो खांसी के लक्षणों को कम कर सकते हैं।
- तुलसी की चाय पिएं या तुलसी के कुछ पत्ते चबाएं।
- हल्दी वाला दूध:
- हल्दी में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं।
- एक गिलास गर्म दूध में आधा चम्मच हल्दी मिलाकर पिएं।
अतिरिक्त सुझाव:
- पर्याप्त आराम करें।
- खूब पानी पिएं।
- हवा को नम रखें।
- धूम्रपान से बचें।
सावधानियां:
- ये घरेलू उपचार हल्के से मध्यम खाँसी के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं।
- यदि खाँसी गंभीर है या कुछ हफ्तों से अधिक समय तक बनी रहती है, तो डॉक्टर से मिलें।
- यदि आपको तेज बुखार, सांस लेने में कठिनाई या खूनी बलगम है, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें।
यह जानकारी केवल सामान्य ज्ञान के लिए है और चिकित्सा सलाह नहीं है। किसी भी आहार या जीवनशैली में बदलाव से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें।
खाँसी में क्या खाएं और क्या न खाएं?
खाँसी होने पर सही खान-पान का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। यहाँ कुछ खाद्य पदार्थ दिए गए हैं जिन्हें आपको खाना चाहिए और जिनसे आपको बचना चाहिए:
क्या खाएं:
- तरल पदार्थ:
- खूब पानी पिएं।
- गर्म हर्बल चाय (जैसे कि अदरक, शहद, और नींबू की चाय) पिएं।
- गर्म शोरबा या सूप पिएं।
- हल्का आहार:
- आसानी से पचने वाले खाद्य पदार्थ खाएं, जैसे कि खिचड़ी, दलिया, और उबले हुए चावल।
- फल और सब्जियां खाएं, जो विटामिन और खनिजों से भरपूर हों।
- शहद का सेवन करें।
- हल्दी वाला दूध पिएं।
- अदरक का सेवन करें।
- विटामिन सी युक्त खाद्य पदार्थ:
- संतरा, नींबू, और आंवला खाएं।
- ये खाद्य पदार्थ प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद करते हैं।
- प्रोबायोटिक्स:
- दही या प्रोबायोटिक सप्लीमेंट खाएं, जो आंत के बैक्टीरिया को संतुलित करने में मदद कर सकते हैं।
क्या न खाएं:
- तैलीय और मसालेदार भोजन:
- ये खाद्य पदार्थ गले को परेशान कर सकते हैं और खाँसी को बढ़ा सकते हैं।
- डेयरी उत्पाद:
- दूध और अन्य डेयरी उत्पाद कुछ लोगों में बलगम को बढ़ा सकते हैं।
- ठंडे खाद्य पदार्थ और पेय:
- ठंडे खाद्य पदार्थ और पेय गले को परेशान कर सकते हैं।
- मीठे खाद्य पदार्थ और पेय:
- चीनी खाँसी को बढ़ा सकती है।
- फास्ट फूड और प्रोसेस्ड फूड:
- इन खाद्य पदार्थों में वसा, नमक और चीनी की मात्रा अधिक होती है, जो गले को परेशान कर सकती है।
- खट्टे फल:
- कुछ खट्टे फल गले में जलन पैदा कर सकते हैं।
अतिरिक्त सुझाव:
- धीरे-धीरे खाएं और अच्छी तरह से चबाएं।
- छोटे और अधिक बार भोजन करें।
- पर्याप्त आराम करें।
- धूम्रपान से बचें।
यह जानकारी केवल सामान्य ज्ञान के लिए है और चिकित्सा सलाह नहीं है। किसी भी आहार या जीवनशैली में बदलाव से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें।
खाँसी के जोखिम को कैसे कम करें?
खाँसी के जोखिम को कम करने के लिए आप कई उपाय कर सकते हैं। यहाँ कुछ सुझाव दिए गए हैं:
- स्वच्छता का ध्यान रखें:
- अपने हाथों को बार-बार धोएं, खासकर भोजन तैयार करने या खाने से पहले।
- खांसते या छींकते समय अपने मुंह और नाक को ढकें।
- बीमार लोगों के संपर्क में आने से बचें।
- स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं:
- स्वस्थ आहार खाएं, जिसमें फल, सब्जियां और साबुत अनाज शामिल हों।
- नियमित रूप से व्यायाम करें।
- पर्याप्त नींद लें।
- तनाव को प्रबंधित करें।
- धूम्रपान से बचें।
- पर्यावरणीय कारकों से बचें:
- वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से बचें।
- रासायनिक अड़चनें के संपर्क में आने से बचें।
- हवा को नम रखें।
- संक्रमण से बचें:
- टीकाकरण करवाएं।
- बीमार लोगों के संपर्क में आने से बचें।
- एलर्जी से बचें:
- एलर्जी के कारणों से बचें, जैसे कि पराग, धूल और पालतू जानवरों की रूसी।
- अन्य सावधानियां:
- एसिड रिफ्लक्स से बचें।
- कुछ दवाओं का सेवन करने से पहले डॉक्टर से सलाह लें।
- यदि आपको कोई अंतर्निहित चिकित्सीय स्थिति है, तो उसका इलाज कराएं
सारांश
खाँसी एक आम समस्या है जो कई कारणों से हो सकती है, जैसे कि संक्रमण, एलर्जी और जलन। इसके लक्षणों में गले में खराश, नाक बहना, सीने में जकड़न और सांस लेने में कठिनाई शामिल हैं। धूम्रपान करने वाले लोग, अस्थमा या सीओपीडी से पीड़ित लोग और एलर्जी से पीड़ित लोग खाँसी के लिए अधिक संवेदनशील होते हैं। खाँसी ब्रोंकाइटिस, निमोनिया और टीबी जैसी बीमारियों से जुड़ी हो सकती है। निदान में शारीरिक परीक्षण, एक्स-रे और थूक परीक्षण शामिल हैं।
उपचार में शहद, अदरक और गुनगुना पानी जैसे घरेलू उपचार और खाँसी की दवाई, एंटीहिस्टामाइन और एंटीबायोटिक्स जैसी दवाएं शामिल हैं। स्वच्छता, स्वस्थ जीवनशैली और पर्यावरणीय कारकों से बचाव करके खाँसी के जोखिम को कम किया जा सकता है।