फ्लू

फ्लू (इन्फ्लूएंजा)

फ्लू क्या है?

फ्लू, जिसे इन्फ्लूएंजा भी कहा जाता है, एक संक्रामक श्वसन रोग है जो इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण होता है। यह वायरस नाक, गले और फेफड़ों को प्रभावित करता है। फ्लू हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकता है, और कुछ मामलों में, यह जानलेवा भी हो सकता है।

फ्लू के लक्षण:

फ्लू के लक्षण आमतौर पर अचानक शुरू होते हैं और इसमें शामिल हो सकते हैं:

  • बुखार (हालांकि सभी को बुखार नहीं होता है)
  • खांसी
  • गले में खराश
  • नाक बहना या भरी हुई नाक
  • शरीर में दर्द
  • सिरदर्द
  • थकान
  • कुछ लोगों को उल्टी और दस्त भी हो सकते हैं, हालांकि यह वयस्कों की तुलना में बच्चों में अधिक आम है।

फ्लू कैसे फैलता है:

फ्लू एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैल सकता है। जब कोई संक्रमित व्यक्ति खांसता, छींकता या बात करता है, तो वे वायरस से भरी छोटी बूंदें हवा में छोड़ते हैं। ये बूंदें पास के लोगों के मुंह या नाक में जा सकती हैं, जिससे उन्हें भी संक्रमण हो सकता है। फ्लू वायरस दूषित सतहों को छूने और फिर अपने मुंह, नाक या आंखों को छूने से भी फैल सकता है।

फ्लू से बचाव:

फ्लू से बचाव के लिए सबसे अच्छा तरीका वार्षिक फ्लू का टीका लगवाना है। अन्य निवारक उपायों में शामिल हैं:

  • बार-बार हाथ धोना
  • खांसते और छींकते समय मुंह और नाक को ढकना
  • बीमार लोगों के निकट संपर्क से बचना
  • स्वस्थ जीवन शैली बनाए रखना, जिसमें पर्याप्त नींद लेना, स्वस्थ आहार खाना और नियमित रूप से व्यायाम करना शामिल है।

फ्लू का इलाज:

फ्लू का इलाज लक्षणों को कम करने और जटिलताओं को रोकने पर केंद्रित है। उपचार में शामिल हो सकते हैं:

  • आराम करना
  • बहुत सारे तरल पदार्थ पीना
  • ओवर-द-काउंटर दर्द निवारक दवाएं लेना
  • कुछ मामलों में, डॉक्टर एंटीवायरल दवाएं लिख सकते हैं।

फ्लू के कारण क्या हैं?

फ्लू इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण होता है, जो एक संक्रामक श्वसन रोग है। यह वायरस मुख्य रूप से तीन तरीकों से फैलता है:

  • हवा में मौजूद बूंदों के माध्यम से:
    • जब कोई संक्रमित व्यक्ति खांसता, छींकता या बात करता है, तो वे वायरस से भरी छोटी बूंदें हवा में छोड़ते हैं।
    • ये बूंदें पास के लोगों के मुंह या नाक में जा सकती हैं, जिससे उन्हें भी संक्रमण हो सकता है।
  • प्रत्यक्ष संपर्क से:
    • यदि कोई स्वस्थ व्यक्ति किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आता है, तो वह भी इस रोग का शिकार हो सकता है।
    • संक्रमित व्यक्ति से हाथ मिलाने के बाद वही हाथ मुंह, कान या नाक में लगाने पर भी वायरस संक्रमण हो सकता है।
  • दूषित सतहों के माध्यम से:
    • फ्लू वायरस दूषित सतहों पर भी जीवित रह सकता है।
    • फ्लू वायरस वाली किसी सतह या वस्तु को छूने और फिर अपने मुंह, नाक या आंखों को छूने से भी फ्लू हो सकता है।

फ्लू वायरस के प्रकार:

इन्फ्लूएंजा वायरस को चार प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है: ए, बी, सी और डी।

  • इन्फ्लूएंजा ए और बी: ये मौसमी फ्लू के सबसे आम कारण हैं।
  • इन्फ्लूएंजा सी: आमतौर पर हल्के लक्षण पैदा करता है।
  • इन्फ्लूएंजा डी: मुख्य रूप से जानवरों को प्रभावित करता है।

जोखिम कारक:

कुछ लोगों में फ्लू के गंभीर जटिलताओं का खतरा अधिक होता है, जिनमें शामिल हैं:

  • छोटे बच्चे (विशेष रूप से 5 वर्ष से कम उम्र के)
  • 65 वर्ष और उससे अधिक उम्र के वयस्क
  • गर्भवती महिलाएं
  • कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोग
  • पुरानी चिकित्सा स्थितियों वाले लोग, जैसे अस्थमा, मधुमेह या हृदय रोग।

फ्लू के संकेत और लक्षण क्या हैं?

फ्लू के संकेत और लक्षण अचानक शुरू होते हैं और इसमें शामिल हो सकते हैं:

  • बुखार या ठंड लगना: यह फ्लू का एक सामान्य लक्षण है, लेकिन सभी को बुखार नहीं होता है।
  • खाँसी: आमतौर पर सूखी खाँसी होती है।
  • गले में खराश: गले में दर्द या जलन महसूस होना।
  • नाक बहना या भरी हुई नाक: नाक से पानी आना या नाक बंद होना।
  • शरीर में दर्द: मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना।
  • सिरदर्द: तेज सिरदर्द होना।
  • थकान: बहुत अधिक थकान और कमजोरी महसूस होना।
  • कुछ लोगों को उल्टी और दस्त भी हो सकते हैं: यह बच्चों में अधिक आम है।

गंभीर लक्षण:

कुछ लोगों में फ्लू के गंभीर लक्षण विकसित हो सकते हैं, जिनके लिए तत्काल चिकित्सा ध्यान देने की आवश्यकता होती है। इन लक्षणों में शामिल हैं:

  • सांस लेने में कठिनाई या सांस की तकलीफ
  • सीने में दर्द या दबाव
  • लगातार चक्कर आना
  • भ्रम
  • गंभीर या लगातार उल्टी

बच्चों में लक्षण:

बच्चों में फ्लू के लक्षण वयस्कों के समान हो सकते हैं, लेकिन उनमें कुछ अतिरिक्त लक्षण भी हो सकते हैं, जैसे:

  • उच्च बुखार
  • कान में दर्द
  • उल्टी और दस्त

फ्लू का खतरा किसे अधिक होता है?

फ्लू का खतरा कुछ खास लोगों को अधिक होता है, जिनमें शामिल हैं:

  • छोटे बच्चे (विशेष रूप से 5 वर्ष से कम उम्र के): बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली अभी भी विकसित हो रही होती है, इसलिए वे फ्लू के लिए अधिक संवेदनशील होते हैं।
  • 65 वर्ष और उससे अधिक उम्र के वयस्क: उम्र के साथ प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है, जिससे बुजुर्ग लोग फ्लू के लिए अधिक संवेदनशील हो जाते हैं।
  • गर्भवती महिलाएं: गर्भावस्था के दौरान प्रतिरक्षा प्रणाली में बदलाव होता है, जिससे महिलाओं को फ्लू का खतरा बढ़ जाता है।
  • कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोग: जिन लोगों को एचआईवी, कैंसर या अन्य बीमारियाँ हैं जो प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करती हैं, उन्हें फ्लू का खतरा अधिक होता है।
  • पुरानी चिकित्सा स्थितियों वाले लोग: जिन लोगों को अस्थमा, मधुमेह, हृदय रोग या फेफड़ों की बीमारी जैसी पुरानी चिकित्सा स्थितियाँ हैं, उन्हें फ्लू से जटिलताओं का खतरा अधिक होता है।
  • स्वास्थ्य देखभाल कर्मचारी: जो लोग बीमार लोगों के निकट संपर्क में काम करते हैं, उन्हें फ्लू के संपर्क में आने का खतरा अधिक होता है।
  • नर्सिंग होम या दीर्घकालिक देखभाल सुविधाओं में रहने वाले लोग: ये लोग एक बंद वातावरण में रहते हैं, जिससे फ्लू आसानी से फैल सकता है।

फ्लू से कौन सी बीमारियां जुड़ी हैं?

फ्लू, जिसे इन्फ्लूएंजा भी कहा जाता है, एक वायरल संक्रमण है जो श्वसन प्रणाली को प्रभावित करता है। यह एक संक्रामक बीमारी है जो गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकती है। फ्लू से जुड़ी कुछ बीमारियाँ इस प्रकार हैं:

  • निमोनिया:
    • यह फेफड़ों का एक गंभीर संक्रमण है जो फ्लू के कारण हो सकता है।
    • निमोनिया फ्लू से होने वाली सबसे आम जटिलताओं में से एक है।
  • ब्रोंकाइटिस:
    • यह श्वसन नलियों की सूजन है जो फ्लू के कारण हो सकती है।
    • ब्रोंकाइटिस खांसी, घरघराहट और सांस लेने में कठिनाई का कारण बन सकता है।
  • साइनस संक्रमण:
    • फ्लू साइनस में सूजन पैदा कर सकता है, जिससे साइनस संक्रमण हो सकता है।
  • कान के संक्रमण:
    • फ्लू कान के संक्रमण का कारण बन सकता है, खासकर बच्चों में।
  • हृदय की समस्याएं:
    • फ्लू हृदय की समस्याओं, जैसे कि मायोकार्डिटिस (हृदय की मांसपेशियों की सूजन) को बढ़ा सकता है।
  • मस्तिष्क की समस्याएं:
    • दुर्लभ मामलों में, फ्लू मस्तिष्क की समस्याओं, जैसे कि एन्सेफलाइटिस (मस्तिष्क की सूजन) का कारण बन सकता है।
  • पुरानी चिकित्सा स्थितियों का बढ़ना:
    • फ्लू पुरानी चिकित्सा स्थितियों, जैसे कि अस्थमा, मधुमेह और हृदय रोग को बढ़ा सकता है।

फ्लू का निदान कैसे करें?

फ्लू का निदान आमतौर पर आपके डॉक्टर द्वारा आपके लक्षणों और चिकित्सा इतिहास के आधार पर किया जाता है। कुछ मामलों में, निदान की पुष्टि के लिए परीक्षण भी किए जा सकते हैं।

शारीरिक परीक्षण और चिकित्सा इतिहास:

  • आपके डॉक्टर आपके लक्षणों के बारे में पूछेंगे, जैसे कि बुखार, खांसी, गले में खराश, शरीर में दर्द और थकान।
  • वे आपके चिकित्सा इतिहास के बारे में भी पूछेंगे, जिसमें आपकी पिछली बीमारियां और कोई भी मौजूदा चिकित्सा स्थिति शामिल है।
  • वे आपके तापमान, हृदय गति और रक्तचाप की जांच के लिए एक शारीरिक परीक्षण भी करेंगे।

नैदानिक परीक्षण:

  • कुछ मामलों में, आपके डॉक्टर फ्लू के निदान की पुष्टि के लिए एक परीक्षण का आदेश दे सकते हैं।
    • रैपिड इन्फ्लूएंजा डायग्नोस्टिक टेस्ट (RIDT): यह एक त्वरित परीक्षण है जो नाक या गले के स्वाब से इन्फ्लूएंजा वायरस का पता लगा सकता है। यह परीक्षण अस्पताल में या डॉक्टर के कार्यालय में किया जा सकता है।
    • पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन (PCR) परीक्षण: यह एक अधिक संवेदनशील परीक्षण है जो नाक या गले के स्वाब से इन्फ्लूएंजा वायरस का पता लगा सकता है। यह परीक्षण आमतौर पर एक प्रयोगशाला में किया जाता है।

डॉक्टर से कब मिलें:

यदि आपको फ्लू के गंभीर लक्षण हैं, जैसे कि सांस लेने में कठिनाई, सीने में दर्द या भ्रम, तो तुरंत चिकित्सा सहायता लें।

यदि आपको फ्लू के हल्के लक्षण हैं, तो आप घर पर आराम कर सकते हैं और ओवर-द-काउंटर दवाएं ले सकते हैं। हालांकि, यदि आपके लक्षण कुछ दिनों के बाद भी ठीक नहीं होते हैं, तो आपको अपने डॉक्टर से मिलना चाहिए।

फ्लू का इलाज क्या है?

फ्लू का इलाज लक्षणों को कम करने और जटिलताओं को रोकने पर केंद्रित है। यहां फ्लू के इलाज के कुछ सामान्य तरीके दिए गए हैं:

1. आराम और तरल पदार्थ:

  • फ्लू से पीड़ित होने पर आराम करना बहुत ज़रूरी है।
  • शरीर को हाइड्रेटेड रखने के लिए खूब सारे तरल पदार्थ पिएं, जैसे कि पानी, जूस और सूप।

2. ओवर-द-काउंटर दवाएं:

  • बुखार और दर्द को कम करने के लिए आप एसिटामिनोफेन या इबुप्रोफेन जैसी ओवर-द-काउंटर दर्द निवारक दवाएं ले सकते हैं।
  • खांसी और बंद नाक के लिए डिकॉन्गेस्टेंट और खांसी की दवाएं भी उपलब्ध हैं।

3. एंटीवायरल दवाएं:

  • कुछ मामलों में, डॉक्टर एंटीवायरल दवाएं लिख सकते हैं। ये दवाएं फ्लू की गंभीरता और अवधि को कम कर सकती हैं।
  • एंटीवायरल दवाएं सबसे प्रभावी होती हैं जब लक्षण शुरू होने के 48 घंटों के भीतर ली जाती हैं।

4. घरेलू उपचार:

  • गले की खराश को शांत करने के लिए गर्म पानी में नमक डालकर गरारे करें।
  • बंद नाक को खोलने के लिए भाप लें।
  • शहद और नींबू का मिश्रण खांसी को कम करने में मदद कर सकता है।

5. डॉक्टर से कब मिलें:

  • यदि आपको सांस लेने में कठिनाई, सीने में दर्द, लगातार चक्कर आना या भ्रम जैसे गंभीर लक्षण हैं, तो तुरंत चिकित्सा सहायता लें।
  • यदि आपके लक्षण कुछ दिनों के बाद भी ठीक नहीं होते हैं, तो अपने डॉक्टर से मिलें।
  • छोटे बच्चों, गर्भवती महिलाओं और पुरानी चिकित्सा स्थितियों वाले लोगों को फ्लू के गंभीर जटिलताओं का खतरा अधिक होता है, इसलिए उन्हें डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

फ्लू का घरेलू इलाज क्या है?

फ्लू होने पर आप घर पर रहकर भी कुछ उपायों से आराम पा सकते हैं। यहाँ कुछ घरेलू इलाज दिए गए हैं:

1. भरपूर आराम करें:

  • फ्लू होने पर शरीर को आराम देना बहुत जरूरी है।
  • दिन में कम से कम 8-10 घंटे की नींद लें।
  • ज्यादा शारीरिक गतिविधि से बचें।

2. खूब पानी पिएं:

  • शरीर को हाइड्रेटेड रखने के लिए खूब पानी, जूस और सूप पिएं।
  • गर्म तरल पदार्थ, जैसे कि हर्बल चाय और शोरबा, गले की खराश को शांत करने में मदद कर सकते हैं।

3. भाप लें:

  • गर्म पानी के बर्तन में कुछ बूंदें नीलगिरी का तेल डालकर भाप लें।
  • यह बंद नाक और गले की खराश को दूर करने में मदद करेगा।

4. नमक के पानी से गरारे करें:

  • गर्म पानी में एक चम्मच नमक मिलाकर दिन में कई बार गरारे करें।
  • यह गले की खराश को कम करने में मदद करेगा।

5. शहद और नींबू का मिश्रण:

  • एक चम्मच शहद में नींबू के रस की कुछ बूंदें मिलाकर दिन में कई बार लें।
  • यह खांसी को कम करने और गले की खराश को शांत करने में मदद करेगा।

6. घरेलू काढ़ा:

  • अदरक, तुलसी, दालचीनी और लौंग को पानी में उबालकर काढ़ा बनाएं।
  • यह काढ़ा फ्लू के लक्षणों को कम करने में मदद करेगा।

7. लहसुन:

  • लहसुन में एंटीवायरल गुण होते हैं।
  • आप लहसुन को कच्चा खा सकते हैं या इसे सूप या अन्य व्यंजनों में मिला सकते हैं।

8. हल्दी वाला दूध:

  • रात को सोने से पहले एक गिलास गर्म दूध में एक चम्मच हल्दी मिलाकर पिएं।
  • हल्दी में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो फ्लू के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं।

9. विटामिन सी:

  • विटामिन सी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद करता है।
  • आप संतरे, नींबू और आंवला जैसे खट्टे फल खा सकते हैं।

10. आरामदेह वातावरण:

  • घर में शांत और आरामदायक वातावरण बनाए रखें।
  • तेज रोशनी और शोर से बचें।

फ्लू में क्या खाएं और क्या न खाएं?

फ्लू होने पर सही आहार लेना रिकवरी में मदद कर सकता है। यहाँ कुछ खाद्य पदार्थों की सूची दी गई है जिन्हें आपको खाना चाहिए और उनसे बचना चाहिए:

क्या खाएं:

  • तरल पदार्थ:
    • पानी, जूस, सूप और हर्बल चाय जैसे तरल पदार्थ शरीर को हाइड्रेटेड रखने में मदद करते हैं।
    • गर्म तरल पदार्थ, जैसे कि चिकन सूप और हर्बल चाय, गले की खराश को शांत करने में मदद करते हैं।
  • विटामिन सी युक्त खाद्य पदार्थ:
    • संतरे, नींबू, आंवला और कीवी जैसे फल प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद करते हैं।
  • प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ:
    • चिकन, मछली और अंडे शरीर को ताकत देने में मदद करते हैं।
  • हल्के और आसानी से पचने वाले खाद्य पदार्थ:
    • खिचड़ी, दलिया और उबले हुए चावल जैसे खाद्य पदार्थ पेट के लिए हल्के होते हैं।
  • शहद:
    • शहद खांसी को कम करने और गले की खराश को शांत करने में मदद कर सकता है।

क्या न खाएं:

  • प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ:
    • प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों में पोषक तत्वों की कमी होती है और ये प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर सकते हैं।
  • चीनी युक्त खाद्य पदार्थ और पेय:
    • चीनी सूजन को बढ़ा सकती है और प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर सकती है।
  • डेयरी उत्पाद:
    • कुछ लोगों को डेयरी उत्पादों से बलगम बढ़ सकता है।
  • तला हुआ और मसालेदार भोजन:
    • यह पाचन तंत्र को परेशान कर सकते हैं।
  • कैफीन और शराब:
    • ये निर्जलीकरण को बढ़ा सकते हैं।

फ्लू के जोखिम को कैसे कम करें?

फ्लू के जोखिम को कम करने के लिए आप कई उपाय कर सकते हैं:

  • टीकाकरण:
    • हर साल फ्लू का टीका लगवाएं। यह फ्लू से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका है।
    • टीका उन लोगों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जिन्हें फ्लू से गंभीर जटिलताओं का खतरा अधिक होता है, जैसे कि छोटे बच्चे, बुजुर्ग और गर्भवती महिलाएं।
  • अच्छी स्वच्छता का अभ्यास करें:
    • अपने हाथों को बार-बार साबुन और पानी से धोएं, खासकर खाने से पहले, शौचालय का उपयोग करने के बाद और बीमार लोगों के संपर्क में आने के बाद।
    • यदि साबुन और पानी उपलब्ध नहीं हैं, तो अल्कोहल-आधारित हैंड सैनिटाइज़र का उपयोग करें।
    • खांसते और छींकते समय अपने मुंह और नाक को टिश्यू से ढकें।
    • उपयोग किए गए टिश्यू को तुरंत कूड़ेदान में फेंक दें।
  • बीमार लोगों के निकट संपर्क से बचें:
    • यदि आप जानते हैं कि कोई बीमार है, तो उनसे दूर रहें।
    • यदि आप बीमार हैं, तो दूसरों को संक्रमण से बचाने के लिए घर पर रहें।
  • अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करें:
    • स्वस्थ आहार खाएं, जिसमें फल, सब्जियां और साबुत अनाज शामिल हों।
    • पर्याप्त नींद लें।
    • नियमित रूप से व्यायाम करें।
    • तनाव का प्रबंधन करें।
  • घर को साफ रखें:
    • उन सतहों को साफ और कीटाणुरहित करें जिन्हें अक्सर छुआ जाता है, जैसे कि दरवाज़े के हैंडल, लाइट स्विच और काउंटरटॉप्स।
    • अपने घर को हवादार रखें।
  • स्वस्थ जीवन शैली बनाए रखें:
    • धूम्रपान से बचें।
    • शराब का सेवन सीमित करें।

सारांश

फ्लू एक संक्रामक श्वसन रोग है जो इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण होता है। इसके लक्षणों में बुखार, खांसी, गले में खराश, शरीर में दर्द और थकान शामिल हैं। फ्लू आसानी से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है। फ्लू से बचाव के लिए वार्षिक फ्लू का टीका लगवाना सबसे अच्छा तरीका है। अन्य निवारक उपायों में बार-बार हाथ धोना, खांसते और छींकते समय मुंह और नाक को ढकना और बीमार लोगों के निकट संपर्क से बचना शामिल है।

फ्लू का इलाज लक्षणों को कम करने और जटिलताओं को रोकने पर केंद्रित है। उपचार में आराम करना, बहुत सारे तरल पदार्थ पीना और ओवर-द-काउंटर दर्द निवारक दवाएं लेना शामिल हो सकता है। कुछ मामलों में, डॉक्टर एंटीवायरल दवाएं लिख सकते हैं।

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